सरकार ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट को प्रतिबंधित करने के लिए बुधवार को एक अध्यादेश जारी किया। इस संबंध में हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट क्या होती है, उससे संबंधित मौजूदा रेगुलेशंस क्या है और इस अध्यादेश के प्रावधान क्या हैं।
इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट क्या होती है?
अध्यादेश स्पष्ट करता है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (ई-सिगरेट) एक बैटरी चालित उपकरण होता है जोकि किसी पदार्थ को गर्म करता है ताकि कश लेने के लिए वाष्प पैदा हो। इस पदार्थ में निकोटिन हो सकती है, अथवा नहीं भी हो सकती। ई-सिगरेट में कई प्रकार के स्वाद हो सकते हैं, जैसे मेंथॉल, आम, तरबूज और खीरा। आम तौर पर ई-सिगरेट का आकार परंपरागत तंबाकू उत्पाद (जैसे सिगरेट, सिगार या हुक्का) जैसा होता है, लेकिन वह पेन या यूएसबी मेमोरी स्टिक जैसे रोजमर्रा के सामान के आकार वाली भी हो सकती है।
परंपरागत सिगरेट से अलग ई-सिगरेट में तंबाकू नहीं होता और इसलिए वह सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद एक्ट, 2003 के अंतर्गत रेगुलेटेड नहीं है। यह एक्ट भारत में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों की बिक्री, उत्पादन और वितरण को रेगुलेट तथा सिगरेट के विज्ञापर को प्रतिबंधित करता है।
ई-सिगरेट्स के अंतरराष्ट्रीय रेगुलेशन क्या हैं?
भारत ने डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस कन्वेंशन को तंबाकू की महामारी के भूमंडलीकरण की प्रतिक्रियास्वरूप विकसित किया गया था। 2014 में डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी ने हस्ताक्षरकर्ता देशों को ई-सिगरेट को प्रतिबंधित या रेगुलेट करने पर विचार करने हेतु आमंत्रित किया था। सेहत पर इन उत्पादों के बुरे असर के कारण यह सुझाव दिया गया था जिसके कारण फेफड़ों के कैंसर, हृदय संबंधी रोग और धूम्रपान से जुड़ी दूसरी बीमारियां हो सकती हैं।
इसके बाद ब्राजील, मैक्सिको, सिंगापुर और थाईलैंड जैसे अनेक देशों ने ई-सिगरेट्स के उत्पादन, निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। हाल ही में यूएसए में न्यूयॉर्क और मिशिगन ने फ्लेवर्ड ई-सिगरेट्स की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है। दूसरी तरफ यूके में कुछ शर्तों के साथ ई-सिगरेट्स के निर्माण और बिक्री की अनुमति है। इसके अतिरिक्त ई-सिगरेट्स के विज्ञापन और प्रमोशन तथा उनमें निकोटिन के स्तर को भी रेगुलेट किया जाता है।
अध्यादेश से पूर्व क्या भारत में ई-सिगरेट पर रेगुलेशन था?
अगस्त 2018 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक एडवाइजरी जारी कि जिसमें उनसे यह अपेक्षा की गई थी कि वे किसी नई ई-सिगरेट को मंजूरी नहीं देंगे और उनकी बिक्री और विज्ञापन पर रोक लगाएंगे। इस एडवाइजरी के आधार पर दिल्ली, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश सहित 15 राज्यों ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि मार्च 2019 में दिल्ली उच्च न्यायालय में इस एडवाइजरी को चुनौती दी गई जिसके बाद इस प्रतिबंध पर स्टे लगा दिया गया।
अध्यादेश क्या करता है?
अध्यादेश भारत में ई-सिगेट्स के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण और विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाता है। इस प्रावधान का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को एक वर्ष तक का कारावास भुगतना पड़ेगा या एक लाख रुपए का जुर्माना भरना पड़ेगा या दोनों सजा भुगतनी होगी। एक बार से अधिक बार अपराध करने पर तीन वर्ष तक का कारावास भुगतना पड़ेगा और पांच लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ेगा।
इसके अतिरिक्त ई-सिगरेट के स्टोरेज पर छह महीने तक का कारावास या 50,000 रुपए का जुर्माना होगा, या दोनों सजा भुगतनी पड़ेगी। अध्यादेश के लागू होने के बाद (यानी 18 सितंबर, 2019) ई-सिगरेट का मौजूदा स्टॉक रखने वालों को इन स्टॉक्स की घोषणा करनी होगी और उन्हें अधिकृत अधिकारी के निकटवर्ती कार्यालय में जमा कराना होगा। यह अधिकृत अधिकारी पुलिस अधिकारी (कम से कम सब इंस्पेक्टर स्तर का) हो सकता है, या केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत कोई भी अन्य अधिकारी।
उल्लेखनीय है कि अध्यादेश में ई-सिगरेट रखने या इस्तेमाल करने से संबंधित कोई प्रावधान नहीं हैं। अध्यादेश अगले छह महीने तक लागू रहेगा और इसे संसद के अगले सत्र के शुरू होने के छह हफ्तों के अंदर संसद की मंजूरी की जरूरत होगी। अगर अध्यादेश इस समयावधि में पारित नहीं होता, तो यह लागू नहीं रहेगा।
27 अप्रैल, 2020 तक भारत में कोविड-19 के 27,892 पुष्ट मामले हैं। 20 अप्रैल तक 10,627 नए मामले दर्ज किए गए हैं। पुष्ट मामलों में 6,185 मरीजों का इलाज हो चुका है/उन्हें डिस्चार्ज किया जा चुका है और 872 की मृत्यु हुई है। जैसे इस महामारी का प्रकोप बढ़ा है, केंद्र सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए अनेक नीतिगत फैसलों और महामारी से प्रभावित नागरिकों और व्यवसायों को मदद देने के उपायों की घोषणाएं की हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम केंद्र सरकार के 20 अप्रैल से 27 अप्रैल तक के कुछ मुख्य कदमों का सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं।
Source: Ministry of Health and Family Welfare; PRS.
लॉकडाउन
विशिष्ट क्षेत्रों में स्थित दुकानों के लिए लॉकडाउन से राहत
गृह मामलों के मंत्रालय ने निम्नलिखित को खोलने के लिए आदेश दिया है: (i) ग्रामीण क्षेत्रों में सभी दुकानें, शॉपिंग मॉल्स की दुकानों को छोड़कर, और (ii) सभी स्टैंडएलोन दुकानें, आस-पड़ोस की दुकानें, और शहरी क्षेत्रों में आवासीय कॉम्प्लैक्सों की दुकानें। बाजारों में स्थित दुकानों, मार्केट कॉम्प्लैक्स या शहरी क्षेत्रों में शॉपिंग मॉल्स में कामकाज की अनुमति नहीं है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शॉप्स और इस्टैबलिशमेंट्स एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत दुकानों को ही खोले जाने की अनुमति है। इसके अतिरिक्त जिन ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन्स घोषित किया गया है, वहां की दुकानें नहीं खोली जाएंगी। आदेश में यह भी कहा गया है कि शराब की बिक्री पर प्रतिबंध जारी रहेगा।
केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल्स का कामकाज बंद रहेगा
केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल का कामकाज 3 मई, 2020 तक बंद रहेगा। जब कामकाज शुरू होगा तो अवकाश के दिनों को भी वर्किंग डे माना जा सकता है। अधिकतर केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल कोविड-19 हॉटस्पॉट्स में स्थित हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है।
वित्तीय उपाय
आरबीआई ने म्युचुअल फंड्स के लिए 50,000 करोड़ रुपए की विशेष लिक्विडिटी सुविधा की घोषणा की
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 50,000 करोड़ रुपए मूल्य के म्युचुअल फंड्स के लिए विशेष लिक्विडिटी सुविधा (एसएलएफ-एमएफ) खोलने का फैसला किया है। इससे म्युचुअल फंड्स पर लिक्विडिटी का दबाव खत्म होगा। एसएलएफ-एमएफ के अंतर्गत आरबीआई निर्धारित रेपो रेट पर 90 दिनों की अवधि में रेपो ऑपरेशन करेगी। एसएलएफ-एमएफ तत्काल इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगा और बैंक इन फंड्स को हासिल करने के लिए अपनी बोलियां सौंप सकते हैं। यह योजना 27 अप्रैल से 11 मई, 2020 के लिए उपलब्ध है या तब तक के लिए जब तक आबंटित राशि का इस्तेमाल नहीं हो जाता (इनमें से जो पहले हो)। आरबीआई योजना की समयावधि और राशि की समीक्षा करेगी, जोकि बाजार की स्थितियों पर निर्भर करता है। बैंक विशेष रूप से म्युचुअल फंड्स की लिक्विडिटी संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस राशि का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह निम्नलिखित के जरिए किया जा सकता है: (i) लोन देना, और (ii) इनवेस्टमेंट ग्रेड कॉरपोरेट बॉन्ड्स, कमर्शियल पेपर्स, डिबेंचर्स और म्युचुअल फंड्स के सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉजिट्स के आउटराइट परचेस और/या उनके लिए कोलेट्रेल लेना।
आरबीआई ने अल्पावधि के फसल ऋण के लिए इन्टरेस्ट सबवेंशन और प्रॉम्प्ट रीपमेंट इनसेंटिव योजनाओं के लाभ का दायरा बढ़ाया
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को तीन लाख रुपए तक के अल्पावधि फसल ऋण के लिए इन्टरेस्ट सबवेंशन और प्रॉम्प्ट रीपमेंट इनसेंटिव योजनाओं के लाभों को क्रमशः 2% और 3% बढ़ाने की सलाह दी। जिन किसानों के एकाउंट्स ड्यू हैं या 1 मार्च, 2020 से 1 मई, 2020 के बीच ड्यू होने वाले हैं, इस योजना के लिए पात्र होंगे।
स्वास्थ्य सेवा कर्मियों का संरक्षण
महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश, 2020 जारी
महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को 22 अप्रैल, 2020 को जारी किया गया। अध्यादेश महामारी रोग एक्ट, 1897 में संशोधन करता है। एक्ट में खतरनाक महामारियों की रोकथाम से संबंधित प्रावधान हैं। अध्यादेश इस एक्ट में संशोधन करता है जिससे महामारियों से जूझने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को संरक्षण प्रदान किया जा सके, तथा ऐसी बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार की शक्तियों में विस्तार करता है। अध्यादेश की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
अध्यादेश पर अधिक विवरण के लिए कृपया यहां देखें।
वित्तीय सहायता
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के अंतर्गत उपाय
वित्त मंत्रालय के अनुसार, 26 मार्च से 22 अप्रैल, 2020 के बीच लगभग 33 करोड़ गरीब लोगों को लॉकडाउन के दौरान प्रत्यक्ष रूप से 31,235 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी गई है। बैंक अंतरणों के लाभार्थियों में विधवाएं, प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत महिला खाताधारक, वरिष्ठ नागरिक और किसान शामिल हैं। प्रत्यक्ष बैंक अंतरणों के अतिरिक्त अन्य प्रकार से भी सहायता मुहैय्या कराई गई है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।