स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
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कोयला, खान एवं स्टील संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री राकेश सिंह) ने 22 दिसंबर, 2022 को ‘कोयला आयात- प्रवृत्तियां और आत्मनिर्भरता का मुद्दा’ पर अपनी रिपोर्ट पेश की। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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कोयले की आयात निर्भरता को कम करना: कमिटी ने कहा कि 2013-14 और 2021-22 के बीच कोयले की मांग में 3% की वृद्धि हुई और 2022-23 में इसके 4-5% बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि उच्च-गुणवत्ता वाले कोयले (कम राख वाला कोयला/कोकिंग कोल) की आपूर्ति सीमित है। प्राइम कोकिंग कोल का उत्पादन भी सीमित है जिसके कारण कोकिंग कोल और प्राइम कोकिंग कोल को एक दूसरे की जगह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। धातु उद्योग, विशेष रूप से आयरन और स्टील उद्योग उच्च गुणवत्ता वाले कोकिंग कोल के आयातों पर निर्भर हैं। कोकिंग कोल वह कोयला है जिसे गैर दहनशील अशुद्धियों को हटाने के लिए गर्म किया जाता है। कमिटी ने आयात निर्भरता कम करने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) द्वारा उठाए गए कदमों पर गौर किया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) उपभोक्ताओं को आपूर्ति के न्यूनतम सुनिश्चित स्तर को वार्षिक ठेके की मात्रा के 75% से बढ़ाकर 80% करना, (ii) उपभोक्ताओं को सड़क और रेल परिवहन के बीच से चुनने का लचीलापन प्रदान करना, और (iii) कोयला उपभोक्ताओं को लेटर्स ऑफ क्रेडिट के जरिए कोयला खरीद में सक्षम बनाना। कमिटी ने नए खनन स्थलों की खोज करने और जरूरी पर्यावरणीय मंजूरियां हासिल करने के बाद इन क्षेत्रों में खदानें खोलने के प्रयासों को बढ़ाने का सुझाव दिया। उसने कहा कि कोयले की आयात निर्भरता कम करने के लिए कोयला वॉशरीज़ स्थापित करने में और तेजी लानी होगी। कमिटी ने आयात निर्भरता को कम करने के लिए जिन उपायों का सुझाव दिया, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
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राजस्व साझाकरण आधार पर खानों की नीलामी: कमिटी ने कहा कि जून 2020 में राजस्व साझाकरण आधार पर कमर्शियल खनन की नीलामी शुरू की गई थी, जोकि एक सकारात्मक पहल है- चूंकि इसकी शर्तें उदार हैं और प्रतिभागी कोयला द्रवीकरण और गैसीकरण के लिए इंसेंटिव हासिल कर सकते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि खान मंत्रालय सार्वजनिक और निजी कंपनियों को दाखिले के लिए प्रोत्साहित करने हेतु राजस्व साझाकरण आधार पर अधिक खानों की नीलामी करे।
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खनन का मशीनीकरण: कमिटी ने कहा कि खनन के मशीनीकरण से सुरक्षा और उत्पादकता, दोनों में योगदान होता है। इसलिए कमिटी ने सुझाव दिया कि खनन प्रक्रियाओं का और मशीनीकरण सुनिश्चित किया जाए। जहां निजी कंपनियां नई तकनीक के उपयोग के लिए अनिच्छुक हो सकती हैं, कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए वे इनका उपयोग करें।
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कोयले की कीमतों का युक्तिकरण: कमिटी ने कहा कि कोयले की उच्च कीमतों के मद्देनजर कोयला कंपनियां ने बढ़ोतरी को रोकने के लिए उपाय किए हैं। इसमें खनन और परिवहन में हालिया तकनीक का इस्तेमाल शामिल है, जैसे खुदाई के लिए अर्थमूवर्स और हॉलेज के लिए कनवेयर सिस्टम्स। कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार देश के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों में संयंत्रों और उपभोक्ताओं को कोयले की कम कीमत सुनिश्चित करने के लिए रेलवे फ्रेट शुल्क और पोर्ट हैंडलिंग शुल्क को युक्तिसंगत बनाए।
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ओवरसीज़ कोयला ब्लॉक्स का अधिग्रहण: सीआईएल ने पहले मोजांबीक जैसे अन्य देशों में कोयला ब्लॉक्स के अधिग्रहण का पता लगाया था। ये अधिग्रहण लागत प्रभावी नहीं पाए गए थे। हालांकि कमिटी ने गौर किया कि उच्च गुणवत्ता वाले कोकिंग कोल की घरेलू आपूर्ति मांग के मद्देनजर अपर्याप्त बनी रहेगी। इसीलिए कमिटी ने सुझाव दिया था कि कोयला मंत्रालय और सीआईएल आयात पर निर्भरता कम करने के लिए अन्य देशों में कोयला खदानों के अधिग्रहण की संभावना तलाशते रहें।
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