भारतीय न्यायपालिका में फैसले की प्रतीक्षा में बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं, और सभी स्तरों पर रिक्तियों की बड़ी संख्या है। सर्वोच्च न्यायालय के कलोजियम ने हाल ही में सुझाव दिया था कि सर्वोच्च न्यायालय में सात न्यायाधीशों की नियुक्ति के तुरंत बाद उच्च न्यायालयों में 129 न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाए। इस नोट में हम न्यायपालिका में लंबित मामलों और विभिन्न स्तरों पर न्यायाधीशों की रिक्तियों से संबंधित आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं।
अदालतों में लंबित मामले; वर्तमान में साढ़े चार करोड़ से ज्यादा मामले लटके हुए हैं
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नोट: 2021 के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आंकड़े 4 सितंबर, 2021 तक के हैं। उच्च न्यायालयों और अधीनस्थ न्यायालयों के आंकड़े 15 सितंबर, 2021 तक के हैं। |
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नोट: आंकड़े 15 सितंबर, 2021 तक के हैं। |
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उच्च न्यायालयों में 21% मामले 10 वर्षो से, और अधीनस्थ न्यायालयों में 23% मामले पांच वर्षों से लंबित हैं |
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न्यायपालिका में रिक्तियां भी बड़ी संख्या में लंबित मामलों की वजह |
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ट्रिब्यूनल्स और विशेष अदालतों में भी लंबित मामले और रिक्तियां बहुत अधिक हैं |
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नोट: 2021 के लिए आंकड़े 31 मई, 2021 तक के हैं। |
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जेलों में दोषियों के मुकाबले अंडरट्रायल कैदियों की संख्या दोगुने से भी अधिक नोट: चार्ट उन सभी राज्यों और यूटीज़ के आंकड़े देता है जहां कम से कम 2,000 अंडरट्रायल कैदी हैं। |
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स्रोत: कोर्ट्स न्यूज (2010-2018), वार्षिक रिपोर्ट (2019-20), भारतीय सर्वोच्च न्यायालय; नेशनल ज्यूडिशियल ग्रिड फॉर हाई कोर्ट्स एंड सबऑर्डिनेट कोर्ट्स (15 सितंबर, 2021 को आखिरी बार एक्सेस किया गया); वेकेंसी स्टेटमेंट्स (2019-2021), फास्ट ट्रैक कोर्ट्स संबंधी योजना पर ब्रीफ नोट (नॉन प्लान), विधि विभाग; रिपोर्ट संख्या 101, कार्मिक, लोक शिकायत एवं विधि तथा न्याय संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2020); राज्यसभा अतारांकित प्रश्न: (i) संख्या. 3458 (25 मार्च, 2021), (ii) संख्या 1214 (11 फरवरी, 2021), (iii) संख्या 2666 (18 मार्च, 2021); मद्रास बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ, भारतीय सर्वोच्च न्यायालय, 2021 की रिट याचिका (सिविल) संख्या 502, 14 जुलाई, 2021; भारत में अपराध (2019, 2020), जेल सांख्यिकी भारत (2019), राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो; पीआरएस।
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