स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- रेलवे संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर : सुदीप बंदोपाध्याय) ने 4 जनवरी, 2018 को ‘पर्यटन संवर्धन और तीर्थाटन सर्किट’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं :
- पर्यटन में रेलवे की भूमिका: कमिटी ने गौर किया कि 2015 के दौरान पर्यटन से 21.07 बिलियन यूएसडी की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई थी जिसने जीडीपी में 6-7% का योगदान दिया था। हालांकि भारत में पर्यटन के लिए अत्यंत संभावनाएं हैं। कमिटी ने कहा कि अपनी व्यापक पहुंच के कारण रेलवे देश में पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। रेलवे देश में पर्यटन का सस्ता और इको फ्रेंडली जरिया भी है। इसके अतिरिक्त रेलवे देश के अनेक तीर्थ स्थलों में पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता का लाभ उठा सकता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि रेलवे बोर्ड में पर्यटन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। इससे बोर्ड को पर्यटन संबंधी नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।
- वित्तीय विवरण: कमिटी ने गौर किया कि 2013-14, 2014-15, 2015-16 और 2016-17 के दौरान भारतीय रेलवे केटरिंग और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए क्रमशः 6 करोड़ रुपए, 2 करोड़ रुपए, 4 करोड़ रुपए और 3.7 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया। यह कहा गया कि इस मुख्य मद के लिए इतना बजट आबंटन पर्याप्त नहीं है और इसमें वर्ष दर वर्ष गिरावट आई है। इसके अतिरिक्त आईआरसीटीसी ने आबंटित राशि का 55% से 90% तक ही उपयोग किया। तीर्थस्थलों के संवर्धन के लिए अलग से कोई धनराशि नहीं प्रदान की गई। यह सुझाव दिया गया कि पर्यटन के लिए आईआरसीटीसी के बजट आबंटन को तत्काल बढ़ाया जाना चाहिए और देश में पर्यटन एवं तीर्थाटन को बढ़ावा देने के लिए अलग से एक फंड बनाया जाना चाहिए।
- पर्यटन को बढ़ावा: कमिटी ने कहा कि भारतीय रेलवे विभिन्न स्थानों को रेल मार्ग से जोड़कर पर्यटन को बढ़ावा देता है। लेकिन पर्यटन की अत्यधिक संभावना वाले राज्यों, जैसे जम्मू और कश्मीर, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, केरल के उत्तरी भाग और उत्तर पूर्वी राज्यों में रेल मार्ग कम हैं। यह सुझाव दिया गया कि अगर रेलवे को अपना राजस्व बढ़ाना है तो उसे पर्यटन/ऐतिहासिक/धार्मिक महत्व वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जो रेल मार्ग से जुड़े हुए नहीं हैं।
- तीर्थाटन सर्किट: आईआरसीटीसी पर्यटन और तीर्थाटन के लिए कई विशेष ट्रेन चलाता है, जैसे भारत दर्शन ट्रेन, तीर्थाटन स्पेशल टूरिस्ट ट्रेन और बौद्ध स्पेशल ट्रेन। 2011 से 2016 के बीच रेलवे ने लगभग 600 ट्रेन शुरू कीं लेकिन इनमें पर्यटन और तीर्थाटन को बढ़ावा देने वाली केवल सात ट्रेन थीं। कमिटी ने कहा कि ट्रेन ट्रिप्स में बार-बार बदलाव और पहले की ट्रेनों को बंद करने की वजहों पर सोच-विचार किए बिना नए ट्रेन सर्किट्स को शुरू करने से जाहिर होता है कि रेलवे की ओर से कोई तैयारी नहीं की जाती और वह गलत तरीके से फैसले लेता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय को देश के पर्यटन क्षेत्र की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए लंबी अवधि की व्यापक योजना बनानी चाहिए।
- कमिटी ने कहा कि मंत्रालय के पास किसी खास स्टेशन को पर्यटक और तीर्थ स्थल के रूप में श्रेणीबद्ध करने के लिए कोई विशिष्ट दिशानिर्देश नहीं हैं। यह इसके बावजूद है कि संबंधित जोनल रेलवे मैनेजर के पास ऐसा करने की शक्तियां हैं। यह कहा गया कि रेलवे को पर्यटन और तीर्थाटन क्षेत्र को हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह राजस्व का एक स्रोत हो सकता है। यह सुझाव दिया गया कि रेलवे मंत्रालय को डेटा शेयर करने और सर्वेक्षण करने के लिए पर्यटन मंत्रालय के साथ मिलकर कार्य करना चाहिए। इसके अतिरिक्त पर्यटन और तीर्थाटन के लिहाज से उन महत्वपूर्ण स्थलों की खोज करने और उन्हें चिन्हित करने हेतु मंत्रालय को जोनल स्तर पर कमिटी का गठन करना चाहिए जहां रेलवे के योगदान की जरूरत हो।
- लग्जरी टूरिस्ट ट्रेन: राज्य पर्यटन विकास निगमों के सहयोग से भारतीय रेलवे (या आईआरसीटीसी) लग्जरी टूरिस्ट ट्रेनों के रूप में प्रीमियर लग्जरी सेवाएं प्रदान करता है। 2012 और 2016 के बीच सभी पांच लग्जरी ट्रेनों से 497 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। इनमें रेलवे की हिस्सेदारी 260 करोड़ रुपए (52%) है। कमिटी ने गौर किया कि इन ट्रेनों का राजस्व कम है और पिछले कुछ वर्षों में स्थिर रहा है। इसके अतिरिक्त कुछ ट्रेनों जैसे डेक्कन ओडिसी को चलाने की लागत, उसके द्वारा प्राप्त होने वाले राजस्व से अधिक है। हालांकि रेलवे को इन लग्जरी ट्रेनों से नुकसान नहीं उठाना पड़ता क्योंकि उसे केवल परिवहन लागत का वहन करता है, इनके ऑपरेशंस से उसका ताल्लुक नहीं।
- कमिटी ने सुझाव दिया कि रेल मंत्रालय को संबंधित राज्य पर्यटन विभागों के साथ इन लग्जरी ट्रेनों के विज्ञापन और प्रचार पर ध्यान देना चाहिए। इसके अतिरिक्त मंत्रालय को इन लग्जरी ट्रेनों से प्राप्त राजस्व और उन पर किए गए सभी खर्चों का रिकॉर्ड रखना चाहिए जिससे वास्तविक लाभ और नुकसान के बारे में मालूम हो सके।
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