स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- वित्त संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: जयंत सिन्हा) ने 8 अप्रैल, 2022 ‘एमएसएमई क्षेत्र में क्रेडिट फ्लो को बढ़ाना’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30%, उसके मैन्यूफैक्चिंग आउटपुट में 45% और निर्यात में 48% का योगदान देता है। इससे लगभग 11 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। कमिटी ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र में क्रेडिट गैप करीब 20-25 लाख करोड़ रुपए का है। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- डिजिटल इको-सिस्टम बनाकर क्रेडिट गैप को भरना: कमिटी ने कहा कि वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नेटवर्क, एमएसएमई मंत्रालय, राष्ट्रीय सिक्योरिटीज़ डिपॉजिट लिमिटेड, इलेक्ट्रॉनिक एवं इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय और भारतीय यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ने डिजिटल बिल्डिंग ब्लॉक्स को शुरू करके ऋण के लेनदेन की लागत को कम किया है। उसने एमएसएमई मंत्रालय द्वारा उद्यम पंजीकरण पोर्टल के शुभारंभ और भीम यूपीआई और आधार जैसे सार्वजनिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स की सफलता पर भी गौर किया।
- कमिटी ने कहा कि उद्यम पोर्टल समय पर ऋण देने के लिए उधारदाताओं द्वारा केंद्रीय डेटा रिपोजिटरी के रूप में कार्य कर सकता है। उसने एमएसएमईज़ को उधार देने के लिए एक एकीकृत डिजिटल इकोसिस्टम बनाने का सुझाव दिया। इससे फिजिकल कोलेट्रल की जरूरत, सत्यापन की लंबी प्रक्रियाओं और पेपर-आधारित ऋण आवेदनों जैसी समस्याओं को हल करने में मदद मिल सकती है। ऐसे डिजिटल इकोसिस्टम के लाभों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) छोटे लोन्स की लेनदेन की लागत में कमी, (ii) डिजिटल हस्ताक्षर और प्रमाणीकरण के जरिए किए गए दावों और भरोसे का बढ़ना, (iii) ऋण प्रस्तावों और निम्न ब्याज दर का प्रचार करके प्रतिस्पर्धा और वहनीयता यानी अफोर्डेबिलिटी को बढ़ाना, और (iv) डेटा शेयरिंग के लिए मल्टीपल पार्टनरशिप्स की जरूरत को कम करना।
- एक एकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क को अपनाना: कमिटी ने कहा कि एक एकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क से क्षेत्र को लाभ होगा। इससे क्रेडिट तक पहुंच बनेगी, धोखाधड़ी रुकेगी और नॉन- परफॉर्मिंग एसेट्स कम होंगे। फ्रेमवर्क से डिजिटल फाइनांशियल डेटा की शेयरिंग सुरक्षित होगी। कमिटी ने सहाय जीएसटी की सफलता पर गौर किया। सहाय वह प्लेटफॉर्म है जोकि एमएसएमई के लिए इंस्टेंट डिजिटल लेंडिंग को आसान बनाता है और फिजिकल कोलेट्रेल को जीएसटी इनवॉयसेज़ के सुरक्षित एक्सेस से बदलता है।
- कैश फ्लो लेंडिंग: कमिटी ने सुझाव दिया कि एमएसएमई क्षेत्र में लेंडिंग को कैश-फ्लो आधारित लेंडिंग हो जाना चाहिए। कैश-फ्लो लेंडिंग इनफॉरमेशन आधारित सिस्टम के साथ उस लेंडिंग की जगह लेगी जोकि कोलेट्रल के तौर पर फिजिकल एसेट पर आधारित है। कैश फ्लो लेंडिंग सिस्टम के तहत वास्तविक राजस्व उत्सर्जन और पुनर्भुगतान क्षमताओं की जानकारियों के आधार पर ऋण की जरूरत का आकलन किया जाता है। कमिटी ने कैश-फ्लो आधारित लेंडिंग को बढ़ाने के लिए विभिन्न उपायों का सुझाव दिया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) जीएसटी आइडेंटिफिकेशन नंबर को औपचारिक रूप से एकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क में लाना जिससे रेगुलेटेड संस्था जीएसटी डेटा को एक्सेस कर सकें, (ii) सभी रेगुलेटेड संस्थाओं को एकाउंट एग्रीगेटर स्टैंडर्ड्स को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना, और (iii) केवाईसी सुधारों को पर-ट्रांजैक्शन केवाईसी फ्रेमवर्क से सिस्टम-वाइड केवाईसी में स्थानांतरित करने लायक बनाना।
- एमएसएमई के औपचारिकीकरण में तेजी लाना: कमिटी ने कहा कि 40% से भी कम एमएसएमई औपचारिक वित्तीय प्रणाली से ऋण लेते हैं और इसलिए महंगे और गैर भरोसेमंद ऋण पर निर्भर रहते हैं। उसने सुझाव दिया कि इस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए इसके औपचारिकीकरण में तेजी लानी चाहिए। उसने यह भी कहा कि अगर जीएसटी इनवॉयसेज़ के आधार पर एमएसएमईज़ को कार्यशील पूंजी प्रदान की जाएगी, तो इससे व्यवसायों के जीएसटी पंजीकरण के साथ-साथ औपचारिकीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
- लक्षित क्रेडिट गारंटी देना: कमिटी ने कहा कि कमजोर उधारकर्ताओं को आपात स्थितियों में अधिक सहयोग की जरूरत होती है। उसने निम्नलिखित को लक्षित करने का सुझाव दिया: (i) विशिष्ट उद्योग, जैसे सैलून और टूर एजेंसियां, और (ii) सरकारी गारंटी कार्यक्रमों के लिए विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र। कमिटी ने कहा कि इससे उन लोगों को ऋण मिलेगा जिन्हें उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। कमिटी ने प्रभावी ऋण गारंटी कार्यक्रम चलाने में डिजिटल इकोसिस्टम की भूमिका का जिक्र किया।
- सिडबी को सहयोग: कमिटी ने भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के इक्विटी आधार को मजबूत करने के लिए 5,000 करोड़ रुपए से 10,000 करोड़ रुपए के बीच इक्विटी डालने और उसकी संगठनात्मक क्षमताओं का निर्माण करने का सुझाव दिया। इससे एनबीएफसी क्षेत्र को वित्त पोषित और ऋण दरों को कम किया जा सकेगा। कमिटी ने सिडबी के उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म (यूएपी) को विकसित करने के प्रस्ताव पर गौर किया जिसका उद्देश्य एमएसएमई पंजीकरण में तेजी लाना और प्रासंगिक वित्तीय संस्थानों के साथ सिडबी के संबंधों को बढ़ाना है। उसने सिडबी को उद्यम वैल्यू एडेड फाइनांशियल एप्लिकेशंस की नोडल एजेंसी बनाने का सुझाव दिया। उसने यह भी कहा कि 2021-22 में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक ने छह लाख करोड़ रुपए के लोन पोर्टफोलियो के साथ कृषि क्षेत्र को समर्थन दिया था, और जीडीपी में इस क्षेत्र का योगदान लगभग 18-20% है। सिडबी के पास 2021-22 में लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपए का ऋण पोर्टफोलियो है, और यह जीडीपी में 30% का सहयोग देता है।
- व्यापार क्रेडिट कार्ड स्कीम: कमिटी ने सुझाव दिया कि किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम की ही तरह व्यापार क्रेडिट कार्ड स्कीम शुरू की जाए। ये कार्ड अपने धारकों को कार्यशील पूंजी की जरूरत को पूरा करने के लिए निम्न ब्याज दरों पर अल्पावधि के ऋण प्रदान कर सकते हैं।
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।