स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
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पब्लिक एकाउंट्स कमिटी (चेयर: अधीर रंजन चौधरी) ने ‘सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजीज़) के कार्यान्वयन की तैयारी’ विषय पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने 17 एसडीजीज़ को लक्ष्यों के तौर पर मंजूर किया था जिन्हें 2030 तक हासिल करना था। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) गरीबी खत्म करना, (ii) भुखमरी खत्म करना, और (iii) अच्छी शिक्षा। कमिटी की रिपोर्ट नीति आयोग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय पर भारतीय नियंत्रण और महालेखा परीक्षक (कैग) की 2019 की ऑडिट रिपोर्ट पर आधारित है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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एसडीजीज़ का कार्यान्वयन: एसडीजीज़ के समन्वय और उसके समूचे कार्यान्वयन के लिए नीति आयोग जिम्मेदार है जिसमें राष्ट्रीय लक्ष्यों को चिन्हित करना और उन्हें मंत्रालयों एवं विभागों के सुपुर्द करना शामिल है। कमिटी ने एसडीजीज़ के कार्यान्वयन की तैयारी में कुछ कमियों का उल्लेख किया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ऑडिट के समय एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए माइलस्टोन्स के साथ निश्चित रोडमैप की कमी, (ii) रणनीति और कार्य योजना पर 15 वर्षीय विजन डॉक्यूमेंट जारी न कर पाना, और (iii) ऑडिट किए गए सात में से पांच राज्यों द्वारा कार्यान्वयन के लिए मुख्य योजनाओं की मैपिंग न करना। कमिटी ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह एसडीजीज़ के कार्यान्वयन में नीति आयोग की भूमिका को अधिक स्पष्ट करे।
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जागरूकता: कमिटी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने जागरूकता लाने की बात कही है। उसने सुझाव दिया कि शिक्षण संस्थानों और युवा संगठनों को एसडीजी संबंधी कार्यक्रमों के बारे में जागरूक किया जाए। स्वास्थ्य संबंधी एसडीजी के मामले में कमिटी ने सुझाव दिया कि जागरूकता लाने और लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए संसद, विधानमंडलों सदस्यों और स्थानीय सरकार को शामिल किया जाए।
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बजटिंग: कमिटी ने कहा कि ऑडिटेड राज्य सरकारों और केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एसडीजी को लागू करने के लिए जरूरी वित्तीय संसाधनों का मूल्यांकन और उन्हें चिन्हित करने के लिए कोई पहल नहीं की। कमिटी ने कहा कि राष्ट्रीय बजटिंग में एसडीजी को एकीकृत करने के लिए कदम उठाए जाएं।
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नेशनल इंडिकेटर फ्रेमवर्क: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय एसडीजीज़ की प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए नेशनल इंडिकेटर फ्रेमवर्क (एनआईएफ) बनाने हेतु जिम्मेदार है। यह सुनिश्चित करता है कि राज्य सरकारों में एसडीजीज़ की निगरानी और उन्हें लागू करने की पर्याप्त क्षमता है। कमिटी ने कहा कि एनआईएफ को 2018 में अंतिम रूप दिया गया था, जिससे बेसलाइन डेटा तैयार और समयावधि निर्धारित करने में देरी हुई। कमिटी ने यह भी कहा कि मुख्य संकेतकों के लिए डेटा जमा नहीं किया गया जिससे समयबद्धता का पालन करने के लिए रोडमैप बनाने में देरी हो सकती है।
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स्वास्थ्य संबंधी लक्ष्यों के लिए रूपरेखाओं का एकीकरण: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ‘अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण’ के एसडीजी को पूरा करने के लिए जिम्मेदार है। कमिटी ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य सरकारों के साथ समन्वय के लिए जो वर्किंग ग्रुप बनाया था, उसने कोई बैठक नहीं की। उसने सुझाव दिया कि मंत्रालयों के बीच, और केंद्र एवं राज्यों सरकारों के बीच समन्वय सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
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सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय: कमिटी ने कहा कि भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आबंटन जीडीपी के 2.5% से भी कम है जैसा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में सुझाव दिया गया है। उसने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च को बढ़ाने से यह सुनिश्चित होगा कि स्वास्थ्य संबंधी एसडीजी पूरे होते हैं।
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सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र: कमिटी ने कहा कि भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या काफी कम है। उसने कहा कि सरकार आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 2022 तक 1.5 लाख उप, प्राथमिक और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और वेलनेस केंद्रों का रूप बदलना चाहती है। उसने सुझाव दिया कि प्रत्येक वेलनेस केंद्र में कम से कम एक एलोपैथिक डॉक्टर और अर्धचिकित्सा कर्मी की तैनाती की जानी चाहिए ताकि सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाया जा सके।
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निजी क्षेत्र की भागीदारी: नीति आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए स्टेकहोल्डर्स की बैठक करता है कि कार्यान्वयन सतत और समावेशी हो। कमिटी ने गौर किया कि: (i) आउटकम्स को अंतिम रूप देने और पब्लिक डोमेन्स में रिपोर्ट पेश करने में लगातार देरी होती है, (ii) आउटकम्स को चिन्हित नहीं किया जाता और समयबद्ध कार्रवाई करने का सुझाव नहीं दिया जाता, और (iii) स्टेकहोल्डर्स से फीडबैक मांगने की व्यवस्था नहीं है। उसने यह भी कहा कि निजी क्षेत्र को एसडीजीज़ को लागू करने में मुख्य स्टेकहोल्डर बनाया जाए। कमिटी ने तकनीकी हस्तांतरण, पब्लिक गुड्स के निर्माण और नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन में उसकी भूमिका का विशेष रूप से उल्लेख किया। कमिटी ने सुझाव दिया कि एसडीजीज़ के कार्यान्वयन में व्यवसायों की भागीदारी के लिए विस्तृत दिशानिर्देश तैयार किए जाएं।