स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
पेंशनभोगियों की शिकायतें
- कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सुशील कुमार मोदी) ने 10 दिसंबर, 2021 को ‘पेंशनभोगियों की शिकायतें- पेंशन अदालतों के प्रभाव और केंद्रीयकृत पेंशनभोगी शिकायत निवारण एवं निरीक्षण प्रणाली (सीपेनग्राम्स)’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। 31 मार्च, 2020 तक भारत में केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों (इसमें फैमिली पेंशनभोगी शामिल हैं) की संख्या लगभग 66.7 लाख थी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्न शामिल हैं:
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- सीपेनग्राम्स: सीपेनग्राम्स पेंशनभोगियों की पेंशन संबंधी शिकायतों का शीघ्र निवारण और प्रभावी निरीक्षण करने वाली एक प्रणाली है। पेंशनभोगी पेंशन संगठनों के जरिए ऑनलाइन या डाक से अपनी शिकायतें जमा कर सकते हैं। कमिटी ने कहा कि ऐसी लगभग 20% शिकायतों को 60 दिनों की निर्धारित अवधि में निस्तारित नहीं किया जाता। जिन मामलों की शिकायतें सबसे ज्यादा होती हैं (सीपेनग्राम्स पर दर्ज होने वाली अधिसंख्य शिकायतें यही होती हैं), उनमें पेंशन में देरी या सही पेंशन मंजूर न होना, और पेंशन के एरियर का भुगतान न होना है। कमिटी ने शिकायत निवारण तंत्र को कारगर बनाने के लिए सोशल ऑडिट पैनल बनाने का सुझाव दिया। उसने यह सुझाव भी दिया कि क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया को शामिल किया जाए। साथ ही पेंशन की मंजूरी, प्रोसेसिंग और वितरण में शामिल एजेंसियों को अपने सिस्टम को सुव्यवस्थित करने का सुझाव दिया ताकि प्राप्त होने वाली शिकायतों की संख्या को कम किया जा सके।
- सीजीईजीआईएस: केंद्र सरकार की कर्मचारी समूह बीमा योजना (सीजीईजीआईएस) एक सेल्फ फाइनांसंग औऱ सेल्फ सपोर्टिंग स्कीम है जो निम्नलिखित का प्रावधान करती है: (i) रिटायरमेंट पर अपने संसाधनों को बढ़ाने के लिए कर्मचारियों को एकमुश्त भुगतान, और (ii) सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में परिवारों को बीमा कवर। कमिटी ने कहा कि सीजीईजीआईसी के अंतर्गत मासिक अंशदान और बीमा राशि, दोनों में 1990 से बदलाव नहीं हुआ है। सीजीईजीआईसी के अंतर्गत मिलने वाला बीमा कवर मौजूदा संदर्भों में जीवनयापन की बढ़ी हुई लागत के अनुरूप नहीं है। उसने सुझाव दिया कि सरकार को बीमा राशि और मासिक अंशदान के संबंध में सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करना चाहिए (नीचे तालिका देखें)।
- सीजीईजीआईएस के लिए सदस्य जो सदस्यता शुल्क चुकाते हैं, उसे हर महीने उनके वेतन से वसूला जाता है और उसे 70:30 के अनुपात में बचत फंड और बीमा फंड में विभाजित किया जाता है। कमिटी ने घटती मृत्यु दर के कारण इस अनुपात को संशोधित करके 75:25 करने का सुझाव दिया।
- अतिरिक्त पेंशन: कमिटी ने कहा कि वर्तमान में पेंशनभोगी 80 वर्ष का होने पर मूल पेंशन के 20% के बराबर की अतिरिक्त पेंशन राशि प्राप्त करने, 85 वर्ष का होने पर 30%, 90 वर्ष का होने पर 40%, 95 वर्ष का होने पर 50%, और 100 वर्ष पार करने पर 100% की राशि प्राप्त करने के हकदार हैं। कमिटी ने कहा कि इसका दायरा बढ़ाया जाए और इसके तहत 65 वर्ष का होने पर 5%, 70 वर्ष का होने पर 10%, 75 वर्ष का होने पर 15% की अतिरिक्त पेंशन प्रदान की जाए।
- मेडिकल सुविधाएं: कमिटी ने कहा कि केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) कुछ राज्यों की राजधानियों और बड़े शहरी केंद्रों तक सीमित है। सीजीएचएस के क्षेत्र से बाहर रहने वाले पेंशनभोगियों को दिन-प्रतिदिन के मेडिकल खर्चे के लिए हर माह 1,000 रुपए का एक निश्चित मेडिकल भत्ता दिया जाता है। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) जिले में किन्हीं जगहों सीजीएचएस केंद्र खोलना या जिला मुख्यालयों के सरकारी अस्पतालों को सीजीएचएस केंद्रों के रूप में नामित करना, और (ii) पेंशनभोगियों के लिए निश्चित मेडिकल भत्ता बढ़ाकर 3,000 रुपए हर महीने करना।
- प्रोविजनल पेंशन: केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के अंतर्गत कोई कर्मचारी कार्यालय प्रमुख से प्रोविजनल पेंशन पाने का हकदार है, अगर उसकी पेंशन और ग्रेच्युटी से पहले रिटायर होने की संभावना है या दोनों का अंतिम रूप से मूल्यांकन किया जा सकता है। कमिटी ने कहा कि प्रोविजनल पेंशन का भुगतान रिटायरमेट की तारीख से छह महीने की अवधि के लिए दी जाती है। कुछ विशेष मामलों में यह अवधि रिटायरमेंट की तारीख से एक वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है। कमिटी ने सुझाव दिया कि यह प्रोविजनल पेंशन तब तक दी जानी चाहिए, जब तक रिटायर होने वाले कर्मचारी को अंतिम पेंशन मंजूर नहीं हो जाती (यानी जब तक नियमित पेंशन भुगतान का आदेश जारी होता है और दूसरी प्रक्रियागत औपचारिकताएं पूरी होती हैं)।
- फैमिली पेंशन: कमिटी ने गौर किया कि एक मृत कर्मचारी के बच्चे जो शारीरिक या मानसिक दुर्बलताओं से पीड़ित हैं और फैमिली पेंशन का दावा कर रहे हैं, उनके लिए मेडिकल या विकलांगता प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया जटिल है। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) मेडिकल सर्टिफिकेट्स हासिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए, (ii) रिटायरमेंट की तारीख से एक वर्ष पहले सरकारी कर्मचारियों से पेंशन फॉर्म/कागजात प्राप्त करना, और (iii) ट्रांसफर वाली नौकरी के मामले में पेंशनभोगियों को पेंशन संवितरण की जगह चुनने का विकल्प देने की संभावना तलाशना।
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