स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री टी.जी. वेंकटेश) ने 28 मार्च, 2022 को ‘देश में पर्यटन इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- पर्यटन पुलिस की स्थापना: कमिटी ने कहा कि देश सभी के लिए पसंदीदा पर्यटन गंतव्य (टूरिस्ट डेस्टिनेशन) रहे, इसके लिए घरेलू और विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। उसने सुझाव दिया कि प्रत्येक पर्यटन स्थल पर टूरिज्म पुलिस की स्थापना और तैनाती की जाए जोकि पुलिस बल का अलग विंग होगा। चूंकि कानून और व्यवस्था राज्य विषय है, इसलिए कमिटी ने सुझाव दिया कि गृह मामलों के मंत्रालय को राज्य सरकारों को पर्यटन पुलिस बनाने के संबंध में एडवाइजरी जारी करनी चाहिए।
- कनेक्टिविटी में सुधार: कमिटी ने कहा कि विश्व में भारतीय पर्यटन की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए सड़कों, रेलवे, बंदरगाहों और हवाई मार्गों की आपसी कनेक्टिविटी भी महत्वपूर्ण है। इसके लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए केंद्रीय सड़क कोष से वित्तपोषण में तेजी लाई जाए, (ii) बंदरगाह वाले शहरों को अपनी लॉजिस्टिक्स की कीमत को कम करना चाहिए तथा बेहतर बुनियादी ढांचे और रोजगार सृजन क्षमता को विकसित करना चाहिए, और (iii) सुदूर, धार्मिक और जलस्रोतों के निकट अनचीहे स्थानों तक हवाई संपर्क को बढ़ाने के लिए सीप्लेन सेवाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- जन सुविधाओं में सुधार: कमिटी ने कहा कि जन सुविधाएं जैसे सार्वजनिक शौचालय, पीने का पानी, स्टैंडर्ड साइनेज, सुविनर की दुकानें, और सुगमता संबंधी प्रावधान पर्यटकों के किसी गंतव्य पर जाने की संभावना बढ़ाते हैं। कमिटी ने मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह यह सुनिश्चित करे कि बिजनेस घराने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत जन सुविधाओं की स्थापना करें। उसने त्योहारों के दौरान पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हाटों के महत्व पर भी जोर किया, जो स्वदेशी कारीगरों को भी बढ़ावा देते हैं।
- ऐतिहासिक ढांचों की मरम्मत और संरक्षण: कमिटी ने ने समृद्ध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाली इमारतों के महत्व पर जोर दिया जोकि उस स्थान के चरित्र, विशिष्टता और पहचान में इजाफा करती हैं, जहां वे स्थित होती हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय को ऐसे ऐतिहासिक ढांचों की मरम्मत और संरक्षण पर व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उसने सुझाव दिया कि मंत्रालय को निजी स्वामित्व वाली, सांस्कृतिक रूप से समृद्धि इमारतों का आकलन करना चाहिए, उन्हें सूचीबद्ध और संरक्षित करना चाहिए।
- धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा: कमिटी ने कहा कि धार्मिक पर्यटन, मनोरंजन के लिए पर्यटन करने से अलग है, और धार्मिक पर्यटन के मामले में सामुदायिक भागीदारी का निर्माण करना महत्वपूर्ण है। कमिटी ने कहा कि चूंकि धार्मिक पर्यटन करने वाले लोगों की बड़ी संख्या है, इसलिए ऐसे होटलों की जरूरत है जो बजट में और किफायती हों। उसने सुझाव दिया कि ऐसे स्थानीय परिवारों को चिन्हित किया जाए जोकि होमस्टे और घऱ का बना खाना देने के इच्छुक हैं और उन्हें पर्यटकों की आवभगत करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए।
- प्रमोशन और पब्लिसिटी: कमिटी ने कहा कि किसी भी पर्यटन स्थल पर विदेशी सैलानियों को आकर्षित करने के लिए पब्लिसिटी बहुत मायने रखती है। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) म्यूजियम्स, ओपन एयर एंफीथियेटर और लाइटहाउसेज़ के पास पार्क बनाकर एजुकेटिव एलिमेंट्स को जोड़ना, (ii) अपनी वेबसाइट को आकर्षक और यूज़र फ्रेंडली बनाना, जिससे विदेशी और घरेलू पर्यटक आकर्षित हों, और (iii) मंत्रालय की वेबसाइट पर अनचीहे और कम लोकप्रिय पर्यटन स्थलों को खास तौर से दर्शाना ताकि भारतीय पर्यटन में अंतरराष्ट्रीय रुचि बढ़े। इसके अतिरिक्त कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि ट्रैवल एजेंसियों और स्थानीय व्यवसायों की मदद से रिसेप्शन/फेसिलिटेशन/सूचना केंद्रों में सुधार किया जाए।
- पर्यटन के नए रूपों को बढ़ावा देना: कमिटी ने सीपोर्ट टूरिज्म, क्रूज़ टूरिज्म और मानसून टूरिज्म की धन अर्जित करने की क्षमता पर गौर किया। उसने सुझाव दिया कि मंत्रालय को पर्यटन के इन नए रूपों को सक्रियता से बढ़ावा देना चाहिए।
- केंद्रीय एजेंसियों को सहायता: कमिटी ने कहा कि पर्यटन के बुनियादी ढांचे के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए, केंद्रीय एजेंसियों के संसाधनों, विशेषज्ञों और प्रबंधन के अनुभव को राज्य सरकारों के संसाधनों के साथ मिलाने की जरूरत है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और पोर्ट्स ट्रस्ट ऑफ इंडिया जैसी केंद्रीय एजेंसियों के पास पर्यटन के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए आवश्यक संसाधन नहीं हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि राज्य सरकारों को परिवहन के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए तंत्र विकसित करने में मंत्रालय की सहायता करनी चाहिए।
- सतत विकास: कमिटी ने सुझाव दिया कि पर्यटन स्थलों को रीन्यूएबल एनर्जी (अक्षय ऊर्जा) (जैसे सौर ऊर्जा), वेस्टवॉटर (अपशिष्ट जल) (वेस्टवॉटर रीकवरी के जरिए) और रेनवॉटर (वर्षा जल) (वर्षा जल संचयन के माध्यम से) का उपयोग करना चाहिए। कमिटी ने कहा कि इससे पर्यटन स्थलों के पर्यावरणीय प्रभाव में कमी आएगी और स्थानीय समुदायों को लाभ मिलेगा।
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।