कैग की रिपोर्ट का सारांश
- भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने 19 दिसंबर, 2017 को ‘खाद्य सुरक्षा और मानक एक्ट, 2006 का कार्यान्वयन’ पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट जारी की। खाद्य सुरक्षा और मानक एक्ट, 2006 को निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए लागू किया गया था : (i) देश में खाद्य सुरक्षा से जुड़े भिन्न-भिन्न कानूनों को संघटित (कन्सॉलिडेट) करना, (ii) सिंगल प्वाइंट रेफरेंस सिस्टम बनाना, (iii) भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक अथॉरिटी (एफएसएसएआई) की स्थापना करना। एफएसएसएआई खाद्य पदार्थों के लिए मानक तैयार करता है और उनकी मैन्यूफैक्चरिंग, स्टोरेज और वितरण इत्यादि को रेगुलेट करता है।
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, एफएसएसएआई और दस राज्यों की फूड अथॉरिटीज (जोकि एफएसएसएआई द्वारा अधिसूचित नियमों और रेगुलेशनों को लागू करने के लिए जिम्मेदार होती हैं) के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए यह ऑडिट किया गया था। कैग के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं :
- रेगुलेटरी और प्रशासनिक ढांचा : कैग ने टिप्पणी की कि एक्ट को लागू हुए दस वर्ष से अधिक हो गए हैं लेकिन मंत्रालय और एफएसएसएआई ने अब तक विभिन्न प्रक्रियाओं और प्रणालियों से जुड़े रेगुलेशंस नहीं बनाए हैं जैसा कि एक्ट में कहा गया है। इसके अतिरिक्त एफएसएसएआई ने उन क्षेत्रों को चिन्हित नहीं किया है जिनके लिए मानक नहीं बनाए गए हैं या उन्हें संशोधित नहीं किया है। रिपोर्ट के अनुसार, इसका कोई कारण नहीं बताया गया है कि उन खाद्य उत्पादों को किस प्रकार चिन्हित किया गया, जिनका मानकीकरण दूसरे उत्पादों से पहले किया गया है। कैग ने गौर किया कि खाद्य उत्पादों की कुछ श्रेणियों के मानकों में संशोधन करने का काम फूड बिजनेस ऑपरेटरों के प्रतिनिधियों को सौंपा गया। उनकी राय पक्षपात पूर्ण हो सकती है। इसके अतिरिक्त स्टेकहोल्डर्स की टिप्पणियों पर ध्यान दिए बिना और मंत्रालय की मंजूरी के बिना एफएसएसएआई ने कुछ रेगुलेशंस और मानकों को अधिसूचित कर दिया।
- इसके मद्देनजर कैग ने सुझाव दिया कि एफएसएसएआई को उन सभी क्षेत्रों में रेगुलेशंस को अधिसूचित करने में तेजी लानी चाहिए जिन्हें एक्ट में निर्दिष्ट किया गया है। इसके अतिरिक्त उसे मानकों की तैयारी और उनकी समीक्षा के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का निर्माण करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका पालन किया जा रहा है।
- लाइसेंसिंग और कार्यान्वयन (एनफोर्समेंट) : एक्ट के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति लाइसेंस लिए बिना न तो फूड बिजनेस शुरू कर सकता है और न ही उसे चला सकता है। कैग ने टिप्पणी की कि ऑडिट के दौरान जांचे गए 50% से अधिक मामलों में दस्तावेज पूरे न होने के बावजूद लाइसेंस जारी किए गए। कैग के अनुसार, एफएसएसएआई यह सुनिश्चित करने में नाकाम रहा कि कस्टम अधिकारियों ने देश में असुरक्षित खाद्य पदार्थों को आने नहीं दिया। इसलिए सुझाव दिया गया कि अथॉरिटी यह सुनिश्चित करे कि जो लाइसेंस मंजूरी की पूर्व प्रणाली के अंतर्गत जारी किए गए हैं, उनकी समीक्षा की जाएगी। साथ ही लाइसेंस रद्द किए जाएं और उत्पाद मंजूरी की वर्तमान प्रणाली में जैसा अपेक्षित है, उसी के अनुसार उन्हें दोबारा जारी किया जाए।
- इसके अतिरिक्त एफएसएसएआई और राज्य खाद्य अथॉरिटीज ने एक्ट के कार्यान्वयन और प्रशासन के लिए कोई सर्वे नहीं किया। एफएसएसएआई के पास फूड बिजनेसेज़ पर कोई डेटाबेस भी नहीं है। इस संबंध में कैग ने सुझाव दिया कि एफएसएसएआई और राज्य खाद्य अथॉरिटीज को अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली खाद्य कंपनियों के कामकाज पर सर्वे करने चाहिए।
- फूड लेबोरेट्रीज की स्थिति : कैग ने फूड लेबोरेट्रीज (जिन्हें एफएसएसएआई और राज्य खाद्य सुरक्षा अथॉरिटीज द्वारा फूड सैंपलों की टेस्टिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है) की खराब क्वालिटी पर गौर किया। यह पाया गया कि 72 में से 65 राज्य फूड लेबोरेट्रीज के पास नेशनल एक्रेडेशन बोर्ड ऑफ टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेट्रीज का एक्रेडेशन नहीं है। इसके अतिरिक्त एफएसएसएआई के पास यह डेटा नहीं है कि क्या सभी अधिसूचित फूड लेबोरेट्रीज में क्वालिफाइड फूड एनालिस्ट हैं। फूड एनालिस्ट्स से फूड सैंपलों की जांच करने की अपेक्षा की जाती है। इसके अतिरिक्त राज्य फूड लेबोरेट्रीज में फूड टेस्टिंग के फंक्शनल उपकरणों की कमी होने से फूड सैंपलों की टेस्टिंग कम हो पाती है। कई राज्य लेबोरेट्रीज की ऑडिट जांच से यह पता चला कि उनमें कुछ अनिवार्य मापदंडों जैसे माइक्रोबायलॉजिकल, पेस्टिसाइड और हेवी मेटल कंटैमिनेशन की जांच करने की सुविधा ही नहीं है।
- मानव संसाधन : कमिटी ने गौर किया कि कानून को लागू हुए दस वर्ष बीत गए हैं लेकिन मंत्रालय और एफएसएसएआई अब तक कर्मचारियों की भर्ती से जुड़े रेगुलेशंस नहीं बना पाए हैं। इस कारण विभिन्न स्तरों पर कर्मचारियों का जबरदस्त अभाव है जोकि राज्यों के खाद्य सुरक्षा उपायों को प्रभावित करता है। इसके मद्देनजर, कैग ने सुझाव दिया है कि मंत्रालय और एफएसएसएआई को भर्ती से जुड़े रेगुलेशंस को अधिसूचित करना चाहिए और रिक्तियों को भरना चाहिए।
- कैग ने यह भी गौर किया कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारी रूटीन वाला काम कर रहे हैं, जबकि उन्हें नियुक्त करने का उद्देश्य यह था कि वे केवल निश्चित समय अवधि के विशिष्ट कार्य करेंगे। यह सुझाव दिया गया कि एफएसएसएआई द्वारा जिन कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किया है, उन्हें काम पर रखने की समीक्षा की जाए।
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