13 अप्रैल, 2020 तक कर्नाटक में कोविड-19 के 260 पुष्ट मामले हैं। इनमें से 70 मरीज डिस्चार्ज किए जा चुके हैं और 10 की मौत हो गई है।[1] इस बीमारी के प्रकोप की रोकथाम के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने अनेक नीतिगत फैसलों किए हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम कर्नाटक सरकार के 14 अप्रैल तक के कुछ मुख्य कदमों का सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं।
मूवमेंट पर प्रतिबंध
कोविड-19 की रोकथाम के लिए कर्नाटक सरकार ने राज्य में लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं:
अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं
स्वास्थ्य संबंधी उपाय
कर्नाटक महामारी रोग कोविड-19 रेगुलेशन 2020
11 मार्च, 2020 को सरकार ने राज्य में कोविड-19 की रोकथाम के लिए कर्नाटक महामारी रोग कोविड-19 रेगुलेशन 2020 अधिसूचित किया। इन रेगुलेशनों में कोविड-19 के मरीजों की स्क्रीनिंग और इलाज के लिए अस्पतालों को प्रॉटोकॉल बताए गए। ये रेगुलेशंस एक साल के लिए वैध होंगे।[12]
रोकथाम संबंधी उपाय
5 फरवरीस 2020 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और आयुष सेवाओं ने कोविड-19 के प्रसार के खिलाफ निवारक उपाय करने के लिए जिला-स्तरीय टीमों के लिए संदर्भ की शर्तें जारी कीं।[13] ये संदर्भ की शर्तें कोविड-19 के प्रबंधन से संबंधित विभिन्न प्रशासनिक और अनुपूरक पहलुओं से संबंधित हैं। इनमें विभिन्न टीमों की गतिविधियां, मानव संसाधन प्रबंधन और जागरूकता फैलाना शामिल है।
इसके बाद 6 अप्रैल, 2020 को विभाग ने सभी जिलों को निर्देश जारी किए कि वे कोविड-19 के आउटब्रेक को रोकने के लिए जिला स्तरीय संकट प्रबंधन योजना तैयार करें।[14]
फीवर क्लिनिक्स, इसोलेशन सेंटर्स इत्यादि बनाना
4 मार्च को राज्य सरकार ने जिला प्रशासन को दिशानिर्देश जारी किए कि वे अस्पतालों द्वारा कोविड-19 के मरीजों के लिए 10 बिस्तर वाले आइसोलेशन वॉर्ड बनाना सुनिश्चित करें।[15]
31 मार्च को सरकार ने कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों के लिए फर्स्ट प्वाइंट ऑफ कॉन्टैक्ट के रूप में फीवर क्लिनिक स्थापित करने के आदेश जारी किए। इन फीवर क्लिनिक्स में एक डॉक्टर, दो नर्स और एक स्वास्थ्य कर्मचारी की कोविड-19 रैपिड रिस्पॉन्स टीम होगी।[16]
कार्मिक उपाय
30 मार्च को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने बेंगलुरू शहर के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की तत्काल नियुक्ति (अनुबंध पर) के लिए आवेदन आमंत्रित किए।[17] इसके बाद 2 अप्रैल को राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त मेडिकल प्रोफेशनलों के कार्यकाल को 31 मार्च से बढ़ाकर 30 जून, 2020 तक करने के आदेश जारी किए।[18]
26 मार्च को सभी पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टीशरों को लॉकडाउन के दौरान टेलीमेडिकल सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी गई। टेलीमेडिकल सुविधाएं अवयस्कों, गैर कोविड-19 रोगों और मौजूदा मरीजों के लिए ही उपलब्ध होगी।[19]
कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।
[1] Novel Coronavirus (COVID19) Media Bulletin, Karnataka, Department of Health and Family Welfare, last accessed on April 15, 2020, https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/14-04-2020(English).pdf
[2] GOK order No. DD/SSU/COVID-19/17/19-20, Directorate of Health and Family Welfare, Government of Karnataka, March 13, 2020,
https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Notification(Covid-19)-Dir-HFWS.pdf
[3] Revised GOK order No. DD/SSU/COVID-19/17/19-20, Directorate of Health and Family Welfare, Government of Karnataka, March 20, 2020 https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Revised-Order-COVID-19(20-03-2020).pdf
[4] Order No. STA-6/SCP/PR-20/2019-20, Directorate of Transport, Government of Karnataka, March 23, 2020, https://transport.karnataka.gov.in/storage/pdf-files/restrictions.pdf
[5] Order No. 1-29/2020-PP, National Disaster Management Authority, March 24, 2020, https://mha.gov.in/sites/default/files/ndma%20order%20copy.pdf.
[6] Order No.02 / CP-BLR/Covid-19/2020, Commissioner of Police, Bengaluru City, March 25, 2020, https://karnataka.gov.in/storage/pdf-files/covid_rules/Covid_pass.pdf
[7] Order of Chief Secretary, Government of Karnataka, April 6, 2020, https://ksuwssb.karnataka.gov.in/frontend/opt1/images/covid/Orders/IMG-20200406-WA0005.jpg
[8] “PM addresses the nation for 4th time in 4 Weeks in India’s fight against COVID-19” Press Release, Prime Minister’s office, April 14, 2020, https://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1614255
[9] No.40-3/2020-DM-I(A), Ministry of Home Affairs, April 15, 2020, https://www.mha.gov.in/sites/default/files/MHA%20order%20dt%2015.04.2020%2C%20with%20Revised%20Consolidated%20Guidelines_compressed%20%283%29.pdf
[10] Proceedings, Government of Karnataka, April 2, 2020, ,https://ksuwssb.karnataka.gov.in/frontend/opt1/images/covid/Orders/GO%20Free%20Milk%20%20(1).pdf
[11] RD 158 TNR 2020, Government of Karnataka, April 6, 2020, https://ksuwssb.karnataka.gov.in/frontend/opt1/images/covid/Orders/IMG-20200406-WA0015.jpg
[12]Karnataka Epidemic Disease COVID-19 Regulations 2020, Government of Karnataka, March 11, 2020, https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Exercise-of-Powers-COVID-10(11-03-2020).pdf
[13] No. JRO(1A)/148/2019-20, Department of Health & Family Welfare and AYUSH Services Government of Karnataka, February 5, 2020, https://ksuwssb.karnataka.gov.in/frontend/opt1/images/covid/Circulars/%E0%B2%B8%E0%B3%81%E0%B2%A4%E0%B3%8D%E0%B2%A4%E0%B3%8B%E0%B2%B2%E0%B3%86%20%E0%B3%A8%E0%B3%AA.pdf
[14]No. HFW 87 ACS 2020 Department of Health & Family Welfare and Medical Education, April 6, 2020, https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Circular-Preparation%20of%20District%20Level%20Crisis%20Management%20Plan%20for%20COVID-19(06-04-2020).pdf
[15]Circular No. HFW 47 CGM 2020 (P), Government of Karnataka, March 3, 2020, https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Guidelines-Isolation-Ward.pdf
[16]No. HFW 73 ACS 2020, Government of Karnataka, March 31, 2020, https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Circular-Establishment%20of%20Fever%20Clinic%20and%20Movement%20Protocol%20for%20Suspect%20Cases%20of%20COVID-19(31-03-2020).pdf
[17]No. HFW 71 ACS 2020, Department of Health & Family Welfare and Medical Education, March 30, 2020, https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Order%20-%20Immidiate%20Appointment%20of%20Contract%20Doctors%20in%20BBMP%20(30-03-2020).pdf
[18] No. 40 HSH 2020 (B), Government of Karnataka, April 2, 2020, https://ksuwssb.karnataka.gov.in/frontend/opt1/images/covid/Circulars/Extension%20of%20service%20reg_001.pdf
[19]No. HFW 54 CGM 2020, Government of Karnataka, March 26, 2020, https://karunadu.karnataka.gov.in/hfw/kannada/nCovDocs/Order-Registered%20Medical%20Practitioners%20(26-03-2020).pdf
2019 के आम चुनावों के परिणाम पिछले हफ्ते घोषित किए गए हैं और 17वीं लोकसभा के निर्वाचन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है। नतीजे के तुरंत बाद पिछली लोकसभा भंग कर दी गई। आने वाले कुछ दिनों में अनेक मुख्य घटनाक्रम देखने को मिलेंगे। प्रधानमंत्री और कैबिनेट के शपथ ग्रहण के बाद, लोकसभा का 17वां सत्र प्रारंभ होगा। पहले सत्र में नवनिर्वाचित सांसद शपथ लेंगे, 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष को चुना जाएगा और राष्ट्रपति संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे। इस ब्लॉग में हम इन घटनाक्रमों की प्रक्रिया और उनके महत्व को स्पष्ट करेंगे।
17वीं लोकसभा के पहले सत्र के मुख्य घटनाक्रम
भारतीय जनता पार्टी बहुमत हासिल करने वाली अकेली पार्टी है और उसके नेता प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। संविधान के अनुच्छेद 75 (1) के अनुसार, अन्य मंत्रियों को प्रधानमंत्री की सलाह से राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। संविधान का 91वां संशोधन मंत्रिपरिषद की सदस्य संख्या को, सदन की कुल सदस्य संख्या के 15% पर सीमित करता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंत्रिपरिषद का शपथ ग्रहण 30 मई, 2019 को होना तय किया गया है।
पहले सत्र का शेड्यूल कैसे तय होता है?
17वीं लोकसभा का पहला सत्र जून के पहले हफ्ते में शुरू होगा। पहले सत्र की शुरुआत की निश्चित तिथि और सत्र के मुख्य घटनाक्रमों का शेड्यूल, जिसमें राष्ट्रपति के संबोधन की तिथि भी शामिल है, को संसदीय मामलों की कैबिनेट कमिटी तय करती है। मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण के बाद कमिटी का गठन किया जाएगा। पिछली लोकसभा 4 जून, 2014 को शुरू हुई थी और उसके पहले सत्र की छह दिन बैठक हुई थी (4 जून, 2014 से 11 जून, 2014)।
पहले सत्र की अध्यक्षता कौन करता है?
सदन की प्रत्येक कार्यवाही की अध्यक्षता स्पीकर (अध्यक्ष) द्वारा की जाती है। नई लोकसभा के पहली बैठक से तत्काल पहले अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है। इसलिए एक अस्थायी अध्यक्ष, जिसे प्रो-टेम स्पीकर कहा जाता है, को नव निर्वाचित सांसदों में से चुना जाता है। प्रो-टेम स्पीकर नव निर्वाचित सदस्यों को शपथ/प्रतिज्ञान दिलाता है, और उस बैठक की अध्यक्षता करता है जिसमें नए अध्यक्ष को चुना जाता है। नए अध्यक्ष के निर्वाचित होने के बाद प्रो-टेम स्पीकर का पद समाप्त हो जाता है।
प्रो-टेम स्पीकर को कैसे चुना जाता है?
नई सरकार के चुने जाने के बाद सदन के वरिष्ठतम सदस्यों के नामों की सूची तैयार की जाती है। वरिष्ठता का निर्धारण संसद के किसी भी सदन में कुल कार्यकाल के आधार पर किया जाता है। इसके बाद प्रधानमंत्री सूची में से उस सदस्य को चिन्हित करते हैं जो प्रो-टेम स्पीकर के रूप में कार्य करेगा। तीन अन्य सदस्यों को भी चिन्हित किया जाता है जिनके समक्ष अन्य सदस्य शपथ/प्रतिज्ञान ले सकते हैं।
नए अध्यक्ष को कैसे चुना जाता है?
कोई भी सदस्य इस प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है कि किसी दूसरे सदस्य को सदन का अध्यक्ष चुना जाए। फिर इस प्रस्ताव को रखा जाता है और उस पर वोटिंग होती है। परिणाम घोषित होने के बाद प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता सहित सभी राजनैतिक दलों के नेताओं द्वारा निर्वाचित अध्यक्ष को बधाई दी जाती है। इसके बाद नए अध्यक्ष द्वारा सदन की कार्यवाही संचालित की जाती है।
संविधान की जानकारी और संसद की कार्य प्रक्रिया के नियमों और परंपराओं की जानकारी अध्यक्ष की मुख्य थाती मानी जाती है। हालांकि इससे इस बात का संकेत मिलता है कि अध्यक्ष सदन का वरिष्ठतम सदस्य होता है, यह सदैव का नियम नहीं है। अतीत में ऐसे कई मौके आए हैं जब सदन का अध्यक्ष पहली बार सांसद बना हो। उदाहरण के लिए छठी लोकसभा के अध्यक्ष के.एस.हेगड़े और सातवीं लोकसभा के अध्यक्ष बलराम जाखड़ पहली बार अध्यक्ष बने थे।
सदन में अध्यक्ष की क्या भूमिका होती है?
विधायिका के कामकाज में अध्यक्ष की केंद्रीय भूमिका होती है। सदन की कार्यवाही कार्य प्रक्रिया के नियमों से निर्देशित होते हैं और इन नियमों की व्याख्या और कार्यान्वयन की अंतिम अथॉरिटी अध्यक्ष के पास होती है। अध्यक्ष सदन में चर्चा कराने और व्यवस्था कायम करने के लिए जिम्मेदार होता है। उदाहरण के लिए यह अध्यक्ष के विवेक पर है कि वह किसी सदस्य को सदन में लोकहित के मुद्दे को उठाने की अनुमति देता है अथवा नहीं। अध्यक्ष सदन के कामकाज को बाधित करने पर किसी सदस्य को निलंबित कर सकता है या अधिक अव्यवस्था होने पर सदन को स्थगित कर सकता है।
अध्यक्ष कार्य मंत्रणा समिति का भी अध्यक्ष होता है। यह समिति सदन के कामकाज के निर्धारण के लिए जिम्मेदार होती है और उसके लिए समय आबंटित करती है। अध्यक्ष लोकसभा की सामान्य प्रयोजन समिति और नियम समिति की भी अध्यक्षता करता है और सदस्यों के बीच से समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है। इससे पूर्व समिति प्रणाली को मजबूत करने में अध्यक्षों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 10वीं लोकसभा के अध्यक्ष शिवराज पाटील ने 17 विभाग संबंधी स्टैंडिंग कमिटियों की शुरुआत करने में अहम भूमिका निभाई थी जिससे संसद अधिक प्रभावी तरीके से कार्यकारिणी की निगरानी कर सके।
चूंकि अध्यक्ष पूरे सदन का प्रतिनिधित्व करता है, उसके पद में निष्पक्षता और स्वतंत्रता निहित है। संविधान और कार्य प्रक्रिया के नियमों में ऐसे दिशानिर्देश दिए गए हैं जिनसे अध्यक्ष के पद की निष्पक्षता और स्वतंत्रता सुनिश्चित हो। चौथी लोकसभा के अध्यक्ष डॉ. एन. संजीवा रेड्डी ने अपने राजनैतिक दल से इस्तीफा दे दिया था क्योंकि उनका यह मानना था कि अध्यक्ष पूरे सदन के लिए होता है इसलिए उसे निष्पक्ष बने रहना चाहिए। संविधान के 100वें अनुच्छेद के अनुसार, अध्यक्ष पहले तो किसी मामले में वोट नहीं देगा। हालांकि वोट बराबर होने की स्थिति में वह अपना वोट देगा।
राष्ट्रपति के अभिभाषण में क्या होता है?
अध्यक्ष के चुनाव के बाद राष्ट्रपति का अभिभाषण होता है। भारतीय संविधान के 87वें अनुच्छेद में राष्ट्रपति से यह अपेक्षा की गई है कि वह प्रत्येक आम चुनाव के बाद पहले सत्र की शुरुआत में दोनों सदनों को संबोधित करेगा। राष्ट्रपति प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र की शुरुआत में भी दोनों सदनों को संबोधित करता है। राष्ट्रपति के अभिभाषण में पिछले वर्ष के सरकार के कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला जाता है और आगामी वर्ष के लिए नीतिगत प्राथमिकताओं का उल्लेख किया जाता है।
भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 17वीं लोकसभा के पहले सत्र को संबोधित करेंगे। 16वीं लोकसभा के दौरान 9 जून, 2014 को राष्ट्रपति का पहला अभिभाषण हुआ था। राष्ट्रपति का अंतिम अभिभाषण 31 जनवरी, 2019 को हुआ था (इस अभिभाषण की झलकियों को यहां पढ़ा जा सकता है।
अभिभाषण के बाद सत्तारूढ़ दल संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश करते हैं। धन्यवाद प्रस्ताव में सांसद इस प्रस्ताव में संशोधन पेश कर सकते हैं जिसके बाद उन पर वोट होता है। अभिभाषण में संशोधन को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के रूप में देखा जाता है।
Sources: The Constitution of India; Rules and Procedure and Conduct of Business in Lok Sabha; Handbook on the Working of Ministry of Parliamentary Affairs; The website of Parliament of India, Lok Sabha; The website of Office of the Speaker, Lok Sabha.