स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
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परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री संजय कुमार झा) ने 20 अगस्त, 2025 को 'नागरिक उड्डयन क्षेत्र में सुरक्षा की समग्र समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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रेगुलेटरी स्वायत्तता और क्षमता बढ़ाना: नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) देश में विमानन सुरक्षा के रेगुलेशन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। कमिटी ने कहा कि डीजीसीए को कर्मचारियों की कमी की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि स्वीकृत पदों में से लगभग 50% पद रिक्त हैं। उसने कहा कि डीजीसीए के पास योग्य कर्मियों की भर्ती के लिए स्वायत्तता का अभाव है। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) डीजीसीए को वैधानिक और प्रशासनिक स्वायत्तता प्रदान करना, (ii) एजेंसी के लिए विशेष भर्ती तंत्र स्थापित करना, और (iii) प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धी वेतन प्रदान करना।
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हवाई यातायात प्रबंधन की चुनौतियां: कमिटी ने कहा कि एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स (एटीसीओ) की कमी के कारण कार्यभार बढ़ गया है, जिससे थकान संबंधी विफलताओं का जोखिम बढ़ रहा है। कमिटी ने कहा कि एटीसीओ की प्रशिक्षण क्षमता बढ़ती ज़रूरतों के अनुरूप नहीं हो पा रही है, जिससे प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी हो रही है। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) थकान जोखिम प्रबंधन प्रणाली लागू करना, (ii) बड़े पैमाने पर स्टाफिंग ऑडिट करना, और (iii) प्रशिक्षण क्षमता का विस्तार करना।
कमिटी ने आगे कहा कि मौजूदा हवाई यातायात नियंत्रण स्वचालन प्रणालियों के प्रदर्शन में गिरावट देखी जा रही है और उनमें टकराव का पता लगाने और पूर्वानुमान विश्लेषण जैसी आधुनिक क्षमताओं का अभाव है। कमिटी ने सुझाव दिया कि इन सुविधाओं का समय पर आधुनिकीकरण किया जाए और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का भी इस्तेमाल हो।
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सुरक्षा निगरानी को मजबूत करना: कमिटी ने कहा कि डीजीसीए सुरक्षा संबंधी समस्याओं का पता लगाने में तो प्रभावी रहा है, लेकिन उन्हें दूर करने में उतना प्रभावी नहीं रहा है। इसके कारण विमानों की फिटनेस से जुड़े मुद्दों के अतिरिक्त दूसरे मुद्दों को भी हल नहीं किया जा सका है। कमिटी ने सुझाव दिया कि समयबद्ध तरीके से क्लोजर मैकेनिज्म तैयार किए जाएं और उनके प्रवर्तन के मजबूत उपाय किए जाएं जिनमें अनुपालन न करने की स्थिति में आर्थिक दंड भी शामिल हो।
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हेलीकॉप्टर ऑपरेशंस में सुरक्षा के मानदंड: कमिटी ने कहा कि हाल ही में हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं ने रेगुलेटरी कमियों को उजागर किया है, जहां राज्य स्तरीय एजेंसियां उच्च जोखिम वाले ऑपरेशंस करती हैं लेकिन केंद्रीय निगरानी का इनमें अभाव होता है। कमिटी ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में उड़ान भरने वाले पायलट्स के लिए क्षेत्र विशिष्ट प्रशिक्षण अनिवार्य नहीं है। कमिटी ने सुझाव दिया कि ऑपरेशंस के लिए एक समान राष्ट्रीय फ्रेमवर्क बनाया जाए और पायलट्स के लिए क्षेत्र विशिष्ट प्रशिक्षण एवं प्रमाणन अनिवार्य किया जाए।
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ऑपरेशंस संबंधी जोखिमों का बार-बार होना, और उनका समाधान: कमिटी ने कहा कि 2024 में हवाई जहाजों की रनवे घुसपैठ जैसी घटनाएं निर्धारित सुरक्षा लक्ष्यों से कहीं अधिक हुईं। कमिटी ने कहा कि डीजीसीए का अकरेंस रिव्यू बोर्ड लगातार समीक्षा कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद ऐसी घटनाएं होती रही हैं जोकि प्रणालीगत समाधानों को लागू करने में असफलता का संकेत है। कमिटी ने मूल कारणों के विस्तृत विश्लेषण और उसके उपाय तलाशने का सुझाव दिया।
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गलतियों की जानकारी देना: कमिटी ने कहा कि अगर कोई एटीसीओ गलती करता है, तो उसे 25 लाख रुपए तक का जुर्माना भरना होता है। इससे एटीसीओ अपनी गलती की जानकारी स्वेच्छा से देने से हिचकिचाते हैं जबकि सुरक्षा सुधार के लिए यह जरूरी है। कमिटी ने कहा कि सुरक्षा संबंधी जानकारी के सिलसिले में संरक्षण को लेकर भी स्पष्टता का अभाव है। कमिटी ने सुझाव दिया कि मौजूदा दंडात्मक प्रावधानों की समीक्षा की जाए और व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन के लिए एक फ्रेमवर्क स्थापित किया जाए।
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मेनटेनेंस की घरेलू क्षमताओं का विकास: कमिटी ने कहा कि विमानों का लगभग 85% रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) का काम विदेशों में आउटसोर्स किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप विदेशी मुद्रा बाहर जाती है और रणनीतिक निर्भरता भी होती है। जीएसटी दरों और सीमा शुल्क में कमी जैसी पहल के बावजूद, घरेलू एमआरओ सुविधाएं अभी भी प्रतिस्पर्धा के लिए संघर्ष कर रही हैं। कमिटी ने व्यापक नीतिगत समीक्षा का सुझाव दिया और कहा कि घरेलू रखरखाव क्षमताओं के निर्माण के लिए करों एवं प्रोत्साहनों को और अधिक सुव्यवस्थित किया जाए।
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हवाईअड्डा विकास को बेड़े के विस्तार के साथ जोड़ना: कमिटी ने कहा कि देश में विमानों की संख्या हवाईअड्डा विकास की गति से आगे निकल रही है, जिससे प्रमुख केंद्रों में क्षमता का असंतुलन पैदा हो रहा है। उसने सुझाव दिया कि एक नेशनल कैपिसिटी एलाइनमेंट प्लान बनाया जाए जिसके जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और विमान बेड़े के विस्तार के बीच तालमेल कायम हो। इसके अलावा, पायलट्स की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, डीजीसीए ने नए उड़ान प्रशिक्षण संगठनों को मंजूरी दी है और प्रशिक्षण विमानों को शामिल किया है। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि प्रशिक्षण क्षमता में निरंतर निवेश किया जाए और पायलट्स की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रमाणन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाया जाए।
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