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  • कोविड-19 पर बिहार सरकार की प्रतिक्रिया (19 अप्रैल, 2020 तक)
राज्यों और राज्य विधानसभाओं

कोविड-19 पर बिहार सरकार की प्रतिक्रिया (19 अप्रैल, 2020 तक)

साकेत सूर्य - अप्रैल 19, 2020

22 मार्च को बिहार में नए कोरोनावायरस रोग (कोविड-19) के पहले दो मामले दर्ज किए गए जिनमें से एक मरीज की मौत हो गई। इसके बाद से मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 19 अप्रैल तक बिहार में कोविड-19 के 86 पुष्ट मामले हैं जिनमें से 47 सक्रिय मामले हैं और 37 लोग ठीक हो गए हैं। पिछले हफ्ते 33 नए मामले दर्ज किए गए हैं। 22 मार्च से एक मौत और दर्ज की गई है। 

बीमारी के अत्यधिक संक्रामक होने के कारण 22 मार्च को बिहार सरकार ने 31 मार्च तक राज्यव्यापी लॉकडाउन  की घोषणा की। इसके बाद केंद्र सरकार ने 25 मार्च और 14 अप्रैल के बीच राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू किया जो अब 3 मई तक बढ़ गया है। लॉकडाउन के दौरान लोगों के मूवमेंट पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं के अतिरिक्त सभी इस्टैबलिशमेंट्स बंद किए गए हैं। अब 20 अप्रैल के बाद कम प्रभावित जिलों में प्रतिबंधों में ढिलाई की उम्मीद है। 

इस ब्लॉग में हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कोविड-19 से निपटने के लिए राज्य सरकार ने अब तक क्या मुख्य कदम उठाए हैं। 

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प्रारंभिक चरण: यात्रियों की स्क्रीनिंग, निवारक उपायों के संबंध में जागरूकता 

राज्य सरकार ने शुरुआत में निम्नलिखित कदम उठाए: (i) बीमारी के निवारक उपायों के संबंध में जागरूकता फैलाना, और (ii) अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग। इस संबंध में 25 फरवरी को बिहार स्वास्थ्य सोसायटी ने निम्नलिखित से संबंधित एडवाइजरीज़ जारी कीं: (i) स्कूलों और कॉलेजों में क्या उपाय किए जाएंगे, और (ii) लक्षण वाले एयरलाइन यात्रियों और पर्यटकों की जानकारी जिला स्वास्थ्य प्रशासन को दी जाएगी। 11 मार्च को 104 कॉल सेंटर को कोविड-19 के कंट्रोल रूम के तौर पर नामित किया गया ताकि बीमारी के संबंध में लोगों के सवालों के जवाब दिए जा सकें। 

लॉकडाउन से पूर्व: सामूहिक जमावड़े की सीमा तय, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की लामबंदी 

सामूहिक जमावड़े की सीमा तय

13 से 18 मार्च के बीच राज्य सरकार ने आदेश जारी किया कि 31 मार्च तक विभिन्न परिसरों को बंद किया जाए। इनमें आंगनवाड़ी केंद्र, शिक्षण संस्थान, और सिनेमा हॉल, पार्क तथा शॉपिंग मॉल जैसे कमर्शियल इस्टैबलिशमेंट्स शामिल थे। सरकारी कर्मचारियों को वैकल्पिक दिनों पर कार्यालय आने का निर्देश दिया गया।  किसी एक स्थान पर 50 से ज्यादा लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध लगाया गया जिसमें कोई पारिवारिक जमावड़ा भी शामिल था (शादियों को छोड़कर)। परिवहन विभाग को कहा गया कि सार्वजनिक और निजी परिवहन को प्रतिबंधित किया जाए। 

स्वास्थ्य संबंधी उपाय

  • 13 मार्च को सरकार ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए: (i) सरकारी अस्पतालों में 100 अतिरिक्त वेंटिलेटर्स की उपलब्धता सुनिश्चित करना, (ii) एम्स, पटना और पीएमसीएच, पटना अस्पतालों में कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए व्यवस्था करना, और (iii) स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द करना।
     
  • 13 मार्च को बिहार-नेपाल सीमा के जरिए प्रवेश करने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू की गई। 
     
  • 17 मार्च को स्वास्थ्य विभाग ने महामारी रोग एक्ट, 1897 के अंतर्गत बिहार महामारी रोग कोविड-19 रेगुलेशन, 2020 जारी किया। एक्ट खतरनाक महामारियों के बेहतर रोकथाम का प्रावधान करता है। रेगुलेशन कोविड-19 के मरीजों की स्क्रीनिंग और इलाज के लिए निजी और सरकारी अस्पतालों के लिए प्रोटोकॉल निर्दिष्ट करते हैं। ये जिला प्रशासन को रोकथामकारी उपाय करने का अधिकार देते हैं जिनमें विशिष्ट क्षेत्रों को सील करना और कोविड-19 के मामलों की निगरानी करना शामिल है। ये बुरे इरादे से अफवाह या अपुष्ट सूचनाओं को प्रसारित करने को दंडनीय अपराध बनाते हैं। 

कल्याणकारी उपाय

  • 16 मार्च को मुख्यमंत्री के घोषणा की कि मुख्यमंत्री मेडिकल सहायता कोष बिहार के लोगों के कोविड-19 के इलाज का खर्चा वहन करेगा। इसके अतिरिक्त बिहार सरकार कोविड-19 के कारण मरने वाले व्यक्ति के परिवार को पांच लाख रुपए की सहायता देगी। 
     
  • सरकार ने स्कूलों में मिड-डे मील योजना तथा आंगनवाड़ी केंद्रों में भोजन के स्थान पर प्रत्यक्ष नकद अंतरण प्रदान करने से संबंधित निर्देश जारी किए।  

अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं 

  • 21 मार्च को खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने जिला प्रशासन को बिहार अनिवार्य वस्तु (मूल्य और स्टॉक का प्रदर्शन) आदेश, 1977 के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। आदेश में निर्दिष्ट वस्तुओं के विक्रेताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे लोगों की जानकारी के लिए उन वस्तुओं के स्टॉक और मूल्यों को प्रदर्शित करें। निर्दिष्ट वस्तुओं में खाद्य सामग्री, खाद्य तिलहन और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल हैं। विभाग ने जिला प्रशासन को यह निर्देश भी दिया कि वह इन वस्तुओं की सूची में कोई अन्य वस्तु को शामिल करने का प्रस्ताव भेजें। 

लॉकडाउन के दौरान कल्याणकारी उपाय, मेडिकल संरचना को मजबूत करना

22 मार्च को लॉकडाउन की घोषणै के बाद राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय समन्वय समितियों का गठन किया गया। लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए: (i) राज्य में मेडिकल संरचना को मजबूत करना, (ii) इस दौरान प्रभावित होने वाले विभिन्न वर्गों को राहत पहुंचाना, और (iii) अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई से जुड़ी समस्याओं को दूर करना। 

स्वास्थ्य संबंधी उपाय

  • 25 मार्च को स्वास्थ्य विभाग ने बिहार कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम का गठन किया जोकि स्वास्थ्य संबंधी सभी कदमों के बीच समन्वय स्थापित करने एवं उन्हें नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है। 
     
  • कंटेनमेंट और उपचार के लिए प्रोटोकॉल: कंटेनमेंट और उपचार संबंधी उपायों हेतु दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन के लिए निर्देश दिए गए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) आइसोलेशन और क्वारंटाइन केंद्रों का गठन और परिचालन, (ii) क्लस्टर कंटेनमेंट रणनीति के जरिए स्थानीय और सामुदायिक संक्रमण को दूर करने के लिए कंटेनमेंट योजना, (iii) इंफ्लूएंजा के समान रोग (आईएलआई) और गंभीर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस (सारी) के लिए निरीक्षण कार्यक्रम, (iv) उपचार/निदान/क्वारंटाइन के दौरान उत्पन्न होने वाले कचरे का निपटान और (v) कोविड-19 पॉजिटिव व्यक्तियों के निवास और निकटवर्ती क्षेत्रों का सैनिटेशन।
     
  • डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग का अभियान: 14 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने सिवान, बेगुसराय और नालंदा सहित सभी प्रभावित जिलों में डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग अभियान चलाने के निर्देश जारी किए। ऐसे स्क्रीनिंग अभियान सीमा क्षेत्रों के जिलों और कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों के निवास के दायरे में आने वाले तीन किलोमीटर क्षेत्र में भी चलाए जाएंगे। 
     
  • मैनपावर बढ़ाना: सरकार ने डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स जैसे मेडिकल प्रोफेशनल्स को स्वयंसेवी बनने का निमंत्रण दिया। उसने जिला प्रशासन को निर्देश भी दिया कि वे सशस्त्र सेवाओं के सेवानिवृत्त डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स को स्वयंसेवी बनाएं। स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों की छुट्टियों को 30 अप्रैल तक के लिए रद्द किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने डेप्युटेड आयुष प्रैक्टीशनर्स को आइसोलेशन और क्वारंटाइन केंद्रों में मदद करने को कहा। 
     
  • कोविड-19 के लिए डेडिकेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर: 5 अप्रैल को कुछ सरकारी अस्पतालों को कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए एक्सक्लूसिव अस्पतालों के रूप में निर्दिष्ट किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने पटना के बड़े निजी अस्पतालों को ओपीडी सेवाएं बंद करने का भी निर्देश दिया। 
     
  • अन्य स्वास्थ्य संबंधी उपाय: 22 मार्च को राज्य सरकार ने सभी डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को इन्सेंटिव के तौर पर एक महीने की बेसिक सैलरी के भुगतान की घोषणा की। 13 अप्रैल को स्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक स्थलों पर सिगरेट पीने और तंबाकू एवं पान खाने वाले लोगों को थूकने से प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने घोषणा की कि वह निजी क्षेत्र से टेस्ट किट्स खरीदेगी।  

कल्याणकारी उपाय

  • राहत पैकेज: 22 मार्च को सरकार ने लॉकडाउन से प्रभावित लोगों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की। राहत पैकेज की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
  1. सभी राशन कार्ड धारकों को एक महीने का मुफ्त राशन,
     
  2. प्रति राशन कार्ड धारक परिवार को 1,000 रुपए का वन टाइम नकद हस्तांतरण, 
     
  3. वृद्ध लोगों, विधवाओं और विकलांग लोगों सहित सभी पेंशनयाफ्ता लोगों को एडवांस में तीन महीने की पेंशन का भुगतान, और 
     
  4. सभी विद्यार्थियों को बकाया स्कॉलरशिप्स जारी करना। 
  • प्रवासियों की मदद: 26 मार्च को मुख्यमंत्री राहत कोष से 100 करोड़ रुपए आबंटित किए गए ताकि लॉकडाउन के दौरान देश के अन्य हिस्सों में फंसे हुए प्रवासियों को मदद दी जा सके। 2 अप्रैल को राज्य सरकार ने प्रवासियों को 1,000 रुपए के वन टाइन नकद हस्तांतरण की घोषणा की। 13 अप्रैल को इस उद्देश्य के लिए राहत कोष से अतिरिक्त 50 करोड़ रुपए आबंटित किए गए। प्रवासियों के लिए राहत प्रयासों में समन्वय हेतु राज्य स्तरीय नोडल अधिकारियों को नियुक्त किया गया। राज्य सरकार बिहार के प्रवासियों की मदद के लिए  HYPERLINK "http://www.prdbihar.gov.in/AdminPanel/Files/PressRelease/2020/237.pdf" दिल्ली में 10 फूड सेंटर्स चला रही है।
     
  • राहत शिविर: 28 मार्च को राज्य सरकार ने सीमा पर राहत शिविर (नेपाल सीमा सहित) शुरू करने का फैसला किया जोकि राज्य में आने वाले लोगों को भोजन, शेल्टर और मेडिकल सहायता प्रदान करेगा। भोजन और शेल्टर देने के लिए सरकारी स्कूल परिसरों में सामुदायिक किचन और राहत शिविर चलाए जा रहे हैं। 
     
  • बिजली शुल्क: 8 अप्रैल को राज्य कैबिनेट ने निम्नलिखित प्रस्तावों को मंजूरी दी: (i) घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं के लिए बिजली के शुल्क को 10 पैसे प्रति यूनिट कम करना, और (ii) मासिक मीटर फीस की छूट। 

व्यापारिक और कृषि गतिविधियों के लिए उपाय

  • राज्य सरकार ने टैक्सेशन से संबंधित मामलों में व्यापार जगत के लिए कुछ राहत प्रदान की है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: 
  1. जीएसटी के भुगतान की समय सीमा को 31 मार्च से बढ़ाकर 30 जून करना, कुछ मामलों में भुगतान में देरी पर कोई ब्याज या जुर्माना नहीं वसूला जाएगा,
     
  2. जीएसटी के पूर्व कर विवादों के लिए वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम की समय सीमा को तीन महीने के लिए बढ़ाना, और
     
  3. कुछ टैक्स डीफॉल्टरों के लिए बैंक खातों को जब्त करने से संबंधित आदेश रद्द करना।
  • 16 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने निर्देश जारी किए कि प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटी (पीएसीएस) के जरिए गेहूं की खरीद शुरू की जाए। 

अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं

  • विभिन्न विभागों ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि वह अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की निरंतरता को सुगम बनाए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं (i) खाद्य सामग्री, (ii) बीज, उर्वरक और अन्य कृषि संबंधी वस्तुएं, (iii) मवेशियों का चारा, और (iv) पेट्रोलियम उत्पाद।  
     
  • 27 मार्च को खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने कुछ वस्तुओं को बिहार अनिवार्य वस्तु (मूल्य और स्टॉक का प्रदर्शन) एक्ट, 1977 के दायरे में शमिल किया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) गेहूं और गेहूं के उत्पाद, (ii) मास्क और हैंड सैनिटाइजर्स, और (iii) आलू और प्याज।  

अन्य उपाय

शिक्षा: 8 अप्रैल को कैबिनेट ने कक्षा 1 से 11 (कक्षा 10 को छोड़कर) के सभी विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षाओं के बिना अगली कक्षाओं में भेजने को मंजूरी दे दी।  

विधायी उपाय: एमएलए और एमएलसी के वेतन में एक वर्ष के लिए 15% की कटौती गई गई। यह राशि राज्य के कोरोना राहत कोष में दान दी जाएगी। 

श्रम और रोजगार: 16 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने सात निश्चय कार्यक्रम, जल जीवन हरियाली योजना और मनरेगा के अंतर्गत लोक निर्माण के कार्य बहाल करने के निर्देश जारी किए। 

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।

 
Miscellaneous

कोविड-19 महामारी पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया (7-13 अप्रैल, 2020)

Anya Bharat Ram - अप्रैल 13, 2020

13 अप्रैल, 2020 को भारत में कोविड-19 के 9,152 पुष्ट मामले हैं। इनमें से 857 मरीजों का इलाज हो चुका है/उन्हें डिस्चार्ज किया जा चुका है और 308 की मृत्यु हुई है।

जैसे इस महामारी का प्रकोप बढ़ा और वायरस से संबंधित जानकारियों में इजाफा हुआ, केंद्र सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए अनेक नीतिगत फैसलों की घोषणा की। इसके अतिरिक्त इन फैसलों से प्रभावित नागरिकों और व्यवसायों को मदद देने के उपायों की भी घोषणा की गई। इस ब्लॉग पोस्ट में हम केंद्र सरकार के 7 अप्रैल से 13 अप्रैल तक के कुछ मुख्य कदमों का सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं।

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Source: Ministry of Health and Family Welfare, PRS.

स्वास्थ्य

सर्वोच्च न्यायालय ने कोविड-19 की मुफ्त टेस्टिंग और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव उपकरणों के प्रावधान का आदेश दिया

  • कोविड-19 के लिए मुफ्त टेस्टिंग: सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि सरकार द्वारा अधिसूचित आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तथा आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत आने वाले लोगों की कोविड-19 की टेस्टिंग मुफ्त की जानी चाहिए, भले ही वह टेस्टिंग निजी लैब में हो या सरकारी लैब में। इसके अतिरिक्त यह कहा गया कि कोविड-19 की टेस्टिंग उन लैब्स में भी की जा सकती है जो नेशनल एक्रेडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिबरेशन लेबोरेट्रीज़ द्वारा सत्यापित हैं, या उन एजेंसियों में जो विश्व स्वास्थ्य संगठन या भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा मंजूर हैं। इस आदेश से पूर्व सरकारी लेबोरेट्रीज़ में टेस्ट मुफ्त किए जा रहे थे। हालांकि निजी लेबोरेट्रीज़ को प्रति टेस्ट 4,500 रुपए तक लेने की अनुमति थी।
     

  • स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव उपकरण: सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि सरकार को फ्रंट लाइन पर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के लिए उपयुक्त पर्सनल प्रोटेक्टिव उपकरण (पीपीई) की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। पीपीई में ग्लव्स, मास्क्स, गॉगल्स, फेस शील्ड्स और शू कवर्स शामिल हैं। पीपीई का इस्तेमाल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों पर आधारित होना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसने सरकार को निर्देश दिए कि पीपीई के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए जैसे कच्चे माल के मूवमेंट की अनुमति देकर। पीपीई के निर्यात पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है। 
     

  • स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सुरक्षा: न्यायालय ने यह भी कहा कि कोविड-19 के मरीजों का इलाज करने वाले स्वास्थ्यकर्मी इस महामारी के संभावित जोखिम से जुड़े लांछन के कारण जनता द्वारा हिंसा का शिकार हो रहे हैं। न्यायालय ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पुलिस प्रशासन को निर्देश देना चाहिए कि अस्पतालों, उन स्थानों पर- जहां लोगों को क्वारंटाइन में रखा गया है, और स्क्रीनिंग के दौरान डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को सुरक्षा प्रदान करें। उन लोगों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई की जानी चाहिए जो कोविड-19 की रोकथाम में लगे डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ और दूसरे सरकारी अधिकारियों के कामकाज को बाधित कर रहे हैं और किसी प्रकार का अपराध कर रहे हैं।

कुछ वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी और हेल्थ सेस से छूट

केंद्र सरकार ने कुछ वस्तुओं पर बेसिक कस्टम्स ड्यूटी और हेल्थ सेस की वसूली से छूट दी है। इनमें वेंटिलेटर्स, फेस मास्क्स, पीपीई, कोविड-19 टेस्टिंग किट्स और इन वस्तुओं की मैन्यूफैक्चरिंग के लिए जरूरी वस्तुएं शामिल हैं। यह छूट 30 सितंबर, 2020 तक लागू रहेगी।

वित्तीय सहायता

कोविड-19 पर आपात प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज

केंद्र सरकार ने कोविड-19 आपात प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज को मंजूरी दी है। इसे जनवरी 2020 और मार्च 2024 के दौरान तीन चरणों में लागू किया जाएगा। पैकेज के उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) राष्ट्रीय एवं राज्य स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूती देना, (ii) कोविड-19 के लिए तैयारी को मदद देना, (iii) जरूरी मेडिकल उपकरणों और दवाओं की खरीद करना, (iv) निगरानी करने के लिए लेबोरेट्रीज़ स्थापित करना, और (v) जैविक सुरक्षा।   

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कार्यक्रम के चरण 1 के लिए धनराशि जारी करनी शुरू कर दी है। यह कार्यक्रम जून 2020 तक चलेगा। इस धनराशि को निम्नलिखित गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा: (i) कोविड-19 के मरीजों के लिए अस्पताल और आइसोलेशन वार्ड बनाना, (ii) वेंटिलेटर्स देना, (iii) डायग्नॉस्टिक क्षमताओं में विस्तार करना, और (iv) बीमारी की सामुदायिक निगरानी।  

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से आंशिक निकासी की अनुमति

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के सबस्क्राइबर्स अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए आंशिक निकासी कर सकते हैं। सबस्क्राइबर के औपचारिक अनुरोध पर निकासी की अनुमति है। इस राशि को सबस्क्राइबर, उसके पति या पत्नी, बच्चों (गोद लिए बच्चे सहित) या निर्भर माता-पिता के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

पांच लाख रुपए तक के सभी लंबित इनकम टैक्स रिफंड जारी किए जाएंगे 

व्यवसायों और लोगों को तत्काल राहत देने के लिए पांच लाख रुपए तक के सभी लंबित इनकम टैक्स रिफंड तत्काल जारी किए जाएंगे। इससे 14 लाख टैक्सपेयर्स को लाभ मिलने का अनुमान है। इसके अतिरिक्त सभी लंबित जीएसटी और कस्टम्स रिफंड जारी किए जाएंगे। इससे लगभग एक लाख बिजनेस एंटिटीज़ को लाभ मिलेगा। लगभग 18,000 करोड़ रुपए का कुल रिफंड दिया जाएगा। 

कोविड-19 के कारण मृत्यु की स्थिति में भारतीय खाद्य निगम कर्मचारियों को मुआवजा

केंद्र सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के 1.08 लाख कर्मचारियों को मौद्रिक मुआवजा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसमें वे 80,000 श्रमिक भी शामिल हैं जो देश की सप्लाई फूड चेन में काम करते हैं। वर्तमान में आतंकवादी हमलों, बम विस्फोट, भीड़ की हिंसा या प्राकृतिक आपदाओं की स्थितियों में एफसीआई कर्मचारियों के परिवारों की मृत्यु होने पर उन्हें मुआवजा मिलता है। हालांकि इसमें एफसीआई के नियमित और ठेके पर काम करने वाले श्रमिक शामिल नहीं हैं। इस प्रस्ताव के अंतर्गत 24 मार्च, 2020 और 23 सितंबर, 2020 के बीच कोविड-19 के कारण मृत्यु होने पर ड्यूटी पर सभी श्रमिकों का बीमा किया जाएगा। नियमित श्रमिक 15 लाख रुपए के हकदार होंगे, ठेके पर काम करने वाले श्रमिक 10 लाख रुपए के हकदार होंगे, श्रेणी 1 के अधिकारी 35 लाख रुपए, श्रेणी 2 के 30 लाख रुपए तथा श्रेणी 3 एवं श्रेणी 4 के कर्मचारी 25 लाख रुपए के हकदार होंगे। 

गैर सरकारी संगठनों को राहत कार्यों के लिए एफसीआई से सीधे खाद्यान्न खरीदने की अनुमति

सरकार ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान हजारों गरीब लोगों को खाना पहुंचाने में गैर सरकारी संगठन और चैरिटेबल संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन संगठनों को बिना किसी परेशानी के खाद्यान्न मिलता रहे, इसके लिए केंद्र सरकार ने एफसीआई को निर्देश दिया है कि वह ओपन मार्केट सेल स्कीम रेट पर गैर सरकारी संगठनों को गेहूं और चावल दे। ये दरें आम तौर पर राज्य सरकारों और पंजीकृत बल्क यूजर्स के लिए आरक्षित होती हैं। इसका अर्थ यह है कि ये संगठन पूर्व निर्धारित आरक्षित मूल्य पर एफसीआई से एक बार में एक से दस मीट्रिक टन गेहूं और चावल खरीद सकते हैं।

वित्तीय संसाधन बढ़ाना

संसद के सदस्यों के वेतन और लाभों में कटौती

इस हफ्ते केंद्र ने दो अध्यादेश जारी किए: (i) सांसदों के वेतन में एक वर्ष के लिए 30% की कटौती हेतु संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन एक्ट, 1954, में संशोधन और (ii) मंत्रियों के सत्कार भत्ते में एक वर्ष के लिए 30% की कटौती हेतु मंत्रियों का वेतन और भत्ते एक्ट, 1952 में संशोधन। सरकार ने 1954 के एक्ट में अधिसूचित नियमों में भी संशोधन किया है ताकि सांसदों के कुछ भत्तों में एक वर्ष के लिए कटौतियां की जा सकें, और दो वर्षों के लिए एमपीलैड योजना को रोका गया है। एमपीलैड योजना से संसद सदस्यों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास संबंधी कार्य के सुझाव देने का मौका मिलता है। कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए केंद्र के वित्तीय संसाधनों को पूरा करने हेतु ये परिवर्तन किए गए हैं। सांसदों और मंत्रियों के वेतन और भत्तों में प्रस्तावित कटौती से लगभग 55 करोड़ रुपए की बचत होगी और एमपीलैड योजना को रोकने से 7800 करोड़ रुपए की बचत की उम्मीद है। कोविड-19 के कारण तत्काल आर्थिक संकट से लड़ने के लिए जितनी अनुमानित राशि की जरूरत होगी, यह बचत राशि उसका क्रमशः 0.03% और 4.5% है।

सांसदों के वेतन और लाभों में कटौती के प्रभावों पर अधिक जानकारी के लिए कृपया यहां देखें। 

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखे। 

 
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