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  • कोविड-19 पर बिहार सरकार की प्रतिक्रिया (19 अप्रैल, 2020 तक)
राज्यों और राज्य विधानसभाओं

कोविड-19 पर बिहार सरकार की प्रतिक्रिया (19 अप्रैल, 2020 तक)

साकेत सूर्य - अप्रैल 19, 2020

22 मार्च को बिहार में नए कोरोनावायरस रोग (कोविड-19) के पहले दो मामले दर्ज किए गए जिनमें से एक मरीज की मौत हो गई। इसके बाद से मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 19 अप्रैल तक बिहार में कोविड-19 के 86 पुष्ट मामले हैं जिनमें से 47 सक्रिय मामले हैं और 37 लोग ठीक हो गए हैं। पिछले हफ्ते 33 नए मामले दर्ज किए गए हैं। 22 मार्च से एक मौत और दर्ज की गई है। 

बीमारी के अत्यधिक संक्रामक होने के कारण 22 मार्च को बिहार सरकार ने 31 मार्च तक राज्यव्यापी लॉकडाउन  की घोषणा की। इसके बाद केंद्र सरकार ने 25 मार्च और 14 अप्रैल के बीच राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू किया जो अब 3 मई तक बढ़ गया है। लॉकडाउन के दौरान लोगों के मूवमेंट पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं के अतिरिक्त सभी इस्टैबलिशमेंट्स बंद किए गए हैं। अब 20 अप्रैल के बाद कम प्रभावित जिलों में प्रतिबंधों में ढिलाई की उम्मीद है। 

इस ब्लॉग में हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कोविड-19 से निपटने के लिए राज्य सरकार ने अब तक क्या मुख्य कदम उठाए हैं। 

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प्रारंभिक चरण: यात्रियों की स्क्रीनिंग, निवारक उपायों के संबंध में जागरूकता 

राज्य सरकार ने शुरुआत में निम्नलिखित कदम उठाए: (i) बीमारी के निवारक उपायों के संबंध में जागरूकता फैलाना, और (ii) अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग। इस संबंध में 25 फरवरी को बिहार स्वास्थ्य सोसायटी ने निम्नलिखित से संबंधित एडवाइजरीज़ जारी कीं: (i) स्कूलों और कॉलेजों में क्या उपाय किए जाएंगे, और (ii) लक्षण वाले एयरलाइन यात्रियों और पर्यटकों की जानकारी जिला स्वास्थ्य प्रशासन को दी जाएगी। 11 मार्च को 104 कॉल सेंटर को कोविड-19 के कंट्रोल रूम के तौर पर नामित किया गया ताकि बीमारी के संबंध में लोगों के सवालों के जवाब दिए जा सकें। 

लॉकडाउन से पूर्व: सामूहिक जमावड़े की सीमा तय, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की लामबंदी 

सामूहिक जमावड़े की सीमा तय

13 से 18 मार्च के बीच राज्य सरकार ने आदेश जारी किया कि 31 मार्च तक विभिन्न परिसरों को बंद किया जाए। इनमें आंगनवाड़ी केंद्र, शिक्षण संस्थान, और सिनेमा हॉल, पार्क तथा शॉपिंग मॉल जैसे कमर्शियल इस्टैबलिशमेंट्स शामिल थे। सरकारी कर्मचारियों को वैकल्पिक दिनों पर कार्यालय आने का निर्देश दिया गया।  किसी एक स्थान पर 50 से ज्यादा लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध लगाया गया जिसमें कोई पारिवारिक जमावड़ा भी शामिल था (शादियों को छोड़कर)। परिवहन विभाग को कहा गया कि सार्वजनिक और निजी परिवहन को प्रतिबंधित किया जाए। 

स्वास्थ्य संबंधी उपाय

  • 13 मार्च को सरकार ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए: (i) सरकारी अस्पतालों में 100 अतिरिक्त वेंटिलेटर्स की उपलब्धता सुनिश्चित करना, (ii) एम्स, पटना और पीएमसीएच, पटना अस्पतालों में कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए व्यवस्था करना, और (iii) स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द करना।
     
  • 13 मार्च को बिहार-नेपाल सीमा के जरिए प्रवेश करने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू की गई। 
     
  • 17 मार्च को स्वास्थ्य विभाग ने महामारी रोग एक्ट, 1897 के अंतर्गत बिहार महामारी रोग कोविड-19 रेगुलेशन, 2020 जारी किया। एक्ट खतरनाक महामारियों के बेहतर रोकथाम का प्रावधान करता है। रेगुलेशन कोविड-19 के मरीजों की स्क्रीनिंग और इलाज के लिए निजी और सरकारी अस्पतालों के लिए प्रोटोकॉल निर्दिष्ट करते हैं। ये जिला प्रशासन को रोकथामकारी उपाय करने का अधिकार देते हैं जिनमें विशिष्ट क्षेत्रों को सील करना और कोविड-19 के मामलों की निगरानी करना शामिल है। ये बुरे इरादे से अफवाह या अपुष्ट सूचनाओं को प्रसारित करने को दंडनीय अपराध बनाते हैं। 

कल्याणकारी उपाय

  • 16 मार्च को मुख्यमंत्री के घोषणा की कि मुख्यमंत्री मेडिकल सहायता कोष बिहार के लोगों के कोविड-19 के इलाज का खर्चा वहन करेगा। इसके अतिरिक्त बिहार सरकार कोविड-19 के कारण मरने वाले व्यक्ति के परिवार को पांच लाख रुपए की सहायता देगी। 
     
  • सरकार ने स्कूलों में मिड-डे मील योजना तथा आंगनवाड़ी केंद्रों में भोजन के स्थान पर प्रत्यक्ष नकद अंतरण प्रदान करने से संबंधित निर्देश जारी किए।  

अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं 

  • 21 मार्च को खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने जिला प्रशासन को बिहार अनिवार्य वस्तु (मूल्य और स्टॉक का प्रदर्शन) आदेश, 1977 के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। आदेश में निर्दिष्ट वस्तुओं के विक्रेताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे लोगों की जानकारी के लिए उन वस्तुओं के स्टॉक और मूल्यों को प्रदर्शित करें। निर्दिष्ट वस्तुओं में खाद्य सामग्री, खाद्य तिलहन और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल हैं। विभाग ने जिला प्रशासन को यह निर्देश भी दिया कि वह इन वस्तुओं की सूची में कोई अन्य वस्तु को शामिल करने का प्रस्ताव भेजें। 

लॉकडाउन के दौरान कल्याणकारी उपाय, मेडिकल संरचना को मजबूत करना

22 मार्च को लॉकडाउन की घोषणै के बाद राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय समन्वय समितियों का गठन किया गया। लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए: (i) राज्य में मेडिकल संरचना को मजबूत करना, (ii) इस दौरान प्रभावित होने वाले विभिन्न वर्गों को राहत पहुंचाना, और (iii) अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई से जुड़ी समस्याओं को दूर करना। 

स्वास्थ्य संबंधी उपाय

  • 25 मार्च को स्वास्थ्य विभाग ने बिहार कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम का गठन किया जोकि स्वास्थ्य संबंधी सभी कदमों के बीच समन्वय स्थापित करने एवं उन्हें नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है। 
     
  • कंटेनमेंट और उपचार के लिए प्रोटोकॉल: कंटेनमेंट और उपचार संबंधी उपायों हेतु दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन के लिए निर्देश दिए गए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) आइसोलेशन और क्वारंटाइन केंद्रों का गठन और परिचालन, (ii) क्लस्टर कंटेनमेंट रणनीति के जरिए स्थानीय और सामुदायिक संक्रमण को दूर करने के लिए कंटेनमेंट योजना, (iii) इंफ्लूएंजा के समान रोग (आईएलआई) और गंभीर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस (सारी) के लिए निरीक्षण कार्यक्रम, (iv) उपचार/निदान/क्वारंटाइन के दौरान उत्पन्न होने वाले कचरे का निपटान और (v) कोविड-19 पॉजिटिव व्यक्तियों के निवास और निकटवर्ती क्षेत्रों का सैनिटेशन।
     
  • डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग का अभियान: 14 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने सिवान, बेगुसराय और नालंदा सहित सभी प्रभावित जिलों में डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग अभियान चलाने के निर्देश जारी किए। ऐसे स्क्रीनिंग अभियान सीमा क्षेत्रों के जिलों और कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों के निवास के दायरे में आने वाले तीन किलोमीटर क्षेत्र में भी चलाए जाएंगे। 
     
  • मैनपावर बढ़ाना: सरकार ने डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स जैसे मेडिकल प्रोफेशनल्स को स्वयंसेवी बनने का निमंत्रण दिया। उसने जिला प्रशासन को निर्देश भी दिया कि वे सशस्त्र सेवाओं के सेवानिवृत्त डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स को स्वयंसेवी बनाएं। स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों की छुट्टियों को 30 अप्रैल तक के लिए रद्द किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने डेप्युटेड आयुष प्रैक्टीशनर्स को आइसोलेशन और क्वारंटाइन केंद्रों में मदद करने को कहा। 
     
  • कोविड-19 के लिए डेडिकेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर: 5 अप्रैल को कुछ सरकारी अस्पतालों को कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए एक्सक्लूसिव अस्पतालों के रूप में निर्दिष्ट किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने पटना के बड़े निजी अस्पतालों को ओपीडी सेवाएं बंद करने का भी निर्देश दिया। 
     
  • अन्य स्वास्थ्य संबंधी उपाय: 22 मार्च को राज्य सरकार ने सभी डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को इन्सेंटिव के तौर पर एक महीने की बेसिक सैलरी के भुगतान की घोषणा की। 13 अप्रैल को स्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक स्थलों पर सिगरेट पीने और तंबाकू एवं पान खाने वाले लोगों को थूकने से प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने घोषणा की कि वह निजी क्षेत्र से टेस्ट किट्स खरीदेगी।  

कल्याणकारी उपाय

  • राहत पैकेज: 22 मार्च को सरकार ने लॉकडाउन से प्रभावित लोगों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की। राहत पैकेज की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
  1. सभी राशन कार्ड धारकों को एक महीने का मुफ्त राशन,
     
  2. प्रति राशन कार्ड धारक परिवार को 1,000 रुपए का वन टाइम नकद हस्तांतरण, 
     
  3. वृद्ध लोगों, विधवाओं और विकलांग लोगों सहित सभी पेंशनयाफ्ता लोगों को एडवांस में तीन महीने की पेंशन का भुगतान, और 
     
  4. सभी विद्यार्थियों को बकाया स्कॉलरशिप्स जारी करना। 
  • प्रवासियों की मदद: 26 मार्च को मुख्यमंत्री राहत कोष से 100 करोड़ रुपए आबंटित किए गए ताकि लॉकडाउन के दौरान देश के अन्य हिस्सों में फंसे हुए प्रवासियों को मदद दी जा सके। 2 अप्रैल को राज्य सरकार ने प्रवासियों को 1,000 रुपए के वन टाइन नकद हस्तांतरण की घोषणा की। 13 अप्रैल को इस उद्देश्य के लिए राहत कोष से अतिरिक्त 50 करोड़ रुपए आबंटित किए गए। प्रवासियों के लिए राहत प्रयासों में समन्वय हेतु राज्य स्तरीय नोडल अधिकारियों को नियुक्त किया गया। राज्य सरकार बिहार के प्रवासियों की मदद के लिए  HYPERLINK "http://www.prdbihar.gov.in/AdminPanel/Files/PressRelease/2020/237.pdf" दिल्ली में 10 फूड सेंटर्स चला रही है।
     
  • राहत शिविर: 28 मार्च को राज्य सरकार ने सीमा पर राहत शिविर (नेपाल सीमा सहित) शुरू करने का फैसला किया जोकि राज्य में आने वाले लोगों को भोजन, शेल्टर और मेडिकल सहायता प्रदान करेगा। भोजन और शेल्टर देने के लिए सरकारी स्कूल परिसरों में सामुदायिक किचन और राहत शिविर चलाए जा रहे हैं। 
     
  • बिजली शुल्क: 8 अप्रैल को राज्य कैबिनेट ने निम्नलिखित प्रस्तावों को मंजूरी दी: (i) घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं के लिए बिजली के शुल्क को 10 पैसे प्रति यूनिट कम करना, और (ii) मासिक मीटर फीस की छूट। 

व्यापारिक और कृषि गतिविधियों के लिए उपाय

  • राज्य सरकार ने टैक्सेशन से संबंधित मामलों में व्यापार जगत के लिए कुछ राहत प्रदान की है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: 
  1. जीएसटी के भुगतान की समय सीमा को 31 मार्च से बढ़ाकर 30 जून करना, कुछ मामलों में भुगतान में देरी पर कोई ब्याज या जुर्माना नहीं वसूला जाएगा,
     
  2. जीएसटी के पूर्व कर विवादों के लिए वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम की समय सीमा को तीन महीने के लिए बढ़ाना, और
     
  3. कुछ टैक्स डीफॉल्टरों के लिए बैंक खातों को जब्त करने से संबंधित आदेश रद्द करना।
  • 16 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने निर्देश जारी किए कि प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटी (पीएसीएस) के जरिए गेहूं की खरीद शुरू की जाए। 

अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं

  • विभिन्न विभागों ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि वह अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की निरंतरता को सुगम बनाए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं (i) खाद्य सामग्री, (ii) बीज, उर्वरक और अन्य कृषि संबंधी वस्तुएं, (iii) मवेशियों का चारा, और (iv) पेट्रोलियम उत्पाद।  
     
  • 27 मार्च को खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने कुछ वस्तुओं को बिहार अनिवार्य वस्तु (मूल्य और स्टॉक का प्रदर्शन) एक्ट, 1977 के दायरे में शमिल किया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) गेहूं और गेहूं के उत्पाद, (ii) मास्क और हैंड सैनिटाइजर्स, और (iii) आलू और प्याज।  

अन्य उपाय

शिक्षा: 8 अप्रैल को कैबिनेट ने कक्षा 1 से 11 (कक्षा 10 को छोड़कर) के सभी विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षाओं के बिना अगली कक्षाओं में भेजने को मंजूरी दे दी।  

विधायी उपाय: एमएलए और एमएलसी के वेतन में एक वर्ष के लिए 15% की कटौती गई गई। यह राशि राज्य के कोरोना राहत कोष में दान दी जाएगी। 

श्रम और रोजगार: 16 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने सात निश्चय कार्यक्रम, जल जीवन हरियाली योजना और मनरेगा के अंतर्गत लोक निर्माण के कार्य बहाल करने के निर्देश जारी किए। 

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।

 
States and State Legislatures

राज्यों के कृषि मार्केंटिंग कानूनों में परिवर्तन

Prachi Kaur - मई 19, 2020

मार्च 2020 से भारत में कोविड-19 के मामलों में निरंतर वृद्धि हुई है। 18 मई, 2020 को इस संक्रामक रोग के 96,169 पुष्ट मामले थे जिनमें से 3,029 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। भारत में कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन किया जोकि पहले 14 अप्रैल तक लागू था, फिर इसे बढ़ाकर 31 मई कर दिया गया है।  लॉकडाउन के दौरान बीमारी की रोकथाम हो और कृषि उत्पादों की सप्लाई पर असर न हो, इसके लिए कई राज्यों ने अपने कृषि उत्पाद मार्केटिंग कमिटी (एपीएमसी) कानूनों में संशोधन किए। इस ब्लॉग में हम बता रहे हैं कि भारत में कृषि मार्केटिंग का रेगुलेशन कैसे होता है, केंद्र सरकार ने कोविड-19 संकट के दौरान कृषि क्षेत्र के लिए क्या कदम उठाए और विभिन्न राज्यों ने एपीएमसी कानूनों में क्या हालिया संशोधन किए हैं।  

भारत में कृषि मार्केटिंग का रेगुलेशन कैसे होता है?

कृषि संविधान की राज्य सूची में आने वाला विषय है। अधिकतर राज्यों में कृषि मार्केटिंग का रेगुलेशन एपीएमसी द्वारा किया जाता है जिसकी स्थापना राज्य सरकारें अपने एपीएमसी एक्ट्स के अंतर्गत करती हैं।  एपीएमसी कृषि उत्पादों की मार्केटिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करती हैं, उत्पादों की बिक्री को रेगुलेट करती हैं और राज्य से मार्केट फीस जमा करती हैं, साथ ही कृषि मार्केटिंग में प्रतिस्पर्धा को रेगुलेट करती हैं। 2017 में केंद्र सरकार ने नए कानून को लागू करने और कृषि क्षेत्र में बाजार संबंधी व्यापक सुधार करने के लिए मॉडल कृषि उत्पाद और पशु मार्केटिंग (संवर्धन और सरलीकरण) एक्ट, 2017 जारी किया। 2017 के मॉडल एक्ट का उद्देश्य मुक्त प्रतिस्पर्धा की अनुमति देना, पारदर्शिता को बढ़ावा देना, बिखरे हुए बाजारों को एकीकृत करना, उत्पादों के प्रवाह को सरल बनना और मल्टीपल मार्केटिंग चैनल्स के कामकाज को प्रोत्साहित करना है। नवंबर 2019 में 15वें वित्त आयोग (चेयर: एन. के. सिंह) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस मॉडल एक्ट के सभी प्रावधानों को लागू करने वाले राज्य कुछ वित्तीय प्रोत्साहनों के पात्र होंगे।

कोविड-19 के मद्देनजर केंद्र सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?

2 अप्रैल को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक- राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) प्लेटफॉर्म के नए फीचर्स को लॉन्च किया। इसका उद्देश्य कृषि मार्केटिंग को मजबूती देना है, और यह भी कि किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए थोक मंडियों में शारीरिक रूप से न आना पड़े। ई-नाम प्लेटफॉर्म संपर्करहित सुदूर नीलामी और मोबाइल आधारित एनी टाइम भुगतान की सुविधा प्रदान करता है जिसके लिए व्यापारियों को मंडी या बैंक जाने की जरूरत नहीं पड़ती। इससे कोविड-19 की रोकथाम के लिए एपीएमसी मार्केट्स में सोशल डिस्टेंसिंग और सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।   

4 अप्रैल, 2020 को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने राज्यों को एपीएमसी एक्ट्स के अंतर्गत रेगुलेशंस में राहत देने के संबंध में एडवाइजरी जारी की। एडवाइजरी में कहा गया कि कृषि उत्पादों की प्रत्यक्ष मार्केटिंग को सरल बनाया जाए। थोक व्यापारी, बड़े रीटेल्स और प्रोसेसर्स किसानों, किसान उत्पादक संघों और सहकारी संघों से उत्पादों की सीधी खरीद कर सकते हैं। 

15 मई, 2020 को केंद्रीय वित्त मंत्री ने कोविड-19 और लॉकडाउन के असर को कम करने के लिए देश में कृषि क्षेत्र के लिए कई सुधारों की घोषणा की। कुछ मुख्य सुधारों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एक ऐसा केंद्रीय कानून बनाना जोकि किसानों को आकर्षक कीमतों पर अपने कृषि उत्पाद बेचने, बिना किसी बाधा के अंतरराज्यीय व्यापार करने और कृषि उत्पादों के ई-व्यापार के लिए फ्रेमवर्क बनाने के पर्याप्त विकल्प दे,

(ii) अनिवार्य वस्तु एक्ट, 1955 में संशोधन ताकि अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों को बेहतर कीमतें मिल सकें, और (iii) कॉन्ट्रैक्ट पर खेती के लिए सरल कानूनी संरचना बनाना, ताकि किसान प्रोसेसर्स, बड़े रीटेलर्स और निर्यातकों के साथ सीधे संपर्क कर सकें। 

किन राज्यों ने कृषि मार्केटिंग के कानूनों में बदलाव किए हैं?

उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने एक अध्यादेश को मंजूरी दी है और मध्य प्रदेश, गुजरात, और कर्नाटक ने अपने एपीएमसी कानूनों के रेगुलेटरी पहलुओं में छूट देने के लिए अध्यादेश जारी किए हैं। इन अध्यादेशों का सारांश प्रस्तुत किया जा रहा है:

मध्य प्रदेश

1 मई, 2020 को मध्य प्रदेश सरकार ने मध्य प्रदेश कृषि उपज मंडी (संशोधन) अध्यादेश, 2020 जारी किया। यह अध्यादेश मध्य प्रदेश कृषि उपज मंडी एक्ट, 1972 में संशोधन करता है। 1972 का एक्ट कृषि मार्केट की स्थापना और अधिसूचित कृषि उत्पादों की मार्केटिंग को रेगुलेट करता है। अध्यादेश के अंतर्गत निम्नलिखित संशोधन किए गए हैं:

  • मार्केट यार्ड्स: 1972 का एक्ट प्रावधान करता है कि हर मार्केट क्षेत्र में एक मार्केट यार्ड होना चाहिए जिसमें एक या उससे अधिक सब मार्केट यार्ड हों ताकि उत्पाद की एसेंबलिंग, ग्रेडिंग, स्टोरेज, बिक्री और खरीद जैसी सभी गतिविधियों को संचालित किया जा सके। अध्यादेश इस प्रावधान को हटाता है और यह निर्दिष्ट करता है कि हर मार्केट क्षेत्र के लिए निम्नलिखित हो सकता है: (i) एपीएमसी का प्रिंसिपल मार्केट यार्ड और सब-मार्केट यार्ड, (ii) निजी मार्केट यार्ड को प्रबंधित करने वाला लाइसेंस धारी व्यक्ति (यह लाइसेंस उसे कृषि मार्केटिंग निदेशक से मिलता है), और (iii) इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स (जहां अधिसूचित उत्पादों की ट्रेडिंग इंटरनेट के जरिए इलेक्ट्रॉनिकली की जाती हैं)। 
     
  • कृषि मार्केटिंग निदेशक: अध्यादेश कृषि मार्केटिंग निदेशक का प्रावधान करता है जिसे राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। निदेशक निम्नलिखित को रेगुलेट करने के लिए जिम्मेदार होगा: (i) अधिसूचित कृषि उत्पादों के लिए ट्रेडिंग और उससे संबंधित गतिविधियां, (ii) निजी मार्केट यार्ड्स, और (iii) इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स। वह इन गतिविधियों के लिए लाइसेंस भी दे सकता है।   
     
  • मार्केट फी: अध्यादेश में यह प्रावधान भी है कि कृषि मार्केटिंग निदेशक द्वारा दिए गए लाइसेंस के अंतर्गत ट्रेडिंग के लिए मार्केट फी राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट तरीके से वसूली जाएगी।

गुजरात

6 मई, 2020 को गुजरात सरकार ने गुजरात कृषि उत्पाद बाजार (संशोधन) अध्यादेश, 2020 किया। यह अध्यादेश गुजरात कृषि उत्पाद बाजार एक्ट, 1963 में संशोधन करता है। संशोधित एक्ट गुजरात कृषि उत्पाद एवं पशु मार्केटिंग (संवर्धन और सरलीकरण) एक्ट, 1963 कहा गया। अध्यादेश क अंतर्गत मुख्य संशोधन निम्नलिखित हैं:  

  • पशु बाजार का रेगुलेशन: अध्यादेश एक्ट के अंतर्गत आने वाले पशुओं, जैसे गाय, भैंस, बैल, भैंसे और मछलियों की मार्केटिंग का रेगुलेशन करता है।
     
  • एकीकृत बाजार क्षेत्र: अध्यादेश में प्रावधान है कि राज्य सरकार अधिसूचना के जरिए पूरे राज्य को एकीकृत बाजार घोषित कर सकती है। ऐसा अधिसूचित कृषि उत्पाद की मार्केटिंग के रेगुलेशन के उद्देश्य से किया जा सकता है।
     
  • एकीकृत सिंगल लाइसेंस: अध्यादेश में सिंगल एकीकृत ट्रेडिंग लाइसेंस देने का प्रावधान है। लाइसेंस राज्य के किसी भी बाजार क्षेत्र में वैध होगा। अध्यादेश के जारी होने की तारीख से छह महीने में मौजूदा ट्रेड लाइसेंस को सिंगल एकीकृत लाइसेंस से बदला जा सकता है।
     
  • ट्रेडिंग करने के लिए मार्केट्स: अध्यादेश में राज्य सरकारों को इस बात की अनुमति दी गई है कि वे बाजार क्षेत्र में किसी भी स्थान को प्रिंसिपल मार्केट यार्ड, सब मार्केट यार्ड, मार्केट सब यार्ड या अधिसूचित कृषि उत्पादों की मार्केटिंग के रेगुलेशन के लिए किसान उपभोक्ता मार्केट यार्ड अधिसूचित कर सकती हैं। बाजार क्षेत्र में कुछ स्थानों को निजी मार्केट यार्ड, निजी मार्केट सब यार्ड या निजी किसान-उपभोक्ता मार्केट यार्ड घोषित किया जा सकता है। अध्यादेश कहता है कि अधिसूचित कृषि उत्पाद को लाइसेंस धारक को किसी अन्य स्थान पर भी बेचा जा सकता है, अगर मार्केट कमिटी ने विशेष रूप से इसकी अनुमति दी हो।
     
  • मार्केट सब यार्ड: अध्यादेश में यह प्रावधान है कि बाजार क्षेत्र में मार्केट सब यार्ड (वेयरहाउस, स्टोरेज टावर, कोल्ड स्टोरेज एन्क्लोजर बिल्डिंग्स या ऐसी दूसरी संरचना या स्थान या लोकेलिटी) होना चाहिए। इसके अतिरिक्त इसमें प्रावधान है कि वेयरहाउस, सिलो, कोल्ड स्टोरेज या मार्केट सब यार्ड के रूप में अधिसूचित दूसरी ऐसी संरचना या स्थान का मालिक अधिसूचित कृषि उत्पाद पर मार्केट फी जमा कर सकता है। मार्केट सब यार्ड में जिन गैर अधिसूचित कृषि उत्पादों का लेनदेन हो, उनके लिए यूजर चार्ज भी जमा किया जा सकता है। यह दर राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित दर से अधिक नहीं होनी चाहिए। हालांकि किसानों से मार्केट फी नहीं ली जानी चाहिए।
     
  • ई-ट्रेडिंग: अध्यादेश में इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग (ई-ट्रेडिंग) प्लेटफॉर्म्स की स्थापना और उन्हें बढ़ावा देने का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म स्थापित करने के लिए कृषि मार्केटिंग निदेशक से प्राप्त लाइसेंस जरूरी है। इसके अतिरिक्त निदेशक द्वारा निर्धारित मानदंडों और विनिर्देशों के अनुसार ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर आवेदन दूसरे ई-प्लेटफॉर्म्स के साथ इंटर-ऑपरेबल होंगे। ऐसा एकीकृत राष्ट्रीय क़ृषि बाजार की स्थापना और विभिन्न ई-प्लेटफॉर्म्स के एकीकरण के लिए किया जाएगा।

कर्नाटक

16 मई को कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक उत्पाद मार्केटिंग (रेगुलेशन और विकास) (संशोधन) अध्यादेश, 2020 जारी किया। अध्यादेश कर्नाटक कृषि उत्पाद मार्केटिंग (रेगुलेशन और विकास) एक्ट, 1966 में संशोधन करता है। 1966 का एक्ट राज्य में कृषि उत्पादों की खरीद और बिक्री तथा बाजारों की स्थापना को रेगुलेट करता है। अध्यादेश के अंतर्गत मुख्य संशोधन निम्नलिखित हैं: 

  • कृषि उत्पाद के लिए मार्केट्स: 1966 के एक्ट में प्रावधान है कि मार्केट यार्ड, मार्केट सब यार्ड, सब मार्केट यार्ड, या किसान-उपभोक्ता मार्केट यार्ड के अतिरिक्त किसी अन्य स्थान को अधिसूचित कृषि उत्पाद की ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। अध्यादेश इसके स्थान पर कहता है कि मार्केट कमिटी, मार्केट यार्ड्स, मार्केट सब यार्ड्स और सब मार्केट यार्ड्स में अधिसूचित कृषि उत्पाद की मार्केटिंग को रेगुलेट करेगी। यानी अब एक्ट किसी स्थान को अधिसूचित कृषि उत्पाद की ट्रेंडिंग से प्रतिबंधित नहीं करता।
     
  • सजा: 1966 के एक्ट में प्रावधान है कि जो कोई भी किसी स्थान को अधिसूचित कृषि उत्पाद की खरीद या बिक्री के लिए इस्तेमाल करेगा, उसे छह महीने तक का कारावास या 5,000 रुपए तक का जुर्माना या दोनों भुगतना पड़ सकता है। अध्यादेश एक्ट के प्रावधान से इस सजा को हटाता है। 

उत्तर प्रदेश

6 मई को उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मंडी (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी। राज्य की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने 46 फलों और सब्जियों को उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मंडी एक्ट, 1964 के दायरे से बाहर कर दिया। 1964 के एक्ट में अधिसूचित कृषि उत्पाद की बिक्री और खरीद के रेगुलेशन तथा उत्तर प्रदेश में कृषि बाजारों की स्थापना एवं नियंत्रण का प्रावधान है।   

  • कुछ फलों और सब्जियों को एक्ट के प्रावधानों से छूट: इन फलों और सब्जियों में आम, सेब, गाजर, केला और भिंडी शामिल हैं। प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य यह है कि इन उत्पादों को सरलता से किसानों से सीधा खरीदा जा सके। किसानों को इन्हें एपीएमसी मंडियों में बेचने को भी अनुमति होगी, जहां उनसे मंडी का शुल्क नहीं वसूला जाएगा। उनसे सिर्फ यूजर चार्ज वसूला जाएगा जो राज्य सरकार ने निर्धारित किया है। राज्य सरकार के अनुसार, इससे एपीएमसीज़ को हर साल लगभग 125 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।   
     
  • लाइसेंस: एपीएमसी मार्केट्स के अतिरिक्त किसी अन्य स्थान पर व्यापार करने के लिए विशिष्ट लाइसेंस लिए जा सकते हैं। इससे वेयरहाउस, सिलो और कोल्ड स्टोरेज को मंडी के तौर पर इस्तेमाल करने को बढ़ावा मिलेगा। ऐसे इस्टैबलिशमेंट्स के मालिक या प्रबंधक मंडी को प्रबंधित करने के लिए यूजर फी ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त एकीकृत लाइसेंस को ग्रामीण स्तर पर व्यापार करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। 
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