स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: पी. चिंदबरम) ने 12 दिसंबर, 2018 को ‘सीमा प्रहरी बलों के कार्य करने की स्थितियां’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। इन बलों में असम राइफल्स (जो भारत-म्यांमार सीमा की रक्षा करते हैं), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ, जो भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमाओं की रक्षा करते हैं), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी, जोकि भारत-चीन सीमा की रक्षा करते हैं) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी जो भारत-भूटान और भारत-नेपाल सीमाओं की रक्षा करते हैं) शामिल हैं। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं:
- भर्ती: कमिटी ने कहा कि विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफज़) में रिक्तियां हैं। उदाहरण के लिए 2018 में एसएसबी में सब-इंस्पेक्टर के स्तर पर 206 रिक्तियां थीं। कमिटी ने कहा कि इन बलों में संभावित रिक्तियों के बारे में न तो पहले से सोचा जाता है, न योजना बनाई जाती है और न ही सक्रिय रूप से उनका आकलन किया जाता है। यह सुझाव दिया गया कि गृह मामलों के मंत्रालय (एमएचए) को सक्रियता से रिक्तियों को चिन्हित करने की संभावना तलाशनी चाहिए और भर्ती करने वाली एजेंसियों को उनकी सूचना देनी चाहिए।
- पदोन्नतियां: कमिटी ने कहा कि सीएपीएफज़ में पदोन्नतियां रुकी हुई हैं। यह कहा गया कि आईटीबीपी में कॉन्स्टेबल को हेड कॉन्स्टेबल के पद पर पहुंचने में 12-13 वर्ष लगते हैं, जबकि अपेक्षित अवधि पांच वर्ष है। कमिटी ने सुझाव दिया कि पदोन्नतियों में लगने वाले समय को कम करने के उपाय किए जाने चाहिए ताकि कर्मियों के मनोबल को बढ़ाया जा सके।
- इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि असम राइफल्स और आईटीबीपी की कैडर समीक्षा लंबे समय से रुकी हुई है और आईटीबीपी और एसएसबी के मामले में कुछ खास रैंक्स पर ही कैडर समीक्षा की गई है। कमिटी ने कहा कि सीमा प्रहरी बलों की संगठनात्मक संरचना को बरकरार रखने के लिए उनकी कैडर समीक्षा अनिवार्य है। कमिटी ने सुझाव दिया कि इन बलों की कैडर समीक्षा में तेजी लाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
- सीएपीएफज़ में डेपुटेशन: कमिटी ने कहा कि सीएपीएफज़ में आईपीएस अधिकारियों के लिए एक निश्चित कोटा है। कमिटी ने कहा कि सीएपीएफ के काम की प्रकृति पुलिस बलों की बजाय सशस्त्र सेनाओं से मिलती-जुलती है। इस संबंध में कमिटी ने सुझाव दिया कि गृह मंत्रालय को रक्षा मंत्रालय की सलाह से सीएपीएफज़ में सशस्त्र सैन्यकमियों की अल्पकालिक भर्ती की संभावनाएं तलाशनी चाहिए।
- बिजली आपूर्ति: कमिटी ने कहा कि सीमा चौकियों (बॉर्डर आउट पोस्ट्स-बीओपी) के कई इंस्टॉलेशंस, खास तौर से जहां एसएसबी और आईटीबीपी कर्मी तैनात हैं, में बिजली की किल्लत होती है। इससे कर्मचारियों और सीएपीएफज़ का कामकाज प्रभावित होता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि गृह मंत्रालय को सीमा चौकियों की बिजली सुरक्षा के अध्ययन के लिए एक कार्यदल का गठन करना चाहिए।
- सड़क से कनेक्टिविटी और आवाजाही: कमिटी ने कहा कि असम राइफल्स के कर्मी सुदूर क्षेत्रों में तैनात होते हैं और इसीलिए उनके कामकाज में सुधार के लिए बारहमासी सड़कें आवश्यक हैं। इसी प्रकार यह कहा गया कि जिन क्षेत्रों में बीएसएफ तैनात है, उन क्षेत्रों में 4,210 किलोमीटर सड़कों के निर्माण की जरूरत है। कमिटी ने सुझाव दिया कि एक निश्चित समय सीमा में इन सभी प्रॉजेक्ट्स पर विचार किया जाना चाहिए और उनकी मंजूरी पर जल्द फैसला लेना चाहिए ताकि जमीनी स्तर पर निर्माण कार्य बिना विलंब किए शुरू किया जा सके।
- इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि आईटीबीपी कर्मियों का जल्द किसी स्थान पर पहुंचना, कूटनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस संबंध में कमिटी ने कहा कि विशेष वाहनों की खरीद के प्रस्ताव पर बिना विलंब फैसला किया जाना चाहिए और एक निश्चित समय सीमा में खरीद भी की जानी चाहिए।
- असम राइफल्स का संयोजन: कमिटी ने कहा कि असम राइफल्स में 80 प्रतिशत कर्मी भारतीय सेना के हैं और असम राइफल्स के अपने कर्मियों की संख्या 20% ही है। इस विषमता पर कमिटी ने सुझाव दिया कि असम राइफ्स के कैडर को बढ़ाने पर जल्द से जल्द विचार किया जाना चाहिए ताकि भारतीय सेना और असम राइफ्स के कैडर के अधिकारियों के बीच संतुलन कायम हो।
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