स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- श्रम संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: भर्तृहरि महताब) ने 11 फरवरी, 2021 को अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी उपायों पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी ने कोविड-19 महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों को राहत देने के लिए शुरू की गई योजनाओं के असर का आकलन किया। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए मार्च 2020 में लॉकडाउन लगाया गया था जिसके कारण लाखों प्रवासी श्रमिक भोजन, जीविका और आश्रय के अभाव में विभिन्न राज्यों में फंस गए थे।
- प्रवासी श्रमिकों की पहचान: कमिटी ने कहा कि भारत में प्रवासी श्रमिकों की पहचान के लिए अनेक कदम उठाए गए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा में बदलाव ताकि रोजगार के लिए स्वेच्छा से एक से दूसरे राज्य में जाने वाले श्रमिकों को इसमें शामिल किया जा सके, और (ii) प्रवासी श्रमिकों का डेटाबेस बनाने के लिए पोर्टल शुरू करना। हालांकि अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिकों की संख्या की जानकारी देना वाला कोई भरोसेमंद डेटाबेस नहीं है। इससे श्रमिकों के लिए राहत और कल्याणकारी उपायों को लागू करना मुश्किल हुआ है। उदाहरण के लिए कुछ राज्यों (जैसे पंजाब) में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का वितरण कुल आबंटन के लिहाज से कम हुआ। इससे लक्षित लाभार्थियों (खास तौर से प्रवासी श्रमिकों) को समय पर भोजन देने का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। कमिटी ने फिर से कहा कि अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिकों के लिए रियल टाइम भरोसेमंद डेटाबेस बनाया जाए (खास तौर से असंगठित प्रवासी श्रमिकों के लिए)।
- सस्ते आवास: कमिटी ने कहा कि किफायती किराया आवासीय परिसर (एआरएचसीज़) योजना में प्रवासी श्रमिक अलग से कोई श्रेणी नहीं हैं। इस योजना को इस लक्ष्य के साथ तैयार किया गया है कि प्रवासी श्रमिकों को काम करने की जगह के आस-पास सस्ते किराए पर मकान उपलब्ध कराए जा सकें। वर्तमान में प्रवासी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) या निम्न आय वर्ग के समूह (एलआईजी) के अंतर्गत आते हैं। इसलिए प्रवासियों के हितों की रक्षा के लिए कमिटी ने सुझाव दिया कि एआरएचसी योजना में प्रवासी श्रमिकों को प्राथमिकता दी जाए।
- कमिटी ने इस बात पर जोर दिया कि एआरएचसी योजना के अंतर्गत प्रवासी श्रमिकों के लिए पारदर्शी आबंटन प्रक्रिया बनाई जाए। उसने यह सुझाव भी दिया कि आबंटन से संबंधित मामलों पर प्रवासियों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक शिकायत निवारण प्रणाली की शुरुआत की जाए।
- आजीविका: कमिटी ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) वह सबसे अच्छी योजना है जोकि अदक्ष श्रमिकों (प्रवासी श्रमिकों सहित) को सतत आजीविका प्रदान करती है। उसने सुझाव दिया कि राज्य सरकारों द्वारा जॉब कार्ड जारी करने से पूरी प्रक्रिया और पारदर्शी बनी है और यह सुनिश्चित हुआ है कि प्रवासी श्रमिक रोजगार से वंचित न रह जाएं। उल्लेखनीय है कि मनरेगा के अंतर्गत काम की मांग करने वाले व्यक्ति के पास जॉब कार्ड होना जरूरी है।
- दक्षता विकास और प्रशिक्षण: गरीब कल्याण रोजगार अभियान (जीकेआरए) छह राज्यों (बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओड़िशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) के 116 चुनींदा जिलों में कोविड-19 महामारी के कारण वापस लौटने वाले प्रवासियों को रोजगार प्रदान करता है। कमिटी ने कहा कि जीकेआरए के अंतर्गत 116 जिलों के 60 लाख प्रवासी श्रमिकों का डेटा इकट्ठा किया गया। इनमें से 93 जिलों के 2.64 लाख श्रमिकों को प्रशिक्षण के लिए चुना गया। कमिटी ने सुझाव दिया कि बाकी के 23 जिलों के प्रवासी श्रमिकों को चुनने की प्रक्रिया भी तेज की जाए ताकि उन्हें भी जल्द से जल्द निरंतर काम मिल सके।
- कमिटी ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को प्रशिक्षण प्रदान करने में कई समस्याएं हैं जैसे (i) दक्ष श्रमिकों की मांग का कम होना, (ii) कॉन्ट्रैक्ट वाली नौकरियों का बढ़ना जिसमें दक्षता विकास का कोई प्रावधान नहीं है, और (iii) दक्षता की जरूरत का पता लगाने में कठिनाइयां। इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि नौकरियों की तलाश करने वाले 5.5 लाख लोगों में से 3.2 लाख को नौकरियों की पेशकश की गई। कमिटी ने सुझाव दिया कि दक्षता विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय को दक्षता विकास और गरीब लोगों (प्रवासियों सहित) का प्लेसमेंट सुनिश्चित करने के लिए जरूरी उपाय करने चाहिए।
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