स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- मानव संसाधन विकास पर गठित स्टैंडिंग कमिटी (चेयरपर्सन: डॉ. सत्यनारायण जटिया) ने 15 दिसंबर, 2016 को सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए) और मिड-डे-मील योजना (एमडीएमएस) या मध्यान्ह भोजन योजना के कार्यान्वयन से संबंधित रिपोर्ट सौंपी। कमिटी ने पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, केरल और राजस्थान में एसएसए और एमडीएमएस के कार्यान्वयन की जांच की।
- एसएसए वर्ष 2000 में प्रारंभ किया गया था। इस अभियान का उद्देश्य शिक्षा को सार्वभौमिक स्तर पर सुलभ बनाना और स्कूलों में विद्यार्थियों को बहाल रखने का प्रयास करना है। एमडीएमएस को वर्ष 1995 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य स्कूलों में गर्म पका भोजन प्रदान करते हुए भूख एवं शिक्षा के मुद्दों को संबोधित करना और बच्चों में पोषण का स्तर, दाखिले, उपस्थिति एवं उनकी बहाली की दर को सुधारना है।
- परिणाम : कमिटी ने टिप्पणी दी कि एसएसए के कारण स्कूलों में दाखिले का सार्वभौमीकरण हो चुका है। लेकिन परिणाम अभी संतोषजनक नहीं हैं। उदाहरण के लिए कक्षा पांच के लगभग आधे ही बच्चे घटाने के दौरान उधार लेने की अवधारणा को समझकर सवाल हल कर सकते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि राज्यों को शिक्षण परिणामों को सुधारने के लिए अपने स्तर पर उपाय करने चाहिए। सरकार को इनपुट आधारित व्यय के स्थान पर परिणाम केंद्रित उपलब्धि पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इस क्षेत्र में अनुदान भी लक्ष्य हासिल करने पर केंद्रित होने चाहिए जैसे प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के शिक्षण परिणामों में सुधार करना।
- देश में शिक्षा का विकास : कमिटी ने टिप्पणी दी कि देश के पिछड़े क्षेत्रों की तुलना में मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर वाले तथा आर्थिक रूप से विकसित क्षेत्रों में शिक्षा का विकास बेहतर तरीके से हुआ है। कमिटी ने सुझाव दिया कि शिक्षा के मामले में राज्यों के बीच जो अंतराल है, उसे कम करने के लिए सरकार को कार्यक्रम शुरू करने चाहिए। इसके अतिरिक्त राज्यों को प्राथमिक शिक्षा के स्वयं के दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए एसएसए को एक अवसर के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए।
- एसएसए का कार्यान्वयन : कमिटी ने टिप्पणी दी कि शिक्षण प्रबंधन और प्रशिक्षण के लिए राज्य स्तरीय संस्थान, जो राज्य विशिष्ट विषयों और नवाचार के लिए कार्य करते हैं, मौजूद नहीं हैं। इसके अतिरिक्त जिला शिक्षण और प्रशिक्षण संस्थानों की प्रकृति और प्रभाव में व्यापक भिन्नताएं हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय व्यवस्थाओं (जैसे प्रवेश की आयु से संबंधित नियम) के बीच की विसंगतियों को दूर किया जाना चाहिए।
- कमिटी ने यह भी गौर किया कि एसएसए के अंतर्गत बहुत बड़ी संख्या में शिक्षकों की रिक्तियां हैं जोकि योजना के कार्यान्वयन को प्रभावित करती हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि एसएसए के अंतर्गत अनुमोदित पदों के अनुसार ही रिक्तियों को सृजित किया जाए। राज्य इन रिक्तियों पर नए सिरे से शिक्षकों की भर्ती कर सकते हैं।
- एमडीएमएस का कार्यान्वयन : कमिटी ने टिप्पणी दी कि शिक्षकों और विद्यार्थियों का ध्यान एमडीएमएस से जुड़ी गतिविधियों में अधिक रहता है, सिखाने और सीखने में कम। इसके अतिरिक्त एमडीएमएस के कार्यान्वयन के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी की तरफ भी कमिटी का ध्यान गया। उदाहरण के लिए पक्की इमारत न होना, लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय न होना, किचन शेड का उपलब्ध न होना और उनकी खराब स्थिति इत्यादि। साथ ही, कमिटी ने टिप्पणी दी कि एमडीएमएस के कारण विद्यार्थियों की उपस्थिति तो बढ़ी है लेकिन इससे स्कूलो में नई भर्तियों में उल्लेखनीय सहयोग नहीं मिला है।
- कमिटी ने यह टिप्पणी भी दी कि अधिकतर राज्य केंद्र सरकार के इस दिशानिर्देश का पालन नहीं करते कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सरकारी राशन की दुकानों से स्कूल में राशन पहुंचाया जाए। ऐसे भी मामले देखने को मिले हैं जब लंबी आपूर्ति श्रृंखला के कारण स्कूलों में मिलावटी राशन मिलता है या राशन की चोरी हो जाती है। कमिटी ने सुझाव दिया कि जिला नोडल अथॉरिटी को कार्यान्वयन एजेंसी और स्कूलों से उपयोग संबंधी प्रमाणपत्र की कड़ाई से मांग करनी चाहिए जिससे अनुदान या राशन मिलने में विलंब न हो।
- अनुदानों का हस्तांतरण : कमिटी ने टिप्णणी दी कि 14 वें वित्त आयोग के सुझावों के मद्देनजर राज्यों को अधिक अनुदानों का हस्तांतरण किए जाने के बावजूद राज्यों द्वारा शिक्षा के प्राथमिक क्षेत्रों हेतु निश्चित राशि निर्धारित नहीं की गई। कमिटी ने सुझाव दिया कि राज्यों को अनुदान की बढ़ी हुई राशि के अनुपात में शिक्षा के लिए समायोजन करना चाहिए।
- नए कदम : केंद्र सरकार ने एसएसए और एमडीएमएस के कार्यान्वयन में सहयोग के लिए कई नए कदम उठाए हैं। इनमें शिक्षकों के प्रशिक्षण संस्थानों को एक्रेडेशन देना, स्वच्छ विद्यालय, पढ़े भारत बढ़े भारत और शाला-सिद्धि जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास से संबंधित प्रारंभिक योजना को शुरू किया जाना चाहिए। इससे कंप्यूटर तकनीक के जरिए सिखाने-सीखने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी।
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