स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: राम गोपाल यादव) ने कोविड-19 महामारी के प्रकोप और उसके प्रबंधन पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। 11 मार्च, 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को महामारी घोषित किया था। 25 नवंबर, 2020 को भारत में कोविड-19 के 92,22,206 पुष्ट मामले हैं और इसके कारण 1,34,699 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। कमिटी ने कहा है कि कोविड-19 के मामलों गिरावट देखी जा रही है लेकिन दूसरी लहर का भी काफी खतरा है। इस संबंध में कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए:
- स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए वित्तपोषण: कमिटी ने सुझाव दिया कि दो वर्षों के भीतर स्वास्थ्य सेवाओं पर जीडीपी का 2.5% खर्च किया जाना चाहिए (2019-20 में जीडीपी के 1.6% की तुलना में)। इसके अतिरिक्त उसने प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक खर्च करने का सुझाव दिया।
- स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर: कमिटी ने कहा कि कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी से निपटने के लिए सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या पर्याप्त नहीं थी। इसके अतिरिक्त उसने गौर किया कि रेलवे मंत्रालय द्वारा दिए गए बिस्तरों का पूरा उपयोग नहीं किया गया। उदाहरण के लिए 12,472 बिस्तरों वाले 813 कोचों को कोविड केयर सेंटर में तब्दील किया गया लेकिन वहां सिर्फ 454 कोविड-19 मरीजों को भर्ती किया गया।
- कमिटी ने सुझाव दिया कि मौजूदा इंफास्ट्रक्चर पर दबाव को कम करने के लिए निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं की मदद ली जानी चाहिए। उसने कहा कि सरकार ने कोविड-19 के इलाज के लिए जो लागत और कीमत तय की है, उसके कारण छोटे निजी अस्पताल बंद होने की कगार पर हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि निजी अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज की लागत और कीमत वाजिब होनी चाहिए।
- स्वास्थ्यकर्मी: कमिटी ने गौर किया कि राज्य संचालित अस्पतालों में रिक्तियों के कारण स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी है। उसने सुझाव दिया कि इन रिक्तियों को जल्द से जल्द भरा जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसने सुझाव दिया कि जिन जिलों में कोविड-19 के मामलों का दबाव कम है, वहां से स्वास्थ्य कर्मचारियों को अधिक उच्च दबाव वाले जिलों में भेजा जा सकता है। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि स्वास्थ्य सेवाओं की कार्यप्रणाली को दुरुस्त करने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा की तरह सार्वजनिक स्वास्थ्य कैडर के तौर पर भारतीय स्वास्थ्य सेवा बनाई जानी चाहिए।
- कमिटी ने सुझाव दिया कि महामारी के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारियों की सहायता के लिए उनके काम के घंटों और छुट्टियों को स्पष्ट किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त कमिटी ने स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए: (i) वैतनिक बीमारी अवकाश, और (ii) समय पर वेतन भुगतान का सुझाव दिया।
- टेस्टिंग और ट्रेसिंग: कमिटी ने कहा कि कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग न होना और टेस्टिंग कम होना भी कोविड-19 के मामलों की बढ़ोतरी के कारण हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त उसने कहा कि रैपिड एंटीजन टेस्ट का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने के कारण (जोकि आरटी-पीसीआर टेस्ट से कम भरोसेमंद हैं), कंटेनमेंट रणनीति पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि टेस्टिंग को बढ़ाया चाहिए और सही टेस्टिंग जैसे आरटी-पीसीआर टेस्ट का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
- इलाज: कमिटी ने सुझाव दिया कि मल्टी सेंट्रिक ट्रायल और विस्तृत अध्ययन के बाद ही कोविड-19 के इलाज के लिए दवा निर्दिष्ट की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त इसके इलाज में दवाओं के सुरक्षित उपयोग के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए जाने चाहिए।
- वैक्सीन: कमिटी ने सुझाव दिया कि सार्वजनिक प्रयोग से पहले वैक्सीन को क्लिनिकल ट्रायल के सभी चरणों से गुजरना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसने कहा कि सभी लोगों को वैक्सीन लगाई जानी चाहिए। इस संबंध में कमिटी ने सुझाव दिया कि: (i) समाज के कमजोर तबकों के लिए वैक्सीन की कीमत सबसिडीयुक्त होनी चाहिए, (ii) देश के कोल्ड स्टोरेज सिस्टम को अपग्रेड किया जाना चाहिए, और (iii) वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन के रणनीतिक आबंटन के एप्रोच या मल्टी टियर रिस्क बेस्ड एप्रोच के अनुसार प्रबंधित किया जाना चाहिए।
- कोविड के अतिरिक्त दूसरी बीमारियों का इलाज: कमिटी ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में आउट पेशेंट डिपार्टमेंट्स के बंद होने से कोविड के अतिरिक्त दूसरे मरीजों की स्वास्थ्य सेवाओं पर असर हुआ है, खासकर यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं पर। कमिटी ने सुझाव दिया कि एम्पैनल्ड अस्पतालों की मॉनिटरिंग की जाए ताकि यह सुनिश्चित हो कि दूसरी बीमारियों के इलाज को नजरंदाज न किया जाए।
- आयुष की भूमिका: कमिटी ने सुझाव दिया कि महामारी को काबू में करने के लिए आयुष प्रणाली को एलोपैथी क्षेत्र की सहायता हेतु इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि: (i) मेडिकल स्टूडेंट्स को रोकथामकारी स्वास्थ्य देखभाल और सामुदायिक औषधि की समझदारी प्रदान करने, और (ii) आयुष प्रैक्टीशनर्स को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं से लैस करने के लिए आयुष को एलोपैथी के साथ एकीकृत किया जाए।
- कमिटी ने सुझाव दिया कि कोविड-19 अस्पतालों और केंद्रों में एलोपैथी डॉक्टरों की कमी होने पर आयुष डॉक्टर मदद कर सकते हैं। उसने कहा कि राज्यों में प्रशिक्षित आयुष मैनपावर की तैनाती के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं को तैयार किया जाना चाहिए।
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।