स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- ऊर्जा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: राजीव रंजन सिंह) ने 5 अगस्त, 2021 को ‘बिजली क्षेत्र की कंपनियों को आबंटित कोयला ब्लॉक्स का विकास’ विषय पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- कोयले का आयात: कमिटी ने कहा कि प्रचुर मात्रा में कोयला भंडार होने के बावजूद भारत बड़ी मात्रा में कोयले का आयात करता है। उसने गौर किया कि आयात का एक प्रमुख कारण कोयले की बेहतर गुणवत्ता है। इसके अतिरिक्त कुछ थर्मल पावर प्लांट्स को आयातित कोयले का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जबकि कुछ अन्य को सम्मिश्रण उद्देश्यों के लिए इसकी जरूरत होती है।
- कमिटी ने सुझाव दिया कि कोयले के आयात को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाना चाहिए। ऐसा करने के लिए स्वदेशी कोयले की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त पावर प्लांट्स में बॉयलरों के डिजाइन में संशोधन करके, उन्हें स्वदेशी कोयले के अनुकूल बनाया जा सकता है।
- थर्मल पावर प्लांट्स का भविष्य: कमिटी ने कहा कि इस दशक में कोयला बिजली का मुख्य स्रोत बना रहेगा। कमिटी ने यह गौर किया कि 2029-30 तक भारत की स्थापित थर्मल पावर क्षमता में 30% की वृद्धि हो सकती है (2020-21 में 205 मेगावाट से 2029-30 तक 267 मेगावाट)। यह भी देखा गया कि फिलहाल थर्मल पावर प्लांट अपनी क्षमता के लगभग आधे पर चल रहे हैं। हालांकि भविष्य में उनका क्षमता उपयोग बढ़ाया जा सकता है जिससे कोयले की जरूरत बढ़ सकती है। उसने सुझाव दिया कि उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके थर्मल पावर प्लांट्स से उत्सर्जन को कम किया जाना चाहिए।
- कोयला ब्लॉक्स का परिचालन: कमिटी ने गौर किया कि बिजली क्षेत्र के केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को कुल 16 कोयला ब्लॉक्स आबंटित किए गए हैं। इनमें से सिर्फ पांच चालू हैं। बाकी के 11 कोयला ब्लॉक्स में से तीन को जरूरी पर्यावरणीय मंजूरी मिली है, जबकि आठ को अभी मंजूरी मिलनी बाकी है। कमिटी ने गौर किया कि कोयला ब्लॉक्स के परिचालन की धीमी रफ्तार की कई वजहें हैं, जैसे (i) कानूनी मंजूरियों में औसतन लंबा समय लगता है, (ii) भूमि अधिग्रहण में देरी, और (iii) कानून और व्यवस्था संबंधी समस्याएं।
- कमिटी ने सुझाव दिया कि आबंटियों को कोयला ब्लॉक्स को तेजी और समयबद्ध तरीके से विकसित करने के प्रयास करने चाहिए। इसके अतिरिक्त संबंधित अथॉरिटीज़ से नियमित फॉलो अप भी किया जाना चाहिए। साथ ही कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्रीय बिजली अथॉरिटी और ऊर्जा मंत्रालय को खानों के परिचालन से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए सीपीएसयूज़ को जरूरी सहायता देनी चाहिए।
- आबंटियों का मार्गदर्शन: कमिटी ने कहा कि सीपीएसयूज़ और बिजली क्षेत्र की दूसरी एंटिटीज़ को कोयला ब्लॉक्स इसलिए आबंटित किए गए थे ताकि उनकी कोयले की जरूरत पूरी हो सके और कोल इंडिया लिमिटेड पर उनकी आपूर्ति का बोझ कम हो। इन आबंटियों को कोयला खनन का कोई पूर्व अनुभव नहीं है। कमिटी ने सुझाव दिया कि कोयला मंत्रालय को इन आबंटियों का हाथ थामना चाहिए। इसके अतिरिक्त ऊर्जा और कोयला मंत्रालय को आबंटियों के लिए संयुक्त रूप से रणनीतियां और कार्यविधियां बनानी चाहिए (जैसे स्पेशल पर्पज वेहिकल) ताकि कोयला ब्लॉक्स के विकास और उपयोग के लिए आबंटियों की मदद की जा सके।
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