कैग की रिपोर्ट का सारांश
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भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने 4 अगस्त, 2022 को “भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग अथॉरिटी के बिल्ट-ऑपरेट-ट्रांसफर (बोट) प्रॉजेक्ट्स में प्रीमियम का रैशनलाइजेशन/स्थगन” पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट जारी की। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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राजमार्ग विकास का बोट (टोल) मोड: बोट (टोल) मॉडल के तहत प्रॉजेक्ट के बोलीकर्ता दो तरह से संविदा भाव लगाते हैं- एक, एनएचएआई से मिलने वाला वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) या दूसरा, निर्माण/कनसेशन की अवधि के दौरान एनएचएआई को दिया जाने वाला प्रीमियम। कनसेशनेयर वह निजी पार्टनर होता है जोकि किसी निर्दिष्ट कनसेशन अवधि के दौरान प्रॉजेक्ट के वित्त पोषण, निर्माण और संचालन के लिए जिम्मेदार होता है। 2013 में एनएचएआई ने आर्थिक मंदी के फलस्वरूप सड़क क्षेत्र में जान फूंकने के लिए एक योजना का प्रस्ताव रखा जिससे कनसेशनेयर द्वारा चुकाए जाने वाले प्रीमियम को स्थगित किया जा सके। उपलब्ध विकल्पों में से जो योजना मंजूर की गई, उसमें सभी स्ट्रेस्ड प्रॉजेक्ट्स के प्रीमियम को रीशेड्यूल करना शामिल था। एनएचएआई ने 20 प्रॉजेक्ट्स के लिए 9,296 करोड़ रुपए मूल्य के प्रीमियम को आठ से 14 वर्षों के लिए स्थगित किया।
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विकल्पों के बावजूद योजना मंजूर: कैग ने गौर किया कि सभी बोट प्रॉजेक्ट्स के कनसेशन एग्रीमेंट्स में ऐसे प्रावधान थे जिनके तहत एनएचएआई कनसेशनेयर्स को राहत दे सकती थी। एनएचएआई ने कनसेशनेयर्स की समस्याओं का उल्लेख किया जैसे भुगतान करने की असमर्थता, जिससे 98,115 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है, अगर प्रॉजेक्ट को रोक दिया जाता। कैग ने गौर किया कि प्रीमियम को स्थगित करने की योजना के दुरुपयोग का अधिक जोखिम था। उसने कहा कि एक बार में आठ से 14 वर्ष का स्थगन, अनुचित लाभ देना था और एनएचएआई के वित्तीय हितों के लिए नुकसानदेह था। कैग ने सुझाव दिया कि एनएचएआई को कॉन्ट्रैक्ट के प्रावधानों से परे नई योजनाओं का प्रस्ताव देने से पहले कनसेशन एग्रीमेंट्स के मौजूदा प्रावधानों का पालन करना चाहिए।
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टेंडर देने के बाद उसमें संशोधन: कनसेशनेयर्स द्वारा चुकाया जाने वाला प्रीमियम एक कानूनी कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार था जो खुली बोली प्रक्रिया के बाद तैयार किया गया था। वित्तीय बोलियों को तय करने के लिए प्रस्तावित प्रीमियम ही एकमात्र मानदंड था। कैग ने कहा कि टेंडर देने के बाद उसमें संशोधन करने से टेंडर की प्रक्रिया प्रभावित होती है। उसने एनएचएआई को सुझाव दिया कि उसे टेंडर देने के बाद ऐसे संशोधनों से बचना चाहिए जोकि कॉन्ट्रैक्ट्स की पवित्रता के सिद्धांत का उल्लंघन है।
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त्रुटिपूर्ण अनुमानों पर तैयार की गई योजनाएं: इस योजना को शुरू में 23 प्रॉजेक्ट्स के लिए प्रस्तावित किया गया था जिन्हें प्रीमियम पर दिया गया था। इसके बाद इसे सभी स्ट्रेस्ड प्रॉजेक्ट्स के लिए बढ़ा दिया गया। कैग ने कहा कि 23 में से 18 प्रॉजेक्ट्स को रोक दिया गया और पांच को दिसंबर 2019 तक पूरा नहीं किया गया था।
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टोल के राजस्व अनुमानों में भिन्नताएं: कैग ने कहा कि बैंकों से ऋण लेते समय कनसेशनेयर्स ने टोल राजस्व के अधिक अनुमान दिए थे, जबकि प्रीमियम के स्थगन की मांग करते समय बहुत कम अनुमान लगाए गए थे। यह अंतर 31% से 85% के बीच था। कैग ने कहा कि अधिक ऋण लेने के लिए उच्च अनुमान लगाए गए और स्थगन से लाभ उठाने के लिए निम्न अनुमान। उसने कहा कि एनएचएआई ने टोल अनुमानों के बीच की विसंगतियों की समीक्षा करने में पूरी मेहनत नहीं की।
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उच्च ऋण चुकौती: कैग ने कहा कि कनसेशन एग्रीमेंट की कुल परियोजना लागत और कनसेशनेयर की प्राप्त लागत में काफी अंतर था। इससे कनसेशनेयर्स को अधिक कर्ज लेना पड़ा। ज्यादा ऋण चुकाने का असर कनसेशनेयर्स के निर्वहन राजस्व पर पड़ा जोकि बदले में प्रीमियम के स्थगित होने से संबंधित था। कैग ने सुझाव दिया कि एनएचएआई एक ऐसी प्रक्रिया शुरू कर सकती है जो कुल परियोजना लागत/ऋण की समीक्षा करे ताकि लंबी अवधि में उसके हितों की रक्षा हो।
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प्रीमियम स्थगित होने की स्थिति में सुरक्षात्मक उपाय: अगर कोई कनसेशनेयर किसी प्रॉजेक्ट से हटने का फैसला करता है तो एक्सपर्ट ग्रुप ने सुझाव दिया था कि प्रॉजेक्ट की निर्माण अवधि के दौरान सुरक्षात्मक उपाय के रूप में उससे बैंक गारंटी ली जाए। एक्सपर्ट ग्रुप को यह निर्धारित करने के लिए गठित किया गया था कि क्या प्रॉजेक्ट स्ट्रेस्ड है। कैग ने कहा कि एनएचएआई ने पूरी बैंक गारंटी नहीं ली। उसने 7,364 करोड़ रुपए के स्थगित प्रीमियम के खिलाफ 430 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी ली। उसने सुझाव दिया कि एनएचएआई यह सुनिश्चित कर सकती है कि कनसेशनेयर के स्थगित प्रीमियम के भुगतान न करने के जोखिम को कवर करने के लिए उचित राशि की बैंक गारंटी ली जाए। इसके अतिरिक्त बैंक गारंटी को स्थगित प्रीमियम की राशि की बजाय प्रॉजेक्ट के माइलस्टोन्स को हासिल करने से जोड़ा गया था। इससे कनसेशनेयर्स को अनुचित लाभ दिए गए क्योंकि प्रॉजेक्ट को एक से दो वर्षों के भीतर खत्म होना था, जबकि प्रीमियम आठ से 14 वर्षों के लिए स्थगित किए गए हैं।
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प्रॉजेक्ट्स की निगरानी: मॉडल कनसेशन एग्रीमेंट के अनुसार, कनसेशनेयर को एस्क्रो खाते से कनसेशन फीस चुकानी होती है। एस्क्रो खाता एक थर्ड पार्टी खाता होता है जहां अंतिम पक्ष को हस्तांतरित करने से पहले धनराशि रखी जाती है। अन्य भुगतान या निवेश के मुकाबले इस फीस को चुकाने को प्राथमिकता दी जाती है। कैग ने कहा कि कनसेशनेयर्स ने एस्क्रो खातों से 5,304 करोड़ रुपए की धनराशि का निवेश म्यूचुअल फंड्स में किया और अन्य प्रॉजेक्ट्स के फंड्स का भी दूसरा उपयोग किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि एनएचएआई एस्क्रो खातों की निगरानी करने में असफल रही। उसने सुझाव दिया कि एनएचएआई को एस्क्रो खाते में जमा और निकासी की नियमित निगरानी करनी चाहिए।
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