india-map

अपने सांसद को खोजें

Switch to English
  • सांसद और विधायक
    संसद राज्य
  • विधान मंडल
    विधानसभा
    Andhra Pradesh Assam Chhattisgarh Haryana Himachal Pradesh Kerala Goa Madhya Pradesh Telangana Uttar Pradesh West Bengal
    राज्यों
    वाइटल स्टैट्स
    चर्चा पत्र
  • संसद
    प्राइमर
  • बिल
    संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
  • बजट
    संसद राज्य चर्चा पत्र
  • नीति
    चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • करियर

अपने सांसद को खोजें

संसद राज्य
प्राइमर
संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
संसद राज्य चर्चा पत्र
चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी कीरिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • मसौदा लोकसेवक (एसेट्स और देनदारियों की घोषणा और क्षमा या छूट के लिए एसेट्स का न्यूनतम मूल्य) नियम, 2017

नीति

  • चर्चा पत्र
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • राष्ट्रपति का अभिभाषण
  • मंथली पॉलिसी रिव्यू
  • वाइटल स्टैट्स
पीडीएफ

मसौदा लोकसेवक (एसेट्स और देनदारियों की घोषणा और क्षमा या छूट के लिए एसेट्स का न्यूनतम मूल्य) नियम, 2017

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • कार्मिक, लोक शिकायत और विधि एवं न्याय संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर : भूपेंद्र यादव) ने ‘मसौदा लोकसेवक (एसेट्स और देनदारियों की घोषणा और क्षमा या छूट के लिए एसेट्स का न्यूनतम मूल्य’ नियम, 2017 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट, 2013 के अंतर्गत इन नियमों को अधिसूचित करने का प्रस्ताव है। इन नियमों में लोकसेवकों के एसेट्स और देनदारियों की घोषणा के रूपों और तरीकों को निर्दिष्ट किया गया है।
     
  • 2013 के एक्ट में यह अपेक्षा की गई है कि लोकसेवक अपने, अपने स्पाउस और अपने ऊपर निर्भर बच्चों के एसेट्स और देनदारियों की घोषणा करेंगे। इससे पहले एक्ट खुद इस घोषणा के रूप और तरीके को निर्दिष्ट करता था। लेकिन लोकपाल और लोकायुक्त (संशोधन) एक्ट, 2016 ने इस प्रावधान में संशोधन किया और कहा कि घोषणा के तरीके को केंद्र सरकार द्वारा नियमों के जरिए विनिर्दिष्ट किया जाएगा। इसके बाद 2016 के संशोधन एक्ट के आधार पर नियमों को ड्राफ्ट किया गया। स्टैंडिंग कमिटी ने इन नियमों की जांच की और निम्नलिखित सुझाव दिए:
     
  • घोषणा के लिए समय अवधि: नियमों के अनुसार लोकसेवकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे कार्य भार संभालने के छह महीने के भीतर अपने एसेट्स और देनदारियों की घोषणा करेंगे। जो लोकसेवक पहले से अपने पद पर कार्य कर रहे हैं, उनसे 31 जुलाई, 2018 को या उससे पहले इस संबंध में घोषणा करने की अपेक्षा की गई थी। इसके अतिरिक्त अगर पहले की घोषणाओं के विवरण में कोई परिवर्तन है तो छह महीने में इसमें संशोधन का ब्यौरा दिया जाना चाहिए। कमिटी ने सुझाव दिया है कि इसकी बजाय साल में सिर्फ एक बार ब्यौरा दिया जाए। इससे लोकसेवक को एक साल में एक बार रिटर्न भरने की जरूरत होगी, भले ही उसमें कई लेनदेन हों।
     
  • घोषणा के लिए न्यूनतम राशि का निर्धारण: नियमों के अंतर्गत एक निश्चित राशि से कम के एसेट्स और देनदारियों की घोषणा करने की जरूरत नहीं होती। एसेट्स के न्यूनतम मूल्य को सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है, जोकि लोकसेवक और उसके पद की प्रकृति के मुताबिक हो। कमिटी ने इस बात पर बल दिया कि न्यूनतम मूल्य उपयुक्त होना चाहिए और नियमित अंतराल पर संशोधित किया जाना चाहिए।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) की स्वीकृति के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

हमें फॉलो करें

Copyright © 2023    prsindia.org    All Rights Reserved.