स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- श्रम संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: भर्तृहरि महताब) ने 3 अगस्त, 2021 को ‘बढ़ती बेरोजगारी पर कोविड-19 का प्रभाव और संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों में नौकरियों/आजीविका का नुकसान’ विषय पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षो और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- अनौपचारिक क्षेत्र में श्रमिक: कमिटी ने कहा कि भारत में 90% श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं। इन श्रमिकों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्रवासी श्रमिक, (ii) कॉन्ट्रैक्ट श्रमिक, (iii) निर्माण श्रमिक और (iv) फुटपाथी दुकानदार। कमिटी ने कहा कि मौसमी रोजगार और असंगठित क्षेत्रों में नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों की कमी के कारण महामारी में इन श्रमिकों पर सबसे बुरा असर हुआ। कमिटी ने केंद्र और राज्य सरकारों को निम्नलिखित उपाय करने का सुझाव दिया: (i) उद्यमिता के अवसरों को बढ़ावा देना, (ii) परंपरागत मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करना और औद्योगिक क्लस्टर्स को विकसित करना, (iii) सामाजिक सुरक्षा उपायों को मजबूती देना, (iv) अनौपचारिक क्षेत्र में श्रमिकों का डेटाबेस बनाए रखना, और (v) व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देना। उसने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि वह अनौपचारिक क्षेत्र में श्रमिकों के लाभ के लिए सेस फंड्स बनाने की संभावनाएं तलाशे।
- असंगठित श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस: कमिटी ने कहा कि असंगठित श्रमिकों के व्यापक राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीयूडब्ल्यू) को बनाने के काम में देरी हो रही है। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभ लेने के लिए असंगठित श्रमिकों को डेटाबेस में रजिस्टर करने की जरूरत होती है। हालांकि श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन स्वैच्छिक है, जिससे निरक्षर या अनभिज्ञ श्रमिक विभिन्न लाभों से वंचित रह सकते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्र और राज्य सरकारों को एनडीयूडब्ल्यू पोर्टल पर असंगठित श्रमिकों की रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को आसान बनाना चाहिए।
- डेटा की उपलब्धता: कमिटी ने कहा है कि महामारी के असर से निपटने के लिए सटीक और समय पर डेटा उपलब्ध होना चाहिए। उसने कहा कि कई रिपोर्ट्स समय पर जारी नहीं की गईं। जैसे पीरिऑडिक लेबर फोर्स सर्वे को 2018-19 से जारी नहीं किया गया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि डेटा समय पर जमा और जारी किया जाए।
- योजनाओं का कार्यान्वयन: कमिटी ने महामारी के दौरान श्रमिकों के लाभ के लिए शुरू की गई योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की और उनके प्रभाव को अधिक से अधिक करने के उपाय सुझाए। इन योजनाओं पर मुख्य सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एक देश एक राशन कार्ड योजना के एकीकरण के लिए चार राज्यों (दिल्ली, छत्तीसगढ़, असम और पश्चिम बंगाल) की सरकारों के साथ फॉलोअप करना, (ii) रेहड़ी पटरी वाले दुकानदारों के लिए पीएम-स्वनिधि योजना के अंतर्गत ऋण राशि को सीधे नकद अनुदान में परिवर्तित करना, (iii) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत कार्य आबंटन का विस्तार, और (iv) आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना और अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना की वैधता का विस्तार।
- इसके अतिरिक्त कमिटी ने सुझाव दिया कि योजनाओं के अंतर्गत समय पर धनराशि वितरित की जाए और जिन योजनाओं के लिए स्वैच्छिक आधार पर रजिस्ट्रेशन का प्रावधान है (जैसे प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना), उनके लिए प्रचार अभियान शुरू किए जाएं।
- स्वास्थ्य देखभाल: कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच को कानूनी अधिकार और बाध्यता बनाए।
- महिला श्रमिक: कमिटी ने कहा कि महामारी में महिला श्रमिक बड़े पैमाने पर बेरोजगार हुईं। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों से सरकारी खरीद को बढ़ाना, (ii) महिलाओं को नई तकनीक का प्रशिक्षण, (iii) महिलाओं को पूंजी उपलब्ध कराना, और (iv) बच्चों की देखभाल और उनसे संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश।
- शहरी गरीब: कमिटी ने ऐसी योजनाओं को लागू करने का सुझाव दिया जोकि शहरों में रहने वाले गरीब वर्ग को आश्रय, बिजनेस स्पेस तक पहुंच, संस्थागत ऋण और नकद अनुदान प्रदान करे। उसने यह सुझाव भी दिया कि शहरी इलाकों में रोजगार को उत्पन्न करने के लिए लोक निर्माण (जैसे स्कूल, अस्पताल और आंतरिक सड़कें) के कार्य किए जाएं।
- कैजुअल वर्कर्स (आकस्मिक मजदूरों) को काम से निकालने पर प्रतिबंध: कमिटी ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को एडवाइजरीज़ जारी की थीं कि वे खास तौर से कैजुअल वर्कर्स को काम से निकालने और उनके वेतन में कटौती पर पाबंदी लगाने की कोशिश करें। इसलिए इन उपायों का क्या असर हुआ है, उसका मूल्यांकन करने के लिए कमिटी ने आवर्ती अध्ययन करने का सुझाव दिया है। उसने यह सुझाव भी दिया कि गलत तरीके से नौकरी से बर्खास्तगी को रोकने और उससे निपटने के लिए सरकार को खुद ही कार्रवाई करनी चाहिए।
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