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पीडीएफ

कोयला संरक्षण और देश भर में कोयला परिवहन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकास

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • कोयला एवं स्टील संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: राकेश सिंह) ने मार्च 2021 में ‘कोयला संरक्षण और देश भर में कोयला परिवहन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकास’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
     

  • कोयले का परिवहन: कमिटी ने गौर किया कि देश में 66% कोयले का परिवहन सड़कों से होता है। सड़कों से कोयले के परिवहन के कारण धूल और वायु प्रदूषण होता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि सड़कों से कोयले के परिवहन को धीरे-धीरे कम किया जाना चाहिए। उसने यह सुझाव भी दिया कि कोल इंडिया लिमिटेड को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि डिस्पैच प्वाइंट्स से पिट हेड्स तक कोयले का परिवहन पूरी तरह से मशीनीकृत प्रणाली से किया जाए। इसके लिए रेल या ढंकी हुई कनवेयर बेल्ट्स का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
     

  • कमिटी ने गौर किया कि सड़क से कोयले का परिवहन करने पर पर्यावरण पर जो असर होता है, उसे काबू में करने के लिए कई उपाय किए गए हैं। इन उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ढंके हुए ट्रकों से परिवहन, (ii) जिन जगहों पर वायु प्रदूषण की आशंका है, वहां नियमित रूप से पानी का छिड़काव, और (iii) सड़कों पर डस्ट सप्रेसेंट कैमिकल्स का इस्तेमाल। कमिटी ने एक निगरानी तंत्र बनाने का सुझाव दिया जो यह सुनिश्चित करे कि सड़कों से कोयला परिवहन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के उपाय लागू किए जा रहे हैं।
     

  • केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं: कोयला खदानों में संरक्षण, सुरक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास नामक केंद्रीय क्षेत्र की योजना के अंतर्गत कोयला कंपनियों को निम्नलिखित गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है: (i) संरक्षण, (ii) पर्यावरण प्रबंधन, (iii) सुरक्षा, (iv) अनुसंधान, और (v) कोयला खानों के लिए सड़क और रेल लिंकेज का विकास। कमिटी ने गौर किया कि इतने वर्षों में योजना के विभिन्न उप-घटकों के अंतर्गत पिछले वर्ष से जरूरी प्रतिपूर्तियों को अगले वर्ष बढ़ा दिया जाता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि इस योजना में दावों की जांच और निपटान की मौजूदा प्रणाली की समीक्षा की जाए।
     

  • कमिटी ने सुझाव दिया कि योजना के अंतर्गत सड़क और रेल प्रॉजेक्ट्स को कम किया जाना चाहिए और सिर्फ महत्वपूर्ण एवं बड़े रेल और सड़क लिंक्स पर सहायता के लिए विचार किया जाना चाहिए। इससे प्रभावी निगरानी, निर्माण की गुणवत्ता और अनुमानों का सत्यापन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
     

  • कोयले की लोडिंग क्षमता का उपयोग: कमिटी ने कहा कि संबंधित कोयला कंपनी रेलवे रैक्स की मांग जोनल रेलवे को देती है। यह मांग कोयला उत्पादन, साइडिंग्स में परिवहन की क्षमता और ग्राहकों के लिए संविदात्मक बाध्यताओं जैसे कारकों पर आधारित होती है। कमिटी ने कहा कि रेलवे मंत्रालय के सबमिशन में कहा गया है कि अधिकतर समय, कोयला कंपनियों की लोडिंग क्षमता, उनकी मांग से कम होती है। लोडिंग में कमी मुख्य रूप से साइडिंग पर कोयले की कम उपलब्धता के कारण है। कमिटी ने सुझाव दिया कि कोयला कंपनियों को कमी के कारणों का विश्लेषण करना चाहिए और इस संबंध में सुधारात्मक उपाय करने चाहिए।

 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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