स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
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शिक्षा, महिला, बच्चों, युवा एवं खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: विनय सहस्रबुद्धे) ने 30 नवंबर, 2021 को स्कूली पाठ्यपुस्तकों के कंटेंट और डिजाइन में सुधार पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्न शामिल हैं:
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पाठ्यपुस्तकों की गुणवत्ता: पाठ्यपुस्तकों का उपयोग शिक्षकों द्वारा शिक्षण सामग्री के रूप में और विद्यार्थियों द्वारा स्वशिक्षा के स्रोत के रूप में किया जाता है। इसलिए उत्तम पाठ्यपुस्तकों को विकसित करना महत्वपूर्ण हो जाता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि पाठ्यपुस्तकों की विषयवस्तु (कंटेंट) का निर्माण करते समय अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं ली जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त विषयवस्तु, ग्राफिक्स और लेआउट के अनिवार्य मानदंडों और शैक्षणिक दृष्टिकोण को विकसित किया जाना चाहिए। कमिटी ने कहा कि अधिक बाल सुलभ पाठ्यपुस्तकों की जरूरत है। उसने तस्वीरों, ग्राफिक्स और ऑडियो-विजुअल सामग्री के इस्तेमाल का सुझाव दिया।
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कमिटी ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकें संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज सभी भाषाओं में छापी जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त स्थानीय भाषाओं (जो आठवीं अनुसूची का हिस्सा नहीं हैं) में पाठ्यपुस्तकों को तैयार करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
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पाठ्यक्रमों को अपडेट करना: कमिटी ने सुझाव दिया कि शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी को एक आंतरिक कमिटी बनानी चाहिए। यह कमिटी पाठ्यपुस्तकों के पाठ्यक्रमों को अपडेट करने के लिए शिक्षकों, विद्यार्थियों और संस्थानों से प्राप्त सुझावों की जांच करेगी। इसके अतिरिक्त उसने मंत्रालय से कहा कि उसे हर कक्षा के लिए एक कॉमन सिलेबस तैयार करने की संभावना पर विचार करना चाहिए जिसे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (सीआईसीएसई), और राज्य शिक्षा बोर्ड लागू करें।
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पाठ्यपुस्तकों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व: स्कूली पाठ्यपुस्तकों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है और उन्हें परंपरागत एवं वॉलंटरी भूमिकाओं में दर्शाया जाता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि एनसीईआरटी को निम्नलिखित प्रयास करने चाहिए: (i) पाठ्यपुस्तकों को जेंडर इन्क्लूसिव बनाना चाहिए, (ii) उभरते हुए पेशों में महिलाओं को चित्रित करना चाहिए, और (iii) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका को पर्याप्त रूप से दर्शाना चाहिए।
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इतिहास का चित्रण: कमिटी ने कहा कि इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में कई ऐतिहासिक शख्सियतों और स्वतंत्रता सेनानियों को गलत तरीके से अपराधियों के रूप में चित्रित किया गया है। इसके अतिरिक्त यह कहा गया कि इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में विभिन्न अवधियों और राजवंशों का असमान प्रतिनिधित्व है। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) कुछ विवरणों को शामिल करने के लिए इतिहास की पाठ्यपुस्तकों को अपडेट करना (जैसे कि 1947 के बाद का इतिहास और विश्व इतिहास), (ii) विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के स्वतंत्रता सेनानियों के चित्रण की समीक्षा करना, और (iii) इतिहास की बेहतर शिक्षा के लिए नई तकनीकों को अपनाना। इसके अतिरिक्त कमिटी ने सुझाव दिया कि एनसीईआरटी को इतिहास की पाठ्यपुस्तकों को लिखने के दिशनिर्देशों पर फिर से विचार करना चाहिए। विशेष रूप से सप्लीमेंटरी रीडिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली पुस्तकों (सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रकाशित पुस्तकों के अतिरिक्त), इतिहास की पुस्तकों सहित सभी पुस्तकों को एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों की विषयवस्तु और संरचना के अनुरूप होना चाहिए और इसकी निगरानी के लिए एक तंत्र विकसित किया जाना चाहिए।
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मादक पदार्थों और इंटरनेट की लत: कमिटी ने कहा कि सभी वर्गों में मादक पदार्थों की लत देखी जा रही है और देश के सामाजिक-आर्थिक ढांचे पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कमिटी ने सुझाव दिया कि पाठ्यपुस्तकों में: (i) मादक पदार्थों की लत के प्रतिकूल प्रभावों को उजागर किया जाना चाहिए, और (ii) इंटरनेट की लत और समाज के लिए हानिकारक अन्य पहलुओं के खिलाफ जागरूकता फैलाने वाले अलग-अलग तत्व शामिल होने चाहिए।
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पाठ्यपुस्तकों की घटती संख्या: महाराष्ट्र स्टेट ब्यूरो ऑफ टेक्स्टबुक प्रोडक्शन एंड करिकुलम रिसर्च की पहल, जिसे एकात्मिक पाठ पुस्तक (2018-19) के नाम से जाना जाता है, ने स्कूल बैग को हल्का करने के उद्देश्य से कक्षा एक के विद्यार्थियों के लिए कई विषयों की एक ही किताब तैयार की। यह पहल शिक्षा मंत्रालय द्वारा स्कूल बैग नीति के अनुरूप है। इस नीति में कहा गया है कि विद्यार्थियों को कम संख्या में किताबें स्कूल ले जानी पड़ें, इसके लिए एक या दो विषयों को पढ़ाने का समय बढ़ाया जा सकता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि अन्य राज्यों को भी ऐसे तरीके अपनाने चाहिए।
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