स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- कार्मिक, लोक शिकायत और विधि एवं न्याय संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर : भूपेंद्र यादव) ने ‘मसौदा लोकसेवक (एसेट्स और देनदारियों की घोषणा और क्षमा या छूट के लिए एसेट्स का न्यूनतम मूल्य’ नियम, 2017 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट, 2013 के अंतर्गत इन नियमों को अधिसूचित करने का प्रस्ताव है। इन नियमों में लोकसेवकों के एसेट्स और देनदारियों की घोषणा के रूपों और तरीकों को निर्दिष्ट किया गया है।
- 2013 के एक्ट में यह अपेक्षा की गई है कि लोकसेवक अपने, अपने स्पाउस और अपने ऊपर निर्भर बच्चों के एसेट्स और देनदारियों की घोषणा करेंगे। इससे पहले एक्ट खुद इस घोषणा के रूप और तरीके को निर्दिष्ट करता था। लेकिन लोकपाल और लोकायुक्त (संशोधन) एक्ट, 2016 ने इस प्रावधान में संशोधन किया और कहा कि घोषणा के तरीके को केंद्र सरकार द्वारा नियमों के जरिए विनिर्दिष्ट किया जाएगा। इसके बाद 2016 के संशोधन एक्ट के आधार पर नियमों को ड्राफ्ट किया गया। स्टैंडिंग कमिटी ने इन नियमों की जांच की और निम्नलिखित सुझाव दिए:
- घोषणा के लिए समय अवधि: नियमों के अनुसार लोकसेवकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे कार्य भार संभालने के छह महीने के भीतर अपने एसेट्स और देनदारियों की घोषणा करेंगे। जो लोकसेवक पहले से अपने पद पर कार्य कर रहे हैं, उनसे 31 जुलाई, 2018 को या उससे पहले इस संबंध में घोषणा करने की अपेक्षा की गई थी। इसके अतिरिक्त अगर पहले की घोषणाओं के विवरण में कोई परिवर्तन है तो छह महीने में इसमें संशोधन का ब्यौरा दिया जाना चाहिए। कमिटी ने सुझाव दिया है कि इसकी बजाय साल में सिर्फ एक बार ब्यौरा दिया जाए। इससे लोकसेवक को एक साल में एक बार रिटर्न भरने की जरूरत होगी, भले ही उसमें कई लेनदेन हों।
- घोषणा के लिए न्यूनतम राशि का निर्धारण: नियमों के अंतर्गत एक निश्चित राशि से कम के एसेट्स और देनदारियों की घोषणा करने की जरूरत नहीं होती। एसेट्स के न्यूनतम मूल्य को सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है, जोकि लोकसेवक और उसके पद की प्रकृति के मुताबिक हो। कमिटी ने इस बात पर बल दिया कि न्यूनतम मूल्य उपयुक्त होना चाहिए और नियमित अंतराल पर संशोधित किया जाना चाहिए।
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