स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
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उद्योग संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री तिरुचि शिवा) ने 20 दिसंबर, 2023 को 'देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन' पर अपनी रिपोर्ट पेश की। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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फेम योजना: 2015 में भारत में फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक (और हाइब्रिड) वेहिकल (फेम) योजना को शुरू किया गया था। फेम-II का उद्देश्य अग्रिम खरीद प्रोत्साहन की पेशकश और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना करके इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों (ईवी) को तेजी से अपनाने को प्रोत्साहित करना है। कमिटी ने कहा कि फेम-II के तहत सहयोग प्राप्त वाहनों की संख्या प्रारंभिक लक्ष्यों की तुलना में कम हो गई है। कमिटी ने कहा कि अधिक संख्या में ईवी को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इस प्रकार कमिटी ने इस योजना को कम से कम तीन साल और बढ़ाने और इसके दायरे को व्यापक बनाने का सुझाव दिया। उसने योजना के तहत अधिक चार-पहिया ईवी को सहयोग देने का सुझाव दिया जिसकी सीमा वाहन की लागत और बैटरी क्षमता पर आधारित हो।
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चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: कमिटी ने कहा कि फेम-II के तहत 22,000 चार्जिंग स्टेशन स्वीकृत किए गए हैं; हालांकि 7,432 स्थापित किए गए हैं। इस प्रकार यह सुझाव दिया गया कि अधिक चार्जिंग स्टेशन बनाए जाने चाहिए। यह सुझाव दिया गया कि व्यक्तिगत निवेशकों, महिला स्वयं सहायता समूहों और सहकारी समितियों को सुनिश्चित रिटर्न की पेशकश करके चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना करने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। कमिटी ने सुझाव दिया कि सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी संस्थानों को अपने परिसरों में चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने चाहिए। कमिटी ने भारी उद्योग मंत्रालय को बैटरी मानकीकरण की व्यावहारिकता पर एक अध्ययन करने और बैटरी स्वैपिंग टेक्नोलॉजी नीति तैयार करने का भी सुझाव दिया।
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कमिटी ने कहा कि ऊर्जा मंत्रालय ने रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर योजना के माध्यम से बिजली वितरण नेटवर्क का विस्तार किया है। उसने कहा कि जैसे-जैसे ईवी की पहुंच बढ़ती है, वाहन मालिक गैर-सौर घंटों के दौरान घर पर वाहनों को चार्ज करना पसंद कर सकते हैं। इससे बिजली की मांग में बढ़ोतरी हो सकती है। कमिटी ने सुझाव दिया कि ऊर्जा मंत्रालय सौर ऊर्जा उपलब्ध होने पर वाहनों को चार्ज करने को प्रोत्साहन दे और कार्यालय परिसर में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना को बढ़ावा दे। कमिटी ने नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह सौर और पवन जैसी अक्षय ऊर्जा से अधिकतम बिजली हासिल करे। इससे ईवी चार्जिंग स्टेशनों सहित विभिन्न स्रोतों से बिजली की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।
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ईवी की लागत: कमिटी ने कहा कि इंटरनल कंबशन इंजन वाले वाहनों की तुलना में ईवी के ओनरशिप की लागत अभी भी तुलनात्मक रूप से ज्यादा है। कमिटी ने कहा कि इनकम टैक्स एक्ट, 1961 व्यक्तियों को ईवी खरीद ऋण पर भुगतान किए गए ब्याज पर कर बचत का दावा करने की अनुमति देता है। हालांकि यह लाभ 31 मार्च, 2023 तक स्वीकृत ऋणों तक ही सीमित था। कमिटी ने इस लाभ को कम से कम 31 मार्च, 2025 तक बढ़ाने का सुझाव दिया। कमिटी ने गौर किया कि ईवी खरीद की लगभग आधी लागत बैटरी की वजह से होती है। उसने केंद्र सरकार को बैटरी पर जीएसटी कम करने का सुझाव दिया है।
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कमिटी ने कहा कि सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ईवी की शुरुआती लागत कम करने के लिए विभिन्न दिशानिर्देश जारी किए हैं। वर्तमान में 19 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश ईवी के लिए रोड टैक्स में छूट और रिबेट देते हैं। 2030 तक लक्षित 30% ईवी पहुंच हासिल करने के लिए कमिटी ने मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह शेष राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ईवी पर रोड टैक्स कम करने के संबंध में बातचीत करे। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि ईवी को प्रायॉरिटी सेक्टर लेंडिंग के तहत लाया जाना चाहिए।
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ईवी का निर्माण: कमिटी ने कहा कि भारी उद्योग मंत्रालय ने फेम-II के तहत प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव्स (पीएलआई) योजनाएं और चरणबद्ध मैन्यूफैक्चरिंग कार्यक्रम जैसी योजनाएं शुरू कीं। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय के पास राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर सहायक, पारदर्शी और सुसंगत सरकारी ढांचा होना चाहिए। उसने बैटरी, सेल और ईवी ऑटो कंपोनेंट्स के निर्माण के लिए समर्पित मैन्यूफैक्चरिंग केंद्र और औद्योगिक पार्क स्थापित करने का भी सुझाव दिया। जब तक यह स्थिति हासिल नहीं होती, कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय घरेलू आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने के लिए वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं/देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग/साझेदारी को बढ़ावा दे। कमिटी ने कहा कि ईवी बैटरियों के लिए लिथियम सबसे जरूरी मुख्य धातु है, और जम्मू-कश्मीर और राजस्थान में इसके भंडार की खोज की गई है। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को लिथियम निकालने के काम में तेजी लाने की पहल करनी चाहिए।
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सार्वजनिक परिवहन: कमिटी ने वायु गुणवत्ता में सुधार और निजी वाहनों को कम करने के लिए एक सुरक्षित और लागत प्रभावी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया। कमिटी ने सुझाव दिया कि भारी उद्योग मंत्रालय को ऐसी प्रणाली विकसित करने के लिए अधिक धन आवंटित करना चाहिए। कमिटी ने फेम-II के तहत ई-बस योजना के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाने का भी सुझाव दिया।
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