कैग की रिपोर्ट का सारांश
- भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने दिसंबर 2019 में भारतीय रेलवे की वित्तीय स्थिति पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में 2017-18 में रेलवे के वित्तीय प्रदर्शन के मूल्यांकन को प्रस्तुत किया गया है। रिपोर्ट में इस बात का विश्लेषण किया गया है कि रेलवे द्वारा यात्रियों को दी जाने वाली रियायतों का आय पर क्या असर होता है। साथ ही इन रियायतों के दुरुपयोग को रोकने के लिए निर्धारित व्यवस्था कितनी प्रभावशाली है। कैग ने निम्नलिखित निष्कर्ष और सुझाव दिए:
- व्यय की प्रवृत्तियां: 2017-18 में रेलवे का कुल व्यय 2.8 लाख करोड़ रुपए था जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 4% की बढ़ोतरी थी। इसमें 1.8 लाख करोड़ रुपए का राजस्व व्यय (64%) और एक लाख करोड़ रुपए का पूंजीगत व्यय (36%) था। 2016-17 और 2017-18 के बीच राजस्व व्यय में जहां 10% की बढ़ोतरी हुई, वहीं पूंजीगत व्यय में 6% की गिरावट हुई। रेलवे के कामकाजी खर्चे का एक बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में व्यय होता है (67%)।
- प्राप्तियों की प्रवृत्तियां: 2017-18 में रेलवे की प्राप्तियों के मुख्य स्रोतों में निम्नलिखित शामिल थे: (i) आंतरिक संसाधन (64%), (ii) अतिरिक्त बजटीय संसाधन, जैसे उधारियां और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए निवेश (20%), और (iii) केंद्र सरकार से बजटीय सहयोग (16%)। आंतरिक संसाधनों से आय में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वस्तुओं के परिवहन से आय, (ii) यात्री यातायात से आय, और (iii) विविध कमाई जिसमें इमारतों को किराए और लीज़ पर देना, केटरिंग सेवाएं, विज्ञापन और रणनीतिक लाइनों पर नुकसान की अदायगी शामिल है। 2017-18 में कुल प्राप्तियों में माल भाड़े और यात्री आय का योगदान क्रमशः 42% और 18% था।
- 2017-18 में आंतरिक संसाधनों से 1,78,930 करोड़ रुपए की प्राप्ति हुई जिसमें पिछले वर्ष के मुकाबले 8.1% की बढ़ोतरी है। इस अवधि के दौरान माल भाड़े और यात्री आय में क्रमशः 12% और 5% की वृद्धि हुई। हालांकि इसी अवधि में विविध आय में 16% की गिरावट हुई।
- राजस्व अधिशेष में गिरावट: 2017-18 में रेलवे का शुद्ध राजस्व अधिशेष 1,666 करोड़ रुपए था। 2016-17 के राजस्व अधिशेष (4,913 करोड़ रुपए) की तुलना में इसमें 66% की गिरावट थी। कैग ने कहा कि 2017-18 में रेलवे को 5,676 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा हुआ। हालांकि इसे वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 7,342 करोड़ रुपए मूल्य का अग्रिम प्राप्त हुआ था जिसे 2017-18 की आय के तौर पर जोड़ा गया था और इस प्रकार वास्तविक घाटा कम हो गया था।
- ऑपरेटिंग रेशो में वृद्धि: यातायात आय की तुलना में कामकाजी खर्चे के प्रतिशत को ऑपरेटिंग रेशो कहा जाता है। 2017-18 में ऑपरेटिंग रेशो 98.44% था जोकि पिछले 10 वर्षों में सबसे अधिक है। इसका अर्थ यह है कि रेलवे का कामकाजी प्रदर्शन बिगड़ गया है। अगर 2018-19 के अग्रिम को प्राप्तियों में न जोड़ा जाता तो 2017-18 का ऑपरेटिंग रेशो 102.66% होता।
- पूंजीगत व्यय का वित्त पोषण: 2017-18 में पूंजीगत व्यय को आंतरिक संसाधनों (3%), बजटीय सहयोग (43%) और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों (54%) से वित्त पोषित किया गया। 2014-15 में पूंजीगत व्यय को वित्त पोषित करने में आंतरिक संसाधनों का हिस्सा 26% था जिसमें 2017-18 में 3% की गिरावट हुई। रेलवे ने पांच वर्षों (2015-20) के दौरान 1.5 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजटीय संसाधन जुटाने का लक्ष्य रखा। इसमें से 2017-18 तक रेलवे 37,360 करोड़ रुपए (25%) जुटा सका। 2015-16 के बाद से तीन वर्षों में अनुमानित राशि से यह राशि कम है। इसके अतिरिक्त रेलवे 2016-17 और 2017-18 में अतिरिक्त बजटीय संसाधनों से जुटाए गए धन को पूरी तरह से खर्च नहीं कर सका।
- यात्री सेवाओं का क्रॉस-सबसिडाइजेशन: 2016-17 में यात्री और अन्य कोचिंग सेवाओं को 37,937 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, वहीं ढुलाई सेवाओं में 39,956 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ। माल भाड़े से प्राप्त लगभग 95% मुनाफे का उपयोग यात्री एवं अन्य कोचिंग सेवाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए किया गया।
- रेलवे फंड्स का विनियोग: राजस्व अधिशेष में गिरावट के कारण रेलवे द्वारा अपने आंतरिक संसाधनों से प्रबंधित विभिन्न फंड्स के विनियोग में कमी आई। 2017-18 में डेप्रिसिएशन रिजर्व फंड के लिए 5,000 करोड़ रुपए का आबंटन अनुमानित था, जबकि 1,540 करोड़ रुपए ही आवंटित किए गए (31%)। इस फंड का उपयोग करके जिन पुराने एसेट्स को बदला जाना था, उनका मूल्य 2017-18 के अंत तक 1,01,194 करोड़ रुपए अनुमानित था। उसी वर्ष, सुरक्षा फंड- राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष के लिए 5,000 करोड़ रुपए का आबंटन अनुमानित था, जिसमें से 1,100 करोड़ रुपए (22%) आबंटित किए गए।
- प्राप्तियों पर रियायतों का असर: 2015-18 के दौरान 11% यात्रियों ने विभिन्न प्रकार की रियायतों का लाभ उठाया (वरिष्ठ नागरिकों को रियायत और कर्मचारियों को प्रिविलेज पास)। ऐसी रियायतें रिजर्व्ड यात्री आय का 8% थीं। कैग ने कहा कि रेलवे ने रियायत का बोझ कम करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए। कैग ने सुझाव दिया कि रेलवे को रियायतों को युक्तिसंगत बनाना चाहिए और उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रक्रियात्मक सुधार करना चाहिए।
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