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पीडीएफ

ओखी साइक्लोन- मछुआरों पर उसके प्रभाव और उसके कारण हुई क्षति

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • गृह मामलों संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर : पी. चिदंबरम) ने ‘ओखी चक्रवात (साइक्लोन) - मछुआरों पर उसके प्रभाव और उसके कारण हुई क्षति’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस चक्रवात ने 29 नवंबर, 2017 को केरल, तमिलनाडु और लक्षद्वीप के तटीय क्षेत्र को प्रभावित किया था।
     
  • पूर्वानुमान (फोरकास्टिंग): कमिटी ने कहा कि ओखी अपनी तीव्रता (इंटेन्सिफिकेशन) के कारण एक असामान्य चक्रवात था। हालांकि किसी क्षेत्र में चक्रवातों की तीव्रता का पूर्वानुमान चिंता का विषय है, ऐसे चक्रवातों का आना असामान्य नहीं है। कमिटी ने कहा कि अनेक देशों ने इस तरह की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने वाले मॉडल्स (प्रिडिक्शन मॉडल्स) तैयार किए हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि भारतीय मौसम विज्ञान (मीटिरोलॉजिकल) विभाग (आईएमडी) को चक्रवातों की तीव्रता के लिए प्रिडिक्शन मॉडल्स तैयार करने चाहिए। कमिटी ने यह भी कहा कि चक्रवातों की तीव्रता के कई कारणों में से एक कारण समुद्र की सतह का गर्म तापमान था। उसने सुझाव दिया कि आईएमडी को सेटेलाइट्स से समुद्र की सतह के तापमान से संबंधित इनपुट्स लेने चाहिए और उन्हें प्रिडिक्शन मॉडल्स में इंटीग्रेट करना चाहिए।
     
  • ट्रैंकिंग सिस्टम्स: कमिटी ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सेटेलाइट आधारित वेसल ट्रैकिंग सिस्टम बनाया है जो मछली पकड़ने वाली नावों की ट्रैकिंग करेगा और संदेश भेजेगा। कमिटी ने सुझाव दिया कि इस सिस्टम का ट्रायल जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए और मछली पकड़ने के लिए गहरे समुद्र में जाने वाली हर नाव तक उसे फैलाया चाहिए।
     
  • लापता मछुआरे: कमिटी ने कहा कि चक्रवात के कारण बहुत से मछुआरे लापता हो गए हैं। उसने कहा कि हालांकि आईएमडी ने एक एडवाइजरी जारी की थी, लेकिन इस एडवाइजरी में आने वाले चक्रवात की चेतावनी नहीं दी गई थी। कमिटी ने सुझाव दिया कि आईएमडी को भविष्य में और सक्रियता दिखानी चाहिए और मौसम की गड़बड़ी से जुड़ी हर घटना को अधिक गंभीरता से लेना चाहिए। उसने यह सुझाव भी दिया कि मंत्रालय को राज्य सरकारों को चक्रवात पर एडवाइजरी जारी करनी चाहिए और उसे मीडिया एवं रेडियो के जरिए व्यापक रूप से प्रसारित करना चाहिए।
     
  • कमिटी ने कहा कि लापता मछुआरों को खोजने और उनके बचाव से संबंधित अभियानों को बंद कर दिया गया। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को लापता मछुआरों के परिवारों के लिए जीवनोपार्जन के लिए व्यावहारिक साधन उपलब्ध कराने हेतु पर्याप्त प्रबंध करने चाहिए।
     
  • राज्यों को सहायता: कमिटी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष में 75:25 के अनुपात में योगदान देती हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि 14वें वित्त आयोग के सुझावों के अनुसार केंद्र और राज्य सरकार के बीच 90:10 के संशोधित शेयरिंग फार्मूले को लागू किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि राज्यों द्वारा मांगी गई सहायता और केंद्र सरकार द्वारा मंजूर राशि में काफी अंतर है। कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को सहायता के स्वीकृति मानदंडों के प्रति राज्य सरकारों को संवेदनशील बनाना चाहिए। साथ ही, केंद्र सरकार को पर्याप्त राहत सुनिश्चित करने के लिए अपनी फंडिंग नीति पर फिर से विचार करना चाहिए।
     
  • राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की तैनाती: कमिटी ने गौर किया कि चक्रवात के दौरान एनडीआरएफ की तैनाती आवश्यकता के अनुसार नहीं की गई। यह कहा गया कि आपदा के दौरान एनडीआरएफ की तैनाती के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) होती है। एसओपी के अनुसार राज्य एनडीआरएफ की मांग कर सकते हैं। कमिटी ने कहा कि राज्य आपदा प्रभावित क्षेत्रों में एनडीआरएफ की लामबंदी (मोबलाइजेशन) के लिए एक साथ मांग कर सकते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अथॉरिटी तैनात की जाने वाली बटालियनों की संख्या का स्वतंत्र मूल्यांकन कर सकती है। इससे एनडीआरएफ की जरूरत का उचित मूल्यांकन किया जा सकेगा और इच्छा के अनुसार उनकी प्रिपोजनिंग की जा सकेगी।
     
  • क्षति का मूल्यांकन: कमिटी ने सुझाव दिया कि मौजूदा अंतर मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) को आपदा के एक हफ्ते के अंदर आपदा प्रभावित क्षेत्रों का शुरुआती दौरा करना चाहिए। इसके अतिरिक्त संबंधित राज्य सरकारों के साथ मिलकर प्रारंभिक क्षति का संयुक्त मूल्यांकन करना चाहिए। इससे राज्य सरकार और आईएमसीटी, दोनों द्वारा आंकी गई सहायता राशि अलग-अलग नहीं होगी और फंड्स की मंजूरी में समय नहीं लगेगा।
     
  • परिवारों को सहायता: चक्रवात में मरने वाले लोगों के परिवारों को दो लाख रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाती है। कमिटी ने इसे कम से कम पांच लाख रुपए करने का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त गंभीर रूप से घायल होने वाले लोगों के परिवारों को कम से कम एक लाख रुपए दिए जाने का सुझाव दिया। वर्तमान में गंभीर रूप से घायल होने वाले लोगों के परिवारों को 50,000 रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाती है।

 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) की स्वीकृति के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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