सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। इस ब्रीफ में ईवी के संभावित लाभों और भारत में बड़े स्तर पर ईवी के उपयोग के संभावित प्रभावों पर चर्चा की गई है। |
सारांश
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पृष्ठभूमि
इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) ऊर्जा के स्रोत के रूप में बैटरी सेल्स का इस्तेमाल करता है। इसमें रीचार्जेबल बैटरी पैक, उससे जुड़ा हुआ बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (बीएमएस), एक इलेक्ट्रिक मोटर और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक घटक होते हैं।[1] आजकल प्रयोग होने वाले ज्यादातर वाहन इंटरनल कंबशन इंजन (आईसीई) पर चलते हैं। इसके विपरीत ईवी इलेक्ट्रिक मोटर को ऊर्जा देने के लिए बैटरी पैक का इस्तेमाल करते हैं जो पहियों को घुमाता है। इलेक्ट्रिक मोटर स्टोर की गई 80-85% ऊर्जा को कवर्ट करती हैं जिससे इलेक्ट्रिक वाहन, आईसीई वाहनों के मुकाबले ज्यादा दक्ष (एफिशिएंट) होते हैं। आईसीई वाहन 25-35% दक्ष होते हैं।1 ऐसे हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन भी उपलब्ध हैं जिनमें इंटरनल कंबशन इंजन और बैटरी, दोनों होते हैं।[2]
वर्तमान में भारत में ईवी का उपयोग युनाइटेड स्टेट्स, यूरोप और चीन की तुलना में अपने प्रारंभिक चरण में है (ईवी कारों की बिक्री के लिए रेखाचित्र 1 देखें)।[3],[4] अक्टूबर 2022 तक 17 लाख ईवी की बिक्री हुई है जोकि सभी पंजीकृत वाहनों का 0.6% है।[5] पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहनों में 97% दोपहिया (2W) और तिपहिया (3W) हैं। 2W में ई-स्कूटर और ई-मोपेड, तथा 3W में ई-ऑटो, ई-कार्ट और ई-रिक्शा शामिल हैं। ई-रिक्शा आम तौर पर लेड-एसिड बैटरी से संचालित होते हैं, जोकि स्टैंडर्ड लिथियम बैटरी के मुकाबले कम दक्ष होती हैं।[6],[7] इस नोट में हमने अपने विश्लेषण में ई-रिक्शा को शामिल नहीं किया है क्योंकि लिथियम बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में उनकी वैसी समस्याएं नहीं होतीं।
भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक देश में बिकने वाले 30% वाहन इलेक्ट्रिक हों।[8] विभिन्न रिपोर्ट्स से पता चलता है कि 2030 तक भारत में इलेक्ट्रिक गतिशीलता में संक्रमण की अगुवाई 2/3W वाहन खंड करेगा। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) का अनुमान है कि 2030 तक कुल वाहनों की बिक्री में 2/3W और चार पहिया (4W) ईवी का हिस्सा क्रमशः 48% और 11% होगा।[9],[10] इसी प्रकार नीति आयोग ने अनुमान लगाया है कि 2030 में ईवी की बिक्री में 2/3W का हिस्सा 86% और 4W का 13% होगा।[11]
रेखाचित्र 1: इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री (हजारों में)
स्रोत: आईईए; वाहन पोर्टल, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (4W, वित्तीय वर्ष 2015-16, 2021-22); पीआरएस।
लागत का विश्लेषण: पेट्रोल वाहन बनाम ईवी
अगर पेट्रोल वाहन और ईवी के स्वामित्व की लागत के बीच के अंतर को समझना है तो प्रारंभिक अग्रिम मूल्य और आजीवन परिचालन की लागत की संयुक्त लागत को देखना उचित होगा। तालिका 1 में कुछ व्यापक अनुमानों के तहत लागतों की तुलना की गई है। हम एक 4W वाहन का जीवन 1,50,000 किलोमीटर, और 2W का 50,000 किलोमीटर मानते हैं, और दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की वर्तमान मूल्य संरचना का इस्तेमाल करते हैं। टैक्स या सबसिडी के अभाव में पेट्रोल वाहन (4W और 2W) ईवी की तुलना में सस्ते हैं। हालांकि पेट्रोल पर उच्च कर, घरेलू बिजली पर सबसिडी, ईवी के लिए कम पंजीकरण शुल्क और सड़क कर, और 2W ईवी के लिए अग्रिम सबसिडी (फेम- II), सब मिलाकर ईवी की आजीवन लागत पेट्रोल वाहनों से कम होती है।
तालिका 1: पेट्रोल वाहनों और ईवी (4 पहिया और 2 पहिया) की लागत का वर्गीकरण
मानदंड |
4 -पहिया |
2-पहिया |
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अग्रिम लागत (लाख रुपए में) |
पेट्रोल |
ईवी |
पेट्रोल |
ईवी |
आधारभूत मूल्य |
6.7 |
14.3 |
0.67 |
1.4 |
कर–सबसिडी |
2.6 |
0.8 |
0.25 |
-0.4 |
अंतिम मूल्य |
9.3 |
15.1 |
0.92 |
1.00 |
प्रति किलोमीटर अग्रिम लागत (रुपए/किमी में) |
||||
कर/सबसिडी के बिना |
4.5 |
9.5 |
1.3 |
2.8 |
कर/सबसिडी के साथ |
6.2 |
10.1 |
1.8 |
2.0 |
प्रति किलोमीटर परिचालन की लागत (रुपए/किमी में) |
||||
कर/सबसिडी के बिना |
4.1 |
1.0 |
1.2 |
0.2 |
कर/सबसिडी के साथ |
6.4 |
0.7 |
1.9 |
0.2 |
प्रति किलोमीटर कुल लागत (रुपए/किमी में) |
||||
कर/सबसिडी के बिना |
8.6 |
10.5 |
2.5 |
3.0 |
कर/सबसिडी के साथ |
12.6 |
10.8 |
3.7 |
2.2 |
अनुमान: आजीवन परिचालन की दूरी का अनुमान: 1,50,000 किमी (4W) और 50,000 किमी (2W)। रखरखाव की लागत और बीमा लागत को इससे हटा दिया गया है। पेट्रोल का मूल्य- 97 रुपये (खुदरा) जिसमें से दिल्ली के लिए 36 रुपये (टैक्स)।[12] करों/सब्सिडी के बिना बिजली शुल्क को आपूर्ति की औसत लागत (एसीएस) के रूप में लिया जाता है, यहां इसे 8 रुपये/किलोवाट घंटा (kWh) के रूप में लिया गया है।[13] दिल्ली के लिए सब्सिडी वाला ईवी शुल्क 5.4 रुपये/kWh है।[14] पेट्रोल 4W और 2W का माइलेज क्रमशः 15 और 50 किमी प्रति लीटर है। 4W और 2W के लिए ईवी का माइलेज 8 और 34 किमी/kWh है। 4W (पेट्रोल और ईवी) के स्पेसिफिकेशंस और मूल्य टाटा नेक्सॉन वेरिएंट्स पर आधारित हैं (सितंबर 2022)। 2W के स्पेसिफिकेशंस और मूल्य (नवंबर 2022) होंडा एक्टिवा 125 डीलक्स (पेट्रोल) और ओला S1 (~3 kWh बैटरी क्षमता) पर आधारित हैं। मूल्य और कर दिल्ली के हैं।2W के लिए फेम II सबसिडी 15,000/kWh है।22 इस अनुमान में भविष्य में कीमतों में होने वाले बदलावों को ध्यान में नहीं रखा गया है।
ईवी के संभावित लाभ
परिवहन क्षेत्र के बिजलीकरण से तीन समस्याओं को हल करके, दीर्घकालीन लाभ हासिल हो सकते हैं। ये समस्याएं हैं- स्थानीय वायु प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैसों (जीएचजी) का उत्सर्जन और ऊर्जा सुरक्षा।
प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन
आईसीई से निकलने वाली गैसों के कारण स्थानीय वायु प्रदूषण होता है। उदाहरण के लिए 2018 में दिल्ली के पार्टिकुलेट मैटर (PM 2.5) वायु प्रदूषण में वाहनों का योगदान 41% अनुमानित था।[15] इसके विपरीत ईवी से कोई उत्सर्जन नहीं होता।
उत्सर्जन में ग्रीन हाउस गैसें (जीएचजी) होती हैं जोकि जलवायु परिवर्तन में योगदान देती हैं। 2019 में भारतीय ऊर्जा क्षेत्र से कुल जीएचजी उत्सर्जन में परिवहन क्षेत्र का योगदान 13% था जिनमें से प्रत्येक का एक बटा छह हिस्सा 2W/3W और 4W वाहनों के कारण था।[16]
ईवी में तब्दीली से एबिएंट एयर क्वालिटी को सुधारने और नुकसानदेह जीएचजी उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी। हालांकि ईवी का उत्सर्जन इस बात पर निर्भर है कि उसकी बैटरी को चार्ज करने के लिए इस्तेमाल होने वाली बिजली का स्रोत क्या है। भारत में 70% बिजली उत्पादन का आधार कोयला है।[17] 2019 में 44% कार्बन उत्सर्जन के लिए कोयला आधारित बिजली संयंत्र जिम्मेदार थे।16,18 ईंधन और पवन ऊर्जा जैसे ईंधन के स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में तब्दीली से इस समस्या को हल करने में मदद मिल सकती है।
ऊर्जा सुरक्षा
ऊर्जा सुरक्षा का अर्थ, किसी देश की यह सुनिश्चित करने की क्षमता है कि वह सस्ती कीमतों पर बाधारहित ऊर्जा आपूर्ति कर सकता है। यह प्राकृतिक, आर्थिक या भूराजनैतिक कारणों से प्रभावित हो सकता है। 2000 और 2019 के बीच वाहन स्वामित्व और सड़क परिवहन के उपयोग के बढ़ने के कारण परिवहन क्षेत्र की ऊर्जा की मांग 3.5 गुना बढ़ गई है।[18] भारत अपनी ऊर्जा संबंधी जरूरतों के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। 2021-22 में भारत में पेट्रोलियम उत्पादों का शुद्ध आयात लगभग 94 बिलियन USD था।[19] आयात पर उच्च मात्रा में व्यय करने के परिणामस्वरूप चालू खाता घाटे में है (2021-22 में लगभग 39 बिलियन USD जोकि जीडीपी का 1.2% था)।19
अगर सड़क परिवहन का एक बड़ा खंड ईवी में तब्दील हो जाता है तो वह खंड ऊर्जा के स्रोत के लिए तेल की बजाय बिजली पर निर्भर करेगा। अगर यह बिजली देसी कोयले और अक्षय स्रोतों से उत्पादित होती है तो ईवी की तरफ बढ़त से भारत की आयात निर्भरता को कम करने और अपने चालू खाता घाटे को कम करने में मदद मिलेगी। ये परिणाम इस पर निर्भर हैं कि किस प्रकार के वाहन-2/3W या 4W का बिजलीकरण होता है। 2019 में देश के कुल वाहनों में 2/3W का हिस्सा 80% था लेकिन सड़क परिवहन में कुल ईंधन की खपत में उनका हिस्सा केवल 21% था।18,[20] ऊर्जा की शेष 79% मांग कारों और बस एवं ट्रक जैसे हेवी-ड्यूटी वाहनों से प्राप्त होती है।
बॉक्स 1:सरकारी पहल फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक वेहिकल्स (फेम): फेम ईवी को खरीदने और चार्जिंग स्टेशनों को विकसित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश करती है।[21],[22] ऑटोमोटिव उद्योग के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव्स (पीएलआई) योजना: ईवी, फ्यूल सेल वाहनों और संबंधित घटकों के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना।[23] उन्नत कैमिस्ट्री सेल बैटरी स्टोरेज पर राष्ट्रीय कार्यक्रम: ईवी बैटरी के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना।[24] जीएसटी की दर में कटौती: आईसीई वाहनों पर 28% करों की तुलना में सभी ईवी पर जीएसटी की दर 5% है।[25],[26] आयकर में छूट: इलेक्ट्रिक वाहनों के वित्त पोषण पर ब्याज भुगतान में 1.5 लाख रुपए तक की छूट।[27] ड्राफ्ट बैटरी स्वैपिंग नीति: स्वैपिंग स्टेशनों पर डेप्लेटेड (खत्म हो चुकी या डिस्चार्ज) बैटरियों (2W, 3W) को चार्ज बैटरियों से बदला जा सकता है।[28] चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के दिशानिर्देश: सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों पर विभिन्न प्रकार के चार्जिंग कनेक्टर्स की उपलब्धता।[29] भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की लिथियम सेल टेक्नोलॉजी: इसरो द्वारा उद्योगों को देसी लिथियम सेल टेक्नोलॉजी का हस्तांतरण।[30] राज्यों की ईवी नीतियां: दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना सहित कई राज्यों द्वारा ईवी का रियायती चार्जिंग शुल्क तथा सड़क और पंजीकरण कर छूट।[31] |
ईवी के उपयोग से संबंधित मुद्दे
ईवी बैटरी
संरचना: इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी आम तौर पर चार्जेबल लिथियम बैटरी होती है।[32] इसकी संरचना टैबलेट, फोन और लैपटॉप में इस्तेमाल होने वाली पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक बैटरी से अलग होती है।[33],[34] ईवी बैटरी में छोटे सेल की एक श्रृंखला होती है जोकि एक मॉड्यूल में ग्रुप होते हैं। ऐसे कई मॉड्यूल कसकर एसेंबल किए जाते हैं जिनसे मिलकर एक ट्रैक्शन बैटरी पैक बनता है।[35]
कैपिसिटी और स्टेबिलिटी: आम तौर पर दो तरह की लिथियम कैमिस्ट्रीज़ का इस्तेमाल किया जाता है- ये हैं निकल मैंगनीज कोबाल्ट ऑक्साइड (NMC) और लिथियम-फेरो (आयरन) फॉस्फेट (LFP)।[36] इन तत्वों का अनुपात (वजन के हिसाब से) तय करता है कि बैटरी पैक की ऊर्जा क्षमता कितनी होगी और इसे किलोवॉट घंटे (kWh) में मापा जाता है। हाई-एनर्जी डेंसिटी वाली धातु जैसे कोबाल्ट और निकल का मिश्रण अधिक ऊर्जा प्रति किलोग्राम पैक कर सकता है और ऊर्जा क्षमता बढ़ा सकता है।36 NMC के मुकाबले LFP बैटरी कम दक्ष होती हैं लेकिन चार्ज होने पर उच्च तापमान को झेल सकती हैं।[37]
मूल्य निर्धारण: अलग-अलग लिथियम बैटरी की कीमत उसमें इस्तेमाल होने वाले कच्चे खनिजों की कीमतों पर निर्भर करती है। 2022 में औसतन NMC के मुकाबले LFP सेल्स 20% सस्ते थे जिसका कारण यह था कि उनमें कोबाल्ट और निकल जैसे महंगे तत्व नहीं थे।[38] धातुओं की कीमतें अधिक हैं, और एक 4W ईवी की एक चौथाई लागत और 2W की एक तिहाई लागत बैटरी के कारण होती है।38,[39],[40],[41] वर्तमान में विश्व स्तर पर अधिकतर इलेक्ट्रिक कारों में NMC बैटरियां इस्तेमाल की जाती हैं लेकिन मूल्य संवेदी बाजारों में LFP ज्यादा प्रचलित हैं।[42],[43] इलेक्ट्रिक स्कूटर LFPऔर NMC, दोनों वेरिएंट्स का इस्तेमाल करते हैं।[44],[45]
बैटरी खनिजों की उपलब्धता
वाहनों के बिजलीकरण के विश्वव्यापी दबाव ने लिथियम, कोबाल्ट, निकल और ग्रेफाइट जैसे बैटरी मैटीरियल्स की सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला की जरूरत पैदा की है।42 इन खनिजों की कमी इस बात पर निर्भर करेगी कि कौन सी बैटरी कैमिस्ट्री (NMC या LFP या दूसरे उभरते हुए विकल्प) ईवी में इस्तेमाल होने वाली मुख्य टेक्नोलॉजी बनती है।3,42 वर्तमान में लिथियम खनन ऑस्ट्रेलिया, चिली, चीन और अर्जेंटीना (रेखाचित्र 2) में केंद्रित है।42,[46] लिथियम कोई दुर्लभ संसाधन नहीं है और उसका मौजूदा भंडार 21 मिलियन टन अनुमानित है।33,46
रेखाचित्र 2: बैटरी मैटीरियल्स के शीर्ष उत्पादकों का हिस्सा, 2019
स्रोत: आईईए, यूएस जियोलॉजिकल सर्वे; पीआरएस।
2020-21 में भारत ने लगभग 9,000 करोड़ रुपए मूल्य की लिथियम बैटरियों (सेलफोन्स, ईवी और पावरबैंक्स के लिए) का आयात किया था।[47] मुख्य आयातक चीन (73%) और हांगकांग (23%) थे। वैल्यू चेन यानी खनन, उत्पादन, फैब्रिकेशन, मैन्यूफैक्चरिंग तथा कॉपर, कोबाल्ट, निकल और लिथियम की बिक्री में चीन की मौजूदगी है।42 इन खनिजों तक पहुंच सामाजिक, पर्यावरणीय, आर्थिक और भूराजनैतिक कारकों से प्रभावित हो सकती है। भारत ने संसाधन संपन्न देशों (जैसे लिथियम और कोबाल्ट के लिए ऑस्ट्रेलिया) के साथ कूटनीतिक गठबंधन बनाए हैं ताकि महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला की सुरक्षा सुनिश्चित हो।[48]
रीसाइकलिंग और रीयूज़
ईवी बैटरियों की रीसाइकलिंग और रीयूजिंग से आपूर्ति श्रृंखला के जोखिम की समस्या को कुछ हद तक दूर किया जा सकता है। इस्तेमाल हो चुकी लिथियम बैटरियों के असुरक्षित और लापरवाही से किए गए निस्तारण से बचने के लिए जरूरी है कि व्यापक स्तर पर और कुशलतापूर्वक उनकी रीसाइकलिंग की जाए। क्योंकि असुरक्षित और लापरवाही से उन्हें निस्तारित करने से पर्यावरणीय समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
जब बैटरी पैक की मूल क्षमता में 20-30% क्षति हो जाती है तो उसे वाहनों के लिए अनफिट माना जाता है।[49] हालांकि उसे कम मांग वाले दूसरे एप्लिकेशंस, जैसे स्टेशनरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स, कम स्पीड वाली ई-बाइक्स और बैकअप पावर सप्लाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।49 इस सेकेंडरी लाइफ के अंत में साइकलिंग और निस्तारण का मुद्दा ज्यादा मुखर हो जाता है।
ईवी बैटरियों को समर्पित वेस्ट सेंटर्स की जरूरत होती है, चूंकि इनमें ऐसी सामग्रियां होती हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकती हैं। वर्तमान में अधिकतर लिथियम बैटरियों को इस तरह डिजाइन नहीं किया गया है कि उन्हें रीसाइकिल किया जा सके। इससे बैटरी पैक में सेल्स को अलग-अलग करना मुश्किल होता है।34,[50] उन्हें अलग-अलग करना एक जटिल काम है और पूरी प्रक्रिया ऊर्जा सघन और महंगी भी है।35 इस समय रीसाइकलिंग की प्रक्रिया आर्थिक रूप से व्यावहारिक है क्योंकि इससे कोबाल्ट और निकल जैसे दुर्लभ खनिज रिकवर होते हैं।33,34 कोबाल्ट मुक्त बैटरियों के विकास और एलएफपी के बढ़ते मार्केट शेयर को देखते हुए रीसाइकलिंग क्षेत्र की आर्थिक व्यावहारिकता मुख्य मुद्दा है।3 नीति आयोग ने अनुमान लगाया है कि NMC बैटरियों के मुकाबले (~385 रुपए-400/kg) LFP बैटरियों (~155 रुपए/kg) का आर्थिक मूल्य कम है।[51] सरकार ने बैटरी वेस्ट मैनेजमेंट नियम, 2022 को अधिसूचित किया है। इसमें मैन्यूफैक्चरर्स और उपभोक्ताओं के लिए इस्तेमाल ईवी बैटरियों के प्रबंधन के लिए मानकों को निर्दिष्ट किया गया है।[52] यह नई बैटरी में रिकवर्ड खनिजों के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाता है।
उभरती हुए बैटरी टेक और हरित हाइड्रोजन की भूमिका
नई उभरती हुई बैटरी टेक्नोलॉजी में सोडियम-आयन, ऑल-सॉलिड-स्टेट, लिथियम-सल्फर और मेटल-एयर बैटरी शामिल हैं।51 अगर उनका सफलतापूर्वक व्यवसायीकरण किया जाए तो ये आर्थिक रूप से व्यावहारिक और लिथियम बैटरियों का स्थायी विकल्प बन सकती हैं और दुर्लभ खनिजों पर निर्भरता कम हो सकती है। दूसरा उभरता हुआ विकल्प है, हाइड्रोजन फ्यूल-सेल-पावर्ड ईवी (एफसीईवी) जिसमें इलेक्ट्रिक मोटर फ्यूल सेल और बैटरी बैक, दोनों से चलती है।[53] इन वाहनों में बिजली पैदा करने के लिए कंप्रेस्ड हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा वाहन बैटरी पैक से भी बिजली खींचते हैं। अगर एफसीईवी प्रचलित हो जाते हैं तो अक्षय ऊर्जा स्रोत ग्रीन या लो कार्बन हाइड्रोजन पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाएंगे। इनमें ऊर्जा भंडारण की अपार क्षमता होती है। बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन उत्पादन के वर्तमान तरीकों से बहुत अधिक कार्बन उत्सर्जन होता है।[54] ग्रीन हाइड्रोजन इस समस्या को हल करती है। इसके तहत हाइड्रोजन पैदा करने के लिए सौर या पवन ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है।[55] इस हाइड्रोजन को फ्यूल-सेल इलेक्ट्रिक वाहन को चलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। फ्यूल-सेल कारों को भारत में बिक्री के लिए अभी तक पेश नहीं किया गया है।[56] इस समय इन्हें अधिकतर कोरिया, युनाइडेट स्टेट्स, चीन, जापान और जर्मनी में इस्तेमाल किया जा रहा है।3 सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन नीति और राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन जारी किया है जिसमें भविष्य के लक्ष्यों की रूपरेखा पेश की गई है।[57],[58]
ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) का उत्सर्जन
जैसे कि पहले कहा गया था, व्यापक स्तर पर ईवी के उपयोग से स्थानीय वायु प्रदूषण कम होने की संभावना है। हालांकि ईवी भी जीएचजी उत्सर्जन कर सकते हैं जोकि इस बात पर निर्भर करता है कि उनकी बैटरी को चार्ज करने के लिए इस्तेमाल होने वाली बिजली का स्रोत क्या है। जिन क्षेत्रों में बिजली का उत्पादन कोयला आधारित है, वहां ईवी से होने वाला उत्सर्जन (पूरे लाइफ साइकिल में), उन वाहनों के मुकाबले ज्यादा होगा, जिन्हें अक्षय ऊर्जा से प्राप्त होने वाली बिजली से चार्ज किया जाता है। इसके अलावा बैटरी की मैन्यूफैक्चरिंग भी ऊर्जा गहन प्रक्रिया है जिसमें लिथियम, कोबाल्ट और निकल जैसी धातुओं का उत्खनन और रिफाइनिंग शामिल है और यह जीएचजी उत्सर्जनों में योगदान देता है (देखें रेखाचित्र 3)।42,[59]
रेखाचित्र 3: आईसीई और ईवी के जीवनकाल में जीएचजी उत्सर्जनों के बीच तुलना
नोट: EV: उच्च कार्बन और EV: निम्न कार्बन क्रमशः उच्च-कार्बन और निम्न-कार्बन बिजली स्रोतों का उपयोग करके चार्जिंग को कहा गया है। ईंधन उत्सर्जनों में ईंधन के उत्पादन से लेकर वाहन में इसके उपयोग तक कुल उत्सर्जन शामिल है।
स्रोत: आईईए, केली और अन्य (2020); पीआरएस।
वर्तमान में भारत में थर्मल स्रोतों से 75% और अक्षय ऊर्जा स्रोतों से 22% बिजली का उत्पादन होता है।17 केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) का अनुमान है कि 2031-32 तक बिजली उत्पादन में अक्षय स्रोतों का हिस्सा कुल 44% होगा।17 भरोसमंद अक्षय ऊर्जा आपूर्ति के साथ ईवी परिवहन क्षेत्र से जीएचडी उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
ईवी चार्जिंग और भविष्य में बिजली की मांग
ईवी चार्जिंग बेसिक्स: ऑल्टरनेटिंग करंट (एसी) या डायरेक्ट करंट (डीसी) पावर सप्लाई का इस्तेमाल करके ईवी की बैटरी चार्ज की जा सकती है।[60] एसी चार्जर्स (आम तौर पर धीमे, लो पावर वाले) रेसिडेंशियल और वर्कप्लेस आउटलेट्स में लगाए जाते हैं, जबकि डीसी चार्जर (तेज, हाई पावर वाले) सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों पर लगाए जाते हैं।60 भारत में ईवी का तेजी से उपयोग किया जाए, इसके लिए पर्याप्त चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन और बैटरी स्वैपिंग सेंटर्स) की जरूरत होगी।[61]
बिजली की उपलब्धता
ईवी के उपयोग के लिए बिजली की पर्याप्त उपलब्धता महत्वपूर्ण है। सीईए का अनुमान है कि 2031-32 में बिजली की मांग और पीक मांग क्रमशः 2,538 बिलियन यूनिट्स (kWh) और 363 GW होगी।17 इस व्यापक मांग को पूरा करने के लिए भारत ने अगले 10 वर्षों में कुल 472 GW की स्थापित क्षमता जोड़ने का लक्ष्य रखा है।17 इस क्षमता वृद्धि के लक्ष्य के लिए 32 लाख करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत होगी।17 2017-22 की अवधि के लिए क्षमता वृद्धि का लक्ष्य 176 GW था जिसमें से भारत सिर्फ 85 GW को हासिल कर पाया। सीईए के अनुसार, इस कमी के संभावित कारणों में कोविड-19 महामारी, भूमि अधिग्रहण की समस्या, ठेकेदारों के पास धनराशि की कमी और अनुबंध संबंधी विवाद थे। ईवी के कारण वितरण प्रणाली पर बढ़ने वाला भार इस बात पर निर्भर करेगा कि ईवी को कब चार्ज किया जाता है (पीक या ऑफ पीक घंटों में)। इस अतिरिक्त भार को टाइम-ऑफ-डे मीटरिंग (पीक घंटों में बिजली की उच्च कीमत) का उपयोग करके पीक-मांग अवधि से हटाया जा सकता है।
डिस्कॉम्स की वित्तीय स्थिति पर प्रभाव
उपभोक्ता किसी भी उपलब्ध चार्जिंग आउटलेट पर ईवी को चार्ज कर सकते हैं। वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) को कृषि उपभोक्ताओं को मुफ्त (या सस्ती) बिजली प्रदान करनी होती है। यह संभावना है कि ऐसे सबसिडीयुक्त कनेक्शंस को घरेलू या व्यावसायिक ईवी चार्जिंग के लिए इस्तेमाल किया जाए (क्योंकि कार को फार्म तक ड्राइव कर सकते हैं)। इससे डिस्कॉम्स को वित्तीय नुकसान हो सकता है और सबसिडी पर सरकारी व्यय बढ़ सकता है। ऐसे दुरुपयोग पर काबू पाने के लिए मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने ईवी चार्जिंग के लिए अलग से पावर कनेक्शन अनिवार्य किए हैं।[62] हालांकि निगरानी करना और अनुपालन को सुनिश्चित करना कठिन हो सकता है।
सरकार की वित्तीय स्थिति पर प्रभाव
पेट्रोल और डीजल पर बहुत ज्यादा कर लगाया जाता है (लगभग 50-60%) जबकि ईवी के लिए बिजली पर सबसिडी है (घरेलू मूल्य या उससे कम)।12,14,[63] ईवी के उत्पादन और उसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, ईवी पर कम जीएसटी लगाई जाती है और कई राज्यों ने सड़क करों और पंजीकरण करों को भी कम किया है।25 फेम-II सबसिडी (2024 तक वैध) के तहत 2W की अग्रिम खरीद लागत में 40% कटौती की पेशकश की गई है (देखें बॉक्स 1)।21,22 इसलिए ईवी के उपयोग के स्तर के बढ़ने से सरकार की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
रोजगार पर प्रभाव
एक चिंता यह भी है कि ऑटोमोबाइल मैकेनिक्स की नौकरियों का नुकसान हो सकता है, यह देखते हुए कि ईवी में बहुत कम वर्किंग पार्ट्स होते हैं और उन्हें कम से कम रखरखाव की जरूरत होती है। हालांकि यह बहुत बड़ी चिंता का विषय नहीं है, चूंकि 2030 तक नए ईवी की बिक्री में 4W का हिस्सा 13% ही होने का अनुमान है। तब सड़कों पर आईसीई वाहनों के अधिक संख्या में मौजूद होने की उम्मीद है (बिक्री में वृद्धि कम से कम 6% प्रति वर्ष के अनुमान के अनुसार, अनुमानित जीडीपी वृद्धि के समान)।11
[1] “Where the Energy goes: Electric Cars”, Fuel economy information website, US Department of Energy, as accessed on December 9, 2022, https://www.fueleconomy.gov/feg/atv-ev.shtml.
[2] “Types of Electric Vehicle”, e-AMRIT (Accelerated e-Mobility Revolution for India’s Transportation) portal, NITI Aayog, as accessed on December 9, 2022, https://e-amrit.niti.gov.in/types-of-electric-vehicles.
[3] IEA – Global EV Outlook 2022, https://iea.blob.core.windows.net/assets/e0d2081d-487d-4818-8c59-69b638969f9e/GlobalElectricVehicleOutlook2022.pdf.
[4] Vahan 4 dashboard (Fuel and Vehicle Category data for 4W, FY 2015-16, 2021-22), as accessed on December 9, 2022, https://vahan.parivahan.gov.in/vahan4dashboard/vahan/view/reportview.xhtml.
[5] Vahan 4 dashboard data ((Fuel and Vehicle Category data 2/3/4W) as accessed on October 17, 2022, https://vahan.parivahan.gov.in/vahan4dashboard/vahan/view/reportview.xhtml.
[6] Status quo analysis of various segments of electric mobility and low carbon passenger road transport in India, GIZ (Deutsche Gesellschaft für Internationale Zusammenarbeit GmbH) and NITI Aayog, February 2021, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2021-04/FullReport_Status_quo_analysis_of_various_segments_of_electric_mobility-compressed.pdf.
[7] Tirpude, S., et al., “An investigation into awareness and usage of lead acid batteries in E-rickshaws: A field survey in New Delhi.” Indian Journal of Science and Technology 13.33 (2020): 3467-3483, https://doi.org/10.17485/IJST/v13i33.1065.
[8] “EV30@30 Campaign”, Clean Energy Ministerial, as accessed on December 9, 2022, https://www.cleanenergyministerial.org/initiatives-campaigns/ev3030-campaign/.
[9] “Electric vehicle share of vehicle sales by mode and scenario in India, 2030”, IEA Website, as accessed on December 9, 2022, https://www.iea.org/data-and-statistics/charts/electric-vehicle-share-of-vehicle-sales-by-mode-and-scenario-in-india-2030.
[10] IEA – Global EV Outlook 2021, https://iea.blob.core.windows.net/assets/ed5f4484-f556-4110-8c5c-4ede8bcba637/GlobalEVOutlook2021.pdf.
[11] Page 33, India’s Electric Mobility Transformation – Progress to Date and Future Opportunities, NITI Aayog and Rocky Mountain Institute (RMI), April 2019, https://e-amrit.niti.gov.in/assets/admin/dist/img/new-fronend-img/report-pdf/rmi-niti-ev-report.pdf.
[12] Price Build-up of Petrol at Delhi effective December 1, 2022, Indian Oil Corporation Limited, https://iocl.com/admin/img/UploadedFiles/PriceBuildup/Files/English/71845469d5fd41c78d6d822696b115a3.pdf.
[13] Cost structure based on energy sold basis, Annexure 1.2 (b), Report on Performance of Power Utilities 2020-21, Power Finance Corporation Limited, https://www.pfcindia.com/DocumentRepository/ckfinder/files/Operations/Performance_Reports_of_State_Power_Utilities/Report%20on%20Performance%20of%20Power%20Utilities%202020-21%20(1).pdf.
[14] Tariff schedule for FY 2021-22, BSES Delhi, as accessed on December 8, 2022, https://www.bsesdelhi.com/documents/55701/92678/Tariff_Schedule_for_FY_2021_22.pdf/e862f0b1-cbfe-2f63-84b1-e478c5021a0e?t=1633426006962.
[15] System of Air Quality and Weather Forecasting and Research (SAFAR), Indian Institute of Tropical Meteorology, Pune, http://safar.tropmet.res.in/source.pdf.
[16] “CO2 emissions from Indian Energy Sector, 2019”, as accessed on December 9, 2022, https://www.iea.org/data-and-statistics/charts/co2-emissions-from-the-indian-energy-sector-2019.
[17] Draft National Electricity Plan (Vol – I, Generation), Central Electricity Authority, September 2022, https://cea.nic.in/wp-content/uploads/irp/2022/09/DRAFT_NATIONAL_ELECTRICITY_PLAN_9_SEP_2022_2-1.pdf.
[18] IEA - India Energy Outlook 2021, https://iea.blob.core.windows.net/assets/1de6d91e-e23f-4e02-b1fb-51fdd6283b22/India_Energy_Outlook_2021.pdf.
[19] Developments in India’s Balance of Payments during the Fourth Quarter (January-March) of 2021-22, Reserve Bank of India, June 22, 2022,
https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR408BOPB28AF96F2F5C44DFBEE0D855A06DAEC4.PDF.
[20] Annual Report 2021-2022, Ministry of Road Transport and Highways, https://morth.nic.in/sites/default/files/Annual%20Report_21-22-1.pdf.
[21] S.O. 2258(E), Ministry of Heavy Industries, June 11, 2021, https://fame2.heavyindustries.gov.in/WriteReadData/userfiles/227493.pdf.
[22] S.O. 2526 (E), Ministry of Heavy Industries, June 25, 2021, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2021/227870.pdf.
[23] S.O. 3946 (E), The Gazette of India, Ministry of Heavy Industries, September 23, 2021, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2021/229899.pdf.
[24] “Three Companies signed Program Agreement under (PLI) Scheme for Advanced Chemistry Cell (ACC) Battery Storage”, Press Information Burau Bureau, Ministry of Heavy Industry, July 29, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1846078.
[25] “GST rate on all Electric Vehicles reduced from 12% to 5% and of charger or charging stations for EVs from 18% to 5%”, Press Information Bureau, Ministry of Finance, July 27, 2019, https://pib.gov.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=192337.
[26] GST Rates Booklet, Goods and Services Tax council, https://gstcouncil.gov.in/sites/default/files/goods-rates-booklet-03July2017.pdf.
[27] Section 80 EEB, Finance Act 2019, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2019/209695.pdf.
[28] Draft Battery Swapping Policy, NITI Aayog, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2022-04/20220420_Battery_Swapping_Policy_Draft.pdf.
[29] Amendment in Charging Infrastructure for Electric Vehicles (EV)- the revised consolidated Guidelines & Standards, Ministry of Power, November 7, 2022, https://powermin.gov.in/sites/default/files/uploads/Amendment%20to%20revised%20consolidated%20Guidelines%20dated%2014.01.2022.pdf.
[30] “Transfer of VSSC developed Lithium Ion Cell Technology to Industries”, Indian Space Research Organisation website, Department of Space, June 2022, https://www.isro.gov.in/Transfer%20of%20VSSC%20developed%20Lithium%20Ion%20Cell%20Technology%20to%20Industries.html.
[31] “State-level policies”, e-AMRIT (Accelerated e-Mobility Revolution for India’s Transportation) portal, NITI Aayog, as accessed on December 9, 2022,
https://e-amrit.niti.gov.in/state-level-policies.
[32] “Batteries for Electric Vehicles”, Alternate Fuels Data Center website, U.S. Department of Energy, as accessed on December 9, 2022, https://afdc.energy.gov/vehicles/electric_batteries.html.
[33] Castelvecchi, D., “Electric cars and batteries: how will the world produce enough?”, Nature, August 17, 2021, https://www.nature.com/articles/d41586-021-02222-1.
[34] Morse, I., “A dead battery dilemma”, Science, May 2021, https://doi.org/10.1126/science.372.6544.780.
[35] Harper, G., Sommerville, R., Kendrick, E. et al., Recycling lithium-ion batteries from electric vehicles. Nature 575, 75–86 (2019), https://doi.org/10.1038/s41586-019-1682-5.
[36] Li, M., Lu, J., Chen, Z., Amine, K., Adv. Mater. 2018, 30, 1800561, https://doi.org/10.1002/adma.201800561.
[37] Zeng, X et al., Commercialization of Lithium Battery Technologies for Electric Vehicles. Adv. Energy Mater. 2019, 9, 1900161, https://doi.org/10.1002/aenm.201900161 .
[38] “Lithium-ion Battery Pack Prices Rise for First Time to an Average of $151/kWh”, BloombergNEF website, December 6, 2022, https://about.bnef.com/blog/lithium-ion-battery-pack-prices-rise-for-first-time-to-an-average-of-151-kwh/.
[39] Average percentage share of battery in vehicle cost = (Average battery price × Battery capacity) ×100/Total cost of vehicle. Standard 4W and 2W vehicles specifications based on Tata Nexon EV and Ola S1, respectively.
[40] Brochure, Tata Nexon EV Prime (battery capacity ~ 30 kWh), https://nexonev.tatamotors.com/wp-content/themes/tata-nexon/images/brochure/Nexon-EV-PRIME-Brochure.pdf.
[41] Ola S1 battery capacity (~ 3 kWh), website of Ola Electric, as accessed on December 9, 2022, https://olaelectric.com/s1.
[42] IEA - The Role of Critical Minerals in Clean Energy Transitions 2021, https://iea.blob.core.windows.net/assets/ffd2a83b-8c30-4e9d-980a-52b6d9a86fdc/TheRoleofCriticalMineralsinCleanEnergyTransitions.pdf.
[43] IEA – Global EV Outlook 2022, https://iea.blob.core.windows.net/assets/ad8fb04c-4f75-42fc-973a-6e54c8a4449a/GlobalElectricVehicleOutlook2022.pdf.
[44] “Hero Electric launches ‘Ultra Safe’ battery packs with Battrixx for e-scooters”, website of Hero Electric, November 21, 2022, https://heroelectric.in/hero-electric-launches-ultra-safe-battery-packs-with-battrixx-for-e-scooters/.
[45] Ather Scooter Specifications, https://assets.atherenergy.com/ather450x-gen3-specifications.pdf.
[46] U.S. Geological Survey, Mineral Commodity Summaries, 2021, https://pubs.er.usgs.gov/publication/mcs2021.
[47] Unstarred Question No. 2031, Rajya Sabha, Ministry of Mines, March 21, 2022, https://pqars.nic.in/annex/256/AU2031.pdf.
[48] “India’s Efforts to Attain Self-Reliance in Critical and Strategic Minerals”, Press Information Bureau, Ministry of Mines, March 29, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1810948.
[49] Zhu Z., et al., End-of-life or second-life options for retired electric vehicle batteries, Cell Reports Physical Sciences, August 2021, https://doi.org/10.1016/j.xcrp.2021.100537.
[50] Thompson, D. L., et al., (2020). The importance of design in lithium ion battery recycling–a critical review. Green Chemistry, 22(22), 7585-7603, https://doi.org/10.1039/D0GC02745F.
[51] Advanced Chemistry Cell Battery Reuse and Recycling Market in India, NITI Aayog and Green Growth Equity Fund Technical Cooperation Facility, May 2022, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2022-07/ACC-battery-reuse-and-recycling-market-in-India_Niti-Aayog_UK.pdf.
[52] S.O.3984 (E), Ministry of Environment, Forest and Climate Change, August, 22, 2022, https://moef.gov.in/wp-content/uploads/2022/08/BWMR-2022.pdf.
[53] Alternate Fuels Data Center, U.S. Department of Energy), as accessed on December 9, 2022, https://afdc.energy.gov/vehicles/how-do-fuel-cell-electric-cars-work.
[54] Castelvecchi, D., “How the hydrogen revolution can help save the planet—and how it can’t?”, Nature, November 16, 2022, https://www.nature.com/articles/d41586-022-03699-0.
[55] Harnessing green hydrogen opportunities for deep decarbonisation in India, NITI Aayog and Rocky Mountain Institute (RMI), June 2022, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2022-06/Harnessing_Green_Hydrogen_V21_DIGITAL_29062022.pdf.
[56] “Shri Nitin Gadkari launches world's most advanced technology - developed Green Hydrogen Fuel Cell Electric Vehicle (FCEV) Toyota Mirai”, Press Information Bureau, Ministry of Road Transport & Highways, March 16, 2022, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1806563.
[57] Green Hydrogen Policy, Ministry of Power, February 2022, https://powermin.gov.in/sites/default/files/Green_Hydrogen_Policy.pdf.
[58] “Ministry of Power notifies Green Hydrogen/ Green Ammonia Policy”, Press Information Bureau, Ministry of Power, February 17, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1799067.
[59] Kelly, J.C., Dai, Q. & Wang, M. Globally regional life cycle analysis of automotive lithium-ion nickel manganese cobalt batteries. Mitig Adapt Strateg Glob Change 25, 371–396 (2020). https://doi.org/10.1007/s11027-019-09869-2.
[60] Handbook of electric vehicle charging infrastructure implementation, NITI Aayog, August 2021, https://e-amrit.niti.gov.in/assets/admin/dist/img/new-fronend-img/reportpdf/HandbookforEVChargingInfrastructureImplementation081221.pdf.
[61] Unlocking India’s electric mobility potential, Arthur D Little, August 2022, http://www.adlittle.com/sites/default/files/reports/ADL_Unlocking_Indias_EV_potential_2022.pdf.
[62] Notice, Department of Public Relations, Madhya Pradesh, May 13, 2022, https://www.mpinfo.org/Home/TodaysNews?newsid=20220513N230&fontname=Mangal&pubdate=05/13/2022&LocID=32.
[63] Price Build-up of Diesel at Delhi effective December 1, 2022, Indian Oil Corporation Limited, https://iocl.com/admin/img/UploadedFiles/PriceBuildup/Files/English/79cb7b2b80c140a5808dff13f4244cb1.pdf.
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