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  • कोविड-19 महामारी पर कर्नाटक सरकार की प्रतिक्रिया (फरवरी 2020-14 अप्रैल, 2020)
राज्यों और राज्य विधानसभाओं

कोविड-19 महामारी पर कर्नाटक सरकार की प्रतिक्रिया (फरवरी 2020-14 अप्रैल, 2020)

अनूप रामकृष्णन - अप्रैल 15, 2020

13 अप्रैल, 2020 तक कर्नाटक में कोविड-19 के 260 पुष्ट मामले हैं। इनमें से 70 मरीज डिस्चार्ज किए जा चुके हैं और 10 की मौत हो गई है।[1] इस बीमारी के प्रकोप की रोकथाम के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने अनेक नीतिगत फैसलों किए हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम कर्नाटक सरकार के 14 अप्रैल तक के कुछ मुख्य कदमों का सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं। 

मूवमेंट पर प्रतिबंध

कोविड-19 की रोकथाम के लिए कर्नाटक सरकार ने राज्य में लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं:

  • 13 मार्च को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशालय ने विभिन्न इस्टैबलिशमेंट्स जैसे थियेटर, पब्स, जिम्स, मॉल, स्विमिंग पूल्स, और शिक्षण संस्थानों को 21 मार्च तक बंद करने के आदेश दिए। आदेश में राज्य में आने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को 14 दिनों के अनिवार्य होम क्वारंटाइन के निर्देश भी दिए गए।[2] 
     
  • 20 मार्च को उपरोक्त आदेश को संशोधित किया गया और कहा गया कि उक्त इस्टैबलिशमेंट्स को बंद रखने का आदेश 1 अप्रैल तक जारी रहेगा। आदेश में सभी धार्मिक जमावड़ों पर भी प्रतिबंध लगाया गया।[3] 
     
  • इसके अतिरिक्त 23 मार्च को कोविड-19 पॉजिटिव मामलों वाले नौ जिलों में बस सेवाओं की आवाजाही पर 1 अप्रैल तक पूरी तरह से रोक लगा दी गई।[4]
     
  • इसके बाद केंद्र सरकार ने 25 मार्च से 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी।[5] इसके बाद 25 मार्च को बेंगलुरू पुलिस कमीश्नर ने शहर में लोगों की आवाजाही को रेगुलेट करने के लिए पास सिस्टम की घोषणा की।[6] 
     
  • 6 अप्रैल को जिला कलेक्टरों को अंतर-जिला परिवहन पास जारी करने का अधिकार दिया गया।[7]
     
  • 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन को 3 मई, 2020 तक बढ़ाने की घोषणा की।[8] 15 अप्रैल को गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों द्वारा 3 मई तक किए जाने वाले उपायों पर दिशानिर्देश जारी किए। इन दिशानिर्देशों के अनुसार 20 अप्रैल से चुनींदा गतिविधियों की अनुमति होगी ताकि जनता की समस्याओं को दूर किया जा सके। इन गतिविधियों में स्वास्थ्य सेवाएं, कृषि और संबद्ध गतिविधियां, वित्तीय क्षेत्र की कुछ गतिविधियां, मनरेगा का काम, और कार्गो मूवमेंट, इत्यादि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कुछ शर्तों के आधार पर कमर्शियल और निजी इस्टैबलिशमेंट्स, औद्योगिक इस्टैबलिशमेंट्स, सरकारी कार्यालयों और निर्माण गतिविधियों की अनुमति होगी।[9]

अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं 

  • बेंगलुरू शहर में पास सिस्टम ने अनिवार्य वस्तुओं की मैन्यूफैक्चरिंग तथा उन वस्तुओं और सेवाओं को प्रदान करने वाले लोगों की आवाजाही को आसान बनाया।
     
  • 2 अप्रैल को सरकार ने घोषणा की कि वह गरीबों को मुफ्त में दूध का वितरण करेगी।[10]
     
  • 6 अप्रैल को सरकार ने घोषणा की कि अप्रैल महीने का राशन ओटीपी सत्यापन प्रक्रिया के बिना लोगों को दिया जाएगा।[11]

स्वास्थ्य संबंधी उपाय

कर्नाटक महामारी रोग कोविड-19 रेगुलेशन 2020 

11 मार्च, 2020 को सरकार ने राज्य में कोविड-19 की रोकथाम के लिए कर्नाटक महामारी रोग कोविड-19 रेगुलेशन 2020 अधिसूचित किया। इन रेगुलेशनों में कोविड-19 के मरीजों की स्क्रीनिंग और इलाज के लिए अस्पतालों को प्रॉटोकॉल बताए गए। ये रेगुलेशंस एक साल के लिए वैध होंगे।[12]

रोकथाम संबंधी उपाय

5 फरवरीस 2020 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और आयुष सेवाओं ने कोविड-19 के प्रसार के खिलाफ निवारक उपाय करने के लिए जिला-स्तरीय टीमों के लिए संदर्भ की शर्तें जारी कीं।[13] ये संदर्भ की शर्तें कोविड-19 के प्रबंधन से संबंधित विभिन्न प्रशासनिक और अनुपूरक पहलुओं से संबंधित हैं। इनमें विभिन्न टीमों की गतिविधियां, मानव संसाधन प्रबंधन और जागरूकता फैलाना शामिल है।

इसके बाद 6 अप्रैल, 2020 को विभाग ने सभी जिलों को निर्देश जारी किए कि वे कोविड-19 के आउटब्रेक को रोकने के लिए जिला स्तरीय संकट प्रबंधन योजना तैयार करें।[14]

फीवर क्लिनिक्स, इसोलेशन सेंटर्स इत्यादि बनाना 

4 मार्च को राज्य सरकार ने जिला प्रशासन को दिशानिर्देश जारी किए कि वे अस्पतालों द्वारा कोविड-19 के मरीजों के लिए 10 बिस्तर वाले आइसोलेशन वॉर्ड बनाना सुनिश्चित करें।[15]  

31 मार्च को सरकार ने कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों के लिए फर्स्ट प्वाइंट ऑफ कॉन्टैक्ट के रूप में फीवर क्लिनिक स्थापित करने के आदेश जारी किए। इन फीवर क्लिनिक्स में एक डॉक्टर, दो नर्स और एक स्वास्थ्य कर्मचारी की कोविड-19 रैपिड रिस्पॉन्स टीम होगी।[16]

कार्मिक उपाय

30 मार्च को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने बेंगलुरू शहर के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की तत्काल नियुक्ति (अनुबंध पर) के लिए आवेदन आमंत्रित किए।[17] इसके बाद 2 अप्रैल को राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त मेडिकल प्रोफेशनलों के कार्यकाल को 31 मार्च से बढ़ाकर 30 जून, 2020 तक करने के आदेश जारी किए।[18]

26 मार्च को सभी पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टीशरों को लॉकडाउन के दौरान टेलीमेडिकल सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी गई। टेलीमेडिकल सुविधाएं अवयस्कों, गैर कोविड-19 रोगों और मौजूदा मरीजों के लिए ही उपलब्ध होगी।[19]

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।

 

[1] Novel Coronavirus (COVID19) Media Bulletin, Karnataka, Department of Health and Family Welfare, last accessed on April 15, 2020, https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/14-04-2020(English).pdf

[2] GOK order No. DD/SSU/COVID-19/17/19-20, Directorate of Health and Family Welfare, Government of Karnataka, March 13, 2020,  

https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Notification(Covid-19)-Dir-HFWS.pdf

[3] Revised GOK order No. DD/SSU/COVID-19/17/19-20, Directorate of Health and Family Welfare, Government of Karnataka, March 20, 2020  https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Revised-Order-COVID-19(20-03-2020).pdf

[4] Order No. STA-6/SCP/PR-20/2019-20, Directorate of Transport, Government of Karnataka, March 23, 2020, https://transport.karnataka.gov.in/storage/pdf-files/restrictions.pdf

[5] Order No. 1-29/2020-PP, National Disaster Management Authority, March 24, 2020, https://mha.gov.in/sites/default/files/ndma%20order%20copy.pdf.

[6] Order No.02 / CP-BLR/Covid-19/2020, Commissioner of Police, Bengaluru City, March 25, 2020, https://karnataka.gov.in/storage/pdf-files/covid_rules/Covid_pass.pdf

[7] Order of Chief Secretary, Government of Karnataka, April 6, 2020, https://ksuwssb.karnataka.gov.in/frontend/opt1/images/covid/Orders/IMG-20200406-WA0005.jpg

[8] “PM addresses the nation for 4th time in 4 Weeks in India’s fight against COVID-19” Press Release, Prime Minister’s office, April 14, 2020, https://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1614255

[9] No.40-3/2020-DM-I(A), Ministry of Home Affairs, April 15, 2020, https://www.mha.gov.in/sites/default/files/MHA%20order%20dt%2015.04.2020%2C%20with%20Revised%20Consolidated%20Guidelines_compressed%20%283%29.pdf

[10] Proceedings,  Government of Karnataka, April 2, 2020, ,https://ksuwssb.karnataka.gov.in/frontend/opt1/images/covid/Orders/GO%20Free%20Milk%20%20(1).pdf

[11] RD 158 TNR 2020, Government of Karnataka, April 6, 2020, https://ksuwssb.karnataka.gov.in/frontend/opt1/images/covid/Orders/IMG-20200406-WA0015.jpg

[12]Karnataka Epidemic Disease COVID-19 Regulations 2020, Government of Karnataka, March 11, 2020,  https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Exercise-of-Powers-COVID-10(11-03-2020).pdf

[13] No. JRO(1A)/148/2019-20, Department of Health & Family Welfare and AYUSH Services Government of Karnataka, February 5, 2020, https://ksuwssb.karnataka.gov.in/frontend/opt1/images/covid/Circulars/%E0%B2%B8%E0%B3%81%E0%B2%A4%E0%B3%8D%E0%B2%A4%E0%B3%8B%E0%B2%B2%E0%B3%86%20%E0%B3%A8%E0%B3%AA.pdf 

[14]No. HFW 87 ACS 2020 Department of Health & Family Welfare and Medical Education, April 6, 2020, https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Circular-Preparation%20of%20District%20Level%20Crisis%20Management%20Plan%20for%20COVID-19(06-04-2020).pdf

[15]Circular No. HFW 47 CGM 2020 (P), Government of Karnataka, March 3, 2020,   https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Guidelines-Isolation-Ward.pdf

[16]No. HFW 73 ACS 2020, Government of Karnataka, March 31, 2020,    https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Circular-Establishment%20of%20Fever%20Clinic%20and%20Movement%20Protocol%20for%20Suspect%20Cases%20of%20COVID-19(31-03-2020).pdf

[17]No. HFW 71 ACS 2020, Department of Health & Family Welfare and Medical Education, March 30, 2020, https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Order%20-%20Immidiate%20Appointment%20of%20Contract%20Doctors%20in%20BBMP%20(30-03-2020).pdf

[18] No. 40 HSH 2020 (B), Government of Karnataka, April 2, 2020, https://ksuwssb.karnataka.gov.in/frontend/opt1/images/covid/Circulars/Extension%20of%20service%20reg_001.pdf

[19]No. HFW 54 CGM 2020, Government of Karnataka, March 26, 2020,        https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Order-Registered%20Medical%20Practitioners%20(26-03-2020).pdf

 
Policy

क्या निजीकरण की योजना बनाई जा रही है?

M R Madhavan , Prachee Mishra - अक्टूबर 30, 2019

विनिवेश पर सचिवों के कोर ग्रुप ने हाल ही में पांच सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयूज़) के विनिवेश को मंजूरी दी है। इसमें चार पीएसयूज़: भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल), शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई), नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (नीप्को) और टीएचडीसी (टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्प्लैक्स को संचालित और प्रबंधित करने वाला) में सरकार की पूरी शेयरहोल्डिंग और कंटेनर कॉरपोरेशन इन इंडिया लिमिटेड (कॉनकोर) में 30% शेयरहोल्डिंग शामिल हैं। वर्तमान में कॉनकोर में सरकार की शेयरहोल्डिंग 54.8% है। बिक्री के बाद यह हिस्सेदारी घटकर 25% से कम रह जाएगी।  

पिछले कुछ वर्षों के दौरान सरकार ने दूसरे कई पीएसयूज़ के निजीकरण पर लगे विधायी अवरोध हटाए हैं। इससे यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या सरकार उनके निजीकरण की योजना बना रही है। 

पीएसयूज़ के निजीकरण पर सर्वोच्च न्यायालय का क्या आदेश था

2003 में सरकार ने एचपीसीएल और बीपीसीएल में शेयरहोल्डिंग को बेचने का ऐसा ही एक प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को सर्वोच्च न्यायालय में इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि इससे उन कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन होता है जिनके जरिए सरकार को कुछ खास एसेट्स का स्वामित्व हस्तांतरित किया गया था (जोकि बाद में पीएसयूज़ बने)। उदाहरण के लिए संसद के एक्ट के जरिए भारत में बर्मा शेल के राष्ट्रीयकरण और उनकी रिफाइनरी तथा मार्केटिंग कंपनियों के विलय के बाद बीपीसीएल की स्थापना हुई थी। न्यायालय ने यह आदेश दिया था कि केंद्र सरकार संबंधित कानूनों में संशोधन किए बिना एचपीसीएल और बीपीसीएल का निजीकरण (यानी अपने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष स्वामित्व को 51% से कम) नहीं कर सकती। इसलिए बीपीसीएल में प्रत्यक्ष रूप से और एचपीसीएल में अप्रत्यक्ष रूप से (दूसरे पीएसयू ओएनजीसी के जरिए) सरकार की अधिकांश हिस्सेदारी है। 

जिन पांच कंपनियों के निजीकरण को मंजूरी दी गई है, उनमें बीपीसीएल और एससीआई (जिसमें दो राष्ट्रीयकृत कंपनियां जयंती शिपिंग कंपनी और मुगल लाइन लिमिटेड का विलय किया गया था) शामिल हैं। संबंधित राष्ट्रीयकरण एक्ट्स को पिछले पांच वर्षों में निरस्त कर दिया गया है।

सरकार ने निजीकरण से विधायी अवरोध कैसे हटाए?

2014 और 2019 के बीच संसद ने छह रिपीलिंग और संशोधन एक्ट्स पारित किए जिनके जरिए लगभग 722 कानून रद्द हुए। इनमें केंद्र सरकार को कंपनियों के स्वामित्व का हस्तांतरण करने वाले कानून भी शामिल थे जिनके अंतर्गत बीपीसीएल, एचपीसीएल और ओआईएल की स्थापना हुई थी। इनमें उन कानूनों का निरस्तीकरण भी शामिल था जिनके जरिए सीआईएल में विलय होने वाली कंपनियों के स्वामित्व को केंद्र सरकार को हस्तांतरित कर दिया था। इसका अर्थ यह है कि अब सरकार इन सरकारी कंपनियों का निजीकरण कर सकती है, चूंकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश द्वारा रखी गई शर्तों को पूरा कर दिया गया है। इन रिपीलिंग और संशोधन एक्ट्स ने दूसरे कई राष्ट्रीयकरण एक्ट्स को भी निरस्त कर दिया जिनके अंतर्गत पीएसयूज़ की स्थापना की गई थी। निम्नलिखित तालिका में इनमें से कुछ कंपनियों की सूची दी गई है। उल्लेखनीय है कि भारतीय विधि आयोग (2014) ने इनमें से कई कानूनों (एसो एक्ट, बर्मा शेल एक्ट, बर्न कंपनी एक्ट सहित) को इस आधार पर निरस्त करने का सुझाव दिया था कि ये कानून राष्ट्रीयकृत कंपनी के संबंध में किसी भी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करते। हालांकि यह सुझाव भी दिया गया था कि इन एक्ट्स को निरस्त करने से पहले सभी राष्ट्रीयकरण एक्ट्स का अध्ययन किया जाना चाहिए और अगर जरूरी हो तो रिपीलिंग एक्ट में सेविंग्स क्लॉज का प्रावधान किया जाना चाहिए।

क्या इन एक्ट्स को पारित करने से पहले संसद कोई जांच करती है?

इनमें से कई को रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016 के जरिए निरस्त किया गया है। इनमें बीपीसीएल, एचपीसीएल, ओआईएल, कोल इंडिया लिमिटेड, एससीआई, नेशनल टेक्सटाइल्स कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान कॉपर और बर्न स्टैंडर्ड कंपनी लिमिटेड से संबंधित एक्ट्स शामिल हैं। इस बिल को पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमिटी को रेफर नहीं किया गया और एक त्वरित बहस (लोकसभा में 50 मिनट और राज्यसभा में 20 मिनट) के बाद पारित कर दिया गया। इसी प्रकार 2017 में सेल, पावरग्रिड और स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन के निजीकरण से संबंधित दो एक्ट्स पारित किए गए लेकिन उनकी समीक्षा भी स्टैंडिंग कमिटी द्वारा नहीं की गई।

अब क्या होगा?

एक्ट्स के निरस्तीकरण के बाद इन कंपनियों के निजीकरण के मार्ग की विधायी अड़चनें दूर हो गई हैं। इसका अर्थ यह है कि सरकार को उनकी शेयरहोल्डिंग को बेचने में संसद से पूर्व मंजूरी की जरूरत नहीं है। इसलिए अब सरकार यह निर्धारित करेगी कि इन संस्थाओं का निजीकरण करना है अथवा नहीं।

तालिका 1: 2014 से निरस्त किए गए कुछ राष्ट्रीयकरण एक्ट्स (सूची पूर्ण नहीं है)

कंपनी

निरस्त होने वाले एक्ट

रिपीलिंग एक्ट

शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई)

जयंती शिपिंग कंपनी (शेयरों का अधिग्रहण) एक्ट, 1971

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

मुगल लाइन लिमिटेड (शेयरों का अधिग्रहण) एक्ट, 1984

भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल)

बर्मा शेल (भारत में उपक्रमों का अधिग्रहण) एक्ट, 1976

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल)

एस्सो (भारत में उपक्रमों का अधिग्रहण) एक्ट, 1974

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

कैल्टेक्स [कैल्टेक्स ऑयल रिफाइनरी (इंडिया) लिमिटेड के शेयरों और भारत में कैल्टेक्स (इंडिया) लिमिटेड के उपक्रमों का अधिग्रहण] एक्ट, 1977

कोसन गैस कंपनी (उपक्रम का अधिग्रहण) एक्ट, 1979

कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल)

कोकिंग कोल माइन्स (आपात प्रावधान) एक्ट, 1971

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

कोल माइन्स (प्रबंधन को अधिकार में लेना) एक्ट, 1973

कोकिंग कोल माइन्स (राष्ट्रीयकरण) एक्ट, 1972

रिपीलिंग और संशोधन (दूसरा) एक्ट, 2017

कोल माइन्स (राष्ट्रीयकरण) एक्ट, 1973

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल)

बोलानी अयस्क लिमिटेड (शेयरों का अधिग्रहण) और विविध प्रावधान एक्ट, 1978

रिपीलिंग और संशोधन (दूसरा) एक्ट, 2017

भारतीय आयरन और स्टील कंपनी (शेयरों का अधिग्रहण) एक्ट, 1976

पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया

नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड, नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड और द नॉर्थ-ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पावर ट्रांसमिशन सिस्टम्स का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1993

रिपीलिंग और संशोधन (दूसरा) एक्ट, 2017

नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन लिमिटेड (पावर ट्रांसमिशन सिस्टम का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1994

ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल)

बर्मा ऑयल कंपनी [ऑयल इंडिया लिमिटेड के शेयरों और असम ऑयल कंपनी लिमिटेड तथा बर्मा ऑयल कंपनी (इंडिया ट्रेडिंग) लिमिटेड के भारत के उपक्रमों का अधिग्रहण] एक्ट, 1981

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसटीसी)

टी कंपनीज़ (रुग्ण चाय इकाइयों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1985

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2017

नेशनल टेक्सटाइल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनटीसी)

रुग्ण कपड़ा उपक्रम (प्रबंधन को अधिकार में लेना) एक्ट, 1972

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

कपड़ा उपक्रम (प्रबंधन को अधिकार में लेना) एक्ट, 1983

लक्ष्मीरतन और अथरटन वेस्ट कॉटन मिल्स (प्रबंधन को अधिकार में लेना) एक्ट, 1976

हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड

इंडियन कॉपर कॉरपोरेशन (उपक्रम का अधिग्रहण) एक्ट, 1972

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

बर्न स्टैंडर्ड कंपनी लिमिटेड

बर्न कंपनी एंड इंडियन स्टैंडर्ड वैगन कंपनी (राष्ट्रीयकरण) एक्ट, 1976

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

भारतीय रेलवे

फतवा-इस्लामपुर लाइट रेलवे लाइन (राष्ट्रीयकरण) एक्ट, 1985

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2016

ब्रेथवेट एंड कंपनी लिमिटेड, रेलवे मंत्रालय

ब्रेथवेट एंड कंपनी (इंडिया) लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1976

रिपीलिंग और संशोधन (दूसरा) एक्ट, 2017

ग्रेशन एंड क्रेवन ऑफ इंडिया (प्राइवेट) लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1977

एंड्र्यू यूल एंड कंपनी लिमिटेड

ब्रेंटफोर्ड इलेक्ट्रिक (इंडिया) लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1987

रिपीलिंग और संशोधन (दूसरा) एक्ट, 2017

ट्रांसफॉर्मर्स एंड स्विचगियर लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1983

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2019

एलकॉक एशडाउन (गुजरात) लिमिटेड, गुजरात सरकार का उपक्रम

एल्कॉक एशडाउन कंपनी लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण) एक्ट, 1973

रिपीलिंग और संशोधन एक्ट, 2019

बंगाल कैमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (बीसीपीएल)

बंगाल कैमिकल एंड फार्मास्युटिकल वर्क्स लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1980

रिपीलिंग और संशोधन (दूसरा) एक्ट, 2017

फार्मास्युटिकल्स विभाग के अंतर्गत आने वाले संगठन

स्मिथ, स्टेनस्ट्रीट एंड कंपनी लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1977

रिपीलिंग और संशोधन (दूसरा) एक्ट, 2017

बंगाल इम्युनिटी कंपनी लिमिटेड (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1984

Sources: Repealing and Amending Act, 2015; Repealing and Amending (Second) Act, 2015; Repealing and Amending Act, 2016; Repealing and Amending Act, 2017; Repealing and Amending (Second) Act, 2017; Repealing and Amending Act, 2019.

 
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