india-map

अपने सांसद को खोजें

Switch to English
  • सांसद और विधायक
    संसद राज्य 2024 चुनाव
  • विधान मंडल
    संसद
    प्राइमर वाइटल स्टैट्स
    राज्यों
    विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
    चर्चा पत्र
  • बिल
    संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
  • बजट
    संसद राज्य चर्चा पत्र
  • नीति
    चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • करियर

अपने सांसद को खोजें

संसद राज्य 2024 चुनाव
प्राइमर वाइटल स्टैट्स
विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
चर्चा पत्र
संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
संसद राज्य चर्चा पत्र
चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी कीरिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • भारतीय चमड़ा उद्योग: विश्लेषण और संभावनाएं

नीति

  • चर्चा पत्र
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • राष्ट्रपति का अभिभाषण
  • मंथली पॉलिसी रिव्यू
  • वाइटल स्टैट्स
पीडीएफ

भारतीय चमड़ा उद्योग: विश्लेषण और संभावनाएं

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • वाणिज्य से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सुश्री डोला सेन) ने 12 अगस्त, 2025 को ‘भारतीय चमड़ा उद्योग: वर्तमान विश्लेषण और भविष्य की संभावनाएं’ पर अपनी रिपोर्ट पेश की। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
  • गुणवत्तापूर्ण कच्चे माल की उपलब्धता: चमड़ा उद्योग को कच्चे चमड़े और खाल जैसे कच्चे माल की आवश्यकता होती है। कमिटी ने भारत में सुव्यवस्थित पशुपालन प्रणाली के अभाव के कारण कच्चे चमड़े और खाल की कमी और मवेशियों की खाल की खराब गुणवत्ता पर गौर किया। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) चमड़ा के संग्रहण और प्रसंस्करण के बुनियादी ढांचे में सुधार, (ii) उच्च गुणवत्ता वाले चमड़े के उत्पादन की तकनीकों और सामग्री के बारे में श्रमबल को शिक्षित करना, और (iii) आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू क्षमताओं का विकास करना।
  • चमड़ा उद्योग के लिए वित्तीय सहायता: चमड़ा और संबंधित उत्पादों को कम जीएसटी दरों और कम निर्यात शुल्क जैसी वित्तीय सहायता दी जाती है। कमिटी ने कहा कि एमएसएमई को विशिष्ट वित्तीय सहायता की जरूरत होती है। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) एमएसएमई के लिए वित्तपोषण संबंधी कमियों का आकलन करना, (ii) बड़े पैमाने पर निवेश के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना, (iii) कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान करना, और (iv) फुटवियर और चमड़ा क्षेत्र के लिए फोकस प्रोडक्ट स्कीम का तेज़ी से कार्यान्वयन। फोकस प्रोडक्ट स्कीम चमड़े की वस्तुओं के उत्पादन के लिए आवश्यक डिज़ाइन क्षमता, घटक निर्माण और मशीनरी के लिए सहायता प्रदान करती है।
  • निर्यात संवर्धन: कमिटी ने कहा कि 2023 में चमड़े, चमड़े के उत्पादों और जूते के वैश्विक आयात में भारत की हिस्सेदारी लगभग 2% थी। कमिटी ने निम्नलिखित के माध्यम से निर्यात बढ़ाने का सुझाव दिया: (i) मौजूदा मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) का लाभ उठाना, (ii) यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों के साथ एफटीए पर बातचीत करना, और (iii) भारतीय उत्पादों की दृश्यता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार आयोजनों में भागीदारी बढ़ाना।
  • अनुसंधान और विकास सुविधाएं: कमिटी ने कहा कि अनुसंधान एवं विकास सुविधाओं को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) नए डिज़ाइन और परीक्षण केंद्र स्थापित करना, (ii) चमड़ा इकाइयों और अनुसंधान संस्थानों के बीच साझेदारी बढ़ाना, (iii) उत्पाद विकास में युवा डिज़ाइनरों को शामिल करना, (iv) मौजूदा प्रशिक्षण संस्थानों की क्षमता का विस्तार करना, और (v) फैकेल्टी की भर्ती और बुनियादी ढांचे के विकास, विशेष रूप से 3डी प्रिंटिंग और ऑटोमेशन जैसी उन्नत तकनीकों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • दक्ष श्रमशक्ति को विकसित करना: कमिटी ने कहा कि विदेशी तकनीकी श्रमशक्ति पर निर्भरता ने भारतीय श्रमिकों की उत्पादकता को प्रभावित किया है। कमिटी ने कई चुनौतियों का उल्लेख किया जैसे आधुनिक तकनीकों से श्रमशक्ति का एक्सपोजर कम है, क्षमता निर्माण पर्याप्त नहीं है और प्रशिक्षण मॉडल पुराने हैं। कमिटी ने कौशल विकास में अधिक निवेश, डिज़ाइन सुधार के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग करने और क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षक-प्रशिक्षण दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया।
  • खंडित उद्योग को संगठित करने के लिए केंद्रीय पोर्टल: कमिटी ने कहा कि चमड़ा उद्योग के विखंडित स्वरूप और व्यक्तिगत इकाइयों के छोटे आकार को देखते हुए इस पर आंकड़ों का अभाव है। सरकार द्वारा शुरू की गई कौशल विकास पहलों के प्रभाव का आकलन करने की भी आवश्यकता है। कमिटी ने चमड़ा निर्यात परिषद और चमड़ा क्षेत्र कौशल परिषद के अंतर्गत केंद्रीय पोर्टल स्थापित करने का सुझाव दिया। इन पोर्टलों का उपयोग इस क्षेत्र को संगठित करने और कौशल विकास प्रशिक्षण की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए किया जाएगा।
  • हरित और स्थायी कार्य पद्धतियों का इस्तेमाल: भारतीय फुटवियर और चमड़ा विकास कार्यक्रम (आईएफएलडीपी) का उद्देश्य चमड़ा उद्योग में पर्यावरणीय चिंताओं का समाधान करना है। कमिटी ने पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों की बढ़ती मांग पर गौर किया। उसने पर्यावरण-अनुकूल मशीनरी की कमी, टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल पद्धतियों को अपनाने में धीमी गति और अपर्याप्त सीईटीपी जैसी चुनौतियों का भी उल्लेख किया। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) उपचार संयंत्रों की स्थापना, (ii) पर्यावरण अनुकूल रसायनों के उपयोग के लिए प्रोत्साहन देना, और (iii) विभिन्न देशों में प्रतिबंधित रसायनों, रंगों और प्रक्रियाओं के बारे में जागरूकता फैलाना।

 

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

हमें फॉलो करें

Copyright © 2025    prsindia.org    All Rights Reserved.