स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री भुवनेश्वर कलिता) ने 9 फरवरी, 2024 को 'राष्ट्रीय आयुष मिशन की समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट पेश की। आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए 2014 में राष्ट्रीय आयुष मिशन को शुरू किया गया था। यह मिशन आयुष से संबंधित अनुसंधान, शिक्षा, दवाओं की गुणवत्ता और इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने और उनमें सुधार करने पर केंद्रित है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- धनराशि का उपयोग: कमिटी ने कहा कि योजना के तहत धन का उपयोग कम किया गया। उदाहरण के लिए, 2022-23 में संशोधित चरण की 85% धनराशि का उपयोग किया गया। कमिटी ने आयुष मंत्रालय को धन के पूरे उपयोग की दिशा में काम करने का सुझाव दिया।
- मिशन का कार्यान्वयन: कमिटी ने कहा कि मिशन के तहत स्वीकृत 69% से अधिक एकीकृत आयुष अस्पताल अब भी निर्माणाधीन हैं। इसके अलावा केवल 65% आयुष हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स बनाए गए हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि मिशन को 2024-25 से आगे पांच साल तक बढ़ाया जाए। उसने यह सुझाव भी दिया कि हिमालयी क्षेत्रों में प्रचलित चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली सोवा-रिग्पा को मिशन में शामिल किया जाना चाहिए।
- देरी और चुनौतियां: कमिटी ने कहा कि मिशन के कार्यान्वयन में देरी मुख्य रूप से निम्न कारणों से होती है: (i) धन का देर से आवंटन, (ii) कई संस्थाओं का एक तरह के काम करना, और (iii) उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा करने में देरी। इन चुनौतियों को दूर करने के लिए कमिटी ने राज्य की कार्य योजनाओं में बजट लाइन आइटम की संख्या को कम करने और विभिन्न संस्थाओं की भूमिकाओं को स्पष्ट करने का सुझाव दिया। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि: (i) परियोजनाओं को प्रभावी ढंग से चलाने के लिए मौजूदा कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाए, (ii) आयुष हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स के लिए विशिष्ट कार्य योजना बनाई जाए, (iii) बेहतर कार्यान्वयन के लिए राज्यों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाए, और (iv) तकनीक के जरिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जाए।
- अनुसंधान और विकास: मिशन में आयुष हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स का निर्माण, मौजूदा स्वास्थ्य केंद्रों में आयुष इकाइयों की स्थापना और आयुष अस्पतालों की स्थापना जैसे प्रमुख घटक शामिल हैं। इसमें वे क्षेत्र भी शामिल हैं जिन पर राज्य लचीले ढंग से धन खर्च कर सकते हैं। इनमें टेलीमेडिसिन, आयुष के माध्यम से खेल चिकित्सा और क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण शामिल हैं। कमिटी ने कहा कि अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना मिशन का एक घटक होना चाहिए, साथ ही एक ऐसा क्षेत्र भी होना चाहिए जिसके लिए राज्य उदारता से धन आवंटित कर सकें।
- कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि बड़े पैमाने पर महामारी विज्ञान का अध्ययन करने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों से मरीजों के निदान, उपचार और परिणाम संबंधी आंकड़ों का उपयोग किया जा सकता है। इसमें मदद के लिए कमिटी ने कई सुझाव दिए जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना, आयुष प्रैक्टीशनर्स को अनुसंधान कौशल में प्रशिक्षत करना और डेटा कलेक्शन का मानकीकरण।
- आयुष दवाओं की गुणवत्ता: कमिटी ने आयुष दवाओं में हाई मेटल कंटेंट पर चिंता जताई। उसने मंत्रालय को निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) आयुष दवाओं की सुरक्षा और प्रभाव को ट्रैक करने के लिए उनकी पोस्ट-मार्केटिंग निगरानी की जाए, (ii) अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के साथ आयुष दवाओं के मानकों को सुसंगत बनाया जाए, और (iii) आयुष दवाओं से संबंधित प्रतिकूल घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए सिस्टम विकसित किया जाए।
- आयुष को प्रोत्साहन: कमिटी ने पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए चीन, दक्षिण कोरिया और अफ्रीका के विभिन्न प्रयासों का अध्ययन किया। कमिटी ने सुझाव दिया कि चिकित्सा शिक्षा और स्कूली पाठ्यक्रम में आयुष प्रणालियों को शामिल करके आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा को एकीकृत किया जा सकता है। कमिटी के अनुसार, निजी बीमा कंपनियों को इस बात के लिए तैयार किया जाए कि वे आयुष उपचार को कवर करें और दूसरे देशों की सरकारें आयुष प्रणालियों को मान्यता दें। उसने सरकार को आयुष से संबंधित परामर्श दरों को रेगुलेट करने का भी सुझाव दिया।
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