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  • कोविड-19 पर बिहार सरकार की प्रतिक्रिया (19 अप्रैल, 2020 तक)
राज्यों और राज्य विधानसभाओं

कोविड-19 पर बिहार सरकार की प्रतिक्रिया (19 अप्रैल, 2020 तक)

साकेत सूर्य - अप्रैल 19, 2020

22 मार्च को बिहार में नए कोरोनावायरस रोग (कोविड-19) के पहले दो मामले दर्ज किए गए जिनमें से एक मरीज की मौत हो गई। इसके बाद से मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 19 अप्रैल तक बिहार में कोविड-19 के 86 पुष्ट मामले हैं जिनमें से 47 सक्रिय मामले हैं और 37 लोग ठीक हो गए हैं। पिछले हफ्ते 33 नए मामले दर्ज किए गए हैं। 22 मार्च से एक मौत और दर्ज की गई है। 

बीमारी के अत्यधिक संक्रामक होने के कारण 22 मार्च को बिहार सरकार ने 31 मार्च तक राज्यव्यापी लॉकडाउन  की घोषणा की। इसके बाद केंद्र सरकार ने 25 मार्च और 14 अप्रैल के बीच राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू किया जो अब 3 मई तक बढ़ गया है। लॉकडाउन के दौरान लोगों के मूवमेंट पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं के अतिरिक्त सभी इस्टैबलिशमेंट्स बंद किए गए हैं। अब 20 अप्रैल के बाद कम प्रभावित जिलों में प्रतिबंधों में ढिलाई की उम्मीद है। 

इस ब्लॉग में हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कोविड-19 से निपटने के लिए राज्य सरकार ने अब तक क्या मुख्य कदम उठाए हैं। 

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प्रारंभिक चरण: यात्रियों की स्क्रीनिंग, निवारक उपायों के संबंध में जागरूकता 

राज्य सरकार ने शुरुआत में निम्नलिखित कदम उठाए: (i) बीमारी के निवारक उपायों के संबंध में जागरूकता फैलाना, और (ii) अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग। इस संबंध में 25 फरवरी को बिहार स्वास्थ्य सोसायटी ने निम्नलिखित से संबंधित एडवाइजरीज़ जारी कीं: (i) स्कूलों और कॉलेजों में क्या उपाय किए जाएंगे, और (ii) लक्षण वाले एयरलाइन यात्रियों और पर्यटकों की जानकारी जिला स्वास्थ्य प्रशासन को दी जाएगी। 11 मार्च को 104 कॉल सेंटर को कोविड-19 के कंट्रोल रूम के तौर पर नामित किया गया ताकि बीमारी के संबंध में लोगों के सवालों के जवाब दिए जा सकें। 

लॉकडाउन से पूर्व: सामूहिक जमावड़े की सीमा तय, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की लामबंदी 

सामूहिक जमावड़े की सीमा तय

13 से 18 मार्च के बीच राज्य सरकार ने आदेश जारी किया कि 31 मार्च तक विभिन्न परिसरों को बंद किया जाए। इनमें आंगनवाड़ी केंद्र, शिक्षण संस्थान, और सिनेमा हॉल, पार्क तथा शॉपिंग मॉल जैसे कमर्शियल इस्टैबलिशमेंट्स शामिल थे। सरकारी कर्मचारियों को वैकल्पिक दिनों पर कार्यालय आने का निर्देश दिया गया।  किसी एक स्थान पर 50 से ज्यादा लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध लगाया गया जिसमें कोई पारिवारिक जमावड़ा भी शामिल था (शादियों को छोड़कर)। परिवहन विभाग को कहा गया कि सार्वजनिक और निजी परिवहन को प्रतिबंधित किया जाए। 

स्वास्थ्य संबंधी उपाय

  • 13 मार्च को सरकार ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए: (i) सरकारी अस्पतालों में 100 अतिरिक्त वेंटिलेटर्स की उपलब्धता सुनिश्चित करना, (ii) एम्स, पटना और पीएमसीएच, पटना अस्पतालों में कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए व्यवस्था करना, और (iii) स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द करना।
     
  • 13 मार्च को बिहार-नेपाल सीमा के जरिए प्रवेश करने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू की गई। 
     
  • 17 मार्च को स्वास्थ्य विभाग ने महामारी रोग एक्ट, 1897 के अंतर्गत बिहार महामारी रोग कोविड-19 रेगुलेशन, 2020 जारी किया। एक्ट खतरनाक महामारियों के बेहतर रोकथाम का प्रावधान करता है। रेगुलेशन कोविड-19 के मरीजों की स्क्रीनिंग और इलाज के लिए निजी और सरकारी अस्पतालों के लिए प्रोटोकॉल निर्दिष्ट करते हैं। ये जिला प्रशासन को रोकथामकारी उपाय करने का अधिकार देते हैं जिनमें विशिष्ट क्षेत्रों को सील करना और कोविड-19 के मामलों की निगरानी करना शामिल है। ये बुरे इरादे से अफवाह या अपुष्ट सूचनाओं को प्रसारित करने को दंडनीय अपराध बनाते हैं। 

कल्याणकारी उपाय

  • 16 मार्च को मुख्यमंत्री के घोषणा की कि मुख्यमंत्री मेडिकल सहायता कोष बिहार के लोगों के कोविड-19 के इलाज का खर्चा वहन करेगा। इसके अतिरिक्त बिहार सरकार कोविड-19 के कारण मरने वाले व्यक्ति के परिवार को पांच लाख रुपए की सहायता देगी। 
     
  • सरकार ने स्कूलों में मिड-डे मील योजना तथा आंगनवाड़ी केंद्रों में भोजन के स्थान पर प्रत्यक्ष नकद अंतरण प्रदान करने से संबंधित निर्देश जारी किए।  

अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं 

  • 21 मार्च को खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने जिला प्रशासन को बिहार अनिवार्य वस्तु (मूल्य और स्टॉक का प्रदर्शन) आदेश, 1977 के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। आदेश में निर्दिष्ट वस्तुओं के विक्रेताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे लोगों की जानकारी के लिए उन वस्तुओं के स्टॉक और मूल्यों को प्रदर्शित करें। निर्दिष्ट वस्तुओं में खाद्य सामग्री, खाद्य तिलहन और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल हैं। विभाग ने जिला प्रशासन को यह निर्देश भी दिया कि वह इन वस्तुओं की सूची में कोई अन्य वस्तु को शामिल करने का प्रस्ताव भेजें। 

लॉकडाउन के दौरान कल्याणकारी उपाय, मेडिकल संरचना को मजबूत करना

22 मार्च को लॉकडाउन की घोषणै के बाद राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय समन्वय समितियों का गठन किया गया। लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए: (i) राज्य में मेडिकल संरचना को मजबूत करना, (ii) इस दौरान प्रभावित होने वाले विभिन्न वर्गों को राहत पहुंचाना, और (iii) अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई से जुड़ी समस्याओं को दूर करना। 

स्वास्थ्य संबंधी उपाय

  • 25 मार्च को स्वास्थ्य विभाग ने बिहार कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम का गठन किया जोकि स्वास्थ्य संबंधी सभी कदमों के बीच समन्वय स्थापित करने एवं उन्हें नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है। 
     
  • कंटेनमेंट और उपचार के लिए प्रोटोकॉल: कंटेनमेंट और उपचार संबंधी उपायों हेतु दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन के लिए निर्देश दिए गए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) आइसोलेशन और क्वारंटाइन केंद्रों का गठन और परिचालन, (ii) क्लस्टर कंटेनमेंट रणनीति के जरिए स्थानीय और सामुदायिक संक्रमण को दूर करने के लिए कंटेनमेंट योजना, (iii) इंफ्लूएंजा के समान रोग (आईएलआई) और गंभीर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस (सारी) के लिए निरीक्षण कार्यक्रम, (iv) उपचार/निदान/क्वारंटाइन के दौरान उत्पन्न होने वाले कचरे का निपटान और (v) कोविड-19 पॉजिटिव व्यक्तियों के निवास और निकटवर्ती क्षेत्रों का सैनिटेशन।
     
  • डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग का अभियान: 14 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने सिवान, बेगुसराय और नालंदा सहित सभी प्रभावित जिलों में डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग अभियान चलाने के निर्देश जारी किए। ऐसे स्क्रीनिंग अभियान सीमा क्षेत्रों के जिलों और कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों के निवास के दायरे में आने वाले तीन किलोमीटर क्षेत्र में भी चलाए जाएंगे। 
     
  • मैनपावर बढ़ाना: सरकार ने डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स जैसे मेडिकल प्रोफेशनल्स को स्वयंसेवी बनने का निमंत्रण दिया। उसने जिला प्रशासन को निर्देश भी दिया कि वे सशस्त्र सेवाओं के सेवानिवृत्त डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स को स्वयंसेवी बनाएं। स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों की छुट्टियों को 30 अप्रैल तक के लिए रद्द किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने डेप्युटेड आयुष प्रैक्टीशनर्स को आइसोलेशन और क्वारंटाइन केंद्रों में मदद करने को कहा। 
     
  • कोविड-19 के लिए डेडिकेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर: 5 अप्रैल को कुछ सरकारी अस्पतालों को कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए एक्सक्लूसिव अस्पतालों के रूप में निर्दिष्ट किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने पटना के बड़े निजी अस्पतालों को ओपीडी सेवाएं बंद करने का भी निर्देश दिया। 
     
  • अन्य स्वास्थ्य संबंधी उपाय: 22 मार्च को राज्य सरकार ने सभी डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को इन्सेंटिव के तौर पर एक महीने की बेसिक सैलरी के भुगतान की घोषणा की। 13 अप्रैल को स्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक स्थलों पर सिगरेट पीने और तंबाकू एवं पान खाने वाले लोगों को थूकने से प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने घोषणा की कि वह निजी क्षेत्र से टेस्ट किट्स खरीदेगी।  

कल्याणकारी उपाय

  • राहत पैकेज: 22 मार्च को सरकार ने लॉकडाउन से प्रभावित लोगों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की। राहत पैकेज की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
  1. सभी राशन कार्ड धारकों को एक महीने का मुफ्त राशन,
     
  2. प्रति राशन कार्ड धारक परिवार को 1,000 रुपए का वन टाइम नकद हस्तांतरण, 
     
  3. वृद्ध लोगों, विधवाओं और विकलांग लोगों सहित सभी पेंशनयाफ्ता लोगों को एडवांस में तीन महीने की पेंशन का भुगतान, और 
     
  4. सभी विद्यार्थियों को बकाया स्कॉलरशिप्स जारी करना। 
  • प्रवासियों की मदद: 26 मार्च को मुख्यमंत्री राहत कोष से 100 करोड़ रुपए आबंटित किए गए ताकि लॉकडाउन के दौरान देश के अन्य हिस्सों में फंसे हुए प्रवासियों को मदद दी जा सके। 2 अप्रैल को राज्य सरकार ने प्रवासियों को 1,000 रुपए के वन टाइन नकद हस्तांतरण की घोषणा की। 13 अप्रैल को इस उद्देश्य के लिए राहत कोष से अतिरिक्त 50 करोड़ रुपए आबंटित किए गए। प्रवासियों के लिए राहत प्रयासों में समन्वय हेतु राज्य स्तरीय नोडल अधिकारियों को नियुक्त किया गया। राज्य सरकार बिहार के प्रवासियों की मदद के लिए  HYPERLINK "http://www.prdbihar.gov.in/AdminPanel/Files/PressRelease/2020/237.pdf" दिल्ली में 10 फूड सेंटर्स चला रही है।
     
  • राहत शिविर: 28 मार्च को राज्य सरकार ने सीमा पर राहत शिविर (नेपाल सीमा सहित) शुरू करने का फैसला किया जोकि राज्य में आने वाले लोगों को भोजन, शेल्टर और मेडिकल सहायता प्रदान करेगा। भोजन और शेल्टर देने के लिए सरकारी स्कूल परिसरों में सामुदायिक किचन और राहत शिविर चलाए जा रहे हैं। 
     
  • बिजली शुल्क: 8 अप्रैल को राज्य कैबिनेट ने निम्नलिखित प्रस्तावों को मंजूरी दी: (i) घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं के लिए बिजली के शुल्क को 10 पैसे प्रति यूनिट कम करना, और (ii) मासिक मीटर फीस की छूट। 

व्यापारिक और कृषि गतिविधियों के लिए उपाय

  • राज्य सरकार ने टैक्सेशन से संबंधित मामलों में व्यापार जगत के लिए कुछ राहत प्रदान की है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: 
  1. जीएसटी के भुगतान की समय सीमा को 31 मार्च से बढ़ाकर 30 जून करना, कुछ मामलों में भुगतान में देरी पर कोई ब्याज या जुर्माना नहीं वसूला जाएगा,
     
  2. जीएसटी के पूर्व कर विवादों के लिए वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम की समय सीमा को तीन महीने के लिए बढ़ाना, और
     
  3. कुछ टैक्स डीफॉल्टरों के लिए बैंक खातों को जब्त करने से संबंधित आदेश रद्द करना।
  • 16 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने निर्देश जारी किए कि प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटी (पीएसीएस) के जरिए गेहूं की खरीद शुरू की जाए। 

अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं

  • विभिन्न विभागों ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि वह अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की निरंतरता को सुगम बनाए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं (i) खाद्य सामग्री, (ii) बीज, उर्वरक और अन्य कृषि संबंधी वस्तुएं, (iii) मवेशियों का चारा, और (iv) पेट्रोलियम उत्पाद।  
     
  • 27 मार्च को खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने कुछ वस्तुओं को बिहार अनिवार्य वस्तु (मूल्य और स्टॉक का प्रदर्शन) एक्ट, 1977 के दायरे में शमिल किया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) गेहूं और गेहूं के उत्पाद, (ii) मास्क और हैंड सैनिटाइजर्स, और (iii) आलू और प्याज।  

अन्य उपाय

शिक्षा: 8 अप्रैल को कैबिनेट ने कक्षा 1 से 11 (कक्षा 10 को छोड़कर) के सभी विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षाओं के बिना अगली कक्षाओं में भेजने को मंजूरी दे दी।  

विधायी उपाय: एमएलए और एमएलसी के वेतन में एक वर्ष के लिए 15% की कटौती गई गई। यह राशि राज्य के कोरोना राहत कोष में दान दी जाएगी। 

श्रम और रोजगार: 16 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने सात निश्चय कार्यक्रम, जल जीवन हरियाली योजना और मनरेगा के अंतर्गत लोक निर्माण के कार्य बहाल करने के निर्देश जारी किए। 

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।

 
States and State Legislatures

कोविड-19 पर केरल सरकार की प्रतिक्रिया (30 जनवरी, 2020- 22 अप्रैल, 2020)

Anoop Ramakrishnan - अप्रैल 22, 2020

17 जनवरी, 2020 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड-19 के संकट को स्वीकार किया, जोकि चीन में फैल रहा था। 30 जनवरी, 2020 को केरल में सबसे पहले कोविड-19 पॉजिटिव मरीज की पुष्टि हुई। 11 मार्च, 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को विश्वव्यापी महामारी घोषित किया। इस ब्लॉग में इस महामारी के प्रतिक्रियास्वरूप केरल सरकार द्वारा किए गए मुख्य नीतिगत उपायों का सारांश प्रस्तुत किया जा रहा है।

22 अप्रैल, 2020 तक केरल में कोविड-19 के 427 पुष्ट मामले थे जिनमें से 307 लोग रिकवर हो चुके थे (देश में रिकवरी की सबसे अधिक दर)। राज्य में अब तक सिर्फ तीन मौतें दर्ज की गई हैं।

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 लॉकडाउन से पहले की अवधि: रोकथाम के लिए शुरुआती उपाय 

चीन के वुहान से लौटने वाले व्यक्ति में कोविड-19 की पुष्टि के बाद राज्य का शुरुआती कदम यह था कि चीन से आने वाले सभी यात्रियों और उनके संपर्क में आने वालों की जांच की जाए, उन्हें चिन्हित किया जाए और संकट आधारित वर्गीकरण किया जाए। 2 और 3 फरवरी को दो और मामलों के बाद सरकार ने राज्य में हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी। 

इसके बाद एक हेल्थ एडवाइजरी जारी की गई जिसमें कहा गया कि 15 जनवरी, 2020 के बाद वुहान से लौटने वाले सभी यात्रियों को ट्रैक और चिन्हित किया जाएगा और उनकी जांच की जाएगी। ऐसे यात्रियों और उनके संपर्क में आने वाले लोगों को 28 दिनों तक आइसोलेशन में रखा जाएगा। इस एडवाइजरी में सभी लॉजिंग इस्टैबलिशमेंट्स को निर्देश दिया गया कि वे कोरोना प्रभावित देशों की ट्रैवल हिस्ट्री वाले यात्रियों का एक रजिस्टर बनाएं। ऐसी एडवाइजरी विदेशों से लौटने वाले विद्यार्थियों के लिए भी जारी की गई। इसके बाद तत्काल कोई पुष्ट मामला न मिलने के बाद 12 फरवरी को राज्य ने हेल्थ इमरेंजसी की एडवाइजरी वापस ले ली। हालांकि उच्च स्तर पर प्रतिक्रिया और निगरानी जारी रखी गई। 

संक्रमण का दूसरा दौर

मार्च की शुरुआत में संक्रमण के दूसरे दौर के बाद सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए कई उपाय किए। ये इस प्रकार हैं:

  • स्वास्थ्य संबंधी उपाय: कोविड-19 के मरीजों के क्लिनिकल प्रबंधन से संबंधित दिशानिर्देश जारी किए गए जिसमें जांच, क्वारंटाइन, अस्पताल में दाखिला और डिस्चार्ज शामिल हैं। 
     
  • एयरपोर्ट सेफ्टी प्रोटोकॉल तथा राज्य में आने और जाने वाले विदेशी नागरिकों की जांच से संबंधित निर्देश जारी किए गए। सभी विदेशी लोगों को आने पर, भले ही उनमें कोई लक्षण न हों, आइसोलेशन में रखा गया, जब तक उनकी जांच रिपोर्ट उपलब्ध न हो जाए।
     
  • इसके अतिरिक्त मॉल्स, शॉपिंग सेंटर्स और सैलून्स को सोशल डिस्टेंसिंग और साफ सफाई के नियम जैसे सैनिटाइजर के इस्तेमाल से संबंधित दिशानिर्देश जारी किए गए।  
     
  • आवाजाही पर प्रतिबंध: सभी नॉन मेडिकल शिक्षण संस्थानों, जिनमें आंगनवाड़ी और मदरसे शामिल हैं, को तत्काल 31 मार्च तक बंद कर दिया गया और 1-7 तक की कक्षाओं की परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया। 8 और उससे ऊपर की कक्षाओं की परीक्षाएं नियत समय पर होनी थीं। विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं को भी 31 मार्च तक स्थगित कर दिया गया। 
     
  • सरकारी विभागों को कहा गया कि वे अपने कर्मचारियों के काम के घंटों से संबंधित अस्थायी प्रबंध करें। अधिकारियों को प्रवासी श्रमिकों के कल्याण हेतु उपाय करने का निर्देश दिया गया।
     
  • प्राइवेट इस्टैबलिशमेंट्स को भी काम के घंटों, सुरक्षा उपायों और कर्मचारियों की छुट्टियों से संबंधित दिशानिर्देश जारी किए गए। 
     
  • प्रशासनिक उपाय: 17 मार्च को कोविड-19 को अधिसूचित आपदा घोषित किया गया जिससे उसके लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से धनराशि प्राप्त हो सके। एसडीआरएफ अधिसूचित आपदाओं से निपटने हेतु राज्य सरकारों के पास उपलब्ध प्राथमिक कोष है। आपदा को अधिसूचित करने से राज्य उक्त आपदा से लड़ने के लिए एसडीआरएफ से अधिक खर्च कर सकते हैं।
     
  • कोविड-19 के लिए समन्वित प्रयास करने हेतु सरकार ने सभी विभागों में कोविड-19 सेल्स बनाने का निर्देश दिया। सरकारी अधिकारियों से बैठकें और निरीक्षण न करने को कहा गया। 
     
  • स्थानीय स्वशासन संस्थानों को विभिन्न भूमिकाएं और जिम्मेदारियां सौंपी गईं। इनमें निम्नलिखित शामिल था: (i) जागरूकता अभियान जैसे ब्रेक द चेन चलाना, (ii) सैनिटाइजेशन और स्वच्छता अभियान चलाना, (iii) घर में आइसोलेटेड/क्वारंटाइन में रहने वाले लोगों तक नियमित पहुंच बनाना, (iv) जिम्मेदारियों को संभालने के लिए कमिटी सिस्टम को एक्टिवेट करना, (v) अनिवार्य वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना, (vi) रिस्पांस मैकेनिजम को वर्गीकृत करना और उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करना, जैसे मैटीरियल रिसोर्स, स्वयंसेवी, मेडिकल संसाधन इत्यादि, और (vii) अति संवेदनशील लोगों पर विशेष ध्यान देना, जैसे वरिष्ठ नागरिक, और दूसरी बीमारियों वाले लोग या ऐसे लोग जिनका विशेष उपचार हो रहा है। 

लॉकडाउन की अवधि

23 मार्च को केरल ने 31 मार्च तक के लिए राज्य व्यापी लॉकडाउन की घोषणा की। एक दिन बाद केंद्र सरकार ने देश व्यापी 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की।  

राज्य के आदेश के अनुसार निम्नलिखित प्रतिबंध लगाए गए: (i) सभी प्रकार की यात्री परिवहन सेवाओं को बंद करना, (ii) पांच से अधिक लोगों के जमावड़े पर प्रतिबंध और (iii) सभी कमर्शियल इस्टैबलिशमेंट्स, कार्यालयों और कारखानों को बंद करना, सिर्फ उन्हें छोड़कर जिन्हें छूट दी गई है। सिर्फ अनिवार्य वस्तुओं की खरीद या मेडिकल इमरजेंसी हेतु टैक्सी, ऑटो या निजी वाहनों के इस्तेमाल की अनुमति दी गई। अनिवार्य वस्तुओं या सेवाओं को प्रदान करने वाले इस्टैबलिशमेंट्स, जैसे बैंक, मीडिया, टेलीकॉम सेवा, पेट्रोल पंप और अस्पतालों को काम करने की अनुमति दी गई। 

15 अप्रैल को केंद्र सरकार ने लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया। लॉकडाउन की अवधि के दौरान सरकार के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं: 

प्रशासनिक उपाय

  • विभिन्न विभागों के सदस्यों वाला एक राउंट द क्लॉक वॉर रूम बनाया गया जिससे कोविड-19 से संबंधित सभी रोकथामकारी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। 
     
  • कोविड-19 से संबंधित फेक न्यूज के खतरे की निगरानी करने और उससे निपटने के लिए कोरोना मीडिया सेल बनाया गया। 
     
  • चूंकि विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा था, इसलिए 26 मार्च के केरल के राज्यपाल ने केरल महामारी रोग अध्यादेश, 2020 को जारी किया। यह अध्यादेश राज्य सरकार को यह अधिकार देता है कि वह महामारी के संकट से निपटने के लिए जरूरी उपाय करे और रेगुलेशंस को निर्दिष्ट करे। यह अध्यादेश के अंतर्गत दिए गए आदेशों का उल्लंघन करने पर लोगों को सजा देने का प्रावधान भी करता है। 

स्वास्थ्य उपाय

  • उपचार संबंधी दिशानिर्देश: 26 मार्च को सरकार ने पूरे राज्य को कोविड-19 प्रभावित घोषित किया। 24 मार्च को कोविड-19 के मामलों की जांच और उपचार के लिए क्लिनिकल दिशानिर्देश जारी किए गए। एक हफ्ते बाद आइसोलेशन/क्वारंटाइन और जांच के लिए सरल मैट्रिक्स जारी किया गया। 
     
  • निम्नलिखित के लिए एडवाइजरी जारी की गई: (i) गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव पूर्व और प्रसव उपरांत देखभाल, (ii) बच्चों के लिए नियमित टीकाकरण को रोकना और फिर शुरू करना, (iii) टीबी के मरीजों के लिए स्वास्थ्य सेवा की निरंतरता सुनिश्चित करना, और (iv) एल्कोहल यूज डिसऑर्डर्स का प्रबंधन।
     
  • जांच: जांच से संबंधित नियमित दिशानिर्देश जारी किए गए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं (i) रैपिड डायग्नॉस्टिक किट्स के इस्तेमाल पर एडवाइजरी, (ii) ऐसी रैपिड किट्स को विकसित करने को सैद्धांतिक मंजूरी, और (iii) निजी क्षेत्र द्वारा एंटीबॉडी टेस्टिंग के लिए दिशानिर्देश। 
     
  • रिसोर्स मैनेजमेंट: पुष्ट मामलों के बढ़ने पर निजी अस्पतालों को कोविड-19 अस्पताल में बदलने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए। 31 मार्च को रिटायर होने वाले मेडिकल प्रोफेशनल्स की कार्यावधि को 30 जून तक बढ़ाया गया। हेल्थ इंस्पेक्टर्स के अस्थायी भर्ती संबंधी उपाय किए गए। 
     
  • फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी कोविड-19 अस्पतालों में मानव संसाधन प्रबंधन हेतु दिशानिर्देश जारी किए गए। 
     
  • इसके अतिरिक्त अगले चरण की प्रतिक्रिया की तैयारी के लिए सरकार ने निम्नलिखित जारी किए (i) सामुदायिक संक्रमण को चिन्हित करने के दिशानिर्देश और (ii) हॉटस्पॉट्स को चिन्हित करने के मानदंड। 

अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं

  • 25 मार्च को राज्य ने केरल अनिवार्य सेवा रखरखाव एक्ट, 1994 के अंतर्गत अनिवार्य सेवाओं की सूची घोषित की।
     
  • उन सेवाओं को लॉकडाउन से छूट दी गई, जिन्हें बाद में अनिवार्य माना गया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) डिपार्टमेंटल स्टोर्स सहित दुकानें और बेकरी, (ii) ऑनलाइन फूड डिलिवरी, (iii) अनिवार्य वस्तुओं की डिलिवरी करने वाली पार्सल सेवाएं, (iv) ऑटोमोबाइल सर्विस करने वाली वर्कशॉप्स, (v) रविवार को मोबाइल फोन, कंप्यूटर की दुकानें और सर्विस सेंटर्स, और (vi) घरों और फ्लैट्स में मरम्मत का काम करने वाले प्लंबर और इलेक्ट्रीशियन।
     
  • 3 अप्रैल को कुदुम्बश्री और स्थानीय स्वशासन (एलएसजी) के तत्वावधान में सामुदायिक किचन शुरू करने के आदेश दिए गए। कुदुम्बश्री नामक कार्यक्रम को केरल सरकार गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तीकरण हेतु संचालित करती है। 20 अप्रैल को राज्य के 14 जिलों की 249 पंचायतों में 339  सामुदायिक किचन चलाए जा रहे थे। 4 से 20 अप्रैल, 2020 तक इन किचन्स से कुल 5,91,687 भोजन (मील) दिए जा चुके हैं। सरकार ने एलएसजीज़ को निर्देश दिए कि किचन के लिए स्वयंसेवियों को काम पर रखें और उन्हें 400 रुपए (एक बार की सेवा के लिए) या 650 रुपए (पूरे दिन के लिए) का मानदेय चुकाएं।

कल्याणकारी उपाय

  • एसडीआरएफ नियमों के अंतर्गत कोविड-19 की राहत एवं प्रतिक्रिया संबंधी गतिविधियों के लिए स्वास्थ्य विभाग धनराशि जारी करता है। 
     
  • प्रत्येक डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को कोविड-19 के प्रकोप को नियंत्रित करने और उसकी रोकथाम हेतु 50 लाख रुपए आबंटित किए गए। 
     
  • निम्नलिखित को वित्तीय सहायता मंजूर की गई (i) मछुआरों, (ii) आर्टिस्ट्स, (iii) लॉटरी एजेंट और विक्रेता, और (iii) हाथियों और दूसरे पशुओं की देखभाल करने के लिए। 
     
  • लॉकडाउन संबंधी बेरोजगारी और कठिनाइयों का सामना करने वाले लोगों के लिए 2000 करोड़ की लागत वाली मुख्यमंत्री हेल्पिंग हैंड लोन योजना की घोषणा की गई। इस योजना को कुदुम्बश्री के तत्वावधान में निकटस्थ समूहों द्वारा लागू किया जाएगा। 

 लॉकडाउन बाद की रणनीतियां – लॉकडाउन के प्रतिबंधों से छूट देने वाली रणनीतियां 

  • एक्सपर्ट कमिटी: 4 अप्रैल को सरकार ने एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया और 6 अप्रैल को कमिटी ने लॉकडाउन के बाद के रेगुलेशंस के दिशानिर्देशों पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी ने सशर्त तीन चरणीय रणनीति का सुझाव दिया जिसमें जिले कार्यान्वयन की इकाई हैं। निम्नलिखित मानदंडों के आधार पर प्रत्येक चरण में उत्तरोतर प्रतिबंधों में ढिलाई दी जाएगी जैसे (i) नए पुष्ट मामलों की संख्या, (ii) घरों में निगरानी में रखे गए लोगों की संख्य में वृद्धि/गिरावट का प्रतिशत, और (iii) हॉटस्पॉट्स का ना उभरना। 
     
  • रोकथाम संबंधी दिशानिर्देश: लॉकडाउन के 3 मई तक बढ़ने के बाद राज्य ने रोकथाम के दिशानिर्देशों में संशोधन किए जिसमें मामलों की संख्या और बीमारी के जोखिम के आधार पर जिलों को चार जोन्स में बांटने का सुझाव दिया गया। इन जोन्स, रेड, ऑरेंज ए, ऑरेंज बी और ग्रीन- में अलग-अलग, ग्रेडेड प्रतिबंध होंगे, रेड में 3 मई तक लॉकडाउन के रूप में कड़े प्रतिबंध होंगे। ऑरेंज ए और बी जोन्स में क्रमशः 24 और 20 अप्रैल तक लॉकडाउन रहेगा और फिर उसके बाद आंशिक प्रतिबंध रहेंगे। ग्रीन जोन्स में 20 अप्रैल तक लॉकडाउन रहेगा और इसके बाद प्रतिबंधों में ढिलाई दी जाएगी। 
     
  • इस आदेश के बाद राज्य ने औद्योगिक इकाइयों को कामकाज शुरू करने के संबंध में एडवाइजरी  जारी की। उन्हें कुछ मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करना होगा, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) परिसरों, मशीनरी और वाहनों का डिसइंफेक्शन करना, (ii) विशेष परिवहन सुविधाएं प्रदान करना, और वाहनों को 30-40% क्षमता के साथ चलाना, (iii) लोगों की अनिवार्य थर्मल स्कैनिंग करना, (iv) स्वच्छता एवं सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना, जिसमें एलिवेटर की क्षमताओं की सीमा तय करना और मीटिंग्स में लोगों की संख्या तय करना शामिल है, (v) अनिवार्य रूप से श्रमिकों का कोरोना संबंधी बीमा करना, (vi) सीसीटीवी का अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करना, और (vii) निकटवर्ती कोविड-19 अस्पतालों की सूची तैयार करना। 

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।

 
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