india-map

अपने सांसद को खोजें

Switch to English
  • सांसद और विधायक
    संसद राज्य 2024 चुनाव
  • विधान मंडल
    संसद
    प्राइमर वाइटल स्टैट्स
    राज्यों
    विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
    चर्चा पत्र
  • बिल
    संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
  • बजट
    संसद राज्य चर्चा पत्र
  • नीति
    चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • करियर

अपने सांसद को खोजें

संसद राज्य 2024 चुनाव
प्राइमर वाइटल स्टैट्स
विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
चर्चा पत्र
संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
संसद राज्य चर्चा पत्र
चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी कीरिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • पर्यावरण पर खनन के प्रभाव तथा कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा उसके शमन का आकलन

नीति

  • चर्चा पत्र
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • राष्ट्रपति का अभिभाषण
  • मंथली पॉलिसी रिव्यू
  • वाइटल स्टैट्स
पीडीएफ

पर्यावरण पर खनन के प्रभाव तथा कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा उसके शमन का आकलन

कैग की रिपोर्ट का सारांश

  • भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने 11 दिसंबर, 2019 को पर्यावरण पर खनन के प्रभाव तथा कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी सहायक कंपनियों द्वारा उसके शमन के आकलन पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। यह अध्ययन 2013-14 से 2017-18 के दौरान किया गया था। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) कोयला मंत्रालय के अंतर्गत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। कैग के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: 
     
  • वायु प्रदूषण: प्रत्येक खदान के लिए पर्यावरणीय मंजूरियों में निर्दिष्ट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों को एक निश्चित संख्या में स्थापित करना था। कैग ने कहा कि सैंपल वाली 30 ऑपरेटिंग खदानों में से 12 में सिर्फ 58% मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किए गए थे। इसके अतिरिक्त जिन 28 खदानों का अध्ययन किया गया था, उनमें से 12 खदानों में निरंतर एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों का पालन नहीं किया गया था।
     
  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नेशनल एंबिएंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड्स वायु में PM10 और PM2.5 के अधिकतम कॉन्सेन्ट्रेशन लेवर्स को निर्दिष्ट करते हैं। कैग ने कहा कि 2013-18 के दौरान छह खदानों में इन प्रदूषकों का कॉन्सेन्ट्रेशन हमेशा निर्दिष्ट स्तरों से अधिक रहा।
     
  • जल प्रदूषण: कैग ने कहा कि 2013-18 के दौरान जिन 28 खदानों का अध्ययन किया गया, उनमें से आठ में प्रदूषक ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स की निर्धारित सीमा से अधिक थे। इसके अतिरिक्त कई खदानें केंद्रीय भूजल अथॉरिटी से नो ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट हासिल किए बिना अपने कामकाज के लिए भूजल का इस्तेमाल कर रही थीं।
     
  • भूमि प्रबंधन: जिन 23 खदानों का अध्ययन किया गया, उनमें से 13 में चिन्हित क्षेत्रों में टॉपसॉयल को जमाया गया और समय-समय पर उसकी जानकारी दी गई। हालांकि बुनियादी रिकॉर्ड्स से यह संकेत मिलता है कि इसकी क्वालिटी और क्षेत्र को बरकरार नहीं रखा गया। इसके अतिरिक्त एक सहायक कंपनी ने खनन वाले क्षेत्र के बायोलॉजिकल रिक्लेमेशन (बागान के जरिए भूमि का रिक्लेमेशन) के वार्षिक आंतरिक लक्ष्य को निर्धारित नहीं किया और दूसरी ने डी-कोल्ड क्षेत्र के सिर्फ एक सीमित हिस्से को बायोलॉजिकली रीक्लेम किया।
     
  • पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली: 2006 में राष्ट्रीय पर्यावरण नीति (एनईपी) तैयार की गई थी और सभी संबंधित केंद्रीय, राज्यीय और स्थानीय निकायों से अपेक्षा की गई थी कि वे एनईपी के अनुकूल पर्यावरणीय संरक्षण कार्य योजनाएं तैयार करें। हालांकि सीआईएल ने अपने मूल पर्यावरणीय नीति में संशोधन किया और 2012 में व्यापक पर्यावरणीय नीति बनाई। कैग ने कहा कि सीआईएल की सात में से छह सहायक कोयला उत्पादक कंपनियों में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा मंजूर पर्यावरण नीति लागू नहीं थी, जैसा कि मंत्रालय ने निर्देश दिया था। उसने सुझाव दिया कि कोयला क्षेत्र की सभी कंपनियों को अपने संबंधित बोर्ड्स द्वारा मंजूर पर्यावरण नीति लागू करनी चाहिए। 
     
  • पर्यावरण संरक्षण के लिए रेगुलेशंस का पालन: कैग ने कहा कि अप्रैल 1946 से जुलाई 2009 के बीच बंद होने वाली 35 खदानों के पास सीआईएल अपेक्षित माइन क्लोजर स्टेटस रिपोर्ट नहीं थी। मार्च, 2018 तक 16 इकाइयां वैध पर्यावरणीय दस्तावेज के बिना परिचालित हो रही थीं। इनमें से नौ के पास पर्यावरणीय मंजूरी नहीं थी, छह के पास परिचालन की अनुमति नहीं थी और एक के पास स्थापित होने की अनुमति तक नहीं थी। 
     
  • सीआईएल की सहायक कंपनियों के पास कोयले को जलाने से उत्पन्न होने वाली राख को डंप करने की एक समान नीति नहीं थी। एक पावर प्लांट में इस राख को खुले में फेंक दिया जाता था जोकि पर्यावरण के लिए खतरनाक था। कैग ने सुझाव दिया कि सीआईएल पर्यावरणीय स्थिरता को कायम रखने के लिए राख के उपयोग हेतु एक समान और वैज्ञानिक नीति बनाए। 
     
  • पर्यावरणीय गतिविधियों का निरीक्षण: कैग ने कहा कि हालांकि वायु और जल की क्वालिटी का हर पखवाड़े पर निरीक्षण किया जाता था, सहायक कंपनियों को यह रिपोर्ट तिमाही दी जाती थी। इसलिए प्रतिकूल रीडिंग्स को सुधारने की कोई गुंजाइश ही नहीं बचती थी। उसने सुझाव दिया कि रिपोर्टिंग की मौजूदा प्रक्रिया को स्ट्रीमलाइन करके निरीक्षण प्रणाली को मजबूत किया जा सकता है। 
     
  • कैग ने कहा कि 2013-18 से सीआईएल मुख्यालय में अधिकारियों की तैनाती स्वीकृत संख्या से अधिक थी, हालांकि खदानों में यह संख्या कम थी। सहायक कंपनियों में पर्यावरणीय गतिविधियों के लिए कर्मचारियों की तैनाती में विसंगतियां थीं। कैग ने सुझाव दिया कि सीआईएल और उसकी सहायक कंपनियों में कर्मचारियों का पुनर्गठन किया जाए।
     
  • अन्य सुझाव: कैग ने कुछ अन्य सुझाव भी दिए जैसे: (i) सहायक कंपनियों को प्रदूषण नियंत्रण उपायों से संबंधित सभी पूंजीगत कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए, और (ii) पर्यावरणीय लाभों को बढ़ाने के लिए सोलर पावर प्रॉजेक्ट्स के कार्यान्वयन में सुधार करना चाहिए।


 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

हमें फॉलो करें

Copyright © 2025    prsindia.org    All Rights Reserved.