कैग की रिपोर्ट का सारांश
भूजल प्रबंधन और रेगुलेशन
- भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने दिसंबर 2021 में ‘भूजल प्रबंधन और रेगुलेशन’ पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट 2013-18 की अवधि के दौरान भूजल प्रबंधन और रेगुलेशन के ऑडिट प्रदर्शन के निष्कर्ष प्रस्तुत करती है। यह भूजल प्रबंधन पर योजनाओं के कार्यान्वयन का भी मूल्यांकन करती है। कैग के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- भूजल स्तर: भारत में भूजल निकासी (या निष्कर्षण) का स्तर (रिचार्ज बनाम भूजल उपयोग का अनुपात) 2004 में 58% से बढ़कर 2017 में 63% हो गया। निकासी का स्तर 13 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के राष्ट्रीय औसत से अधिक था। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में निकासी का स्तर 100% से भी ज्यादा है। यह इसका बात का संकेत है कि भूजल निकासी की मात्रा उसके रिचार्ज (दोबारा भरने) से ज्यादा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इसकी जांच नहीं की गई तो इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में भूजल संसाधन पूरी तरह से शून्य हो जाएंगे। रिपोर्ट कहती है कि 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 267 जिलों में निकासी का स्तर 64% से 385% था।
- भूजल का आकलन: केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीडीडब्ल्यूबी) को हर दो वर्षों में भूजल संसाधनों का आकलन करना होता है। कैग ने कहा कि ऑडिट अवधि के दौरान 2013 और 2017 में आकलन किए गए। बोर्ड ने 2015 में आकलन नहीं किया जिससे 2013 और 2017 के आकलनों के बीच चार वर्षो का अंतराल आ गया। कैग ने सुझाव दिया कि इन आकलनों को निर्दिष्ट अंतरालों पर किया जाना चाहिए।
- सीजीडब्ल्यूबी अपने ऑबजर्वेशन वेल्स के जरिए देश में जल स्तर का आकलन करता है। उसने मार्च 2017 तक इन कुओं को 50,000 तक करने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन मार्च 2019 तक सिर्फ 15,851 कुएं बनाए गए। कैग ने सुझाव दिया कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग को ऑबजर्वेशन वेल्स की संख्या बढ़ानी चाहिए और उनमें डिजिटल वॉटर लेवल रिकॉर्डर्स लगाने चाहिए।
- भूजल पर कानून: जल राज्य का विषय है, इसलिए भूजल के रेगुलेशन और विकास संबंधी कानून राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लागू किए जाते हैं। विभाग ने भूजल के रेगुलेशन और विकास के लिए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में भूजल (रेगुलेशन और विकास एवं प्रबंधन नियंत्रण) बिल, 2005 सर्कुलेट किया था जोकि एक मॉडल बिल था। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2019 तक 33 में से 19 राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों ने भूजल पर कानून लागू किए। इनमें से चार राज्यों में कानून सिर्फ आंशिक रूप से लागू हुआ। कैग ने सुझाव दिया कि विभाग को दूसरे राज्यों को भी इस बात के लिए तैयार करना चाहिए कि भूजल प्रबंधन के लिए कानून/रेगुलेशंस लेकर आएं।
- 2017 में मॉडल बिल की री-ड्राफ्टिंग के लिए विभाग ने एक कमिटी बनाई। हालांकि दिसंबर 2019 तक नीति आयोग के सुझावों के अनुसार बिल की समीक्षा की जा रही थी। कैग ने सुझाव दिया कि विभाग को मॉडल बिल के संशोधन में तेजी लानी चाहिए।
- भूजल रेगुलेशन: केंद्रीय भूजल अथॉरिटी (सीजीडब्ल्यूए) भूजल विकास और प्रबंधन के रेगुलेशन और नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है। यह उद्योगों और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स को भूजल निकासी के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट्स (एनओसीज़) जारी करती है। ऑडिट रिपोर्ट में पाया गया कि 2013-18 के दौरान 474 मामलों में एनओसी का रीन्यूअल होना था, लेकिन प्रस्तावकों ने रीन्यूअल के लिए आवेदन नहीं किया था। सीजीडब्ल्यूए ने इन प्रस्तावकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और एनओसी के एक्सपायर होने के बावजूद इन एंटिटीज़ ने भूजल निकासी जारी रखी। ऐसे भी कई मामले थे जहां एनओसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया था। हालांकि 2013-18 के बीच सिर्फ 99 प्रॉजेक्ट प्रस्तावकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। कैग ने सुझाव दिया कि सीजीडब्ल्यूए और राज्य एजेंसियों को दूसरी एजेंसियों के साथ प्रभावी समन्वय कायम करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो कि भूजल निकासी की अनुमति हासिल की गई है। केंद्र और राज्य एजेंसियों को पर्यावरण संरक्षण एक्ट, 1986/राज्य कानूनों/एनओसी की शर्तों के अनुपालन के नियमों के अंतर्गत दंडात्मक प्रावधान लागू करने चाहिए।
- भूजल प्रबंधन पर योजनाएं: भूजल प्रबंधन और रेगुलेशन योजना भूजल की मैपिंग और प्रबंधन के लिए एक्विफर्स (पानी से भरी चट्टानें या संरचनाएं) की एक केंद्रीय योजना थी। 2012-19 में 4,051 करोड़ रुपए के स्वीकृत परिव्यय के मुकाबले योजना का वास्तविक व्यय 1,110 करोड़ रुपए था (स्वीकृत परिव्यय का 27%)। कैग ने गौर किया कि सीमित व्यय और योजना के अंतर्गत वित्तीय लक्ष्यों को पूरा न कर पाना, इस बात का संकेत है कि प्रदर्शन त्रुटिपूर्ण था। कैग ने सुझाव दिया कि विभाग को आबंटित धन के उपयोग और योजना के अंतर्गत नियोजित गतिविधियों को पूरा करने के लिए अपनी रणनीति की समीक्षा करनी चाहिए। योजना के अंतर्गत एक्विफर मैपिंग के लिए 24.8 लाख वर्ग किमी क्षेत्र को चिन्हित किया गया था। सितंबर 2020 तक सीजीडब्ल्यूबी ने केवल 13 लाख वर्ग किमी (52%) के क्षेत्र को कवर किया। कैग ने सुझाव दिया कि विभाग को एक्विफर मैपिंग को पूरा करने के लिए एक रणनीति विकसित करनी चाहिए।
- सतत विकास लक्ष्य (एसडीजीज़): एसडीजी के अंतर्गत 2030 तक भारत को जल उपयोग दक्षता में वृद्धि करनी होगी और ताजे पानी की स्थायी निकासी और आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी। कैग ने सुझाव दिया कि विभाग को एसडीजी के अंतर्गत प्रत्येक लक्ष्य की प्रगति का आकलन करना चाहिए और संगठन को मजबूत करने के लिए सीजीडब्ल्यूबी की शक्तियों की समीक्षा करनी चाहिए।
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।