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पीडीएफ

कोल बेड मीथेन का उत्पादन

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: प्रह्लाद जोशी) ने कोल बेड मीथेन (सीबीएम) के उत्पादन पर अपनी रिपोर्ट अगस्त, 2016 को सौंपी। सीबीएम कोयले की तह में पाई जाने वाली एक प्राकृतिक गैस है जिसे ऊर्जा का स्वच्छ स्रोत माना जाता है।
     
  • व्यापक नीति : कमिटी ने यह गौर किया कि सीबीएम नीति, 1997 के तहत अपेक्षित क्षमता तक सीबीएम उत्पादन के लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सका है। इसलिए कमिटी ने एक नई और संशोधित सीबीएम नीति को जारी करने का सुझाव दिया। नई नीति में निम्नलिखित मुद्दों को संबोधित किया जाना चाहिए, जैसे (i) विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय, (ii) कोयले और सीबीएम का एक साथ खनन, (iii) मौजूदा कोयला खानों से सीबीएम का प्रयोग, और (iv) सीबीएम का मूल्य।
     
  • सीबीएम का पुनःआकलन : देश में सीबीएम उपलब्धता का आकलन 1990 के दशक में आखिरी बार किया गया था। इसके बाद देश में सीबीएम की नई क्षमता का आकलन करने के लिए कोई कार्य नहीं किया गया। कमिटी ने टिप्पणी दी कि सीबीएम ब्लॉकों के निम्नस्तरीय उत्पादन के अनेक कारणों में से एक कारण यह भी है। कमिटी ने सुझाव दिया कि देश में सीबीएम क्षमता का पुनः आकलन किया जाना चाहिए।
     
  • सीबीएम की निकासी की तकनीक : कमिटी ने यह गौर किया कि कोयले के ब्लॉकों से कोयले का उत्खनन करने और सीबीएम की निकासी के लिए कोयले की तह (सीम्स) की ड्रिलिंग करने की तकनीक अलग-अलग है। सीबीएम निकासी के लिए की जाने वाली ड्रिंलिंग की प्रकृति दिशात्मक (डायरेक्शनल) होती है क्योंकि वह कोयले की तहों (सीम्स) में की जाती है। यह कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) और प्राकृतिक गैस की खोज और उत्पादन के लिए की जाने वाली आड़ी (हॉरिजोंटल) ड्रिंलिग की तरह होती है। हालांकि देश में सीबीएम निकासी से संबंधित तकनीक मौजूद है, पर इसे प्रयोग नहीं किया गया, विशेष रूप से उन स्थानों पर जहां सक्रिय (एक्टिव) कोयला खदानों में कोयले के साथ सीबीएम की निकासी साथ-साथ करना संभव है। कमिटी ने सुझाव दिया कि एक सशक्त कार्यबल का गठन किया जाना चाहिए। यह कार्यबल तय करेगा कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) अपने कोयला ब्लॉक से जल्द से जल्द सीबीएम को निकालने के लिए किस तकनीक का प्रयोग कर सकती है।
     
  • सीबीएम ब्लॉकों का आवंटन : वर्ष 2001 से 2008 के दौरान 33 सीबीएम ब्लॉकों के आवंटन के लिए चार दौर की नीलामी की गई। इनमें से चार की नीलामी को निरस्त कर दिया गया और फिर सांविधिक मंजूरियों में विलंब और सीबीएम उत्पादन की कम संभावना के कारण 18 दूसरे ब्लॉकों की नीलामी को भी निरस्त कर दिया गया। 2008 के बाद से किसी नए ब्लॉक का आवंटन नहीं किया गया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि नई हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी (हेल्प) के तहत नए ब्लॉकों और निरस्त किए गए ब्लॉकों के आवंटन का काम जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए।
     
  • सीबीएम खनन के क्षेत्र : कमिटी ने गौर किया कि 2001, 2003, 2005 और 2008 में चार दौर की नीलामी में जिन 33 सीबीएम ब्लॉकों का आवंटन किया गया था, उनमें 16,600 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र आता था। सीबीएम क्षमता वाले मूल रूप से चिन्हित क्षेत्र (26,000 वर्ग किलोमीटर) का 35% हिस्सा अब भी सीबीएम ऑपरेशन्स के लिए जारी किया जाना बाकी है। इसके अतिरिक्त चूंकि सीबीएम की कम उपलब्धता के कारण एक बड़े क्षेत्र को छोड़ दिया गया है, 16,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सीबीएम की उपलब्धता के संबंध में लगाए गए अनुमान भी सही नहीं हैं। साथ ही, वर्ष 2014-15 में सीबीएम का उत्पादन 0.625 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रति दिन (एमएमएससीएमडी) था, जोकि 2017-18 में 5.77 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रति दिन (एमएमएससीएमडी) अनुमानित है। कमिटी ने टिप्पणी दी कि अनुमानित उत्पादन क्षमता से बहुत कम है और सरकार को अधिक उत्पादन का लक्ष्य रखना चाहिए। कमिटी ने सुझाव दिया कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और कोयला मंत्रालयों को साथ मिलकर सीबीएम की खोज करनी चाहिए और सीबीएम निकासी के लिए नए क्षेत्रों को चिन्हित करना चाहिए।
     
  • सीबीएम का मूल्य : सीबीएम ब्लॉकों में कोयला खनन का कार्य कोयला मंत्रालय के नियंत्रण में है। लेकिन सीबीएम प्राकृतिक गैस है इसलिए इसका मूल्य निर्धारण पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाता है। इसके अतिरिक्त सरकार सीबीएम के मूल्यों को केस टू केस आधार पर अनुमोदित करती है। फिर भी सीबीएम के मूल्य निर्धारण को हेल्प के तहत लाया गया है जो सीबीएम सहित प्राकृतिक गैस के लिए मूल्य निर्धारण का फार्मूला प्रदान करती है। कमिटी ने गौर किया कि हेल्प के तहत सीबीएम के मूल्य मौजूदा उत्पादकों द्वारा लिए जाने वाले मूल्यों की तुलना में कम प्रतीत होते हैं। यह सुझाव दिया गया कि मंत्रालय को सीबीएम के मूल्य निर्धारण और मार्केटिंग के लिए एक अलग तंत्र बनाना चाहिए। इस तंत्र को सीबीएम ऑपरेशन्स के विभिन्न घटकों जैसे कम मात्रा में गैस की उपलब्धता, निम्न उत्पादकता के कारण जरूरी ड्रिलिंग की संख्या, सुदूर जगहों, इत्यादि पर विचार करना चाहिए और सीबीएम उत्पादकों को प्रोत्साहित भी करना चाहिए।
     
  • कोयला ब्लॉक के आवंटियों के अधिकार : सीबीएम ब्लॉकों के आवंटन की मौजूदा प्रणाली के मद्देनजर कंपनियों के बीच कोयले और सीबीएम के अधिकारों के बीच ओवरलैपिंग हो सकती है। इससे आवंटन में विलंब हो रहा है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है। कमिटी ने टिप्पणी की कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि एक ही समय पर कोयले और सीबीएम की ड्रिलिंग को मंजूरी नहीं मिली। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार कोयला ब्लॉक आवंटियों को, अगर वे चाहते हैं तो, हेल्प के तहत सीबीएम की निकासी के अधिकार प्रदान करने के लिए सरल कार्य प्रणाली प्रतिपादित कर सकती है।

 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) की स्वीकृति के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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