स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
-
कोयला, खान एवं स्टील से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री अनुराग सिंह ठाकुर) ने 4 अगस्त, 2025 को ‘स्टील स्क्रैप रीसाइकिलिंग नीति’ पर अपनी रिपोर्ट पेश की। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
-
स्टील स्क्रैप क्षेत्र को उद्योग का दर्जा: कमिटी ने कहा कि अगर स्टील स्क्रैप क्षेत्र को उद्योग का दर्जा मिलता है तो इसके संगठित क्षेत्र में पदार्पण को बढ़ावा मिलेगा। कमिटी ने कहा कि इससे निवेश आकर्षित करने, रोजगार सृजन, कौशल विकास और प्रशिक्षण जैसे लाभ होंगे। कमिटी ने कहा कि उद्योग का दर्जा मिलने से उद्यमियों को स्क्रैप कलेक्शन और डिस्मैंटलिंग सेंटर्स बनाने के लिए बैंक ऋण लेने में भी मदद मिलेगी।
-
स्क्रैप मैटीरियल की सीमित उपलब्धता: कमिटी ने कहा कि स्क्रैप की उपलब्धता कम है, जिसकी वजह से स्क्रैप-आधारित विधियों के जरिए स्टील उत्पादन को बढ़ाना मुश्किल होता है। कमिटी ने अनौपचारिक स्क्रैप बाजारों को औपचारिक बनाने और कबाड़ीवालों तथा स्क्रैप डीलरों को सहकारी समितियों में संगठित करने का सुझाव दिया ताकि आपूर्ति में सुधार हो और आर्थिक एवं सामाजिक लाभ प्राप्त हो सकें। उसने यह सुझाव भी दिया कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास ऐसे बहुत से वाहन हैं, जिनका इस्तेमाल नहीं होता, जैसे अपराध, दुर्घटना या चोरी में शामिल वाहन। इन्हें डिस्मैंटल किया जाए ताकि स्क्रैप की उपलब्धता बढ़े।
-
दक्षता: यह सुझाव भी दिया गया कि राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन स्क्रैप हैंडलिंग पर सर्टिफिकेशन कोर्स शुरू करे, जिनमें कलेक्शन, सेग्रेगेशन, सॉर्टिंग, रिफाइनिंग, प्रोसेसिंग और डिस्पोज़ल शामिल हों।
-
डीकार्बनाइजेशन की जरूरत: कमिटी ने कहा कि भारत के कुल उत्सर्जन में स्टील उद्योग का हिस्सा 12% है। प्रति टन कच्चे स्टील की औसत उत्सर्जन तीव्रता 2.5 टन CO₂ है जो यूरोप (1.1), अमेरिका (0.8), रूस (1.7), चीन (2) और जापान (1.6) जैसे देशों से अधिक है। कमिटी ने सुझाव दिया कि इस क्षेत्र की उत्सर्जन तीव्रता को कम करने के लिए स्क्रैप-आधारित उत्पादन को बढ़ाया जाए। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) मंत्रालय द्वारा सार्वजनिक खरीद में स्क्रैप-आधारित स्टील को अस्थायी रूप से प्राथमिकता दी जाए और (ii) स्टील उत्पादन की कुल लागत में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के प्रभाव को शामिल किया जाए।
-
स्टील स्क्रैप क्षेत्र से संबंधित डेटा: कमिटी ने कहा कि स्टील स्क्रैप क्षेत्र में केंद्रीकृत डेटाबेस का अभाव है। उसने कहा कि स्टील स्क्रैप रीसाइकिलिंग नीति, 2019 को ऐसे प्राथमिक डेटा के बिना ही लागू और मॉनिटर किया जा रहा है। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) विभिन्न क्षेत्रों में स्टील स्क्रैप के उत्पादन और उपयोग पर नज़र रखने के लिए एक वेब पोर्टल बनाना, और (ii) स्क्रैप उत्पादन, उपयोग, आयात और निर्यात से संबंधित डेटा जमा, संकलित और प्रसारित करने के लिए स्टील मंत्रालय को नोडल एजेंसी नियुक्त करना।
-
जागरूकता के लिए अभियान: कमिटी ने कहा कि घरों में आमतौर पर पुरानी या इस्तेमाल न होने वाली उपभोक्ता वस्तुओं का निस्तारण असंगठित कबाड़ीवालों के जरिए किया जाता है, जो कबाड़ के पुर्जों को हाथ से तोड़कर अलग करते हैं। कमिटी ने कहा कि ये पद्धतियां महंगी, असुरक्षित और पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकती हैं। उसने संगठित स्क्रैप रीसाइकिलिंग में जन भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाने का सुझाव दिया।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।