स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- श्रम संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयरपर्सन: डॉ. किरीट सोमैय्या) ने 26 जुलाई, 2018 को ‘कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) योजना के अंतर्गत इस्टैबलिशमेंट्स का कवरेज, बकाये की रिकवरी और अस्पतालों एवं दवाखानों का कामकाज’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- केंद्र-राज्य के बीच समन्वय को मजबूत करना: रिपोर्ट कहती है कि कर्मचारी राज्य बीमा एक्ट, 1948 (ईएसआई एक्ट) के अंतर्गत कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के पास कर्मचारियों के योगदानों को इकट्ठा करने का अधिकार है। हालांकि राज्य सरकार (राज्य संचालित कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ईएसआईएस)) अपने कर्मचारियों को मेडिकल सेवाएं और दूसरे लाभ देने के लिए जिम्मेदार है। कमिटी ने कहा कि इन दोहरी भूमिकाओं के कारण योजना के प्रभाव पर प्रतिकूल असर पड़ा है। कमिटी ने यह भी गौर किया कि कर्मचारियों के चिकित्सा लाभ पर जितनी धनराशि खर्च होती है, ईएसआईसी उससे दुगुनी राशि जमा करता है, वह भी यह सुनिश्चित किए बिना कि पर्याप्त मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है या नहीं। इसलिए कमिटी ने सुझाव दिया कि ईएसआईसी एक्ट पर दोबारा विचार किया जाना चाहिए ताकि उसके प्रयोजन को पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच अधिक समन्वय कायम किया जा सके।
- ईएसआईसी/ईएसआईएस के लिए रेगुलेटर: कमिटी ने कहा कि स्वास्थ्य बीमा, जीवन बीमा और सामान्य बीमा योजनाओं सहित सभी प्रकार की बीमा योजनाओं के लिए बीमा सेक्टर का रेगुलेशन अनिवार्य कर दिया गया है। फिर भी ईएसआईसी/ईएसआईएस के लिए कोई रेगुलेटर नहीं है। इसलिए कमिटी ने सुझाव दिया कि ईएसआईसी/ईएसआईएस को रेगुलेटरी सिस्टम के दायरे में लाया जाए।
- पात्रता की समीक्षा: कमिटी ने सुझाव दिया कि कर्मचारियों को दिए जाने वाले लाभों की पात्रता की समीक्षा के लिए ईएसआईएस का ऑडिट किया जाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि योजना के अंतर्गत मिलने वाले लाभों से कोई पात्र व्यक्ति वंचित नहीं रह गया है।
- अतिरिक्त फंड्स: कमिटी ने कहा कि मार्च, 2018 तक ईएसआईसी के पास 73,303 करोड़ रुपए से अधिक का कॉरपस फंड था। कमिटी ने गौर किया कि कर्मचारियों के योगदानों की प्रकृति सेस जैसी है जो ईएसआईसी द्वारा वसूला जाता है और अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि ईएसआईसी को इस प्रकार के कॉरपस फंड को रखने की वैधता पर कानूनी सलाह ली जानी चाहिए और इस संबंध में कमिटी को सूचना दी जानी चाहिए।
- आयुष्मान भारत के साथ लिंकिंग: कमिटी ने कहा कि ‘आयुष्मान भारत’ नामक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना को शुरू किया गया था ताकि गरीब और कमजोर परिवारों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें। यह भी कहा गया कि ईएसआईसी कर्मचारियों को ईएसआईएस के अंतर्गत भी मेडिकल लाभ प्रदान करती है। अब तक ईएसआईसी पूरी तरह से आयुष्मान भारत के साथ लिंक नहीं हुई है। कमिटी ने सुझाव दिया कि ईएसआईसी को जल्द से जल्द इस संबंध में अपनी नीति को अंतिम रूप देना चाहिए।
- मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों का निर्माण: कमिटी ने गौर किया कि ईएसआईसी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के निर्माण पर बहुत अधिक धनराशि खर्च करती है, लेकिन लाभार्थियों को प्रदान की जाने वाली वास्तविक मेडिकल सुविधाओं में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। कमिटी ने सुझाव दिया कि योजना का फोकस इस बात पर होना चाहिए कि लाभार्थियों को मेडिकल और अन्य लाभ मिल रहे हैं।
- कुछ इस्टैबलिशमेंट्स को छूट: कमिटी ने कहा कि ईएसआई एक्ट उन इस्टैबलिशमेंट्स को छूट देता है जो अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य बीमे के लिए अपनी खुद की मेडिकल सुविधाएं प्रदान करते हैं। कमिटी ने कहा कि ऐसे इस्टैबलिशमेंट्स को अपनी खुद की योजना के अंतर्गत बीमा कवर देने की अनुमति है। कमिटी ने यह सुनिश्चित करने को कहा कि इस छूट का अनुचित लाभ नहीं उठाया जा रहा है। उसने सुझाव दिया कि इन स्टैबलिशमेंट्स को अपने कर्मचारियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने को कहा जाना चाहिए और ईएसआईसी को इन इस्टैबलिशमेंट्स के लिए रेगुलेटर के तौर पर काम करना चाहिए।
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