6 जून, 2022 को इलेक्ट्रॉनिक और इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय ने इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरीज़ के लिए दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया की आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम, 2021के ड्राफ्ट संशोधनों पर सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। आईटी नियमों को इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 (आईटी एक्ट) के अंतर्गत 25 फरवरी, 2021 को अधिसूचित किया गया था। मंत्रालय का कहना है कि व्यापक डिजिटल इकोसिस्टम में उभरती चुनौतियों और अंतराल के मद्देनजर नियमों में संशोधन की जरूरत है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम आईटी नियम, 2021 की संक्षिप्त पृष्ठभूमि दे रहे हैं और नियमों में प्रस्तावित मुख्य परिवर्तनों को स्पष्ट कर रहे हैं। 

आईटी नियम, 2021 की पृष्ठभूमि

आईटी एक्ट इंटरमीडियरीज़ को अपने प्लेटफॉर्म पर यूज़र-जनरेटेड कंटेंट की लायबिलिटी से मुक्त करता है, अगर वे कुछ ड्यू डेलिजेंस (सम्यक उद्यम) की शर्तों को पूरा करते हैं। इंटरमीडियरीज़ ऐसी एंटिटीज़ को कहते हैं जोकि दूसरे लोगों की तरफ से डेटा को स्टोर या ट्रांसमिट करते हैं और इसमें टेलीकॉम और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर, ऑनलाइन मार्केटप्लेसेज़, सर्च इंजन्स और सोशल मीडिया साइट्स शामिल हैं। आईटी नियम इंटरमीडियरीज़ के लिए ड्यू डेलिजेंस की शर्तों को निर्दिष्ट करते हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं(i) यूजर्स को सेवाओं के यूसेज़ से जुड़े नियमों और रेगुलेशंस, प्राइवेसी पॉलिसी और शर्तें तथा स्थितियों के बारे में बताना, जिसमें यह बताना भी शामिल है कि किस प्रकार का कंटेट प्रतिबंधित हैं, (ii) अदालत या सरकार के आदेश पर कंटेट को तुरंत हटाना, (iii) नियमों के उल्लंघन के बारे में यूज़र की शिकायतों को दूर करने के लिए शिकायत निवारण प्रणाली प्रदान करना, और (iv) अपने प्लेटफॉर्म पर कुछ शर्तों के अंतर्गत इनफॉरमेशन के पहले ओरिजिनेटर की पहचान को एनेबल करना। नियम ऐसे फ्रेमवर्क को निर्दिष्ट करते हैं जिनके जरिए ऑनलाइन पब्लिशर्स अपने न्यूज और करंट अफेयर्स कंटेंट और क्यूरेटेड ऑडियो-विजुअल कंटेट को रेगुलेट कर सकें। आईटी नियम 2021 के विश्लेषण के लिए कृपया यहां देखें

आईटी नियम 2021 में प्रस्तावित मुख्य परिवर्तन 

ड्राफ्ट संशोधनों में प्रस्तावित मुख्य परिवर्तन इस प्रकार हैं:

  • इंटरमीडियरीज़ की बाध्यताएं: 2021 के नियमों में यह अपेक्षित है कि इंटरमीडियरी अपनी सर्विस के एक्सेस या यूसेज के लिए नियमों और रेगुलेशंस, प्राइवेसी पॉलिसी और यूज़र एग्रीमेंट को पब्लिश करे। यूज़र्स किस प्रकार के कंटेंट को क्रिएट, अपलोड या शेयर कर सकते हैं, नियमों में उनकी सीमाएं भी निर्दिष्ट की गई हैं। नियमों के तहत इंटरमीडियरीज़ के लिए यह जरूरी है कि वे अपने यूज़र्स को इन सीमाओं के बारे में सूचित करें प्रस्तावित संशोधनों में इंटरमीडियरीज़ की बाध्यताओं को व्यापक बनाने का प्रयास किया गया है। इसमें निम्नलिखित शामिल है: (i) नियमों और रेगुलेशंस, प्राइवेसी पॉलिसी और यूज़र एग्रीमेंट के साथ "अनुपालन सुनिश्चित करना"और (ii) "यूज़र्स को प्रतिबंधित कंटेंट को क्रिएट, अपलोड या शेयर न करने के लिए प्रेरित करना"।
     
  • प्रस्तावित संशोधनों में यह भी जोड़ा गया है कि इंटरमीडियरीज़ को ड्यू डेलिजेंस, प्राइवेसी और पारदर्शिता की उचित अपेक्षा के साथ सभी यूज़र्स तक अपनी सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय करने चाहिए। इसके अतिरिक्त इंटरमीडियरीज़ को सभी यूज़र्स के संवैधानिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। मंत्रालय ने गौर किया कि ऐसे परिवर्तन जरूरी थे क्योंकि कई इंटरमीडियरीज़ ने नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया है।
     
  • शिकायत अधिकारियों के फैसलों के खिलाफ अपील की व्यवस्था2021 के नियमों में इंटरमीडियरीज़ से यह अपेक्षित है कि वे नियमों के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों को दूर करने के लिए शिकायत अधिकारी को निर्दिष्ट करें। मंत्रालय ने कहा है कि ऐसे कई मामले हैं जहां इन अधिकारियों ने शिकायतों को संतोषजनक तरीके या निष्पक्षता से दूर नहीं किया। शिकायत अधिकारी के फैसलों से पीड़ित व्यक्ति को निवारण मांगने के लिए अदालतों में जाना पड़ता है। इसलिए ड्राफ्ट संशोधनों में अपील के लिए वैकल्पिक व्यवस्था का प्रस्ताव रखा गया है। शिकायत अधिकारियों के फैसलों के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार एक शिकायत अपीलीय कमिटी बनाएगी। इस कमिटी में एक चेयरपर्सन और अन्य सदस्य होंगे जिन्हें केंद्र सरकार एक अधिसूचना के जरिए नियुक्त करेगी। अपील की प्राप्ति के 30 दिनों के भीतर कमिटी को उसका निस्तारण करना होगा। संबंधित इंटरमीडियरी को कमिटी के आदेश का पालन करना होगा। उल्लेखनीय है कि प्रस्तावित संशोधन यूज़र्स को अदालतों से सीधा संपर्क करने से नहीं रोकते।
     
  • प्रतिबंधित कंटेट को तुरंत हटाना: 2021 के नियमों में इंटरमीडियरीज़ से यह अपेक्षा की गई है कि वे नियमों के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों को 24 घंटे के भीतर स्वीकार करेंगे और 15 दिनों के भीतर उनका निस्तारण करेंगे। प्रस्तावित संशोधनों में कहा गया है कि प्रतिबंधित कंटेंट को हटाने से संबंधित शिकायत को 72 घंटे में दूर किया जाना चाहिए। मंत्रालय का कहना है कि इंटरनेट पर किसी कंटेंट के वायरल होने की संभावना को देखते हुए समय सीमा को और कड़ा करने से प्रतिबंधित कंटेंट को तेजी से हटाने में मदद मिलेगी। 

ड्राफ्ट संशोधनों पर टिप्पणियां 6 जुलाई, 2022 तक आमंत्रित हैं। 

14 मार्च, 2022 को राज्यसभा ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डीओएनईआर) के कामकाज पर चर्चा की। चर्चा के दौरान बजटीय आबंटन, योजनाओं के कार्यान्वयन तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र की कनेक्टिविटी से संबंधित कई मुद्दों पर विचार किया गया। यह मंत्रालय पूर्वोत्तर क्षेत्र से संबंधित विकास योजनाओं और प्रॉजेक्ट्स की योजना बनाने, उनके कार्यान्वयन और निगरानी के लिए जिम्मेदार है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम मंत्रालय के लिए 2022-23 के बजटीय आबंटनों का विश्लेषण करेंगे और उससे संबंधित विषयों पर विचार करेंगे।

इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए पीएम-डिवाइन नामक नई योजना की घोषणा

2022-23 में मंत्रालय के आबंटन में 2021-22 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 5की वृद्धि हुई है। मंत्रालय को 2,800 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं जिसे पूर्वोत्तर विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर विकास योजना और पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजना जैसी विभिन्न योजनाओं के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। तालिका 1 में मंत्रालय के बजटीय आबंटन का क्षेत्रवार ब्रेकअप दिया गया है।   

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर विकास पहल (पीएम-डिवाइन) नाम की एक नई योजना की घोषणा की थी। इसे पूर्वोत्तर परिषद (पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक विकास हेतु नोडल एजेंसी) द्वारा लागू किया जाएगा। पीएम-डिवाइन सड़क कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास परियोजनाओं को वित्त पोषित करेगी। यह योजना मौजूदा केंद्रीय क्षेत्र या केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं का स्थान नहीं लेगी, या उन्हें समाहित नहीं करेगी। योजना के लिए 1,500 करोड़ रुपए का शुरुआती आबंटन किया जाएगा। 

तालिका 1पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के आबंटन का ब्रेकअप (करोड़ रुपए में) 

 

प्रमुख मद

2020-21

वास्तविक

2021-22

बअ

2021-22

संअ

2022-23

बअ

2021-22 संअ से 2022-23 बअ से परिवर्तन का %

पूर्वोत्तर विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर विकास योजना

446

675

674

1,419

111%

पूर्वोत्तर परिषद की योजनाएं

567

585

585

702

20%

पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजना

416

696

674

496

-26%

पूर्वोत्तर एवं सिक्किम के लिए संसाधनों का केंद्रीय पूल

342

581

581

-

-

अन्य

270

322

344

241

-30%

कुल

1,854

2,658

2,658

2,800

5%

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

नोट: बअ– बजट अनुमान; संअ – संशोधित अनुमान; पूर्वोत्तर परिषद की योजनाओं में विशेष विकास परियोजनाएं शामिल हैं।
स्रोत: 2022-23 के केंद्रीय बजट दस्तावेजों की मांग संख्या 23पीआरएस। 

पूंजीगत परिव्यय के लिए मांग से कम आबंटन

गृह मामलों संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा है कि मंत्रालय ने जितनी मांग (794 करोड़ रुपए) की थी, उसके मुकाबले 2022-23 के बजट चरण में आबंटित राशि (660 करोड़ रुपए) 17% कम है। पूंजीगत व्यय में पूंजीगत परिव्यय शामिल होता है जिसके जरिए स्कूल, अस्पतालों, सड़क एवं पुलों जैसी परिसंपत्तियों का सृजन होता है। कमिटी ने गौर किया कि इससे उन परियोजनाओं और योजनाओं के कार्यान्वयन पर गंभीर असर हो सकता है जिनके लिए पूंजीगत परिव्यय की जरूरत होती है। उसने सुझाव दिया कि मंत्रालय को इस विषय में वित्त मंत्रालय से बात करनी चाहिए और वित्तीय वर्ष 2022-23 के संशोधित चरण में अतिरिक्त सहायता की मांग करनी चाहिए।  

पिछले कुछ वर्षों में धनराशि की पूरा उपयोग नहीं किया गया

2011-12 (2016-17 को छोड़कर) के बाद से मंत्रालय बजटीय चरण में आबंटित धनराशि का उपयोग नहीं कर पाया है (रेखाचित्र 1)। उदाहरण के लिए 2020-21 में पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजना के मामले में धनराशि का 52% उपयोग किया गया, जबकि पूर्वोत्तर विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर विकास योजना (जलापूर्ति, बिजली, कनेक्टिविटी, सोशल इंफ्रास्ट्रक्टर से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स) के अंतर्गत केवल 34धनराशि का उपयोग किया गया। मंत्रालय ने धनराशि के उपयोग न हो पाने के कई कारण बताए इनमें परियोजनाओं के प्रस्ताव देर से प्राप्त होना और राज्य सरकारों की तरफ से यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट्स प्राप्त न होना शामिल है।

रेखाचित्र 12011-12 के बाद मंत्रालय द्वारा धनराशि का पूरा उपयोग न करना

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 नोटसंशोधित अनुमान का उपयोग 2021-22 के वास्तविक व्यय के तौर पर किया गया है।
 स्रोतकेंद्रीय बजट दस्तावेज (2011-12 से 2022-23); पीआरएस।

परियोजनाओं की धीमी रफ्तार 

मंत्रालय सड़क एवं पुलों जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के लिए कई योजनाओं को लागू करता है। कुछ योजनाओं की प्रगति अपर्याप्त रही है। स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा कि पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत कई सड़क परियोजनाओं की भौतिक प्रगति या तो शून्य है, या सिंगल डिजिट परसेंट में है, इसके बावजूद कि परियोजना के लिए धनराशि जारी की जा चुकी है। इसी तरह करबी अंगलोंग स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद (असम में स्वायत्त जिला परिषद) तथा सामाजिक एवं इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कोष (पूर्वोत्तर क्षेत्र में सड़क, पुलों का निर्माण, और स्कूलों एवं जलापूर्ति परियोजनाओं का निर्माण) के अंतर्गत परियोजनाओं की अपर्याप्त प्रगति देखी गई है।

घटते वन आवरण पर ध्यान देने की जरूरत

स्टैंडिंग कमिटी (2021) ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय को वन आवरण के संरक्षण के लिए काम करने का भी सुझाव दिया। कमिटी ने पूर्वोत्तर भारत में वन आवरण के घटने पर भी ध्यान दिया। भारतीय वनों की स्थिति पर केंद्रित रिपोर्ट (2021) के अनुसार, 2019 से 2021 के बीच जिन राज्यों के वन आवरण को सबसे अधिक नुकसान हुआ, वे हैं(i) अरुणाचल प्रदेश (257 वर्ग किलोमीटर वन आवरण का नुकसान), (ii) मणिपुर (249 वर्ग किलोमीटर), (iii) नागालैंड (235 वर्ग किलोमीटर), (iv) मिजोरम (186 वर्ग किलोमीटर), और (v) मेघालय (73 वर्ग किलोमीटर)। वन आवरण में गिरावट के कई कारण हो सकते हैं, जैसे झूम खेती, पेड़ों की कटाई, प्राकृतिक आपदाएं, मानवजनित (पर्यावरणीय प्रदूषण) दबाव और विकासपरक गतिविधियां। कमिटी ने सुझाव दिया कि वन एवं पर्यावरण के संरक्षण के विभिन्न उपायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और निर्धारित समय अवधि में उन्हें लागू किया जाना चाहिए। उसने यह सुझाव भी दिया कि मंत्रालय को निम्नलिखित कार्य करने चाहिए: (i) वन आवरण/घनत्व को बढ़ाने के लिए नियमित पौधरोपण करना चाहिए, और (ii) केंद्रीय प्रायोजित कार्यक्रमों के अंतर्गत वनों के संरक्षण के अंतिम लक्ष्य को प्राथमिकता देनी चाहिए।

राज्यसभा में चर्चा के दौरान कई सदस्यों ने महत्वपूर्ण विषय उठाए

राज्यसभा में 14 मार्च, 2022 को पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा की गई। सदस्यों ने जिन विषयों को उठाया, उनमें से एक यह था कि मंत्रालय के पास अपना लाइन विभाग नहीं है। इस वजह से मंत्रालय को परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए राज्यों के प्रशासनिक बल पर निर्भर रहना पड़ता है। कई दूसरे सदस्यों ने यह भी कहा कि क्षेत्र रेलवे और सड़क नेटवर्क से जुड़ा हुआ नहीं है जिससे इसका आर्थिक विकास प्रभावित होता है। सदन में इसके जवाब में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार सड़क, रेलवे, जलमार्ग और दूरसंचार के जरिए पूर्वोत्तर क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार करने के निरंतर प्रयास कर रही है।

पूर्वोत्तर के लिए केंद्रीय मंत्रालयों के आबंटन

केंद्रीय मंत्रालयों ने पूर्वोत्तर के लिए अपना 10% बजट आबंटित किया (धनराशि के आबंटन और उपयोग के लिए रेखाचित्र 2 को देखें)। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय वह नोडल मंत्रालय है जोकि विभिन्न मंत्रालयों के आबंटनों की निगरानी करता है। 2022-23 में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए सभी मंत्रालयों ने 76,040 करोड़ रुपए का आबंटन किया है। 2021-22 के संशोधित अनुमानों (68,440 करोड़ रुपए) के मुकाबले इसमें 11की वृद्धि है। 2019-20 और 2021-22 में पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लिए वास्तविक व्यय बजट अनुमान से क्रमशः 18% और 19% कम था। 

रेखाचित्र 2पूर्वोत्तर के लिए केंद्रीय मंत्रालयों का बजटीय आबंटन (करोड़ रुपए में)

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स्रोत: रिपोर्ट संख्या 239पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की अनुदान मांग (2022-23)गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी; पीआरएस।