स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सुश्री रमेश बिधूड़ी) ने 25 मार्च, 2022 को ‘पीएनजी एवं सीएनजी सहित नेशनल गैस ग्रिड’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- प्राकृतिक गैस की मांग और आपूर्ति: कमिटी ने कहा कि भारत में वर्तमान में कुल एनर्जी मिक्स में प्राकृतिक गैस का हिस्सा केवल 6% है जोकि इसके 24.2% के विश्व औसत से बहुत कम है। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) खोज के लिए दिए जाने वाले ब्लॉकों में वृद्धि, (ii) पहले से ढूंढे गए क्षेत्रों में खोज और उत्पादन के काम को तेज करना, (iii) पड़ोसी क्षेत्रों से अंतरराष्ट्रीय पाइपलाइनों के निर्माण में तेजी लाने के लिए कूटनीतिक प्रयास करना, और (iv) प्राकृतिक गैस/लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) के आयात के लिए दूसरे देशों के साथ आर्थिक लागत पर लंबी अवधि के कॉन्ट्रैक्ट करना। इसके अतिरिक्त सौंपे गए ब्लॉकों में अपरंपरागत हाइड्रोकार्बन के दोहन के लिए टैक्स ब्रेक जैसे प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं।
- गैस ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर: कमिटी ने कहा कि वर्तमान में लगभग 20,227 किलोमीटर की प्राकृतिक गैस पाइपलाइन चालू है जबकि अतिरिक्त 15,500 किलोमीटर की पाइलपाइन के लिए प्रॉजेक्ट्स चलाए जा रहे हैं। कमिटी ने निम्नलिखित कारणों से कई प्रॉजेक्ट्स में देरी पर गौर किया (जैसे हल्दिया-जगदीशपुर पाइपलाइन): (i) किसानों की तरफ से जमीन के अधिक मुआवजे की मांग, (ii) राइट ऑफ यूज की समस्याएं, और (iii) कई एजेंसियों से मंजूरियां देना। गैस ग्रिड के विस्तार में तेजी लाने के लिए कमिटी ने मंत्रालय को निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) उस पाइपलाइन को ब्लैंकेट अप्रूवल देना, जोकि छह महीने या एक साल से रीकंसीलिएशन मैकेनिज्म में लंबित है, (ii) मंजूरी में लगने वाले समय को कम करने के लिए सिंगल विंडो फास्ट ट्रैक प्रणाली को विकसित करना, (iii) राज्य सरकारों के साथ बेहतर समन्वय करना, (iv) लंबित मुकदमेबाजी की समीक्षा करना, और (v) विलंब दूर करने के लिए आवर्ती समीक्षा करना।
- पाइपलाइन का क्षमता उपयोग: कमिटी ने कहा कि मौजूदा प्राकृतिक गैस पाइपलाइन्स का क्षमता उपयोग कम है, कई तो सिर्फ 10% से 20% ही उपयोग की जा रही हैं। इसके अतिरिक्त 10 वर्ष से ज्यादा समय से काम करने वाली पाइपलाइन्स घरेलू गैस की उपलब्धता में कमी के कारण कम काम कर रही हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि अपरंपरागत स्रोतों के दोहन और विभिन्न पाइपलाइनों को आपस में जोड़कर घरेलू उत्पादन में तेजी लाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए।
- पीएनजीआरबी का कामकाज: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस रेगुलेटरी बोर्ड (पीएनजीआरबी) को 2006 में संसद द्वारा स्थापित किया गया था। कमिटी ने कहा कि पिछले कुछ सालों से बोर्ड में कई रिक्तियां हैं। उसने सुझाव दिया कि मंत्रालय को रिक्तियों को तुरंत भरना चाहिए और रिक्तियां हों, उससे पहले ही उम्मीदवारों को चुनने की एक व्यवस्था तैयार करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि मंत्रालय को अन्य मंत्रालयों के सहयोग से पीएनजीआरबी के कामकाज को मजबूती देने के लिए नियम और रेगुलेशंस बनाने चाहिए। तेल और गैस क्षेत्र के सुरक्षा संबंधी पहलुओं के प्रवर्तन को पीएनजीआरबी के सुपरविजन और रेगुलेशन के तहत लाया जाना चाहिए। इससे ऐसा नहीं होगा कि विभिन्न एजेंसियां एक जैसा ही काम कर रही हों।
- पब्लिक लायबिलिटी इंश्योरेंस: कमिटी ने कहा कि पीएनजीआरबी रेगुलेशंस 2010 के अनुसार, शहरी गैस वितरण (सीजीडी) कंपनियों के पास ग्राहक के लिए ‘पब्लिक लायबिलिटी इंश्योरेंस पॉलिसी’ होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि ग्राहक आधार बढ़कर 76 लाख पारिवारिक इकाई हो गया है, और 4.23 करोड़ पारिवारिक इकाइयों का लक्ष्य है। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी)/कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) के ग्राहकों में इस पॉलिसी के प्रति जागरूकता को बढ़ाना, (ii) दावों के निपटान की प्रक्रिया की समीक्षा और उसका सरलीकरण, और (iii) किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाना।
- पीएनजी का कवरेज: कमिटी ने कहा कि अगर किसी खास इलाके को पीएनजी के दायरे में चिन्हित किया गया है तो भी वहां हर पारिवारिक इकाई तक पीएनजी कनेक्शन नहीं पहुंचे हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि पीएनजी के दायरे में लाने के लिए किसी जिले में पैठ का स्तर एक प्रमुख मानदंड होना चाहिए। इसके अतिरिक्त पीएनजी तक पहुंच वाली पारिवारिक इकाइयों की वास्तविक संख्या पर कवरेज को आधारित होना चाहिए। साथ ही, कमिटी ने सुझाव दिया कि पीएनजी प्रदान करने में प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जाए ताकि उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प मिल सकें और सीजीडी कंपनी पर निर्भरता को कम किया जा सके।
- सीएनजी नेटवर्क: कमिटी ने कहा कि भारत में इस समय 2,830 सीएनजी स्टेशन काम कर रहे हैं और 8,181 सीएनजी स्टेशंस स्थापित करने की योजना है। कमिटी ने कहा कि दिल्ली और मुंबई के अतिरिक्त ज्यादातर जिन शहरों में सीजीडी चालू है, वहां सीएनजी स्टेशनों की ज्यादा पहुंच नहीं है। लोगों को सीएनजी का पूरा लाभ मिले, इसलिए कमिटी ने सुझाव दिया कि सभी योजनाबद्ध सीएनजी स्टेशनो को चालू किया जाए। इसके अतिरिक्त कमिटी ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर सीएनजी उपलब्ध कराने के लिए अधिक सूक्ष्म, सक्रिय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया।
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