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  • कोविड-19 पर सिक्किम सरकार की प्रतिक्रिया (22 अप्रैल, 2020 तक)
राज्यों और राज्य विधानसभाओं

कोविड-19 पर सिक्किम सरकार की प्रतिक्रिया (22 अप्रैल, 2020 तक)

प्राची कौर - अप्रैल 22, 2020

22 अप्रैल, 2020 तक सिक्किम में कोविड-19 के कोई पुष्ट मामले नहीं हैं। 21 अप्रैल, 2020 को सिक्किम से 87 सैंपलों को टेस्टिंग के लिए भेजा गया। इनमें से 80 की रिपोर्ट कोविड के लिए नेगेटिव आई और सात सैंपलों के नतीजों का अभी इंतजार है। राज्य ने वायरस को फैलने से रोकने और उनसे प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए कई नीतिगत फैसलों की घोषणा की है। इस ब्लॉग में हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कोविड-19 से निपटने के लिए सिक्किम सरकार ने 22 अप्रैल, 2020 तक क्या मुख्य कदम उठाए हैं।

राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से पहले की प्रतिक्रिया

16 मार्च को राज्य सरकार ने भारत में संदिग्ध मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर कुछ निर्देशों को अधिसूचित किया जोकि 15 अप्रैल, 2020 तक लागू थे। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) राज्य में सभी घरेलू और विदेशी पर्यटकों के प्रवेश पर प्रतिबंध, (ii) सभी शिक्षण संस्थानों और आंगनवाड़ियों को बंद करना, (iii) मनोरंजक केंद्रों, जैसे कैसिनो, जिम और सिनेमा के प्रयोग पर प्रतिबंध, (iv) राज्य में सभी विजिटर्स के लिए पांच में से तीन चेक पोस्ट्स (बॉर्डर ओपनिंग) को बंद करना और दो अन्य को मेडिकल और पुलिस टीमों के लिए खोलना, और (v) निजी उद्योगों को राज्य के बाहर से प्रवासी श्रमिकों को लाने से प्रतिबंधित करना और एक स्थान पर बड़ी संख्या में श्रमिकों की मौजूदगी से बचना।

19 मार्च को राज्य में पांच से अधिक लोगों के जमा होने को 15 अप्रैल, 2020 तक के लिए प्रतिबंधित किया गया। सरकार ने 19 मार्च को सभी गैर अनिवार्य कार्यों को रद्द करने का आदेश दिया। सभी अनिवार्य वस्तुओं जैसे खाद्यान्न, सब्जियों, सैनिटाइजर्स और मास्क्स की सप्लाई की अनुमति दी गई। इसके अतिरिक्त संदिग्ध मामलों को चिन्हित करने के लिए सब डिविजिनल टास्क फोर्स के गठन का आदेश दिया गया। 

22 मार्च को सरकार ने 15 अप्रैल, 2020 तक ऑड-ईवन आधार पर निजी वाहनों, टू-व्हीलर्स और टैक्सियों के इंट्रा-स्टेट मूवमेंट को रेगुलेट किया। ऑन-ईवन का अर्थ है कि नंबर प्लेट के आधार पर वैकल्पिक दिनों पर वाहनों को चलाया जाएगा। सरकार ने 23 मार्च को राज्य के बजट सत्र को दो दिन कम कर दिया।

25 मार्च को केंद्र सरकार ने 14 अप्रैल तक 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की। लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने फिजिकल कंटेनमेंट, स्वास्थ्य, वित्तीय एवं कल्याणकारी उपायों के लिए विभिन्न कदम उठाए। इनका विवरण नीचे पेश किया जा रहा है। 

लॉकडाउन के दौरान उपाय

मूवमेंट पर प्रतिबंध

राज्य में अनेक प्रतिबंध लगाए गए। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • वाहनों का मूवमेंट: राज्य के भीतर वाहनों का मूवमेंट सिर्फ अनिवार्य वस्तुओं के परिवहन तक सीमित था। इन वाहनों को भी मूवमेंट के लिए स्थायी पास की जरूरत थी। 5 अप्रैल को राज्य के बाहर वाहनों का मूवमेंट सरकारी अधिकारियों, अनिवार्य वस्तुओं के परिवहन, बैंक और पीएसयूज़, और मीडिया एवं केबल नेटवर्क्स तक सीमित था। ये पास केवल सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक वैध हैं। 
     
  • पास की वैधता: राज्य सरकार ने गौर किया कि विभिन्न कारणों से बड़ी संख्या में वाहन पास जारी किए गए थे। 14 अप्रैल को सरकार ने आदेश दिया कि जिला मेजिस्ट्रेट, और अन्य विभागीय अथॉरिटीज़ (पुलिस, स्वास्थ्य विभाग तथा वन एवं पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त) द्वारा जारी सभी पास 14 अप्रैल से अवैध हो जाएंगे। नए पास सिर्फ मेजिस्ट्रेट और ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारियों द्वारा जारी किए जाएंगे।
     
  • सीमाओं की सुरक्षा: कोविड-19 महामारी के मद्देनजर और चीन, नेपाल, और भूटान से अनाधिकृत सीमा पारीय घुसपैठ की जांच के लिए राज्य सरकार ने रांगपो नदी और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों से लगी सीमाओं को सुरक्षित किया। 

अनिवार्य वस्तुओं और सेवाएं

5 अप्रैल को राज्य सरकार ने दुकानों, होटलों, निजी कार्यालयों और कमर्शियल इस्टैबलिशमेंट्स इत्यादि को 15 अप्रैल तक बंद रखने का आदेश जारी किया। जिन इस्टैबलिशमेंट्स को कामकाज की अनुमति थी, उनमें कानून प्रवर्तन एजेंसियां, स्वास्थ्य सेवाएं, बिजली और पानी, पेट्रोल पंप और मीडिया शामिल हैं। पीडीएस, राशन की दुकानों, सब्जी, दूध और दवाएं बेचने वाली दुकानों को केवल सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक खोलने की अनुमति दी गई।

  • वैध नुस्खा और लेबल जरूरी: 25 मार्च को राज्य ने ड्रग मैन्यूफैक्चरिंग लाइसेंस लेबल के बिना हैंड सैनिटाइजर्स की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। उसने वैध नुस्खे के बिना आम लोगों को एन95 मास्क बेचने पर भी रोक लगाई।
     
  • ट्रांज़िट कैंप्स: 17 अप्रैल को राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी की कि वाहनों में अनिवार्य वस्तुओं को लाने वाले ड्राइवरों और हेल्पर्स के लिए ट्रांज़िट कैंप (रहने की अस्थायी व्यवस्था) बनाए जाएंगे। 

स्वास्थ्य संबंधी उपाय

31 मार्च को सिक्किम सरकार ने बचाव उपाय के रूप में सोचकगैंग स्थित एसटीएनएम अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड्स और उपचार केंद्रों को चिन्हित और स्थापित किया। सरकार ने कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने के लिए अपने नागरिकों को निर्देश भी जारी किए। इनमें सोशल डिस्टेंसिंग, और उचित साफ सफाई बरकरार रखना शामिल है। 

18 अप्रैल को राज्य सरकार ने सभी लोगों, विद्यार्थियों, शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों के लिए आरोग्य सेतु एप्लीकेशन को इंस्टॉल करना अनिवार्य किया। भारत सरकार ने 2 अप्रैल, 2020 को एक मोबाइल एप आरोग्य सेतु को लॉन्च किया है जिसके जरिए लोग कोविड-19 के संक्रमण के जोखिम का आकलन कर सकते हैं। यह एप कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए ब्ल्यूटुथ और ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) बेस्ड डिवाइस लोकेशन का इस्तेमाल करता है। 

कल्याणकारी उपाय

  • आर्थिक राहत पैकेज: 27 मार्च को राज्य सरकार ने आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा की। इसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जरूरतमंद परिवारों, दिहाड़ी मजदूरों, प्रवासी श्रमिकों, अनौपचारिक श्रमिकों और असहाय लोगों को निर्दिष्ट मात्रा में मुफ्त राशन (पीडीएस के अतिरिक्त) देना शामिल है। इसके अतिरिक्त सराकर ने टेमी टी एस्टेट के बागान श्रमिकों के लिए प्रति दिन 300 रुपए का अतिरिक्त इन्सेंटिव देने की घोषणा की।
     
  • खाद्य वितरण: 16 अप्रैल को सरकार ने घोषणा की कि आशा कार्यकर्ताओं को कोविड-19 के दौरान काम करने के लिए 5,000 रुपए का मानदेय दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त उसने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को आदेश दिया कि उन सभी लाभार्थियों की सूची बनाए जिन्हें खाद्य राहत पैकेज का वितरण नहीं हुआ है। 
     
  • असहाय मरीजों को राहत: 16 अप्रैल को सरकार ने घोषणा की कि प्रत्येक मरीज, जिनका उपचार किया जा रहा है और वे सिक्किम के बाहर फंसे हुए हैं, को मुख्यमंत्री राहत कोष से 30,000 रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी। 
     
  • अनौपचारिक श्रमिकों के लिए राहत: 30 मार्च को सिक्किम सरकार ने सभी कॉन्ट्रैक्टर्स/नियोक्ताओं को निर्देश जारी किए कि वे लॉकडाउन के कारण कटौतियों के बिना अपने प्रवासी और अनौपचारिक श्रमिकों को देय तिथि पर वेतन चुकाएं। सरकार ने राज्य में 7,836 भवन निर्माण एवं अन्य निर्माण श्रमिकों को 2,000 रुपए का अनुदान भी प्रदान किया। 
     
  • असहाय विद्यार्थियों के लिए राहत: 29 मार्च को राज्य ने घोषणा की कि वह लॉकडाउन के कारण सिक्किम से बाहर फंसे राज्य के प्रत्येक विद्यार्थी को 5,000 रुपए देगी। 

20 अप्रैल के बाद राहत 

14 अप्रैल को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को 3 मई, 2020 तक बढ़ाया गया। 15 अप्रैल को गृह मामलों के मंत्रालय ने उन चुनींदा गतिविधियों के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए जिनकी 20 अप्रैल के बाद अनुमति होगी। इन गतिविधियों में स्वास्थ्य सेवाएं, कृषि संबंधी गतिविधियां, वित्तीय क्षेत्र की कुछ गतिविधियां, आंगनवाड़ियों का कामकाज, मनरेगा का काम, और कार्गो मूवमेंट शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कुछ शर्तों के अधीन कमर्शियल और निजी इस्टैबलिशमेंट्स, औद्योगिक इस्टैबलिशमेंट्स, सरकारी कार्यालय और निर्माण कार्यों की भी अनुमति है। सिक्किम सरकार ने इस आधार पर निम्नलिखित कदम उठाए:

  • 19 अप्रैल को राज्य सरकार ने सभी सरकारी और पीएसयू कार्यालयों को निर्देश दिए कि वे 20 अप्रैल से अधिकतम एक तिहाई कर्मचारियों के साथ काम कर सकते हैं। 
     
  • 19 अप्रैल को राज्य सरकार ने निर्देश दिए और कहा कि 20 अप्रैल के बाद मैन्यूफैक्चरिंग इस्टैबलिशमेंट्स, वर्क स्पेस और पब्लिक प्लेस में मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन किया जाए। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ओवरलैपिंग शिफ्ट नहीं होगी, (ii) पालियों में लंच ब्रेक, (iii) साफ सफाई के अच्छे तौर तरीकों का प्रशिक्षण, (iv) अनिवार्य रूप से फेस कवर करना, और (v) शिफ्ट्स के बीच कार्यस्थलों को सैनिटाइज करना। 

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।

Policy

क्या निजीकरण की योजना बनाई जा रही है?

M R Madhavan , Prachee Mishra - अक्टूबर 30, 2019

विनिवेश पर सचिवों के कोर ग्रुप ने हाल ही में पांच सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयूज़) के विनिवेश को मंजूरी दी है। इसमें चार पीएसयूज़: भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल), शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई), नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (नीप्को) और टीएचडीसी (टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्प्लैक्स को संचालित और प्रबंधित करने वाला) में सरकार की पूरी शेयरहोल्डिंग और कंटेनर कॉरपोरेशन इन इंडिया लिमिटेड (कॉनकोर) में 30% शेयरहोल्डिंग शामिल हैं। वर्तमान में कॉनकोर में सरकार की शेयरहोल्डिंग 54.8% है। बिक्री के बाद यह हिस्सेदारी घटकर 25% से कम रह जाएगी।  

पिछले कुछ वर्षों के दौरान सरकार ने दूसरे कई पीएसयूज़ के निजीकरण पर लगे विधायी अवरोध हटाए हैं। इससे यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या सरकार उनके निजीकरण की योजना बना रही है। 

पीएसयूज़ के निजीकरण पर सर्वोच्च न्यायालय का क्या आदेश था

2003 में सरकार ने एचपीसीएल और बीपीसीएल में शेयरहोल्डिंग को बेचने का ऐसा ही एक प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को सर्वोच्च न्यायालय में इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि इससे उन कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन होता है जिनके जरिए सरकार को कुछ खास एसेट्स का स्वामित्व हस्तांतरित किया गया था (जोकि बाद में पीएसयूज़ बने)। उदाहरण के लिए संसद के एक्ट के जरिए भारत में बर्मा शेल के राष्ट्रीयकरण और उनकी रिफाइनरी तथा मार्केटिंग कंपनियों के विलय के बाद बीपीसीएल की स्थापना हुई थी। न्यायालय ने यह आदेश दिया था कि केंद्र सरकार संबंधित कानूनों में संशोधन किए बिना एचपीसीएल और बीपीसीएल का निजीकरण (यानी अपने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष स्वामित्व को 51% से कम) नहीं कर सकती। इसलिए बीपीसीएल में प्रत्यक्ष रूप से और एचपीसीएल में अप्रत्यक्ष रूप से (दूसरे पीएसयू ओएनजीसी के जरिए) सरकार की अधिकांश हिस्सेदारी है। 

जिन पांच कंपनियों के निजीकरण को मंजूरी दी गई है, उनमें बीपीसीएल और एससीआई (जिसमें दो राष्ट्रीयकृत कंपनियां जयंती शिपिंग कंपनी और मुगल लाइन लिमिटेड का विलय किया गया था) शामिल हैं। संबंधित राष्ट्रीयकरण एक्ट्स को पिछले पांच वर्षों में निरस्त कर दिया गया है।

सरकार ने निजीकरण से विधायी अवरोध कैसे हटाए?

2014 और 2019 के बीच संसद ने छह रिपीलिंग और संशोधन एक्ट्स पारित किए जिनके जरिए लगभग 722 कानून रद्द हुए। इनमें केंद्र सरकार को कंपनियों के स्वामित्व का हस्तांतरण करने वाले कानून भी शामिल थे जिनके अंतर्गत बीपीसीएल, एचपीसीएल और ओआईएल की स्थापना हुई थी। इनमें उन कानूनों का निरस्तीकरण भी शामिल था जिनके जरिए सीआईएल में विलय होने वाली कंपनियों के स्वामित्व को केंद्र सरकार को हस्तांतरित कर दिया था। इसका अर्थ यह है कि अब सरकार इन सरकारी कंपनियों का निजीकरण कर सकती है, चूंकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश द्वारा रखी गई शर्तों को पूरा कर दिया गया है। इन रिपीलिंग और संशोधन एक्ट्स ने दूसरे कई राष्ट्रीयकरण एक्ट्स को भी निरस्त कर दिया जिनके अंतर्गत पीएसयूज़ की स्थापना की गई थी। निम्नलिखित तालिका में इनमें से कुछ कंपनियों की सूची दी गई है। उल्लेखनीय है कि भारतीय विधि आयोग (2014) ने इनमें से कई कानूनों (एसो एक्ट, बर्मा शेल एक्ट, बर्न कंपनी एक्ट सहित) को इस आधार पर निरस्त करने का सुझाव दिया था कि ये कानून राष्ट्रीयकृत कंपनी के संबंध में किसी भी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करते। हालांकि यह सुझाव भी दिया गया था कि इन एक्ट्स को निरस्त करने से पहले सभी राष्ट्रीयकरण एक्ट्स का अध्ययन किया जाना चाहिए और अगर जरूरी हो तो रिपीलिंग एक्ट में सेविंग्स क्लॉज का प्रावधान किया जाना चाहिए।

क्या इन एक्ट्स को पारित करने से पहले संसद कोई जांच करती है?

इनमें से कई को रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016 के जरिए निरस्त किया गया है। इनमें बीपीसीएल, एचपीसीएल, ओआईएल, कोल इंडिया लिमिटेड, एससीआई, नेशनल टेक्सटाइल्स कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान कॉपर और बर्न स्टैंडर्ड कंपनी लिमिटेड से संबंधित एक्ट्स शामिल हैं। इस बिल को पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमिटी को रेफर नहीं किया गया और एक त्वरित बहस (लोकसभा में 50 मिनट और राज्यसभा में 20 मिनट) के बाद पारित कर दिया गया। इसी प्रकार 2017 में सेल, पावरग्रिड और स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन के निजीकरण से संबंधित दो एक्ट्स पारित किए गए लेकिन उनकी समीक्षा भी स्टैंडिंग कमिटी द्वारा नहीं की गई।

अब क्या होगा?

एक्ट्स के निरस्तीकरण के बाद इन कंपनियों के निजीकरण के मार्ग की विधायी अड़चनें दूर हो गई हैं। इसका अर्थ यह है कि सरकार को उनकी शेयरहोल्डिंग को बेचने में संसद से पूर्व मंजूरी की जरूरत नहीं है। इसलिए अब सरकार यह निर्धारित करेगी कि इन संस्थाओं का निजीकरण करना है अथवा नहीं।

तालिका 1: 2014 से निरस्त किए गए कुछ राष्ट्रीयकरण एक्ट्स (सूची पूर्ण नहीं है)

कंपनी

निरस्त होने वाले एक्ट

रिपीलिंग एक्ट

शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई)

जयंती शिपिंग कंपनी (शेयरों का अधिग्रहण) एक्ट, 1971

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

मुगल लाइन लिमिटेड (शेयरों का अधिग्रहण) एक्ट, 1984

भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल)

बर्मा शेल (भारत में उपक्रमों का अधिग्रहण) एक्ट, 1976

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल)

एस्सो (भारत में उपक्रमों का अधिग्रहण) एक्ट, 1974

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

कैल्टेक्स [कैल्टेक्स ऑयल रिफाइनरी (इंडिया) लिमिटेड के शेयरों और भारत में कैल्टेक्स (इंडिया) लिमिटेड के उपक्रमों का अधिग्रहण] एक्ट, 1977

कोसन गैस कंपनी (उपक्रम का अधिग्रहण) एक्ट, 1979

कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल)

कोकिंग कोल माइन्स (आपात प्रावधान) एक्ट, 1971

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

कोल माइन्स (प्रबंधन को अधिकार में लेना) एक्ट, 1973

कोकिंग कोल माइन्स (राष्ट्रीयकरण) एक्ट, 1972

रिपीलिंग और संशोधन (दूसरा) एक्ट, 2017

कोल माइन्स (राष्ट्रीयकरण) एक्ट, 1973

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल)

बोलानी अयस्क लिमिटेड (शेयरों का अधिग्रहण) और विविध प्रावधान एक्ट, 1978

रिपीलिंग और संशोधन (दूसरा) एक्ट, 2017

भारतीय आयरन और स्टील कंपनी (शेयरों का अधिग्रहण) एक्ट, 1976

पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया

नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड, नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड और द नॉर्थ-ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पावर ट्रांसमिशन सिस्टम्स का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1993

रिपीलिंग और संशोधन (दूसरा) एक्ट, 2017

नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन लिमिटेड (पावर ट्रांसमिशन सिस्टम का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1994

ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल)

बर्मा ऑयल कंपनी [ऑयल इंडिया लिमिटेड के शेयरों और असम ऑयल कंपनी लिमिटेड तथा बर्मा ऑयल कंपनी (इंडिया ट्रेडिंग) लिमिटेड के भारत के उपक्रमों का अधिग्रहण] एक्ट, 1981

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसटीसी)

टी कंपनीज़ (रुग्ण चाय इकाइयों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1985

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2017

नेशनल टेक्सटाइल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनटीसी)

रुग्ण कपड़ा उपक्रम (प्रबंधन को अधिकार में लेना) एक्ट, 1972

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

कपड़ा उपक्रम (प्रबंधन को अधिकार में लेना) एक्ट, 1983

लक्ष्मीरतन और अथरटन वेस्ट कॉटन मिल्स (प्रबंधन को अधिकार में लेना) एक्ट, 1976

हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड

इंडियन कॉपर कॉरपोरेशन (उपक्रम का अधिग्रहण) एक्ट, 1972

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

बर्न स्टैंडर्ड कंपनी लिमिटेड

बर्न कंपनी एंड इंडियन स्टैंडर्ड वैगन कंपनी (राष्ट्रीयकरण) एक्ट, 1976

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

भारतीय रेलवे

फतवा-इस्लामपुर लाइट रेलवे लाइन (राष्ट्रीयकरण) एक्ट, 1985

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

ब्रेथवेट एंड कंपनी लिमिटेड, रेलवे मंत्रालय

ब्रेथवेट एंड कंपनी (इंडिया) लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1976

रिपीलिंग और संशोधन (दूसरा) एक्ट, 2017

ग्रेशन एंड क्रेवन ऑफ इंडिया (प्राइवेट) लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1977

एंड्र्यू यूल एंड कंपनी लिमिटेड

ब्रेंटफोर्ड इलेक्ट्रिक (इंडिया) लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1987

रिपीलिंग और संशोधन (दूसरा) एक्ट, 2017

ट्रांसफॉर्मर्स एंड स्विचगियर लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1983

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2019

एलकॉक एशडाउन (गुजरात) लिमिटेड, गुजरात सरकार का उपक्रम

एल्कॉक एशडाउन कंपनी लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण) एक्ट, 1973

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2019

बंगाल कैमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (बीसीपीएल)

बंगाल कैमिकल एंड फार्मास्युटिकल वर्क्स लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1980

रिपीलिंग और संशोधन (दूसरा) एक्ट, 2017

फार्मास्युटिकल्स विभाग के अंतर्गत आने वाले संगठन

स्मिथ, स्टेनस्ट्रीट एंड कंपनी लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1977

रिपीलिंग और संशोधन (दूसरा) एक्ट, 2017

बंगाल इम्युनिटी कंपनी लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1984

Sources: Repealing and Amending Act, 2015; Repealing and Amending (Second) Act, 2015; Repealing and Amending Act, 2016; Repealing and Amending Act, 2017; Repealing and Amending (Second) Act, 2017; Repealing and Amending Act, 2019.

 
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