स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- वाणिज्य संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर : डॉ. एम. वीरप्पा मोइली) ने 18 दिसंबर, 2017 को ‘एनएसएसओ एवं सीएसओ की समीक्षा और देश में प्रॉजेक्ट निगरानी/मूल्यांकन के लिए मैनेजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम सहित स्टैटिस्टिक्स कलेक्शन मशीनरी की स्ट्रीमलाइनिंग’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन (स्टैटिस्टिक्स और प्रोग्राम इंप्लिमेंटशन) मंत्रालय के अंतर्गत निम्नलिखित विभाग आते हैं : (i) स्टैटिस्टिक्स विंग (राष्ट्रीय स्टैटिस्टिकल संगठन) और (ii) कार्यक्रम कार्यान्वयन (प्रोग्राम इंप्लिमेंटशन) विंग। राष्ट्रीय स्टैटिस्टिकल संगठन में सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) और राष्ट्रीय सैंपल सर्वे ऑफिस (एसएसएसओ) शामिल हैं।
- रिक्तियां : दिसंबर 2016 तक मंत्रालय में जूनियर और सीनियर ऑफिसर्स (स्टैटिस्टिकल कैडर) के 22% स्वीकृत पद खाली थे (कुल स्वीकृत पद 3,977 हैं) (देखें तालिका 1)। कमिटी ने सुझाव दिया कि स्टैटिस्टिकल कैडर के खाली पदों को तत्काल भरा जाना चाहिए। यह सुझाव भी दिया गया कि मैनपावर की अत्यधिक कमी और टैलेंट को आकर्षित न कर पाने के कारणों का अध्ययन किया जाना चाहिए। इस संबंध में कमिटी ने कहा कि डेटा कलेक्शन की आउट सोर्सिंग करने की बजाय इस काम के लिए एनुमरेटर्स को कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किया जाना चाहिए।
तालिका 1: मंत्रालय में खाली पद
स्वीकृत |
खाली पद |
खाली पदों का % |
|
सीनियर स्टैटिस्टिकल ऑफिसर |
1,781 |
361 |
20% |
जूनियर स्टैटिस्टिकल ऑफिसर |
2,196 |
500 |
23% |
कुल |
3,977 |
861 |
22% |
Note: Data as of December, 2016.
Sources: Report No. 50, Standing Committee on Finance, December 2017; PRS.
- कमिटी ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय स्तर की पढ़ाई के तरीकों और पाठ्यक्रम में ऐसे परिवर्तन किए जाने चाहिए जो इस क्षेत्र की बदलती जरूरतों को दर्शाए। इसके अतिरिक्त एक्सपर्टाइज और क्वालिटी वाले स्टैटिस्टीशियंस को सरकारी नौकरियों की ओर आकर्षित करने के लिए एक इन्सेंटिव स्ट्रक्चर तैयार किया जाना चाहिए। कमिटी ने सुझाव दिया कि फील्ड स्तर की स्टैटिस्टिकल मशीनरी को मजबूत किया जाना चाहिए और फील्ड स्टाफ को डेटा कलेक्शन के आधुनिक तरीकों का प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
- डेटा स्टैंडर्ड्स और मेथोडोलॉजीज़ में अंतर : सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों के बीच स्टैटिस्टिक्स के कलेक्शन और स्टैंडर्डाइजेशन की नोडल एजेंसी है। कमिटी ने गौर किया कि एनएसएसओ और राज्य सरकारों द्वारा इकट्ठा किए जाने वाले सैंपल सर्वे डेटा के बीच अंतर होता है। इसके अतिरिक्त यह कहा गया कि एनएसएसओ और सीएसओ द्वारा भिन्न-भिन्न स्टैंडर्ड्स का प्रयोग किया जाता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि आंकड़ों की एकरूपता के लिए इन भिन्नताओं को दूर किया जाना चाहिए। यह कहा गया कि डेटा कलेक्शन और अलग-अलग सूचकांकों के संकलन का काम अलग-अलग सरकारी एजेंसियों द्वारा किया जाता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि स्टैटिस्टिक्स के सारे काम, जिसमें मंत्रालय द्वारा अलग-अलग सूचकांकों के प्रकाशन का काम भी शामिल है, को एकीकृत किया जाना चाहिए।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) (सीपीआई) : कमिटी ने कहा कि सीपीआई शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन जैसी सेवाओं के बढ़ते मूल्यों को दर्ज नहीं करता। कमिटी ने सुझाव दिया कि अनिवार्य सेवाओं के लिए विशिष्ट सेवा मूल्य सूचकांक होना चाहिए। इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि सरकार द्वारा संकलित और प्रकाशित सूचकांकों को उपभोक्ता स्तर पर बाजार की मौजूदा स्थितियों को दर्शाना चाहिए।
- रोजगार का डेटा: कमिटी ने कहा कि नियमित रोजगार के अभाव और बेरोजगारी के डेटा के बीच बहुत बड़ा अंतर है। यह गौर किया गया कि बेरोजगारी के सरकारी आंकड़े आउट-ऑफ-डेट और अवास्तविक हैं। कमिटी ने कहा कि रोजगार की स्थिति का आकलन करने और उपयुक्त नीतियों को बनाने के लिए रोजगार के सटीक और विश्वसनीय आंकड़े उपलब्ध होने चाहिए।
- कार्यक्रम कार्यान्वयन: मंत्रालय केंद्रीय क्षेत्र के प्रॉजेक्ट्स, योजनाओं और सतत विकास लक्ष्यों (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) के कार्यान्वयन की निगरानी करता है। इस संबंध में कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय को केवल संकलन एजेंसी नहीं बने रहना चाहिए बल्कि उसे ऐसे तरीके और उपाय विकसित करने चाहिए कि वह रियल टाइम मॉनिटरिंग में सक्रिय भूमिका निभा सके।
- कमर्शियल/मार्केटिंग इकाई: कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय को डेटा कलेक्शन, संकलन और उसके प्रस्तुतिकरण को आधुनिक बनाना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसे सरकार और निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों एवं संगठनों को सहायता और सलाह देनी चाहिए। इस संबंध में कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय एक आंतरिक कमर्शियल या मार्केटिंग इकाई स्थापित कर सकता है जोकि व्यावसायिक आधार पर यूजर्स को संबंधित डेटा दे सके। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालयों, रिसर्चर्स और विद्यार्थियों को डेटा मुफ्त उपलब्ध कराया जा सकता है।
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