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देश में पर्यटन स्थलों की संभावना- कनेक्टिविटी और आउटरीच 

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: टी.जी.वेंकटेश) ने 27 जुलाई, 2021 को ‘देश में पर्यटन स्थलों की संभावना- कनेक्टिविटी और आउटरीच’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी ने देश में पर्यटन की व्यापक संभावनाओं को तलाशने के तरीके सुझाए। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • स्वदेश दर्शन योजना: देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट्स के एकीकृत विकास के लिए 2015 में स्वदेश दर्शन योजना (एसडीएस) को शुरू किया गया था। कमिटी ने कहा कि एसडीएस के अंतर्गत 15 में से सिर्फ एक सर्किट अब तक पूरा हुआ है। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) हिमालयी, बौद्ध और पूर्वोत्तर सर्किट्स के अंतर्गत आने वाले पर्यटन स्थलों को प्राथमिकता के आधार पर विकसित किया जाए, और (ii) पर्यटन सर्किट्स में ग्रामीण क्षेत्रों को अधिक शामिल किया जाए ताकि गरीबों को लाभ पहुंचे।
     
  • पर्यटन से जुड़ी अवसंरचना का विकास: केंद्र सरकार ने 2015 में तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिता, विरासत संवर्धन अभियान (प्रसाद) योजना को शुरू किया था ताकि चिन्हित तीर्थस्थलों और विरासत स्थलों के योजनाबद्ध विकास के जरिए धार्मिक पर्यटन का पूर्ण अनुभव प्रदान किया जा सके। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) एसडीएस और प्रसाद के अंतर्गत पर्यटन अवसंरचना प्रदान करने के लिए निजी क्षेत्र को संलग्न करना ताकि उन्हें वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य बनाया जा सके, (ii) रेलवे स्टेशनों की अतिरिक्त भूमि पर बजट होटल्स बनाकर कमरों की क्षमता बढ़ाना, और (iii) पर्यटन अवसंरचना के विकास में वित्त पोषण की कमी को दूर करने के लिए वित्तीय सहयोग प्रदान करना।
     
  • एयर कनेक्टिविटी: क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने 2016 में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना को शुरू किया था। कमिटी ने सुझाव दिया कि योजना के अंतर्गत शेष मार्गों को भी परिचालित किया जाए ताकि जिन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी कम है, वहां भी पर्यटन की मांग को पूरा किया जा सके। कमिटी ने गौर किया कि अधिक एयर कनेक्टिविटी न होने की वजह से भारत में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन का हिस्सा केवल 1.2% है। कमिटी ने सुझाव दिया कि पर्यटन मंत्रालय द्वारा चिन्हित प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों तक उचित एयर कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जाए। इसके लिए निम्नलिखित किया जा सकता है: (i) जिन स्थलों पर सिर्फ घरेलू हवाई अड्डे हैं, वहां उन हवाई अड्डों को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों में तब्दील किया जाए, और (ii) बिना डायरेक्ट एयर कनेक्टिविटी वाले स्थलों के लिए नए हवाई अड्डे विकसित किए जाएं।
     
  • जमीन से कनेक्टिविटी: इस संबंध में कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) जिन मार्गों पर अधिक यात्राएं की जाती हैं, वहां अधिक सेमी-हाई स्पीड ट्रेन चलाई जाएं, (ii) इंट्रा-स्टेट रेल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना, और (iii) लंबी दूरी के यात्रियों के लिए राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के साथ रोडसाइड सुविधाएं जैसे कैफेटेरिया बनाना।
     
  • क्रूज़ पर्यटन: भारत में क्रूज़ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित का सुझाव दिया: (i) भारत के पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर की कायापलट, (ii) क्रूज़ पर्यटन की सुविधाओं को वहन करने योग्य बनाना, (iii) क्रूज़ लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदान करना, (iv) भारत में विदेशी क्रूज़ ऑपरेटर्स को काम करने के लिए आमंत्रित करना, (v) दूसरे दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ समन्वय करना, और (vi) उद्योग के लिए विशेष सरकारी यूनिट लगाना।
     
  • आउटरीच और पब्लिसिटी: कमिटी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को फिर से शुरू होने में समय लगेगा। घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) पर्यटकों की संख्या को बढ़ाने के लिए डिजिटल मार्केटिंग रणनीतियों को अपनाया जाए, और (ii) भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विशेष मीडिया रणनीति बनाई जाए। ओवरसीज़ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) ऑनलाइन और ऑफलाइन मार्केटिंग के जरिए विदेशी पर्यटकों को लक्षित करना, और (ii) उच्च क्षमता विकास वाले देशों को कवर करने के लिए विदेशी पर्यटकों के आगमन का देशवार लक्ष्य निर्धारित करना।
     
  • यात्रा और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर पर कोविड-19 का असर: कोविड-19 के कारण पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी उद्योग में बहुत रुकावट आई है, इसके मद्देनजर कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) क्षेत्र में कार्यशील पूंजी, मूल और ब्याज भुगतान को अस्थायी रूप से निरस्त करना, और (ii) केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा घोषित राहत उपायों के अंतर्गत क्षेत्र में संस्थाओं द्वारा ऋणों के पुनर्भुगतान या पुनर्गठन के लिए समय अवधि को बढ़ाना।
     
  • साहसिक पर्यटन: कमिटी ने कहा कि भारत में अंतर्गामी साहसिक पर्यटन (इनबाउंड एडवेंचर टूरिज्म) की वार्षिक वृद्धि दर 5-7% है, और यह घरेलू साहसिक पर्यटन का 20-25% है। कमिटी ने सुझाव दिया कि भारत को साहसिक पर्यटन गंतव्यों के रूप में बढ़ावा दिया जाए और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से एम्यूजमेंट पार्क्स को बढ़ावा दिया जाए।   

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

 

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