कोविड-19 के प्रकोप पर केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारों ने भी वायरस की रोकथाम के लिए अनेक नीतिगत फैसलों की घोषणा की है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम उत्तराखंड सरकार के 16 अप्रैल तक के कुछ मुख्य कदमों का सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं।
15 अप्रैल, 2020 तक उत्तराखंड में 2,413 सैंपलों को टेस्टिंग के लिए भेजा गया है। इनमें से 37 सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं और 354 सैंपलों के परिणामों की प्रतीक्षा है। 37 पुष्ट मामलों में 9 मरीजों का इलाज हो गया है/उन्हें डिस्चार्ज किया जा चुका है।[1]
मूवमेंट पर प्रतिबंध
कोविड-19 की रोकथाम के लिए उत्तराखंड सरकार ने राज्य में लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं।
स्वास्थ्य संबंधी उपाय
उत्तराखंड महामारी रोग कोविड-19 रेगुलेशन 2020
15 मार्च, 2020 को सरकार ने राज्य में कोविड-19 की रोकथाम के लिए उत्तराखंड महामारी रोग कोविड-19 रेगुलेशन 2020 अधिसूचित किया।[8] रेगुलेशंस की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
नागरिकों, स्वास्थ्य केंद्रों और सरकारी विभागों के लिए दिशानिर्देश
राज्य ने वायरस की रोकथाम से संबंधित विभिन्न विषयों पर अनेक दिशानिर्देश और एडवाइजरी जारी की हैं।[9] इन दिशानिर्देशों को नागरिकों, स्वास्थ्य केंद्रों, साथ ही सरकारी विभागों के लिए जारी किया गया है। दिशानिर्देशों में निम्नलिखित शामिल हैं:
प्रशासनिक उपाय
21 मार्च को राज्य सरकार ने मेडिकल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के कर्मचारियों की छुट्टी रद्द कर दी और छुट्टी पर गए कर्मचारियों को वापस लौटने के आदेश जारी किए।[10] इसके अतिरिक्त 19 मार्च को राज्य सरकार ने घोषणा की कि पर्यटन विभाग और दूसरे सरकारी उपक्रमों के अंतर्गत आने वाली सभी संपत्तियों और आवासों का प्रशासनिक नियंत्रण संबंधित जिला मेजिस्ट्रेट्स को अस्थायी रूप से दिया जाएगा।[11]
शिक्षा
21 मार्च को राज्य सरकार ने राज्य बोर्ड परीक्षा पुस्तिकाओं की जांच को स्थगित कर दिया जिसे 1 अप्रैल से 15 अप्रैल, 2020 के बीच जांचा जाना था।[12] सरकार ने मार्च में आयोजित वन अनुसंधान संस्थान की परीक्षाओं को भी स्थगित कर दिया।[13]
कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।
[1] Dehradun Health Bulletin on Corona Virus Disease (COVID-19), Status as on April 15, 2020 Time: 05:30 PM, Uttarakhand State Control Room COVID -19, Health and Family Welfare, Uttarakhand, http://health.uk.gov.in/files/Corrected-15-04-2020-Health-Bulletin.pdf.
[2] Order No. 48/PS-Secy(H)/2020, Department of Medical, Health and Family Welfare, March 20, 2020, https://prsindia.org/files/covid19/notifications/427.UK_Advisory_for_Tourists_20_Mar.pdf.
[3] Advisory on social distancing measure in view of spread of COVID-19 disease, Government of Uttarakhand, https://prsindia.org/files/covid19/notifications/1835.UK_Social_Distancing_Advisory_Uttarakhand.pdf.
[4] Order No. UKHFWS/PS-MDNHM/2019-20/217, Department of Medical, Health and Family Welfare and Medical Education, March 22, 2020, https://prsindia.org/files/covid19/notifications/432.UK_Order_Lockdown_Mar_22.pdf.
[5] Order No. 1-29/2020-PP, National Disaster Management Authority, March 24, 2020, https://mha.gov.in/sites/default/files/ndma%20order%20copy.pdf.
[6] “PM addresses the nation for 4th time in 4 Weeks in India’s fight against COVID-19” Press Release, Prime Minister’s office, April 14, 2020, https://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1614255.
[7] Order No.40-3/2020-DM-I(A), Ministry of Home Affairs, April 15, 2020, https://www.mha.gov.in/sites/default/files/MHA%20order%20dt%2015.04.2020%2C%20with%20Revised%20Consolidated%20Guidelines_compressed%20%283%29.pdf.
[8] Notification No. 370/XXVIII(1)/2020-01(06)/2020, Department of Medical Health and Medical Education, March 15, 2020, http://health.uk.gov.in/files/The_Uttarakhand__Epidemic__Disease__COVID-19_Regulation_2020.pdf.
[9] Website of Department of Medical, Health and Family Welfare, Corona (COVID19) updates, Government of Uttarakhand, last visited on March 16, http://health.uk.gov.in/pages/display/140-novel-corona-virus-guidelines-and-advisory-.
[10] Order No. 1P/Ra0pu0/miscellaneous/1/2018, Department of Medical, Health and Family Welfare, March 19, 2020, https://prsindia.org/files/covid19/notifications/430.UK_DG-Order-Cancellalation_of_Leave_Health_Workers_21_Mar.pdf.
[11] Order No. 42/Secy Health/2020, Department of Medical, Health and Family Welfare, March 19, 2020, https://prsindia.org/files/covid19/notifications/1826.UK_Advisory_for_KMVN_and_GMVN_Mar19.pdf
[12] Advisory No. 123/XXIV-B-5/2020/03(01)/2020, Secretary Uttarakhand Government, March 21, 2020, https://prsindia.org/files/covid19/notifications/429.UK_Advisory_for_Board_Student_of_Uttarakhand_21_Mar.pdf.
[13] Advisory No. 122/XXIV-B-5/2020/03(01)/2020, Secretary Uttarakhand Government, March 21, 2020, https://prsindia.org/files/covid19/notifications/1828.UK_Advisory_for_Board_Student_of_FRI_Uttarakhand_Mar21.pdf.
कोविड-19 की महामारी के कारण सभी यात्री गाड़ियां 14 अप्रैल, 2020 तक रद्द हैं। हालांकि मालवाहक सेवाएं बहाल हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में अनिवार्य वस्तुएं पहुंचाने वाली गाड़ियां चल रही हैं। रेलवे ने ई-कॉमर्स कंपनियों और राज्य सरकारों सहित दूसरे ग्राहकों के लिए क्विक मास ट्रांसपोटेशन हेतु रेलवे पार्सल वैन्स भी उपलब्ध कराई है ताकि कुछ वस्तुओं का परिवहन किया जा सके। इनमें छोटे पार्सल साइज में मेडिकल सप्लाई, मेडिकल उपकरण, खाद्य पदार्थ इत्यादि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त रेलवे ने कोविड-19 के दौरान मदद हेतु कई दूसरे कदम भी उठाए हैं।
चूंकि यात्रा पर 23 मार्च से 14 अप्रैल, 2020 तक प्रतिबंध है (जोकि आगे भी बढ़ सकता है), इसने 2019-20 और 2020-21 में रेलवे की वित्तीय स्थिति को प्रभावित किया है। इस पोस्ट में हम रेलवे की वित्तीय स्थिति पर चर्चा करेंगे और इस बात पर भी विचार विमर्श किया जाएगा कि यात्रा पर प्रतिबंध से रेलवे के राजस्व पर क्या संभावित असर हो सकता है।
रेलवे के आंतरिक राजस्व पर प्रतिबंध का प्रभाव
रेलवे को मुख्य रूप से यात्री यातायात और माल की ढुलाई से आंतरिक राजस्व प्राप्त होता है। 2018-19 में (हालिया वास्तविक) माल ढुलाई और यात्री यातायात से क्रमशः 67% और 27% आंतरिक राजस्व प्राप्त हुआ था। शेष आंतरिक राजस्व विविध स्रोतों से प्राप्त हुआ था, जैसे पार्सल सेवा, कोचिंग रसीद और प्लेटफॉर्म टिकटों की बिक्री। 2020-21 में रेलवे को माल ढुलाई से 65% और यात्री यातायात से 27% आंतरिक राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।
यात्री यातायात: 2020-21 में रेलवे को यात्री यातायात से 61,000 करोड़ रुपए की आय होने की उम्मीद है, जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 9% अधिक हैं (56,000 करोड़ रुपए)।
रेल मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2020 तक यात्री यातायात से लगभग 48,801 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। यह 2019-20 में यात्री राजस्व के संशोधित अनुमानों की तुलना में 7,199 करोड़ रुपए कम था जिसका अर्थ यह था कि यह राशि मार्च 2020 में अर्जित करनी जरूरी होगी ताकि संशोधित अनुमान के लक्ष्यों को हासिल किया जा सके (वर्ष के लक्ष्य का 13%)। हालांकि 2019-20 (11 महीनों के लिए) में औसत यात्री राजस्व लगभग 4,432 करोड़ रुपए रहा है। उल्लेखनीय है कि मार्च 2019 में यात्री राजस्व 4,440 करोड़ रुपए था। 23 मार्च से यात्रा पर पूरी तरह से प्रतिबंध के कारण 2019-20 में रेलवे का यात्री राजस्व अपने लक्ष्य से कम हो जाएगा।
अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि देश भर में रेल यात्राएं हमेशा की तरह कब से शुरू होंगी। कुछ राज्यों ने लॉकडाउन को बढ़ाना शुरू कर दिया है। ऐसी स्थिति में यात्री राजस्व में गिरावट लॉकडाउन के इन तीन हफ्तों के बाद भी रह सकती है।
माल ढुलाई: 2020-21 में रेलवे को गुड्स ट्रैफिक से 1,47,000 करोड़ रुपए की कमाई की उम्मीद है जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 9% अधिक है (1,34,733 करोड़ रुपए)।
रेल मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2020 तक माल ढुलाई से लगभग 1,08,658 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। यह 2019-20 में माल ढुलाई के संशोधित अनुमानों की तुलना में 26,075 करोड़ रुपए कम था जिसका अर्थ यह था कि यह राशि मार्च 2020 में अर्जित करनी जरूरी होगी ताकि संशोधित अनुमान के लक्ष्यों को हासिल किया जा सके (वर्ष के लक्ष्य का 19%)। हालांकि 2019-20 (11 महीनों के लिए) में औसत माल ढुलाई लगभग 10,029 करोड़ रुपए रही है। उल्लेखनीय है कि मार्च 2019 में माल ढुलाई 16,721 करोड़ रुपए था।
हालांकि यात्री यातायात पूरी तरह से प्रतिबंधित है, माल ढुलाई जारी है। लॉकडाउन के दौरान अनिवार्य वस्तुओं का परिवहन, कार्गो मूवमेंट के लिए रेलवे का परिचालन, राहत और निकासी तथा उससे संबंधित ऑपरेशनल संगठनों को अनुमति दी गई है। रेलवे की ढुलाई वाली अनेक वस्तुओं (कोयला, लौह अयस्क, स्टील, पेट्रोलियम उत्पाद, खाद्यान्न, उर्वरक) को अनिवार्य वस्तुएं घोषित किया गया है। लॉकडाउन में रेलवे ने स्पेशल पार्सल रेलों को चलाना भी शुरू किया है (अनिवार्य वस्तुओं, ई-कॉमर्स गुड्स इत्यादि)। इन गतिविधियों से माल राजस्व प्राप्त होने में मदद मिलती रहेगी।
हालांकि कुछ ऐसी वस्तुएं जिनका परिवहन रेलवे करता है, जैसे सीमेंट, को अनिवार्य वस्तुओं में वर्गीकृत नहीं किया गया है। रेलवे के माल राजस्व में इन वस्तुओं के परिवहन का योगदान लगभग 8% है। रेलवे ने माल ढुलाई पर वसूले जाने वाले कई शुल्कों में राहत भी दी है। यह देखना अभी बाकी है कि क्या रेलवे माल राजस्व के अपने लक्ष्यों को पूरा कर पाता है।
रेखाचित्र 1: 2018-19 में माल ढुलाई का हिस्सा और राजस्व (% में)
Sources: Expenditure Profile, Union Budget 2020-21; PRS.
माल ढुलाई यात्री यातायात को क्रॉस सब्सिडाइज़ करता है, इसकी स्थिति इस वर्ष और बुरी हो सकती है
रेलवे अपनी माल ढुलाई से प्राप्त लाभ का इस्तेमाल यात्री सेगमेंट के नुकसान की भरपाई करने और अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार करने के लिए करता है। इस क्रॉस सब्सिडी से माल भाड़े में बढ़ोतरी हुई है। यात्रा पर प्रतिबंध और अगर लॉकडाउन (कुछ रूप में) जारी रहता है तो यात्री परिचालन को काफी नुकसान होगा। इससे माल ढुलाई पर क्रॉस सब्सिडी का दबाव और बढ़ सकता है। चूंकि रेलवे अपने माल भाड़े को और अधिक नहीं बढ़ा सकता, यह अस्पष्ट है कि यह क्रॉस सब्सिडी कैसे काम करेगी।
उदाहरण के लिए 2017-18 में यात्री और अन्य कोचिंग सेवाओं को 37,937 करोड़ रुपए का घाटा हुआ, जबकि माल ढुलाई को 39,956 करोड़ रुपए का लाभ हुआ। माल ढुलाई से प्राप्त लगभग 95% लाभ से यात्री और अन्य कोचिंग सेवाओं से होने नुकसान की भरपाई की गई। इस अवधि में कुल यात्री राजस्व 46,280 करोड़ रुपए था। इसका अर्थ यह था कि यात्री कारोबार में हुआ घाटा, रेलवे के राजस्व का 82% है। इसलिए 2017-18 में अपने यात्री कारोबार से रेलवे को अगर एक रुपए की आमदनी हुई तो उसने उस पर 1.82 रुपए खर्च किए।
रेलवे का व्यय
यात्रा पर प्रतिबंध से रेलवे अपनी सभी सेवाएं नहीं संचालित कर सकता, पर उसे अपने परिचालन व्यय का वहन करना होगा। कर्मचारियों का वेतन और पेंशन चुकानी होगी, जोकि कुल मिलाकर रेलवे का 66% राजस्व व्यय होता है। 2015 और 2020 के बीच (बजट अनुमान), वेतन पर रेलवे के व्यय में औसत 13% की दर से हर साल वृद्धि हुई है।
राजस्व व्यय का लगभग 18% ईंधन पर खर्च किया जाता है लेकिन तेल की कीमतों में गिरावट के कारण इसमें कुछ कमी देखी जा सकती है। रेलवे को रखरखाव, सुरक्षा और मूल्यह्रास पर खर्च करना ही होगा क्योंकि यह दीर्घावधि की लागत हैं जिन्हें नजरंदाज नहीं किया जा सकता। इसके अतिरिक्त माल ढुलाई के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का नियमित रखरखाव भी जरूरी होगा।
राजस्व अधिशेष और परिचालन अनुपात और प्रभावित हो सकते हैं
रेलवे के अधिशेष को उसके कुल आंतरिक राजस्व और कुल राजस्व व्यय (कार्यचालन व्यय और पेंशन एवं मूल्य ह्रास कोष संबंधी विनियोग) के अंतर के आधार पर आंका जाता है। परिचालन अनुपात यातायात से अर्जित होने वाले राजस्व में कार्यचालन व्यय (रेलवे के रोजमर्रा के कामकाज में होने वाला व्यय) का अनुपात होता है। इसलिए उच्च अनुपात यह संकेत देता है कि रेलवे में अधिशेष अर्जित करने की क्षमता कम है जिनका उपयोग पूंजीगत निवेश के लिए किया जा सकता है, जैसे नई लाइनें बिछाना, नए कोच लगाना, इत्यादि। राजस्व अधिशेष में गिरावट से रेलवे की अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की क्षमता प्रभावित होती है।
पिछले एक दशक से रेलवे उच्च अधिशेष अर्जित करने के लिए संघर्ष कर रहा है। परिणामस्वरूप परिचालन अनुपात एक दशक से भी अधिक समय से लगातार 90% से अधिक रहा है (रेखाचित्र 2)। 2018-19 में यह 92.8% के अनुमानित अनुपात की तुलना में 97.3% हो गया। कैग (2019) ने कहा कि 2018-19 के अग्रिम को प्राप्तियों में शामिल न किया जाता तो 2017-18 का परिचालन अनुपात 102.66% होता।
2020-21 में रेलवे द्वारा 6,500 करोड़ रुपए का अधिशेष अर्जित करने और परिचालन अनुपात के 96.2% पर बहाल रहने की उम्मीद है। लॉकडाउन के कारण राजस्व पर असर होगा तो इस अधिशेष में और गिरावट आ सकती है, और परिचालन अनुपात पर और बुरा असर हो सकता है।
रेखाचित्र 2: परिचालन अनुपात
Note: RE – Revised Estimates, BE – Budget Estimates.
Sources: Expenditure Profile, Union Budget 2020-21; PRS.
राजस्व के अन्य स्रोत
आंतरिक स्रोतों के अतिरिक्त रेलवे के वित्त पोषण के दो अन्य स्रोत होते हैं: (i) केंद्र सरकार से बजटीय समर्थन, और (ii) अतिरिक्त बजटीय संसाधन (जैसे प्राथमिक उधारियां, जिसमें संस्थागत वित्त पोषण, सार्वजनिक निजी सहभागिता और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश शामिल हैं)।
केंद्र सरकार से बजटीय सहयोग: केंद्र सरकार रेलवे को अपना नेटवर्क बढ़ाने और पूंजीगत व्यय में निवेश के लिए सहयोग देती है। 2020-21 में केंद्र सरकार से सकल बजटीय सहयोग 70,250 करोड़ रुपए प्रस्तावित है। यह 2019-20 के संशोधित अनुमानों से 3% अधिक है (68,105 करोड़ रुपए)। उल्लेखनीय है कि कोविड महामारी के कारण सरकारी राजस्व भी प्रभावित हो रहा है, यह राशि भी वर्ष के दौरान कम हो सकती है।
उधारियां: रेलवे अधिकतर भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) के जरिए धनराशि उधार लेता है। आईआरएफसी बाजार से धनराशि लेता है (टैक्स योग्य तथा टैक्स मुक्त बॉन्ड इश्यूएंस, बैंकों और वित्तीय संस्थानों से टर्म लोन्स), और फिर भारतीय रेलवे के रोलिंग स्टॉक एसेट्स और प्रॉजेक्ट एसेट्स को वित्त पोषित करने के लिए एक लीजिंग मॉडल का इस्तेमाल करता है।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान उपलब्ध संसाधनों और व्यय के बीच के अंतर को कम करने के लिए उधारियां बढ़ाई गईं। जैसा कि पहले कहा गया है, रेलवे के अधिकतर पूंजीगत व्यय को केंद्र सरकार के बजटीय सहयोग के जरिए पूरा किया जाता है। 2015-16 में इस प्रवृत्ति में बदलाव हुआ और रेलवे के अधिकतर पूंजीगत व्यय को ईबीआर के जरिए पूरा किया गया। 2020-21 में ईबीआर के जरिए 83,292 करोड़ रुपए जुटाने का अनुमान है जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमानों से कुछ अधिक हैं (83,247 करोड़ रुपए)।
उल्लेखनीय है कि इन दोनों स्रोतों को मुख्य रूप से रेलवे के पूंजीगत व्यय को वित्त पोषित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। केंद्र सरकार के सहयोग के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल रणनीतिक लाइनों पर रेलवे को होने वाले परिचालनगत नुकसान और आईआरसीटीसी पर ई-टिकटिंग की परिचालन लागत की भरपाई के लिए किया जाता है (2020-21 के बजट अनुमानों के अनुसार 2,216 करोड़ रुपए)।
अगर इस वर्ष रेलवे की राजस्व प्राप्तियों में गिरावट होती है तो राजस्व व्यय को वित्त पोषित करने के लिए उसे केंद्र सरकार के अतिरिक्त सहयोग की जरूरत हो सकती है या वह उसे अपनी उधारियों के जरिए वित्त पोषित करेगा। हालांकि उधारियों पर अधिक निर्भरता से रेलवे की वित्तीय स्थिति और खराब हो सकती है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान रेल आधारित माल ढुलाई और यात्री यातायात, दोनों की वृद्धि में गिरावट हुई है (देखें रेखाचित्र 3)। इससे माल ढुलाई और यात्री ट्रेनों के मुख्य कारोबार से रेलवे की आय प्रभावित हुई। राजस्व में गिरावट बढ़ने से भविष्य में रेलवे के अपने उधार चुकाने की क्षमता प्रभावित होगी।
रेखाचित्र 3: माल ढुलाई और यात्री यातायात की मात्रा में वृद्धि (वर्ष दर वर्ष)
Note: RE – Revised Estimates; BE – Budget Estimates.
Sources: Expenditure Profile, Union Budget 2020-21; PRS.
रेलवे की सामाजिक सेवा
मालगाड़ियां चलाने के अतिरिक्त रेलवे ऐसे अनेक कार्य कर रहा है जोकि महामारी को नियंत्रित करने में मददगार हों। उदाहरण के लिए रेलवे की मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता का इस्तेमाल कोविड-19 से निपटने के लिए किया जा रहा है। रेलवे के उत्पादन केंद्रों में पीपीई गियर जैसी वस्तुएं बनाई जा रही हैं। रेलवे इस बात का पता भी कर रहा है कि साधारण बेड, मेडिकल ट्रॉली और वेंटिलेटर्स बनाने के लिए अपने मौजूदा मैन्यूफैक्चरिंग केंद्रों का इस्तेमाल कैसे किया जाए। जिन स्थानों पर आईआरसीटीसी बेस किचन मौजूद हैं, रेलवे ने वहां जरूरतमंद लोगों को थोक में पका हुआ खाना बांटना भी शुरू किया है। रेलवे ने कोविड मरीजों के लिए अपने अस्पताल भी खोल दिए हैं।
6 अप्रैल तक 2,500 रेलवे कोचों को आईसोलेशन कोचों में तब्दील किया गया था। देश में 133 स्थानों पर औसतन एक दिन में 375 कोचों को तब्दील किया गया है।
इस बात पर विचार करते हुए कि रेलवे सरकार के अंतर्गत एक कमर्शियल विभाग के रूप में कार्य करता है, सवाल यह उठता है कि क्या उसे ऐसी सामाजिक बाध्यताओं का पालन करना चाहिए। नीति आयोग (2016) ने कहा कि रेलवे के सामाजिक और कमर्शियल उद्देश्यों में स्पष्टता की कमी है। तर्क दिया जा सकता है कि महामारी के दौरान ऐसी सेवाओं को सार्वजनिक हित माना जाना चाहिए। फिर भी सवाल यह है कि ऐसी सेवाएं प्रदान करने का वित्तीय दबाव किसे वहन करना चाहिए? वह भारतीय रेलवे होना चाहिए या केंद्र अथवा राज्य सरकार को स्पष्ट सब्सिडी के रूप में यह राशि प्रदान करनी चाहिए?
देश और विभिन्न राज्यों में कोविड के दैनिक मामलों के संख्या संबंधी विवरण के लिए कृपया यहां देखें। केंद्र और राज्य द्वारा जारी कोविड संबंधी मुख्य अधिसूचनाओं के लिए कृपया यहां देखें। रेलवे के कामकाज और वित्तीय स्थिति पर विस्तृत विवरण कृपया यहां देखें और इस वर्ष के रेल बजट को समझने के लिए कृपया यहां देखें।