india-map

अपने सांसद को खोजें

Switch to English
  • सांसद और विधायक
    संसद राज्य 2024 चुनाव
  • विधान मंडल
    संसद
    प्राइमर वाइटल स्टैट्स
    राज्यों
    विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
    चर्चा पत्र
  • बिल
    संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
  • बजट
    संसद राज्य चर्चा पत्र
  • नीति
    चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • करियर

अपने सांसद को खोजें

संसद राज्य 2024 चुनाव
प्राइमर वाइटल स्टैट्स
विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
चर्चा पत्र
संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
संसद राज्य चर्चा पत्र
चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी कीरिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के कामकाज की समीक्षा और शिक्षक प्रशिक्षण को सहयोग देने के लिए की गई पहल

नीति

  • चर्चा पत्र
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • राष्ट्रपति का अभिभाषण
  • मंथली पॉलिसी रिव्यू
  • वाइटल स्टैट्स
पीडीएफ

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के कामकाज की समीक्षा और शिक्षक प्रशिक्षण को सहयोग देने के लिए की गई पहल

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • शिक्षा, महिला, बाल, युवा एवं खेल से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री दिग्विजय सिंह) ने 8 अगस्त, 2025 को “राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के कामकाज की समीक्षा और शिक्षकों के क्षमता निर्माण पर एनईपी 2020 के बल के मद्देनजर शिक्षक प्रशिक्षण को सहयोग देने से संबंधित पहल” पर अपनी रिपोर्ट पेश की। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • रिक्तियां: कमिटी ने कहा कि एनसीटीई में 123 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से 47% पद रिक्त हैं। देश में स्कूली शिक्षकों के लगभग 10 लाख पद रिक्त हैं। कमिटी ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डीआईईटीज़) में प्रशिक्षकों और शिक्षकों की कमी का भी उल्लेख किया। कमिटी ने कहा कि स्थायी भर्ती नीति के अभाव में रिक्तियां बढ़ रही हैं। कमिटी ने मार्च 2026 तक स्थायी भर्ती के माध्यम से इन रिक्तियों को भरने का सुझाव दिया। कमिटी ने स्कूलों में शिक्षकों की संविदा नियुक्तियों से बचने का भी सुझाव दिया।

  • एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण: राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में स्कूली शिक्षा के लिए पांच वर्षों के आधारभूत और प्रारंभिक चरणों की परिकल्पना की गई है। कमिटी ने कहा कि शिक्षक प्रशिक्षण को आधारभूत और प्रारंभिक कार्यक्रमों में विभाजित किया गया है। इसके कारण निर्बाध शिक्षण की निरंतरता में कमी आती है और शिक्षक सक्रिय स्कूली परिवेश के लिए तैयार नहीं हो पाते। कमिटी ने प्री-स्कूल से लेकर पांचवीं कक्षा तक के शिक्षकों के प्रशिक्षण को एकीकृत करने का सुझाव दिया। शिक्षकों को मल्टी-ग्रेड क्लासरूम्स के लिए तैयार करने हेतु क्रॉस-स्टेज ट्रेनिंग मॉड्यूल का लाभ उठाया जाना चाहिए। कमिटी ने शिक्षक शिक्षा के विभाजन के मुद्दे को हल करने के लिए 2025 में जारी एनसीटीई के ड्राफ्ट रेगुलेशंस की समीक्षा का भी सुझाव दिया।

  • आईटीईपी के तहत एग्जिट के विकल्प: एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (आईटीईपी) एजुकेशन में चार वर्षीय एकीकृत स्नातक डिग्री प्रोग्राम है। कमिटी ने कहा कि आईटीईपी के मौजूदा ढांचे के तहत एग्जिट के खंडित विकल्पों से अयोग्य शिक्षक उम्मीदवारों का जोखिम बढ़ता है और संसाधनों की बर्बादी होती है। कमिटी ने पहले, दूसरे और तीसरे वर्ष में एग्जिट विकल्पों को खत्म करने का सुझाव दिया।

  • आईटीईपी के लिए सरकारी वित्तपोषण: कमिटी ने कहा कि आईटीईपी पाठ्यक्रमों की प्रकृति सेल्फ-फाइनांस्ड है। ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले कई विद्यार्थी इसके लिए खर्च नहीं कर सकते। कमिटी ने आईटीईपी को सरकारी वित्तपोषण से लागू करने का सुझाव दिया।

  • डीआईईटीज़ का अपग्रेडेशन: कमिटी ने कहा कि डीआईईटीज़ में बुनियादी ढांचे और गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधनों का अभाव है। कमिटी ने इस संबंध में प्रत्येक डीआईईटी के लिए एक मूल्यांकन स्कोर विकसित करने का सुझाव दिया। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) राज्य सरकारों को डीआईईटीज़ में सुधार हेतु कार्य योजनाएं विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना, (ii) कम स्कोर वाले डीआईईटीज़ को तकनीकी सहायता प्रदान करना, (iii) लागत-आकलन का ढांचा विकसित करना, (iv) सुविधाओं के उन्नयन के लिए अतिरिक्त धनराशि आवंटित करना, और (v) प्रगति पर नज़र रखने के लिए एक रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम को लागू करना।

  • हर जिले में कम से कम एक डीआईईटी की स्थापना: कमिटी ने कहा कि देश में 780 ज़िले हैं। इनमें से केवल 613 ज़िलों में ही चालू डीआईईटी हैं। कमिटी ने प्रत्येक ज़िले में कम से कम एक डीआईईटी स्थापित करने का सुझाव दिया। कमिटी ने यह भी कहा कि 92% शिक्षक-शिक्षा संस्थान निजी हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि प्रत्येक ज़िले में कम से कम एक सरकारी शिक्षक-शिक्षा संस्थान होना चाहिए जो आईटीईपी प्रदान करता हो।

  • बी.एल.एड. कार्यक्रम जारी रखना: बी.एल.एड. प्रारंभिक शिक्षा के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने वाला चार वर्षीय प्रोग्राम है। कमिटी ने कहा कि योग्य शिक्षकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए यह प्रोग्राम जरूरी है। उसने सुझाव दिया कि बी.एल.एड. कार्यक्रम जारी रहना चाहिए। उसने एनसीटीई को इस प्रोग्राम के पाठ्यक्रम को अपग्रेड करने और अधिक संस्थानों को इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया।

  • प्राथमिक शिक्षा में शिक्षकों के लिए न्यूनतम क्वालिफिकेशन: कमिटी ने तीन वर्ष के बच्चे को पढ़ाने के लिए शिक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की पात्रता के मानदंडों में अंतर पर गौर किया। कमिटी ने सुझाव दिया कि न्यूनतम क्वालिफिकेशन 12वीं कक्षा के साथ दो वर्षीय डिप्लोमा डिग्री होनी चाहिए।

  • यूजीसी के मानक: कमिटी ने सुझाव दिया कि एनसीटीई को दिशानिर्देश, क्रेडिट ढांचे प्रदान करने और विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रम तैयार करने की अनुमति देने के यूजीसी के दृष्टिकोण का पालन करना चाहिए। एनसीटीई के अनुसार, एक सेमेस्टर में कार्य दिवसों की संख्या 125 दिन होनी चाहिए। कमिटी ने कहा कि यह यूजीसी के मानकों (प्रति सेमेस्टर 14-15 सप्ताह) के विपरीत है। कमिटी ने सुझाव दिया कि एनसीटीई सेमेस्टर की अवधि को मानकीकृत करने के लिए यूजीसी के साथ सहयोग करे।

 

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

हमें फॉलो करें

Copyright © 2025    prsindia.org    All Rights Reserved.