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भारत में जुए और क्रिकेट सहित खेलों में सट्टेबाजी पर कानूनी संरचना

लॉ कमीशन की रिपोर्ट का सारांश

  • भारत के लॉ कमीशन (चेयर: जस्टिस बी.एस.चौहान) ने 5 जुलाई, 2018 को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें इस बात की जांच की गई कि क्या भारत में सट्टेबाजी को वैध बनाया जा सकता है। 2016 में सर्वोच्च न्यायालय ने कमीशन से सट्टेबाजी को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाए जाने की संभावना की जांच करने को कहा था। इसके बाद यह रिपोर्ट सौंपी गई है। कमीशन ने कहा कि हालांकि सट्टेबाजी और जुए पर प्रतिबंध लगाना वांछनीय है, लेकिन इसे पूरी तरह से रोकना बहुत मुश्किल है। इसलिए कमीशन ने जुए और सट्टेबाजी के रेगुलेशन का सुझाव दिया।
     
  • जुए और सट्टेबाजी का रेगुलेशन: संविधान के अंतर्गत सट्टेबाजी और जुआ राज्य का विषय है। इसलिए कमीशन ने कहा कि राज्य विधानमंडल जुए और सट्टेबाजी को रेगुलेट करने के लिए कानून बना सकते हैं। हालांकि उसने यह भी कहा कि संसद सट्टेबाजी और जुए को रेगुलेट करने के लिए एक मॉडल कानून बना सकती है जिसे राज्य अपना सकते हैं। संसद अनुच्छेद 249 (राष्ट्रीय हित में) या अनुच्छेद 252 (अगर दो या उससे अधिक राज्यों की सहमति है) के अंतर्गत भी कानून बना सकती है। उसने गौर किया कि संसद में ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी से जुड़ा कानून बनाने का सामर्थ्य है।
     
  • जुए और सट्टेबाजी को नियंत्रित करने वाले रेगुलेशंस: कमीशन ने सुझाव दिया कि भारत में केवल लाइसेंसशुदा ऑपरेटरों को ही जुए और सट्टेबाजी की अनुमति होनी चाहिए। यह सुझाव दिया गया कि इसमें भाग लेने के लिए एक विशिष्ट समय अवधि, जैसे एक महीने, छह महीने या एक साल में लेनदेन की संख्या की सीमा तय की जानी चाहिए। कमीशन ने कहा कि ऑपरेटर और जुआ खेलने-सट्टेबाजी करने वालों के बीच लेनदेन कैशलेस होने चाहिए और नकद लेनदेन के लिए सजा का प्रावधान होना चाहिए।
     
  • कमीशन ने सुझाव दिया कि जुए और सट्टेबाजी से जुड़े सभी लेनदेन को ऑपरेटर और उसमें हिस्सा लेने वालों के आधार/पैन कार्ड से लिंक किया जाना चाहिए। इससे लोगों को इन गतिविधियों के बुरे असर से बचाया जा सकता है और पारदर्शिता एवं राज्यों की निगरानी बढ़ाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त जुए और सट्टेबाजी से होने वाली आय पर इनकम टैक्स एक्ट (आईटी एक्ट), 1961, वस्तु एवं सेवा कर एक्ट (जीएसटी), 2017 और दूसरे संबंधित कानूनों के अंतर्गत टैक्स लगाया जाना चाहिए।
     
  • जुए का वर्गीकरण: कमीशन ने सुझाव दिया कि जुए को दो श्रेणियों में बांटा जाना चाहिए- ‘प्रॉपर’ जुआ और ‘छोटा’ जुआ। ‘प्रॉपर’ जुए में बड़ी धनराशि लगाई जाएगी। केवल उच्च आय वर्ग के लोगों को ‘प्रॉपर’ जुआ खेलने की अनुमति होगी। निम्न आय वर्ग के लोग सिर्फ ‘छोटा’ जुआ खेल पाएंगे। ‘छोटे’ जुए में लगाई जाने वाली धनराशि ‘प्रॉपर’ जुए की धनराशि से काफी कम होगी।
     
  • प्रतिबंधित व्यक्ति: कमीशन ने सुझाव दिया कि कुछ खास वर्ग के लोगों को जुए के ऑनलाइन या ऑफलाइन प्लेटफॉर्म्स में भाग लेने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं : (i) नाबालिग लोग, (ii) वे लोग जिन्हें सरकारी सबसिडी मिलती है, या (iii) जो लोग इनकम टैक्स एक्ट, 1961 या वस्तु एवं सेवा कर एक्ट, 2017 के दायरे में नहीं आते।
     
  • फेमा में संशोधन: कमीशन ने सुझाव दिया कि फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (फेमा) एक्ट, 1999 और फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (एफडीआई) नीति में संशोधन किया जाना चाहिए ताकि कैसीनो/ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में और दूसरे उद्देश्यों के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया जा सके। यह महसूस किया गया कि इससे उन राज्यों में पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी उद्योग के विकास को गति मिलेगी। इसके अतिरिक्त राजस्व और रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी होगी।
     
  • आईटी नियमों में संशोधन: सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश) नियम, 2011 के अंतर्गत मध्यस्थों को जुए से संबंधित या उसे बढ़ावा देने वाले कंटेंट को होस्ट या ट्रांसमिट करने से प्रतिबंधित किया गया है। कमीशन ने सुझाव दिया कि केवल उन मध्यस्थों को प्रतिबंधित किया जाए जो जुए से संबंधित कंटेट को अवैध तरीके से ट्रांसमिट या होस्ट करते हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि मध्यस्थों को उन राज्यों में उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा, जहां लाइसेंस के साथ जुआ खेला जाता है।
     
  • मैच फिक्सिंग और स्पोर्ट्स फ्रॉड: कमीशन ने सुझाव दिया कि मैच फिक्सिंग और स्पोर्ट्स फ्रॉड को क्रिमिनल अपराध बनाया जाना चाहिए और इसके लिए कड़ी सजा होनी चाहिए।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) की स्वीकृति के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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