india-map

अपने सांसद को खोजें

Switch to English
  • सांसद और विधायक
    संसद राज्य
  • विधान मंडल
    विधानसभा
    Andhra Pradesh Assam Chhattisgarh Haryana Himachal Pradesh Kerala Goa Madhya Pradesh Telangana Uttar Pradesh West Bengal
    राज्यों
    वाइटल स्टैट्स
    चर्चा पत्र
  • संसद
    प्राइमर
  • बिल
    संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
  • बजट
    संसद राज्य चर्चा पत्र
  • नीति
    चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • करियर

अपने सांसद को खोजें

संसद राज्य
प्राइमर
संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
संसद राज्य चर्चा पत्र
चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी कीरिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • भारत-पाक संबंध

नीति

  • चर्चा पत्र
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • राष्ट्रपति का अभिभाषण
  • मंथली पॉलिसी रिव्यू
  • वाइटल स्टैट्स
पीडीएफ

भारत-पाक संबंध

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • विदेशी मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयरपर्सन : शशि थरूर) ने 11 अगस्त, 2017 को ‘भारत-पाक संबंधों’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं :
     
  • सीमा प्रबंधन और सुरक्षा : भारत और पाकिस्तान के बीच 3,323 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है। यह देखते हुए कि सीमा के आस-पास एक तनावपूर्ण स्थिति रहती है, कमिटी ने सुझाव दिया कि सीमा सुरक्षा को मजबूती देने और उसे आधुनिक बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है। कमिटी ने सीमा के आस-पास सड़कों की खराब स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उसने सुझाव दिया कि समयबद्ध तरीके से व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली को तैयार किया जाए। इसके अतिरिक्त भारतीय तट रक्षक और दूसरी एजेंसियों के बीच उच्च स्तरीय समन्वय स्थापित करके तटीय सुरक्षा और चौकसी को मजबूत किया जाना चाहिए। इन एजेंसियों में भारतीय नौसेना, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, कस्टम और बंदरगाह आते हैं।
     
  • आतंकवाद : कमिटी ने सुझाव दिया कि 26/11 मुंबई हमले की जांच में तेजी लाने के लिए सरकार को पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसने सुझाव दिया कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने के लिए सैन्य और असैन्य, दोनों प्रकार के नीतिगत विकल्पों को स्पष्ट किया जाना चाहिए। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठानों की संपूर्ण सुरक्षा की समीक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
     
  • जम्मू और कश्मीर : कमिटी ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर का एक हिस्सा 1947 से पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। इसके अतिरिक्त उसने टिप्पणी की कि कश्मीरी युवाओं में अलगाव की भावना बढ़ रही है, जिसका कारण कट्टपंथ, और रोजगार के अवसरों का अभाव है। कमिटी ने कहा कि इस संबंध में सरकार के प्रयासों के अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर और आर्थिक विकास जैसे उपाय करने चाहिए और युवाओं को विशेष रूप से पाकिस्तान समर्थित कट्टरपंथ से प्रभावित होने से रोका जाना चाहिए।
     
  • परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम : भारत और पाकिस्तान ने परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले के निषेध से जुड़े एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। कमिटी ने टिप्पणी की कि हालांकि भारत और पाकिस्तान, दोनों के पास परमाणु हथियार हैं लेकिन उनके परमाणु सिद्धांत परस्पर विरोधी हैं। भारत ‘परमाणु हथियारों का पहला प्रयोग नहीं करना’ की नीति का अनुपालन करता है, लेकिन पाकिस्तान नहीं। इसके अतिरिक्त मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों में चीन और पाकिस्तान के बीच समन्वय बढ़ रहा है। इस संदर्भ में कमिटी ने सुझाव दिया है कि सरकार को अपनी परमाणु क्षमता में वृद्धि करनी चाहिए और विरोध करने की अपनी क्षमता को बढ़ाना चाहिए।
     
  • सर्जिकल स्ट्राइक : कमिटी ने टिप्पणी की कि सितंबर 2016 में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारतीय सेना द्वारा सीमित आतंकवाद विरोधी अभियान (सर्जिकल स्ट्राइक) चलाया गया था। एलओसी के आस-पास आतंकवादी लॉन्च पैड्स और पाकिस्तान से आतंकवादी हमलों की आशंका की खूफिया जानकारी के आधार पर सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी। कमिटी ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक एक संयमित प्रतिक्रिया का प्रदर्शन था जोकि भारत की ‘सामरिक संयम’ की नीति का ही संकेत देती थी। कमिटी ने सुझाव दिया कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को प्रकाश में लाने के लिए राजनयिक पहल के साथ-साथ इस नीति को जारी रखा जाना चाहिए।
     
  • आर्थिक भागीदारी : कमिटी ने भारत और पाकिस्तान के बीच आर्थिक संबंधों में तीन प्रवृत्तियों का उल्लेख किया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं : (i) दोनों देशों के बीच व्यापार की व्यापक क्षमता है, (ii) पिछले वर्षों के दौरान भारत ने पाकिस्तान से व्यापार अधिशेष बरकरार रखा है, और (iii) साप्टा (सार्क अधिमान्य व्यापार समझौता) संधि द्विपक्षीय व्यापार की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। डब्ल्यूटीओ समझौते के अंतर्गत भारत ने पाकिस्तान सहित सभी डब्ल्यूटीओ सदस्यों को सर्वाधिक तरजीह वाले देश (मोस्ट फेवर्ड नेशन-एमएफएन) का दर्जा दिया है। एमएफएन सिद्धांत विभिन्न देशों के समान उत्पादों के साथ भेदभाव को प्रतिबंधित करता है। हालांकि पाकिस्तान ने भारत को एमएफएन का दर्जा नहीं दिया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि पाकिस्तान को इस बात के लिए राजी किया जाना चाहिए कि वह भारत को एमएफएन का दर्जा दे। इसके अतिरिक्त कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि सरकार को निम्नलिखित के लिए पाकिस्तान को राजी करना चाहिए : (i) जमीनी रास्तों पर लगे व्यापार प्रतिबंधों को हटाना, और (ii) पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान में भारतीय निर्यात की अनुमति देना।
     
  • कमिटी ने गौर किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए 2012 में अटारी में एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) बनाए गए थे। कमिटी ने आईसीपी के संबंध में अनेक संरचनात्मक समस्याओं का उल्लेख किया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं : (i) स्टोरेज की सीमित जगह, (ii) मैकेनाइज्ड लोडिंग/अपलोडिंग की कमी, और (iii) अपर्याप्त कार्गो होल्डिंग। कमिटी ने सुझाव दिया कि तकनीकी हैंडलिंग के जरिए आईसीपी की कार्यकुशलता में सुधार किया जाए।
     
  • सार्क शिखर सम्मेलन : कमिटी ने कहा कि प्रमुख क्षेत्रीय विकास परियोजनाओं में बाधाएं उत्पन्न करके पाकिस्तान ने सार्क को निष्क्रिय बना दिया है। उसने टिप्पणी की कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के कारण, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और नेपाल 2016 के प्रस्तावित सार्क शिखर सम्मेलन से पीछे हट गए थे। उसने सुझाव दिया कि सरकार को सार्क क्षेत्रीय ‘आतंकवाद दमन’ संधि को लागू करने में रचनात्मक भागीदारी करनी चाहिए।

 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) की स्वीकृति के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

हमें फॉलो करें

Copyright © 2023    prsindia.org    All Rights Reserved.