india-map

अपने सांसद को खोजें

Switch to English
  • सांसद और विधायक
    संसद राज्य 2024 चुनाव
  • विधान मंडल
    संसद
    प्राइमर वाइटल स्टैट्स
    राज्यों
    विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
    चर्चा पत्र
  • बिल
    संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
  • बजट
    संसद राज्य चर्चा पत्र
  • नीति
    चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • करियर

अपने सांसद को खोजें

संसद राज्य 2024 चुनाव
प्राइमर वाइटल स्टैट्स
विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
चर्चा पत्र
संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
संसद राज्य चर्चा पत्र
चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी कीरिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण

नीति

  • चर्चा पत्र
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • राष्ट्रपति का अभिभाषण
  • मंथली पॉलिसी रिव्यू
  • वाइटल स्टैट्स
पीडीएफ

प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण

  • ग्रामीण विकास से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर : डॉ. पी. वेणुगोपाल) ने 31 अगस्त, 2016 को प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (पीएमएवाई- जी) पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। पीएमएवाई- जी एक ग्रामीण आवास योजना है जिसे पहले इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) के नाम से लागू किया जाता था। ‘2022 तक सभी के लिए आवास’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आईएवाई को मार्च, 2016 में पीएमएवाई- जी के रूप में पुनर्गठित किया गया। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं :
     
  • योजना का प्रदर्शन : वर्ष 2012 और 2016 के दौरान 44 मिलियन मकानों के निर्माण का लक्ष्य था लेकिन उससे कम मकानों का निर्माण किया गया। ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) को उन राज्यों से प्रासंगिक और उपयुक्त आंकड़े प्राप्त करने की आवश्यकता है जिनके पास ग्रामीण आवास के लिए अपनी खुद की योजनाएं हैं या वे लाभार्थियों को अतिरिक्त संसाधन प्रदान करते हैं। इससे देश में ग्रामीण आवासों की वास्तविक कमी का उचित अनुमान लगाने में मदद मिलेगी।
     
  • आवास निर्माण के लक्ष्य और वास्तविक आवास निर्माण के बीच अंतर : पिछले तीन वर्षों 2013-14 से 2015-16 के दौरान आवास निर्माण के लक्ष्य और वास्तविक आवास निर्माण के बीच बड़ा अंतर देखा गया। 2013 में 8.8 लाख, 2014 में 8.6 लाख और 2015 में 2.7 लाख मकानों का निर्माण किया ही नहीं गया। 2016-17 के लिए पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों ने वार्षिक लक्ष्य निर्धारित नहीं किए जिससे उनके प्रदर्शन का आकलन करना अत्यंत कठिन है।
     
  • प्रदर्शन का मूल्यांकन : वर्ष 2015-16 के दौरान पीएमएवाई-जी के तहत लक्ष्यों की प्राप्ति के संबंध में आंकड़ों में विसंगतियां हैं जहां कुछ राज्य 100% से अधिक की उपलब्धियां प्रदर्शित कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि पूरे किए गए काम में पिछले साल का बैकलॉग भी शामिल है जिससे आंकड़े भ्रम पैदा करते हैं। मकानों के निर्माण से संबंधित काम का दस्तावेजीकरण (डॉक्यूमेंटेशन) एक वित्त वर्ष के लिए किया जाना चाहिए और उसमें बैकलॉग को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। बैकलॉग को क्लीयर करने का काम अलग से किया जाना चाहिए।
     
  • अपर्याप्त फंडिंग : पीएमएवाई-जी के तहत वित्तीय प्रदर्शन के मूल्यांकन से कई मुद्दे स्पष्ट होते हैं जैसे फंड्स पर्याप्त न होना, आवंटन और जारी की गई राशि में भारी अंतर और पिछले कुछ वर्षों में जारी की गई राशि का पर्याप्त उपयोग न होना। उदाहरण के लिए 2012-13 से 2014-15 के दौरान बजट परिव्यय संशोधित अनुमान के स्तर तक गिर गए। फंड्स के मुक्त प्रवाह के लिए जारी की जाने वाली राशि में कटौतियों और वर्षवार परिवर्तनों से बचा जाना चाहिए।
     
  • कच्चे मकानों का अपग्रेडेशन : बिहार (65.65 लाख), उत्तर प्रदेश (48.3 लाख), मध्य प्रदेश (47.45 लाख) इत्यादि में कच्चे मकान बड़ी संख्या में मौजूद हैं। मकानों के अपग्रेडेशन की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय, राज्य सरकारों और अन्य सहभागियों द्वारा विशेष पहल की जानी चाहिए। इससे ‘2022 तक सभी के लिए आवास’ के लक्ष्य को समयबद्ध तरीके से हासिल करने में मदद मिलेगी।
     
  • बहुमंजिला मकान : जिन स्थानों पर भूमि उपलब्ध नहीं है, वहां योजना के तहत बहुमंजिला मकान बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए। बहुमंजिला भवनों से न केवल अतिरिक्त भूमि की जरूरत कम होगी, बल्कि कम संख्या में प्लॉटों पर अधिक संख्या में मकान बनाने की संभावना भी बनेगी।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) की स्वीकृति के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

हमें फॉलो करें

Copyright © 2025    prsindia.org    All Rights Reserved.