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पीडीएफ

डाक विभाग में रियल एस्टेट प्रबंधन

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. निशिकांत दुबे) ने 19 अगस्त, 2025 को "डाक विभाग में रियल एस्टेट प्रबंधन" पर अपनी रिपोर्ट पेश की। एस्टेट प्रबंधन योजना एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। योजना का लक्ष्य डाक अवसंरचना का विकास, डाकघरों में कार्य वातावरण में सुधार और लागत-प्रभावी तरीके से डाक सेवाओं की आपूर्ति में सुधार करना है। संचार मंत्रालय के अंतर्गत डाक विभाग द्वारा इसका प्रबंधन किया जाता है। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • किराये की संपत्तियों पर निर्भरता: कमिटी ने गौर किया कि कई डाकघर और अन्य संबंधित कार्यालय किराए की इमारतों में स्थित हैं। डाक विभाग द्वारा संचालित डाकघरों की संख्या 25,096 है, और इनमें से 83% कार्यालय किराए की इमारतों में चल रहे हैं। कमिटी ने कहा कि किराए पर होने वाला कुल खर्च डाक अवसंरचना के विकास के लिए आवंटित कुल धनराशि के दोगुने से भी अधिक है। कमिटी ने डाक विभाग को निम्नलिखित सुझाव दिए कि वे (i) कम लागत वाली डाक अवसंरचना तैयार करें, और (ii) राज्य सरकारों के साथ मिलकर खाली पड़ी जमीनों का निःशुल्क अधिग्रहण करें।

  • नए निर्मित डाक कार्यालयों की इमारतों का असमान वितरण: कमिटी ने कहा कि योजना के तहत विभिन्न क्षेत्रों में निर्मित नए भवनों की संख्या में भारी असमानताएं हैं। असम, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों में सबसे अधिक निर्माण हुए, जबकि हरियाणा में कोई निर्माण नहीं हुआ। कमिटी ने विभाग को सभी क्षेत्रों में डाकघरों की जरूरतों की विस्तृत जांच करने का सुझाव दिया।

  • कम उपयोग वाली भूमि: कमिटी ने कहा कि विभाग के पास 1,460 खाली प्लॉट हैं जिनमें से 276 प्लॉट पर अतिक्रमण है। कमिटी ने निम्न सुझाव दिए: (i) अवैध अतिक्रमणों को रोकने के लिए सख्त जांच, (ii) स्थानीय प्रशासन और पुलिस के माध्यम से शमन, और (iii) खाली प्लॉटों के रचनात्मक उपयोग के लिए राज्य सरकारों के साथ सहयोग।

  • एसेट्स के मुद्रीकरण की रणनीति: विभाग के स्वामित्व वाली कुल भूमि 121 लाख वर्ग मीटर है। कमिटी ने कहा कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा भूमि संपत्तियां मौजूद हैं। इसके अतिरिक्त कमिटी ने यह कहा कि विभाग ने बाजार पूंजीकरण की क्षमता का निर्धारण करने के लिए कार्य नहीं किया है। कमिटी ने विभाग को निम्न सुझाव दिए: (i) डाक संपत्तियों के मुद्रीकरण की रणनीति विकसित करने हेतु विशेषज्ञों की मदद ली जाए, और (ii) डिजिटल प्रदर्शनियों और गाइडेड टूर जैसे उपायों के जरिए हेरिटेज बिल्डिंग्स के मुद्रीकरण की व्यावहारिकता पर विचार किया जाए।

  • महिलाओं के लिए अवसंरचना: डाक विभाग में महिला कर्मचारी बड़ी संख्या में हैं। कमिटी ने कहा कि जेंडर सेंसिटिव सुविधाएं देने की जरूरत है, जैसे महिलाओं के लिए अलग शौचालय और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए फीडिंग रूम्स। कमिटी ने यह भी कहा कि पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक के डाकघरों में फीडिंग रूम्स नहीं हैं। कमिटी ने विभाग को निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के लिए उपलब्ध अवसंरचना सुविधाओं का क्षेत्रवार डेटा बनाना और उसे बरकरार करना, (ii) ऐसी सुविधाओं के निर्माण के लिए आवश्यक बजट का अनुमान लगाना, और (iii) उन्हें लागू करने की एक समय-सीमा निर्धारित करना।

  • कर्मचारियों के क्वार्टरों की स्थिति: कमिटी ने कहा कि 97% डाक कॉलोनियों में बड़े पैमाने पर नवीनीकरण और पुनर्निर्माण की ज़रूरत है। उसने ऐसी परियोजनाओं के लिए धन की कमी पर भी गौर किया। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) स्टाफ क्वार्टरों के नवीनीकरण और निर्माण हेतु धनराशि देने को प्राथमिकता, और (ii) ऐसी समर्पित इकाइयां स्थापित करना, जो परियोजनाओं के समय से पूरा होने की निगरानी करें।   

 

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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