स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- उद्योग संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. के. केशवा राव) ने 27 मई, 2021 को ‘एमएसएमई क्षेत्र पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव और उसे कम करने के लिए अपनाई गई रणनीति’ विषय पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- लॉकडाउन का असर: कमिटी ने गौर किया कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान बड़ी संख्या में नौकरियां चली गईं और परिवारों की नियमित आय में बहुत अधिक गिरावट हुई। उसने यह भी कहा कि एमएसएमई मंत्रालय ने क्षेत्र में होने वाले वास्तविक नुकसान का पता लगाने के लिए कोई गहन अध्ययन नहीं किया। उसने सरकार को निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) वास्तविक नुकसान का आकलन करने के लिए विस्तृत अध्ययन, (ii) नई राष्ट्रीय रोजगार नीति पर विचार करना और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक रोजगार कार्यालय की संभावनाएं तलाशना, और (iii) जॉब मैचिंग के लिए नौकरियों की तलाश करने वालों का दक्षता आधारित डेटाबेस तैयार करना। एमएसएमई क्षेत्र में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) बैक-एंड सेवाओं जैसे अनुसंधान और विकास में निवेश, और (ii) एमएसएमईज़ द्वारा डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स को बढ़ावा देना।
- स्टिमुलस पैकेज: कमिटी ने गौर किया कि सरकार का स्टिमुलस पैकेज एमएसएमईज़ के लिए पर्याप्त नहीं था। यह कैश फ्लो में सुधार करके तत्काल राहत देने की बजाय लोन देने और दीर्घकालीन समाधान पर अधिक केंद्रित था। कमिटी ने सरकार को बड़ा आर्थिक पैकेज देने का सुझाव दिया। उसने यह भी गौर किया कि स्टिमुलस पैकेज का लाभ सूक्ष्म और छोटे उद्यमों को उचित तरीके से नहीं मिला। उसने कहा कि इस संबंध में अतिरिक्त प्रयास किए जाने की जरूरत है।
- इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस): 2020 में आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत ईसीएलजीएस को शुरू किया गया था ताकि एमएसएमईज़ को परिचालनगत देनदारियों को पूरा करने और अपना कारोबार दोबारा शुरू करने के लिए मदद दी जा सके। कमिटी ने कहा कि तीन लाख करोड़ रुपए की कुल गारंटीशुदा राशि का लगभग 50% ही एमएसएमईज़ को जारी किया गया। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) बैंकों को क्रेडिट सुविधाएं देने में अधिक उदारता दिखानी चाहिए और एमएसएमईज़ के लिए विशेष तौर से अलग काउंटर खोलने चाहिए, (ii) छोटे व्यापारियों/डीलर्स को योजना का लाभ देना चाहिए, और (iii) क्रेडिट गारंटी की राशि बढ़ाई जानी चाहिए।
- कमिटी ने सरकार को सुझाव दिया कि वह स्ट्रेस्ड एमएसएमईज़ के लिए गौण ऋण योजना (सबऑर्डिनेटेड डेट स्कीम) को रीस्ट्रक्टर और रीविजिट करे। इस योजना का उद्देश्य लगभग दो लाख एमएसएमईज़ को लाभ पहुंचाना है जिन पर वित्तीय दबाव है। कमिटी ने कहा कि अब तक केवल कुछ एमएसएमईज़ ने इस योजना का लाभ उठाया है।
- कच्चा माल: कमिटी ने उचित कीमतों पर कच्चा माल उपलब्ध न होने की एमएसएमईज़ की चिंता पर गौर किया। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम को ऋण के जरिए कच्चे माल की आसान उपलब्धता के लिए उपयुक्त व्यवस्था करनी चाहिए (ii) सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसईज़) को ऑर्डर्स रद्द करने पर एमएसएमईज़ को सजा नहीं देनी चाहिए और ब्लैकलिस्ट नहीं करना चाहिए, और (iii) स्टील की सभी सामग्री के आयात को शून्य आयात शुल्क पर अनुमति दी जानी चाहिए और लौह अयस्क और स्टील प्रॉडक्ट्स के निर्यात पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए।
- एमएसएमईज़ का बकाया: कमिटी ने कहा कि कई पीएसईज़ ने 45 दिनों की निर्धारित सीमा के भीतर एमएसएमईज़ को भुगतान नहीं किया है। उसने सुझाव दिया कि देरी से होने वाले भुगतान पर एक प्रतिशत जुर्माना लगाया जाना चाहिए और देरी से भुगतान की जानकारी अनिवार्य रूप से देने के लिए जरूरी दिशानिर्देश जारी किए जाने चाहिए।
- एमएसएमईज़ के ओवरड्यू: कमिटी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक एमएसएमईज़ के ओवरड्यू को 90 दिन बाद नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) का दर्जा दे देता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि इस समय सीमा को 180 दिन कर दिया जाए। आयात प्रतिस्थापन (इंपोर्ट सबस्टिट्यूशन): आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा देने के लिए कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को निम्नलिखित कार्य करने चाहिए: (i) एमएसएमईज़ को 3%-4% की न्यूनतम ब्याज दर पर सॉफ्ट लोन्स देना, (ii) आयात प्रतिस्थापन पर केंद्रित विशेष आर्थिक जोन्स विकसित करना, (iii) आयातित उत्पादों पर सूचना उपलब्ध करना, और (iv) स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना। उसने सरकार को सुझाव दिया कि वह मेडिकल और ऑक्सिलरी आइटम्स की मैन्यूफैक्चरिंग में लगे एमएसएमईज़ को सहायता प्रदान करे और एमएसएमई टेक्नोलॉजी सेंटर्स की स्थापना करे।
- उद्यम पोर्टल: एमएसएमईज़ के रजिस्ट्रेशन के लिए जून 2020 में उद्यम पोर्टल को शुरू किया गया था। कमिटी ने कहा कि कई कंपनियों ने मार्च 2021 की अनिवार्य अंतिम समय सीमा तक रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। उसने कहा कि एमएसएमईज़ रजिस्ट्रेशन नहीं कना चाहते क्योंकि अनुपालन की लागत रजिस्ट्रेशन के बाद मिलने वाले लाभ से ज्यादा होती है। कमिटी ने सरकार को निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) इनसेंटिव्स देना और रजिस्ट्रेशन के संबंध में जागरूकता पैदा करना, और (ii) समय अवधि को बढ़ाना।
- ट्रेड रिसिवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस): कमिटी ने सुझाव दिए कि टीआरईडीएस की रजिस्ट्रेशन सीमा 500 करोड़ रुपए के वार्षिक कारोबार वाले सार्वजनिक उपक्रमों से घटाकर 250 करोड़ रुपए की जानी चाहिए, और (ii) जीएसटी रजिस्टर्ड एमएसएमईज़ के टैक्स इनवॉयस को टीआरईडीएस प्लेटफॉर्म पर स्वतः प्रदर्शित होना चाहिए।
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