विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पॉलिसी ब्रीफ
अक्षय ऊर्जा
जलवायु परिवर्तन को रोकने के प्रयासों के लिए अक्षय ऊर्जा तकनीकों को अपनाना महत्वपूर्ण है। सौर और पवन ऊर्जा दो मुख्य अक्षय ऊर्जा विकल्पों के रूप में उभरे हैं। इस नोट में भारतीय संदर्भ में सौर और पवन ऊर्जा को अपनाने की इंजीनियरिंग, लागत, और नीतिगत चुनौतियों पर चर्चा की गई है। |
सारांश
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पृष्ठभूमि
2021-22 में भारत की 95% ऊर्जा आपूर्ति का स्रोत जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) था; इसमें कोयला, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस शामिल हैं (रेखाचित्र 1)।[1] ग्रीन हाउस उत्सर्जन में जीवाश्म ईंधन का सबसे अधिक योगदान है (विश्व स्तर पर ~75%), जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है।[2],[3] इसलिए जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए यह सबसे जरूरी है कि स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाया जाए।[4] इस संक्रमण की परिकल्पना दो तरह से की गई है: (i) बिजली उत्पादन के लिए गैर-जीवाश्म ईंधन का उपयोग, और (ii) अंतिम उपभोग के लिए बिजली का उपयोग।[5] 2021-22 में उपभोग की गई लगभग 21% ऊर्जा बिजली के रूप में थी; 75% बिजली कोयले से उत्पादित की गई थी।1
रेखाचित्र 1: 2021-22 में भारत में ऊर्जा मिश्रण
स्रोत: भारत ऊर्जा सांख्यिकी 2023, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय[SS1] ; पीआरएस।
गैर-जीवाश्म स्रोतों में सौर और पवन ऊर्जा प्रमुख विकल्प बनकर उभरे हैं। ये स्त्रोत अक्षय हैं एवं इनसे कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है। हालांकि इनकी प्रकृति अनिरंतर है जिससे ग्रिड संतुलन में जटिलता बढ़ जाती है और बैकअप क्षमता के लिए अतिरिक्त लागत का वहन करना पड़ता है।[6] इसका बिजली की विश्वसनीयता, उपलब्धता और किफायतीपन पर असर होता है।
बिजली उत्पादन की तकनीक
आम तौर पर बिजली उत्पादन तीन प्रकार से होता है: (i) टर्बाइन को जनरेटर कॉइल से जोड़कर, जो बिजली उत्पन्न करने के लिए चुंबकीय क्षेत्र के अंदर घूमता है, (ii) सेमीकंडक्टर सामग्री पर प्रकाश को डालकर (जैसे सौर ऊर्जा), और (iii) रासायनिक ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करते हुए (जैसे बैटरी)।[7],[8] टर्बाइन्स को निम्नलिखित का इस्तेमाल करके चलाया जा सकता है: (i) दाबयुक्त भाप, जिसे कोयले, प्राकृतिक गैस या परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल करते हुए पानी को गर्म करके बनाया जाता है, (ii) जलविद्युत और ज्वारीय ऊर्जा के मामले में जल के प्रवाह से, और (iii) पवन ऊर्जा के मामले में वायु प्रवाह।
तालिका 1 : बिजली के मुख्य स्रोत- लाभ और नुकसान[9]
स्रोत |
लाभ |
नुकसान |
जीवाश्म ईंधन |
मांग पर उपलब्ध |
उत्सर्जन, सीमित संसाधन |
परमाणु |
मांग पर उपलब्ध, स्वच्छ |
सुरक्षा संबंधी चिंताएं, ईंधन की उपलब्धता, अपशिष्ट निस्तारण |
सौर/पवन |
अक्षय, स्वच्छ |
मांग पर हमेशा उपलब्ध नहीं, सौर पैनल के अपशिष्ट का निस्तारण |
जल |
अक्षय, स्वच्छ, मांग पर उपलब्ध |
पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल प्रभाव, लोगों का विस्थापन |
स्रोत: डॉ. अरमारोली, एन., और अन्य। (2010); पीआरएस।
बिजली से उत्सर्जन[SS2]
सौर और पवन ऊर्जा से होने वाला कुल उत्सर्जन कोयले की तुलना में लगभग 20 गुना कम होने का अनुमान है (तालिका 2)।[10],[11],[12] जबकि सौर और पवन स्रोत ऊर्जा उत्पादन के दौरान ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करते, संबंधित मैन्यूफैक्चरिंग एवं लॉजिस्टिक्स प्रक्रियाओं से ऐसे उत्सर्जन होते हैं।[13] कुल उत्सर्जन में इन सभी उत्सर्जनों को शामिल किया जाता है।
तालिका 2: बिजली से कुल ग्रीनहाउस उत्सर्जन (gCO2 equivalent per kWh)[14]
स्रोत |
उत्सर्जन की सीमा |
कोयला |
753-1095 |
सीसीएस* के साथ कोयला |
149-470 |
प्राकृतिक गैस |
403-513 |
सीसीएस* के साथ प्राक़ृतिक गैस |
92-221 |
जल^ |
6-147 |
सौर |
7-83 |
पवन |
8-23 |
परमाणु |
5-6 |
बैटरी स्टोरेज |
18-82 |
नोट: *सीसीएस: कार्बन कैप्चर और स्टोरेज सॉल्यूशंस। ^पनबिजली में स्थान विशिष्टता और जलाशयों के तलछट से बायोजेनिक उत्सर्जन में भिन्नताएं अधिक होती है।
स्रोत: कार्बन न्यूट्रिलिटी इन यूएनईसीई रीजन; यूरोप के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग, मार्च 2022; लाइफसाइकिल ग्रीनहाउस गैस एमिशंस फ्रॉम इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन अपडेट; यूएसए की नेशनल रीन्यूएबल एनर्जी लेबोरेट्री, सितंबर 2021; पीआरएस।
अक्षय ऊर्जा में वृद्धि से संबंधित चुनौतियां
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण का आकलन है कि कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता का बड़ाहिस्सा सौर और पवन स्रोतों से आएगा।6 2031-32 तक कुल स्थापित क्षमता में सौर और पवन क्षमता की हिस्सेदारी 42% और 14% होने का अनुमान है (तालिका 3)।6,[15] कुल उत्पादन का 35% इन दो स्रोतों से पूरा होने की उम्मीद है।6 बड़ी पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण भूमि की जरूरत के कारण सीमित है, जिससे विस्थापन और पारिस्थितिक क्षति जैसे प्रतिकूल प्रभाव होते हैं।6
अनिरंतरता के कारण चुनौतियां
जबकि सौर और पवन ऊर्जा के स्वच्छ और असीमित स्रोत होते हैं, ऊर्जा उत्पादन मौजूदा मौसम की स्थिति पर निर्भर करता है।[16] ये स्थितियां मानव नियंत्रण से परे हैं। इससे ऊर्जा उत्पादन की क्षमता और उत्पादन की अवधि दोनों में बदलाव होते रहता है।[17],[18],[19] ये बदलाव दिन-प्रतिदिन या सेकेंड दर सेकेंड आधार पर भी हो सकते हैं। जैसे दिन के समय कई बार आसमान में बादल होने पर सौर ऊर्जा उत्पादन में अंतर आ सकता है। इसी प्रकार मौसमी बदलाव होते हैं, जैसे सर्दियों में वायु की औसत गति अधिक होती है।[20] मांग और आपूर्ति भी अक्सर बेमेल हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, गर्मियों में शाम के समय बिजली की मांग अधिक हो सकती है, लेकिन उस समय सौर ऊर्जा उत्पादन नहीं हो सकता है। इस प्रकार इन ऊर्जा स्रोतों के उपभोग में तकनीकी चुनौतियां पेश आती हैं, जिनका समाधान करने में आर्थिक लागत भी है।
ग्रिड संतुलन
वर्तमान में बिजली आपूर्ति के दौरान दो बातों का ध्यान रखा जाता है। पहला, बिजली को आर्थिक रूप से बड़े पैमाने पर संग्रहीत नहीं किया जा सकता है, इसलिए जैसे-जैसे मांग बदलती है, उत्पादन को तुरंत समायोजित किया जाना चाहिए। दूसरा, बिजली की आपूर्ति रेटेड वोल्टेज और फ्रीक्वेंसी पर की जानी चाहिए, क्योंकि उतार-चढ़ाव के परिणाम के तौर पर उपकरण को नुकसान हो सकता है और ऊर्जा दक्षता अपेक्षा से कम हो सकती है।[21],[22],[23]
तालिका 3: अखिल भारतीय स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता (GW में)
स्रोत |
जून 2023 |
मार्च 2032 अनुमानित* |
||
क्षमता |
% में |
क्षमता |
% में |
|
सौर |
70 |
17% |
365 |
42% |
कोयला |
213 |
50% |
260 |
30% |
पवन |
44 |
10% |
122 |
14% |
बड़ी हाइड्रो (>25 MW) |
47 |
11% |
62 |
7% |
गैस |
25 |
6% |
25 |
3% |
परमाणु |
7 |
2% |
20 |
2% |
बायोमास |
11 |
3% |
16 |
2% |
छोटी हाइड्रो (<=25 MW) |
5 |
1% |
5 |
1% |
डीजल |
1 |
0% |
- |
- |
कुल |
422 |
- |
874 |
- |
पम्प्ड हाइड्रो स्टोरेज |
- |
- |
27 |
- |
बैटरी स्टोरेज |
- |
- |
47 |
- |
स्रोत: जून 2023 के लिए स्थापित क्षमता रिपोर्ट, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण; राष्ट्रीय विद्युत योजना उत्पादन खंड I, मई 2023, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण; पीआरएस।
कोयला, परमाणु, गैस, और पनबिजली जैसे स्रोतों के मामले में, कोई भी उत्पादित बिजली को नियंत्रित कर सकता है। बिजली की मांग में वृद्धि या कमी टर्बाइन की रोटेटिंग स्पीड को बढ़ाने या घटाने से पूरी की जाती है। ताप विद्युत ऊर्जा के मामले में रोटिंग स्पीड बढ़ाने के लिए अधिक ईंधन जलाना पड़ता है ताकि अधिक दाबयुक्त भाप पैदा की जा सके। जल विद्युत के मामले में जल प्रवाह बढ़ाना पड़ सकता है। सौर और पवन के मामले में, उत्पादन बाहरी कारकों जैसे प्रकाश की तीव्रता और वायु की गति पर निर्भर करता है।
इनपुट पावर पर नियंत्रण के साथ-साथ उत्पादन बढ़ाने या घटाने की दर भी महत्वपूर्ण है।16,19,25 गैस और हाइड्रो की तुलना में कोयला और परमाणु ऊर्जा में उत्पादन दर में बदलाव करना अधिक महंगा और तकनीकी रूप से कम व्यावहारिक है।[24],25 सौर और पवन के मामले में यह आसान है क्योंकि इनमें सिस्टम से कुछ पवन चक्कियों या सौर पैनलों को कनेक्ट या डिस्कनेक्ट करना पड़ता है।
स्टोरेज की जरूरत
सौर और पवन ऊर्जा के मामले में उपरिलिखित मानकों से मांग का मिलान करने के लिए निम्नलिखित जरूरी हैं: (i) पूर्वानुमान प्रणाली, और (ii) बैकअप सिस्टम जिन्हें जरूरत पड़ने पर शुरू या बंद किया जा सके।[25] ऐसा ही एक विकल्प स्टोरेज सिस्टम्स हो सकते हैं जोकि किसी भी अतिरिक्त उत्पादन को स्टोर करेंगे, और जरूरत पड़ने पर बिजली की आपूर्ति करेंगे।25 एक विकल्प यह है कि अनुपूरक क्षमता विकसित की जाए जो मांग पर उपलब्ध हो। उदाहरण के लिए, एक गैस या जल विद्युत संयंत्र को बैकअप के रूप में स्थापित किया जा सकता है। हालांकि ऐसे सिस्टम्स की पूंजीगत लागत अतिरिक्त होगी।
क्षमता योजना
अगर समान मात्रा में बिजली उत्पादन करना है तो सौर और पवन ऊर्जा के मामले में अन्य स्रोतों की तुलना में, अधिक स्थापित क्षमता की जरूरत होगी। उदाहरण के लिए कोयले की क्षमता का उपयोग 90% समय तक किया जा सकता है, जबकि सौर ऊर्जा के मामले में उच्चतम संभावित क्षमता उपयोग 20%-22% और पवन ऊर्जा के मामले में 30%-40% की सीमा में होने का अनुमान है।[26]
मान लीजिए, एक MW अतिरिक्त कोयला क्षमता की बजाय अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करनी है। हमें सौर ऊर्जा (4-4.5 MW) के मामले में लगभग चार गुना क्षमता या पवन (2.2-3 MW) के मामले में दो-तीन गुना क्षमता की आवश्यकता होगी। इसके अलावा उत्पादन परिवर्तनशील होगा, इसलिए स्टोरेज क्षमता की भी आवश्यकता होगी। स्टोरेज की जरूरत उत्पादन, मांग और लोड पैटर्न के आधार पर व्यापक रूप से भिन्न हो सकती है ।[27]
ऊर्जा स्टोरेज की तकनीक[28],[29],[30],[31] पम्प्ड हाइड्रो: पानी को पंप किया जाता है और अधिशेष ऊर्जा के साथ अपस्ट्रीम में स्टोर किया जाता है, जिसे बाद में टर्बाइन चलाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स: ये अनेक प्रकार की बैटरी स्टोरेज तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं जैसे लिथियम-आयन और लिथियम-पॉलिमर। कंप्रेस्ड एयर: विद्युत ऊर्जा का उपयोग कंप्रेस्ड एयर को स्टोर करने के लिए किया जाता है। इसे बाद में टर्बाइन चलाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। थर्मल स्टोरेज: अधिशेष ऊर्जा का उपयोग तरल पदार्थों को गर्म करने या ठंडा करने या मॉल्टन सॉल्ट को गर्म करने के लिए किया जाता है। स्टोर की गई ऊर्जा का उपयोग हीट एक्सचेंजर्स और टर्बाइनों का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। हाइड्रोजन: अक्षय ऊर्जा का उपयोग पानी से हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। हाइड्रोजन का उपयोग हाइड्रोजन फ्यूल सेल का उत्पादन करने के लिए किया जा सकता है, जो वाहनों के लिए ऊर्जा स्रोत के रूप में कार्य कर सकता है। |
उत्पादन और स्टोरेज की लागत
ऊर्जा स्रोतों को अपनाने में लागत एक महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि सस्ती बिजली आर्थिक विकास औऱ प्रतिस्पर्धात्मकता, साथ ही साथ समान पहुंच के लिए महत्वपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (2022) के अनुमानों के अनुसार, परियोजना जीवनचक्र के दौरान सौर और पवन दोनों से बिजली उत्पादन की लागत, पहले से ही कोयले की तुलना में कम है और आने वाले वर्षों में इसमें और गिरावट की उम्मीद है (तालिका 4)।26,[32] हालांकि, अनिरंतरता के कारण क्षमता योजना के दौरान बैकअप सिस्टम्स पर भी काम किया जाना चाहिए और इसके बीच तुलना करते समय, ऐसे सिस्टम्स की लागत को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
तालिका 4: भारत के लिए स्तरीय लागत* (रु. प्रति kWh)
स्रोत |
2021 |
2030 |
2050 |
कोयला |
4.8 |
4.4-6.8 |
4-16 |
परमाणु |
5.6-6 |
5.2 |
5.2 |
सौर |
2.8 |
1.6 |
1.2 |
पवन तटीय |
3.6 |
2.8-3.2 |
2.8 |
पवन अपतटीय |
9.6 |
5.2-6 |
3.6-4 |
बड़ी हाइड्रो |
2.1-8.4 |
- |
- |
छोटी हाइड्रो |
3.2-5.4 |
- |
- |
पम्प्ड हाइड्रो ^ |
4.5-5.5 |
4.5-5.5 |
- |
बैटरी स्टोरेज ^ |
6.7-7.1 |
3.8-4.1 |
- |
नोट: *बिजली/स्टोरेज की स्तरीय लागत यानी लेवलाइज़्ड कॉस्ट (LCOE/LCOS) में पूंजीगत लागत, ईंधन लागत और रखरखाव लागत सहित जीवनचक्र की सभी लागतों को शामिल किया जाता है। उपरोक्त अनुमानों में कर और सबसिडी शामिल हैं, और स्वास्थ्य और पर्यावरण पर बाह्य लागत शामिल नहीं है। LCOE को एक USD के लिए 80 रुपए की दर पर USD/MWh से रु./kWh में परिवर्तित किया गया है। ^आठ घंटे के स्टोरेज के लिए LCOS।
स्रोत: विश्वव्यापी ऊर्जा और जलवायु मॉडल, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, 2022; 2021 में अक्षय ऊर्जा उत्पादन लागत, अंतरराष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी; भारत में ग्रिड-स्केल लिथियम-आयन बैटरी स्टोरेज की लागत का अनुमान, लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेट्री, 2020; पीआरएस।
भारत में स्टोरेज के लिए बैटरी और पम्प्ड स्टोरेज दो मुख्य विकल्प हैं।6 अगले कुछ वर्षों में बैटरी स्टोरेज की कीमतों में गिरावट की उम्मीद है जिसका कारण मांग में वृद्धि, इकोनॉमी ऑफ स्केल का बढ़ना और तकनीकी सुधार हैं।28,[33] पंप स्टोरेज तुलनात्मक रूप से परिपक्व तकनीक है इसलिए कीमत में ज्यादा अंतर आने की संभावना नहीं है।6,28 अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (2021) के अनुसार, बैटरी स्टोरेज सिस्टम्स के साथ नई सौर ऊर्जा, नई कोयला ऊर्जा की तुलना में ज्यादा महंगी थी।34 हालांकि 2030 तक इसमें बदलाव होने की उम्मीद है (प्रति यूनिट 30% तक की कमी)।[34] 2030 तक बैटरी स्टोरेज के साथ सौर ऊर्जा के भी मौजूदा कोयला क्षमता के साथ प्रतिस्पर्धी होने की उम्मीद है।34 इसकी वजह यह है कि बैटरी के साथ-साथ सौर पैनलों की कीमतों में लगातार गिरावट आ रही है।11,28,26,34
उत्पाद क्षमता बढ़ाने में चुनौतियां
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की राष्ट्रीय विद्युत योजना के अनुसार, भारत में सौर और पवन दोनों की क्षमता वृद्धि में उल्लेखनीय बढ़ोतरी का अनुमान है (रेखाचित्र 2)।6 2022 तक भारत ने 100 GW सौर ऊर्जा और 60 GW पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा था।36 दिसंबर 2022 तक सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता 63 GW और पवन की 42 GW थी।[35] इन लक्ष्यों को निम्नलिखित कारणों से पूरी तरह से हासिल नहीं किया जा सका: (i) भूमि अधिग्रहण की समस्या, (ii) मंजूरी में देरी, (iii) अनुबंध संबंधी विवाद, (iv) कोविड-19 के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, और (v) टैरिफ रेजीम में बदलाव और बिजली खरीद अनुबंधों के पुनर्निर्धारण की बातचीत के कारण नीतिगत अनिश्चितता।6,[36],[37]
रेखाचित्र 2: अनुमानित क्षमता संवर्धन (GW में)
स्रोत: राष्ट्रीय विद्युत योजना उत्पादन खंड I, मई 2023, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण; पीआरएस।
रूफटॉप सोलर: भारत ने 2022 तक 40 GW रूफटॉप सोलर क्षमता जोड़ने का लक्ष्य रखा था।[38] हालांकि इस लक्ष्य के मुकाबले फरवरी 2023 तक केवल 8 GW क्षमता स्थापित की गई है।38,[39] रूफटॉप सोलर के कई फायदे हैं जैसे: (i) सोलर क्षमता के लिए जमीन की उतनी जरूरत नहीं पड़ती, (ii) खपत बिंदु पर बिजली पैदा करने से ग्रिड पर कम लोड पड़ता है, और (iii) ट्रांसमिशन और वितरण की लागत कम होती है।[40] हालांकि वितरण इकाइयां (डिस्कॉम) ग्राहकों के लिए छत पर सोलर इंस्टॉलेशन करने की इच्छुक नहीं हैं।38 इसके निम्न कारण हैं: (i) उच्च-भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं से राजस्व की संभावित हानि, और (ii) मांग के पूर्वानुमान में अनिश्चितता, जिससे सिस्टम की स्थिरता पर असर हो सकता है।38,[41]
रूफटॉप सोलर के लिए उपभोक्ताओं से अग्रिम पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है। आमतौर पर औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के पास इस तरह के क्षमता लगाने के साधन हो सकते हैं।40 ये ग्राहक डिस्कॉम को उच्च भुगतान करने वाले उपभोक्ता भी हैं और अन्य उपभोक्ता श्रेणियों की क्रॉस-सबसिडी प्रदान करते हैं।[42] अगर ये उपभोक्ता रूफटॉप सोलर पर शिफ्ट हो जाते हैं, तो डिस्कॉम को राजस्व का नुकसान होगा।
कृषि पंपों का सौरीकरण: पीएम-कुसुम योजना का लक्ष्य कृषि भूमि पर कृषि पंपों और छोटे सौर ऊर्जा संयंत्रों के सौरीकरण के जरिए 31 GW की सौर क्षमता हासिल करना है।[43] इसका लक्ष्य छोटे सौर ऊर्जा संयंत्र से 10 GW की क्षमता कोजोड़ना और कुल 35 लाख सौर पंप स्थापित करना है।43,[44] मूल रूप से, यह क्षमता 2022 तक जोड़ी जानी थी।44,[45] बाद में लक्ष्य को संशोधित कर 2025-26 कर दिया गया है।[46] जून 2023 तक 113 MW की क्षमता के छोटे सौर संयंत्र स्थापित किए गए हैं।43 साथ ही कुल 2.45 लाख सौर पंप स्थापित किए गए हैं।43 नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय (2023) ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण 2020-21 और 2021-22 के दौरान क्षमता वृद्धि प्रभावित हुई।43 उन्होंने यह भी कहा कि सस्ती दरों पर वित्तीय मदद नहीं मिलने और राज्य सरकारों से सबसिडी न मिलने का कारण भी इसका उचित कार्यान्वयन नहीं हो पाया।43,[47]
सोलर पैनलों की उपलब्धता
हाल के वर्षों में भारत ने अपने स्थापित सौर पैनलों का 75% से अधिक आयात किया है।11,[48] आयात को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने कई उपाय किए हैं।48,[49] सौर पैनलों के साथ-साथ ऐसे पैनलों के लिए कच्चे माल पर आयात शुल्क बढ़ाया गया है।48 इन नीतियों के कारण अल्पावधि में कीमत में वृद्धि हुई है और क्षमता वृद्धि की दर प्रभावित हुई है।38 साथ ही केंद्र सरकार ने घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों की शुरुआत की है।[50]
इन प्रोत्साहनों के कारण सौर पैनलों की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता अगले पांच वर्षों में तेजी से बढ़ने की उम्मीद है और उसके बाद घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी।48 हालांकि भारत को पॉलीसिलिकॉन और वेफर का आयात जारी रखना पड़ सकता है। पॉलीसिलिकॉन उच्च शुद्धता वाला क्रिस्टलीय सिलिकॉन उत्पाद है, जिसे वेफर्स (पतले टुकड़े) बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।11,[51] फिर इन वेफर्स का उपयोग फोटोवोल्टिक सेल्स को बनाने के लिए किया जाता है।
रेखाचित्र 3: घरेलू सौर पीवी मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता (GW में)
नोट: *अनुमानित।
स्रोत: इंडियाज़ फोटोवोल्टिक मैन्यूफैक्चरिंग कैपिसिटी सेट टू सर्ज, जेएमके रिसर्च और इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल का विश्लेषण, अप्रैल 2023; पीआरएस।
सोलर पैनल का कचरा
सौर पैनलों में सिलिकॉन, एल्यूमीनियम, चांदी, तांबा, सीसा और कैडमियम जैसे तत्व होते हैं।11 अगर पैनलों का उचित निपटान सुनिश्चित नहीं किया जाता है, तो यह पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी जोखिम पैदा करता है।11,[52],[53] मौजूदा पैनलों को रीसाइकिल करने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है।11 इसके अलावा मॉड्यूल बनाने में लगने वाली सामग्री को उससे निकालना तकनीकी रूप से कठिन और महंगा है।11 इससे बड़ी मात्रा में सोलर पैनल का कचरा, कचरा भराव क्षेत्रों तक पहुंच सकता है। 2050 तक सोलर पैनल का कचरा 80 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान है।53 बैटरियों से निकलने वाले कचरे को लेकर भी ऐसी ही चिंताएं जताई जा रही हैं जो एनर्जी स्टोरेज और इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने के कारण और बढ़ने वाली हैं।[54],[55]
मांग संबंधी चुनौतियां
मांग पूरी करना
अक्षय ऊर्जा के मामले में क्षमता के साथ-साथ स्टोरेज के इष्टतम उपयोग के लिए मांग को उस समय में शिफ्ट करना होगा, जब बिजली अधिक उपलब्ध है।16 इस तरह के बदलावों को संभव बनाने के लिए, नीतिगत उपायों की आवश्यकता होगी, जैसे कि टैरिफ-आधारित पहल, जिसमें दिन के समय के अनुसार और उपयोग के समय के आधार पर भिन्न-भिन्न दरें निर्धारित की जाती हैं। उदाहरण के लिए, कम उपलब्धता और उच्च उपभोग की अवधि के दौरान टैरिफ अधिक हो सकते हैं और इसके विपरीत भी। ऐसे उपायों को अपनाने के लिए मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण की जरूरत पड़ेगी। केंद्र सरकार ने इन दिशा में कुछ पहल की है। मार्च 2025 तक स्मार्ट मीटर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।[56] अप्रैल 2025 तक सभी खुदरा उपभोक्ताओं (कृषि उपभोक्ताओं को छोड़कर) के लिए समय के अनुसार भिन्न दर की प्रणाली अनिवार्य कर दी गई है।[57],[58]
दूसरा तरीका यह है कि उन उपभोक्ता श्रेणियों की आपूर्ति को रेगुलेट किया जाए जिन्हें हर समय बिजली की जरूरत नहीं होती। वर्तमान में कुल बिजली सप्लाई का लगभग 21-24% कृषि क्षेत्र में खपत होने का अनुमान है।[59] अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (2021) ने कहा कि इस क्षेत्र की मांग कुछ राज्यों में शिफ्ट हो गई है क्योंकि उनके लिए डेडिकेटेड फीडर बना दिए गए हैं और फिर कम मांग वाले घंटों में उन्हें बिजली दी जाती है।34 उन्होंने यह भी कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए टैरिफ-आधारित व्यवस्था, सिस्टम फ्लेक्सिबिलिटी में सुधार का सबसे लागत प्रभावी समाधान हो सकता है।34
मांग को बढ़ाना
अक्षय ऊर्जा की मांग को बढ़ाने के लिए, वितरण इकाइयां (डिस्कॉम) अक्षय ऊर्जा स्रोतों से अपनी बिजली आपूर्ति का निश्चित हिस्सा खरीदने के लिए बाध्य हैं, जिसे अक्षय ऊर्जा खरीद दायित्व (रीन्यूएबल पर्चेज़ ऑब्लिगेशन-आरपीओ) कहा जाता है। हालांकि 2019-20 में केवल छह राज्यों ने इस लक्ष्य को पूरा किया था।36 राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि 17.5% के लक्ष्य के मुकाबले 10.8% थी।36 केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा था कि डिस्कॉम्स के अनुसार, अक्षय ऊर्जा महंगी है और इसके इंटिग्रेशन के लिए अतिरिक्त लागत चुकानी पड़ती है।36 जुलाई 2022 की अधिसूचना के अनुसार, आरपीओ 2022-23 के लिए 25% पर निर्धारित है और यह लक्ष्य 2029-30 में बढ़कर 43% हो जाएगा।[60]
[1] Energy Statistics India – 2023, Ministry of Statistics and Programme Implementation, https://www.mospi.gov.in/sites/default/files/publication_reports/Energy_Statistics_2023/EnergyStatisticsIndia2023.pdf.
[2] “Climate Action”, Website of United Nations Organisation, as accessed on July 15, 2023, https://www.un.org/en/climatechange/science/causes-effects-climate-change.
[3] Synthesis Report of the Sixth Assessment Report, Intergovernmental Panel on Climate Change, March 2023, https://www.ipcc.ch/assessment-report/ar6/.
[4] “Cabinet approves India’s Updated Nationally Determined Contribution to be communicated to the United Nations Framework Convention on Climate Change”, Press Information Bureau, Union Cabinet, August 3, 2022, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1847812.
[5] Tracking Clean Energy Progress, International Energy Agency, July 2023, https://www.iea.org/reports/tracking-clean-energy-progress-2023.
[6] National Electricity Plan, Generation Vol-I, Central Electricity Authority, May 2023, https://cea.nic.in/wp-content/uploads/irp/2023/05/NEP_2022_32_FINAL_GAZETTE-1.pdf.
[7] “Electricity explained”, Energy Information Association, as accessed on July 12, 2023, https://www.eia.gov/energyexplained/electricity/how-electricity-is-generated.php.
[8] “How Does Solar Work”, Office of Energy Efficiency and Renewable Energy, as accessed on July 12, 2023, https://www.energy.gov/eere/solar/solar-energy-technologies-office.
[9] Dr. Armaroli, N., et al. (2010). Energy for a sustainable world: From the Oil Age to a Sun Powered future. Wiley.
[10] Carbon Neutrality in the UNECE Region: Integrated Life-cycle Assessment of Electricity Sources, United Nations Economic Commission for Europe, March 2022, https://unece.org/sites/default/files/2022-04/LCA_3_FINAL%20March%202022.pdf.
[11] Solar PV Global Supply Chains, International Energy Agency, August 2022, https://iea.blob.core.windows.net/assets/d2ee601d-6b1a-4cd2-a0e8-db02dc64332c/SpecialReportonSolarPVGlobalSupplyChains.pdf.
[12] Life Cycle Greenhouse Gas Emissions from Electricity Generation: Update, National Renewable Energy Laboratory of USA, September 2021, https://data.nrel.gov/submissions/171.
[13]Amponsah, N., et al, (2014). Greenhouse gas emissions from renewable energy sources: A review of lifecycle considerations, Elsevier, https://www.sciencedirect.com/science/article/abs/pii/S1364032114005395.
[14] gCO2 per kWh represents total greenhouse gas emissions per unit of electricity generated. kWh represents one unit of electricity supply. gCO2 equivalent is a metric that converts emissions of other greenhouse gases such as methane and nitrous oxide into the amount of CO2 that would have same warming effect over a given timeframe.
[15] Installed Capacity Report-June 2023, Central Electricity Authority, https://cea.nic.in/wp-content/uploads/installed/2023/06/IC_June_2023_Updated.pdf.
[16] Integrating Variable Renewable Energy: Challenges and Solutions, National Renewable Energy Laboratory, September 2013, nrel.gov/docs/fy13osti/60451.pdf.
[17] “Renewable Energy Intermittency Explained: Challenges, Solutions, and Opportunities”, Scientific American, as accessed on June 15, 2023, https://blogs.scientificamerican.com/plugged-in/renewable-energy-intermittency-explained-challenges-solutions-and-opportunities/.
[18] Agarwal, P., & Jain, S. (2019). Challenges Faced and Measures Adopted for RE integration in Indian Power System. CIGRE, https://posoco.in/wp-content/uploads/2021/01/Challenges-Faced-and-Measures-Adopted-for-RE-Integration-CIGRE-Canada-2019-Paper-186.pdf.
[19] Renewables Integration in India, International Energy Agency, July 2021, https://iea.blob.core.windows.net/assets/7b6bf9e6-4d69-466c-8069-bdd26b3e9ed1/RenewablesIntegrationinIndia2021.pdf.
[20] Managing Seasonal and Interannual Variability of Renewables, International Energy Agency, April 2023, https://iea.blob.core.windows.net/assets/bfe623d2-f44e-49cb-ae25-90add42d750c/ManagingSeasonalandInterannualVariabilityofRenewables.pdf.
[21] Kothari, D. P. (2018). Electric machines. The McGraw-Hill Companies.
[22] Indian Electricity Grid Code, Central Electricity Regulatory Commission, https://cercind.gov.in/2010/ORDER/February2010/IEGC_Review_Proposal.pdf.
[23] D. Tommassini. (2011). Dielectric insulation and High Voltage Issues. CERN, https://cds.cern.ch/record/1342701/files/335.pdf.
[24] Ramping Up the Ramping Capability, India’s Power System Transition, National Renewable Energy Laboratory of USA, September 2020, https://www.nrel.gov/docs/fy20osti/77639.pdf.
[25] Report on Optimal Generation Mix 2030 Version 2.0, Central Electricity Authority, April 2023, https://cea.nic.in/wp-content/uploads/irp/2023/05/Optimal_mix_report__2029_30_Version_2.0__For_Uploading.pdf.
[26] Global Energy and Climate Model, International Energy Agency, October 2022, https://www.iea.org/reports/global-energy-and-climate-model.
[27] Renewables 2022, International Energy Agency, December 2022, https://www.iea.org/reports/renewables-2022.
[28] Electricity Storage and Renewables: Costs and markets to 2030, International Renewable Energy Agency, October 2017, https://www.irena.org/publications/2017/oct/electricity-storage-and-renewables-costs-and-markets.
[29] Energy Storage System Roadmap for India: 2019 – 2032, NITI Aayog, August 2019, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2019-10/ISGF-Report-on-Energy-Storage-System-%28ESS%29-Roadmap-for-India-2019-2032.pdf.
[30] “Pumped Storage Hydropower”, US Department of Energy, as accessed on June 19, 2023, https://www.energy.gov/eere/water/pumped-storage-hydropower.
[31] “Compressed Air Energy Storage”, American Clean Power, as accessed on June 19, 2023, https://energystorage.org/why-energy-storage/technologies/compressed-air-energy-storage-caes/.
[32] Renewable Power Generation Costs in 2021, International Renewable Energy Agency, https://www.irena.org/-/media/Files/IRENA/Agency/Publication/2022/Jul/IRENA_Power_Generation_Costs_2021.pdf?rev=34c22a4b244d434da0accde7de7c73d8.
[33] Estimating the Cost of Grid-Scale Lithium-Ion Battery Storage in India, Lawrence Berkley National Laboratory, April 2020, https://international.lbl.gov/publications/estimating-cost-grid-scale-lithium.
[34] India Energy Outlook 2021, International Energy Agency, https://iea.blob.core.windows.net/assets/1de6d91e-e23f-4e02-b1fb-51fdd6283b22/India_Energy_Outlook_2021.pdf.
[35] All India Installed Capacity (in MW) of Power Stations as on December 31, 2022, Central Electricity Authority, https://cea.nic.in/wp-content/uploads/installed/2022/12/IC_Dec_2022.pdf.
[36] 17th Report: Action Plan for Achievement of 175 GW Renewable Energy Target, Standing Committee on Energy, 17th Lok Sabha, March 2021, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Energy/17_Energy_17.pdf?source=loksabhadocs.
[37] Hemi H. Gandhi, Bram Hoex, Brett Jason Hallam, Strategic investment risks threatening India's renewable energy ambition, Energy Strategy Reviews, Volume 43, 2022, 100921, ISSN 2211-467X, https://doi.org/10.1016/j.esr.2022.100921.
[38] 34th Report: Demand for Grants 2023-24, Standing Committee on Energy, 17th Lok Sabha, March 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Energy/17_Energy_34.pdf?source=loksabhadocs.
[39] Unstarred Question No. 1584, Ministry of New and Renewable Energy, Rajya Sabha, March 14, 2023, https://sansad.in/rs/questions/questions-and-answers.
[40] Sarangi, G. K. and F. Taghizadeh-Hesary. 2021. Rooftop Solar Development in India: Measuring Policies and Mapping Business Models. ADBI Working Paper 1256. Tokyo: Asian Development Bank Institute. https://www.adb.org/sites/default/files/publication/697186/adbi-wp1256.pdf.
[41] Renewables Integration in India, International Energy Agency, https://iea.blob.core.windows.net/assets/7b6bf9e6-4d69-466c-8069-bdd26b3e9ed1/RenewablesIntegrationinIndia2021.pdf.
[42] Report on Performance of Power Utilities 2020-21, September 2022, https://www.pfcindia.com/DocumentRepository/ckfinder/files/Operations/Performance_Reports_of_State_Power_Utilities/Report%20on%20Performance%20of%20Power%20Utilities%202020-21%20(1).pdf.
[43] Unstarred Question No. 159, Ministry of New and Renewable Energy, Lok Sabha, July 20, 2023, https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/1712/AU159.pdf?source=pqals.
[44] Annual Report 2022-23, Ministry of New and Renewable Energy, https://mnre.gov.in/img/documents/uploads/file_s-1683099362708.pdf.
[45] No. 32/645/2017-SPV Division, Ministry of New and Renewable Energy, November 4, 2020, https://mnre.gov.in/img/documents/uploads/file_s-1604916676296.pdf.
[46] “PM-KUSUM - Grid-connected solar power plants of 89.45 MW capacity installed; 2.09 lakh agriculture pumps have been solarized; Reduction in carbon dioxide (CO2) emissions by 0.67 million tonnes and diesel consumption by 143 million litres of diesel per annum- Union Power & NRE Minister – Shri R. K. Singh”, Press Information Bureau, Ministry of New and Renewable Energy, March 16, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1907703.
[47] “24th Report: Demands for Grants 2022-23 of Ministry of New and Renewable Energy”; Standing Committee on Energy, March 2022, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Energy/17_Energy_24.pdf.
[48] “India’s PV Manufacturing Capacity set to surge”, JMK Research, Institute for Energy Economics and Financial Analysis, April 2023, https://jmkresearch.com/wp-content/uploads/2023/04/Indias-Photovoltaic-Manufacturing-Capacity-Set-to-Surge-April-2023.pdf.
[49] Photovoltaic Manufacturing Outlook in India, Institute for Energy Economics and Financial Analysis, February 2022, https://ieefa.org/resources/photovoltaic-manufacturing-outlook-india.
[50] “Government allocates 39600 MW of domestic solar PV module manufacturing capacity under PLI (Tranche-II)”, Press Information Bureau, Ministry of Power, March 28, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1911380.
[51] “Solar Photovoltaic Manufacturing Basics”, US Department of Energy, as accessed on July 18, 2023, https://www.energy.gov/eere/solar/solar-photovoltaic-manufacturing-basics#:~:text=The%20manufacturing%20typically%20starts%20with,interconnect%20pathway%20between%20adjacent%20cells.
[52] “Solar panels face recycling challenge”, May 22, 2022, C&EN, https://cen.acs.org/environment/recycling/Solar-panels-face-recycling-challenge-photovoltaic-waste/100/i18.
[53] Heath, G., et al. (2020). Research and development priorities for silicon photovoltaic module recycling to support a circular economy, Nature, https://www.nature.com/articles/s41560-020-0645-2.
[54] Harper, G., Sommerville, R., Kendrick, E. et al., Recycling lithium-ion batteries from electric vehicles. Nature 575, 75–86 (2019), https://doi.org/10.1038/s41586-019-1682-5.
[55] Thompson, D. L., et al., (2020). The importance of design in lithium ion battery recycling–a critical review. Green Chemistry, 22(22), 7585-7603, https://doi.org/10.1039/D0GC02745F.
[56] F.No. 23/35/2019-R&R, The Gazette of India, Ministry of Power, May 23, 2022, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2022/236032.pdf.
[57] The Electricity (Rights of Consumers) Rules, 2020, Ministry of Power, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/final%20- %20Copy%202.pdf.
[58] The Electricity (Rights of Consumers) Amendment Rules, 2023, Ministry of Power, https://powermin.gov.in/sites/default/files/webform/notices/30_d_Ele ctricity_Rhts_of_Consumers_Amendment_Rules_2023..pdf.
[59] Report on Performance of Power Utilities – 2021-22 (updated up to May 2023), Power Finance Corporation, https://www.pfcindia.com/DocumentRepository/ckfinder/files/Operations/Performance_Reports_of_State_Power_Utilities/Report%20on%20Performance%20of%20Power%20Utilities%20-%202021-22%20%20updated%20up%20to%20May%202023.pdf.
[60] F. No. 09/13/2021-RCM, Ministry of Power, July 22, 2022, https://powermin.gov.in/sites/default/files/Renewable_Purchase_Obligation_and_Energy_Storage_Obligation_Trajectory_till_2029_30.pdf.
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