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विविध

कोविड-19 महामारी पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया (जनवरी 2020-7 अप्रैल, 2020)

आन्या भरत राम - अप्रैल 8, 2020

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 17 जनवरी, 2020 को नए कोरोनावायरस (कोविड-19) के प्रसार की घोषणा की जोकि चीन में फैल रहा था।[1] 11 मार्च, 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को विश्वव्यापी महामारी घोषित किया। 7 अप्रैल, 2020 को भारत में कोविड-19 के 4,421 पुष्ट मामले हैं।[2]  इनमें से 326 मरीजों का इलाज हो चुका है/उन्हें डिस्चार्ज किया जा चुका है और 114 की मृत्यु हुई है।1  

जैसे इस महामारी का प्रकोप बढ़ा और वायरस से संबंधित जानकारियों में इजाफा हुआ, केंद्र सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए अनेक नीतिगत फैसलों की घोषणा की। इसके अतिरिक्त इन फैसलों से प्रभावित नागरिकों और व्यवसायों को मदद देने के उपायों की भी घोषणा की गई। इस ब्लॉग पोस्ट में हम केंद्र सरकार के 7 अप्रैल तक के कुछ मुख्य कदमों का सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं। 

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Source: COVID-19, PRS.

मूवमेंट पर प्रतिबंध 

देश में 21 दिन का लॉकडाउन

गृह मामलों के मंत्रालय ने कोविड-19 के प्रकोप को रोकने के लिए 25 मार्च, 2020 से 14 अप्रैल, 2020 के दौरान 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की।[3] लॉकडाउन के अंतर्गत अनिवार्य वस्तुएं या अनिवार्य सेवाएं प्रदान करने वाले, तथा कृषि कार्यों से संबंधित गतिविधियों वाले इस्टैबलिशमेंट्स को छोड़कर बाकी सभी इस्टैबलिशमेंट्स बंद रहेंगे। अनिवार्य वस्तुओं में खाद्य, दवाएं और बिजली शामिल हैं। अनिवार्य सेवाओं में बैंकिंग सेवाएं, दूरसंचार और फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं। सभी वस्तुओं (अनिवार्य या गैर अनिवार्य) का परिवहन भी चालू रहेगा।[4],[5],[6],[7],[8]   

सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को निम्नलिखित के लिए निर्देश दिए गए हैं: (i) असहाय प्रवासी मजदूरों सहित जरूरतमंद लोगों के लिए अस्थायी शेल्टर और भोजन के लिए पर्याप्त प्रबंधन सुनिश्चित करना, (ii) प्रवासी श्रमिकों को कम से कम 14 दिनों तक क्वारंटाइन में रखना, (iii) नियोक्ताओं को निर्देश देना कि लॉकडाउन के दौरान वेतन चुकाया जाए, और (iv) मकान मालिकों को इस बात को लिए सुनिश्चित करना कि वे मजदूरों और विद्यार्थियों से एक महीने का किराया नहीं मांगेंगे।[9]   

वित्तीय सहायता

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना कोविड-19 में राहत प्रदान करेगी

26 मार्च को वित्त मंत्री ने गरीबों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत 1.7 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की।[10] पैकेज की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:10,[11]

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य कर्मचारियों (जैसे डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स और आशा कार्यकर्ता) के लिए 50 लाख रुपए का बीमा कवर जो कोविड-19 के रोगियों का इलाज कर रहे हैं।[12]

  • गरीब परिवारों को अगले तीन महीने तक हर महीने पांच किलोग्राम गेहूं या चावल और एक किलोग्राम चुनींदा दाल दी जाएगी। 

  • प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत 20.4 करोड़ महिला खाताधारकों को अगले तीन महीने के लिए 500 रुपए प्रति माह मिलेंगे। इसके अतिरिक्त आठ करोड़ गरीब परिवारों को अगले तीन महीनों में तीन गैस सिलेंडर मुफ्त दिए जाएंगे।

टैक्स भुगतान की समय सीमा में वृद्धि और राहत 

31 मार्च, 2020 को टैक्सेशन और अन्य कानून (विभिन्न प्रावधानों में राहत) अध्यादेश, 2020 जारी किया गया।10  अध्यादेश विशिष्ट कानूनों के संबंध में कुछ राहत प्रदान करता है जैसे समय सीमा को बढ़ाना और सजा से छूट। इन कानूनों में इनकम टैक्स एक्ट, 1961 (आईटी एक्ट), कुछ फाइनांस एक्ट्स, और बेनामी संपत्ति लेनदेन पर प्रतिबंध एक्ट, 1988 शामिल हैं। अध्यादेश की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • समय सीमा बढ़ाना: अध्यादेश निर्दिष्ट कानूनों के अंतर्गत कुछ कार्यों के अनुपालन या पूर्णता के लिए 20 मार्च, 2020 की समय सीमा को बढ़ाकर 29 जून, 2020 करता है। जैसे (i) अधिकारियों और ट्रिब्यूनलों द्वारा नोटिस और अधिसूचना जारी करना, कार्यवाही पूरी करना और आदेश पारित करना, (ii) अपील, जवाब और आवेदन दाखिल करना और दस्तावेज प्रस्तुत करना, और (iii) आईटी एक्ट के अंतर्गत कुछ कटौतियों या भत्तों का दावा करने के लिए कोई भी निवेश या भुगतान करना।

  • ब्याज और सजा: देय तिथि के बाद किया गया कोई भी कर भुगतान (20 मार्च, 2020 और 29 जून, 2020 के बीच) अभियोजन या दंड के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। भुगतान में देरी के लिए देय ब्याज की दर प्रति माह 0.75% से अधिक नहीं होगी।

  • पीएम केयर्स फंड में दान: किसी व्यक्ति द्वारा आपात स्थितियों में पीएम केयर्स फंड में किया गया दान 100% टैक्स कटौती का पात्र होगा।

  • जीएसटी अनुपालन: केंद्र सरकार केंद्रीय वस्तु और सेवा कर एक्ट, 2017 एक्ट के अंतर्गत विभिन्न अनुपालनों और कार्यों के लिए समय सीमा के विस्तार की अधिसूचना दे सकती है। 

आऱबीआई ने कोविड-19 के कारण उत्पन्न वित्तीय संकट को दूर करने के उपाय किए

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कोविड-19 के कारण उत्पन्न हुए वित्तीय संकट से निपटने के लिए अनेक उपायों की घोषणा की।[13],[14],[15]  मुख्य उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • पॉलिसी रेट्स में कटौती: रेपो रेट (वह दर जिस पर आरबीआई बैंकों को उधार देता है) 5.15% से घटाकर 4.4% कर दी गई है। रिवर्स रेपो रेट (जिस दर पर आरबीआई बैंकों से उधार लेता है) 4.9% से 4.0% कम कर दी गई है।

  • लिक्विडिटी प्रबंधन: बाजार में लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए उपाय किए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित हो कि वित्तीय बाजार और संस्थान सामान्य रूप से कार्य कर रहे हैं। इन उपायों में 26 मार्च, 2021 तक सभी बैंकों के लिए कैश रिज़र्व रेशियो (सीआरआर) 4% से घटाकर 3% करना शामिल है। सीआरआर तरल नकदी की वह मात्रा होती है जिसे बैंकों को अपनी कुल जमा के प्रतिशत के रूप में आरबीआई के पास रखना होता है। इससे 3.74 लाख करोड़ रुपए की लिक्विडिटी के इंजेक्ट होने की उम्मीद है। 

  • लोन चुकाने के लिए उधारकर्ताओं को राहत: सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी सहित) को सभी टर्म लोन की किश्तों (कृषि, खुदरा और फसल ऋण सहित) के भुगतान और कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज (जैसे ओवरड्राफ्ट सुविधाएं), जोकि 1 मार्च, 2020 और 31 मई, 2020 के बीच देय हैं, पर तीन महीने की मोहलत देने की अनुमति है।

राज्यों को अल्पावधि का ऋण

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए वेज़ और मीन्स एडवांसेज़ (डब्ल्यूएमए) सीमाओं की समीक्षा के लिए एक एडवाइजरी कमिटी का गठन किया है। डब्ल्यूएमए आरबीआई द्वारा राज्य सरकारों को दिए जाने वाले अस्थायी लोन्स को कहा जाता है। कमिटी के अंतिम सुझाव सौंपने तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए डब्ल्यूएमए की सीमा को 30% बढ़ा दिया गया है। संशोधित सीमाएं 1 अप्रैल से 20 सितंबर, 2020 तक लागू रहेंगी।[16]

पीएम केयर्स फंड

केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी जैसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय कोष बनाया है। आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष (पीएम केयर्स फंड) नामक सरकारी चैरिटेबल ट्रस्ट कोविड-19 से प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करेगा। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं और इसके सदस्यों में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री शामिल हैं।[17]

पीएम केयर्स फंड में दान देने वाला व्यक्ति 100% टैक्स कटौती का पात्र है।[18]  अनिवासी भारतीय भी फॉरेन इनवर्ड रेमिटेंस के जरिए कोष में योगदान दे सकते हैं।[19] 

स्वास्थ्य संबंधी उपाय

कोविड-19 की टेस्टिंग 

वर्तमान में सरकारी केंद्रों में कोविड-19 के लक्षण वाले सभी लोगों का निदान मुफ्त किया जा रहा है।[20]   इसके अतिरिक्त सरकार ने कोविड-19 की जांच के लिए कुछ निजी लेबोरेट्रीज़ को मंजूरी दी है। निजी लैब्स में स्क्रीनिंग की कीमत 4,500 रुपए से अधिक नहीं हो सकती।[21] 27 मार्च तक कोविड-19 के सैंपल्स की जांच के लिए 136 सरकारी टेस्टिंग सेंटर्स थे और 3 अतिरिक्त कलेक्शन सेंटर्स।[22] इसके अतिरिक्त 12 राज्यों में जांच की पेशकश करने वाली 59 निजी लेबोरेट्रीज़ थीं। ये राज्य हैं, दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक, हरियाणा, उत्तराखंड और गुजरात।[23]

मंत्रालय ने उन लोगों के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं जिनका इन लेबोरेट्रीज़ में परीक्षण किया जा सकता है। इनमें शामिल हैं: (i) उन लोगों के संपर्क में आने वाले लोग जोकि कोविड-19 के लिए पॉजिटिव पाए गए हैं, और (ii) कोविड-19 प्रभावित देशों में यात्रा के इतिहास वाले व्यक्ति, जिनमें लक्षण दिखाई दिए हैं, (iii) लक्षण वाले स्वास्थ्यकर्मी, और (iv) श्वास की गंभीर बीमारी वाले व्यक्ति।21

बड़े आउटब्रेक वाले क्षेत्रों के लिए कंटेनमेंट प्लान

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए एक योजना बनाई है। इस योजना में निम्नलिखित उपाय सुझाए गए हैं:[24] 

  • ज्योग्राफिक क्वारंटाइन: इस रणनीति में जिस निर्दिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में प्रकोप (आउटब्रेक) ज्यादा है, वहां लोगों के आने-जाने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।

  • क्लस्टर कंटेनमेंट: इस रणनीति में किसी भौगोलिक क्षेत्र में शुरुआत में मामलों का पता लगने पर वहां बीमारी की रोकथाम की जाएगी। क्लस्टर कंटेनमेंट में ज्योग्राफिक क्वारंटाइन, सोशल डिस्टेंसिंग, सभी संदिग्ध मामलों की टेस्टिंग और लोगों में जागरूकता फैलाना शामिल हैं। 

दवाओं और मेडिकल उपकरणों के निर्यात पर प्रतिबंध 

केंद्र सरकार ने कुछ मेडिकल उपकरणों और दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है ताकि भारत में उनकी उपलब्धता सुनिश्चित हो। उदाहरण के लिए वेंटिलेटर्स, सर्जिकल मास्क्स, डायग्नॉस्टिक किट्स और पैरासीटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन जैसी दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है।[25],[26],[27],[28]

यात्रा पर प्रतिबंध

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर प्रतिबंध, वीसा जारी करना रद्द

नागरिक उड्डयन: नागरिक उड्डयन महानिदेशक ने 24 मार्च, 2020 से 14 अप्रैल, 2020 के दौरान सभी यात्री घरेलू उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया।[29],[30]  देश में आने तथा देश से जाने वाली सभी अंतरराष्ट्रीय कमर्शियल यात्री उड़ानों को 14 अप्रैल, 2020 को शाम 6.30 बजे तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया (डीजीसीए द्वारा निर्दिष्ट कार्गो और दूसरी अन्य उड़ानों को छोड़कर)।[31]  राजनयिकों, अधिकारियों, संयुक्त राष्ट्र/अंतरराष्ट्रीय संगठनों को जारी वीज़ा तथा रोजगार और प्रॉजेक्ट्स वीजा को छोड़कर किसी भी देश के सभी मौजूदा वीजा 13 मार्च से 15 अप्रैल, 2020 तक रद्द कर दिए गए हैं।[32] 

रेलवे: भारतीय रेलवे ने 14 अप्रैल, 2020 तक सभी यात्री गाड़ियों को रद्द कर दिया।[33]  हालांकि अनिवार्य वस्तुओं का परिवहन जारी रहेगा।[34]  रेलवे ने रेलवे पार्सल वैन को ई-कॉमर्स संस्थाओं और राज्य सरकारों सहित अन्य ग्राहकों के लिए त्वरित माल परिवहन के लिए उपलब्ध कराया है। इनमें छोटे पार्सल आकारों में चिकित्सा आपूर्ति, चिकित्सा उपकरण, भोजन आदि शामिल हैं।[35] 

कोविड-19 के संबंध में केंद्र सरकार के मुख्य नीतिगत फैसलों पर अधिक विवरण के लिए कृपया यहां देखें।

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।

 

[1] Novel coronavirus outbreak in China, Ministry of Health and Family Welfare, January 17, 2020, https://www.mohfw.gov.in/pdf/TraveladvisorytotravelersvisitingChina17012020.pdf.

[2] Ministry of Health and Family Welfare website, last accessed on March 31, 2020, https://www.mohfw.gov.in/index.html.

[3] Order No. 1-29/2020-PP, National Disaster Management Authority, March 24, 2020, https://mha.gov.in/sites/default/files/ndma%20order%20copy.pdf.

[4] Order No. 40-3/2020-DM-I(A), Ministry of Home Affairs, March 24, 2020, https://mha.gov.in/sites/default/files/MHAorder%20copy.pdf.

[5] “Guidelines on measures to be taken by Ministries/Department of Government of India, State/Union Territory Governments and State/Union Territory Authorities for containment of COVID-19 Epidemic in the Country”, Ministry of Home Affairs, March 24, 2020, https://mha.gov.in/sites/default/files/Guidelines.pdf.

[6] Second Addendum to Order No. 40-3/2020-DM-I(A), Ministry of Home Affairs, March 24, 2020, https://mha.gov.in/sites/default/files/PR_SecondAddendum_27032020.pdf.

[7] “Consolidated Guidelines on the measures to be taken by Ministries/Departments of Government of India, State/Union Territory Governments and State/Union Territory Authorities for containment of COVID-10 Epidemic in the Country, as notified by the Ministry of Home Affairs on 24.03.2020 and further modified on 25.03.2020 and 27.03.2020”, Ministry of Home Affairs, https://mha.gov.in/sites/default/files/PR_ConsolidatedGuidelinesofMHA_28032020.pdf.

[8] D.O. No. 40-3/2020-DM-I(A), Ministry of Home Affairs, March 29, 2020, http://164.100.117.97/WriteReadData/userfiles/3rd%20Addendum%20to%20Lockdown%20Guidelines%20on%20exempted%20Goods%20and%20Services.pdf.

[9] Order No. 40-3/2020-DM-I(A), Ministry of Home Affairs, March 29, 2020, https://mha.gov.in/sites/default/files/MHA%20Order%20restricting%20movement%20of%20migrants%20and%20strict%20enforement%20of%20lockdown%20measures%20-%2029.03.2020.pdf.

[10] “Finance Minister announces Rs 1.70 Lakh Crore relief package under Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana for the poor to help them fight the battle against Corona Virus”, Press Information Bureau, Ministry of Finance, March 26, 2020.

[11] “Monetary and Fiscal policy response by Government of Indian and Regulators”, Department of Economic Affairs, Ministry of Finance, March 27, 2020, https://dea.gov.in/sites/default/files/India%20economic%20policy%20response%20on%20%20COVID%2019%20Fiscal%20and%20Monetary%20as%20on%2027032020.pdf.

[12] “Pradhan Mantri Garib Kalyan Package: Insurance Scheme for Health Workers Fighting COVID-19”, Press Information Bureau, Ministry of Health and Family Welfare, March 29, 2020. 

[13] Seventh Bi-Monthly Policy Statement 2019-20”, Press Release, Reserve Bank of India, March 27, 2020, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR2129F5E23A447E0F4A00955429716C53F5A2.PDF.

[14] “Statement on Developmental and Regulatory Practices”, Reserve Bank of India, Press Releases, March 27, 2020, https://www.rbi.org.in/Scripts/BS_PressReleaseDisplay.aspx?prid=49582.

[15] “COVID-19 – Regulatory Package”, Notifications, Reserve Bank of India, March 27, 2020, https://www.rbi.org.in/Scripts/NotificationUser.aspx?Id=11835.

[16] RBI announces further measures for dealing with the COVID-19 pandemic, Reserve Bank of India, April 1, 2020, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR2167BA409AC37FA8460497BA0C9B283E5DD9.PDF.

[17] Appeal to generously donate to ‘Prime Minister’s Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations Fund (PM CARES Fund)’, Press Information Bureau, Prime Minister’s Office, March 28, 2020, https://pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=1608851.

[18] The Taxation and Other Laws (Relaxation of Certain Provisions) Ordinance, 2020, Gazette of India, Ministry of Law and Justice, March 31, 2020, http://www.egazette.nic.in/WriteReadData/2020/218979.pdf.

[19] Rupee Drawing Arrangement – Remittance to the Prime Minister’s Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations (PM-CARES) Fund, Reserve Bank of India, April 3, 2020, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Notification/PDFs/NOT2087A69F5158C174585A46C69B78BD96DBD.PDF.

[20] Strategy for COVID-19 testing in India, India Council for Medical Research, Ministry of Health and Family Welfare, March 17, 2020, https://www.mohfw.gov.in/pdf/LabTestingAdvisory.pdf.

[21] Guidelines for COVID-19 testing in private laboratories in India, Ministry of Health and Family Welfare, March 21, 2002 https://www.mohfw.gov.in/pdf/NotificationofICMguidelinesforCOVID19testinginprivatelaboratoriesiIndia.pdf.

[22] Government Approved Laboratories by ICMR, Ministry of Health and Family Welfare, April 7, 2020.   https://icmr.nic.in/sites/default/files/upload_documents/Govt_Labs_functional_for_COVID19_testing_05042020.pdf.

[23] Private Approved Laboratories by ICMR, Ministry of Health and Family Welfare, April 7, 2020.  https://icmr.nic.in/sites/default/files/upload_documents/Private_Labs_06042020.pdf. 

[24] Containment Plan for Large Outbreaks, Ministry of Health and Family Welfare, April 4, 2020, https://www.mohfw.gov.in/pdf/3ContainmentPlanforLargeOutbreaksofCOVID19Final.pdf.

[25] S.O. 1171(E), Amendment in Export Policy of Masks, Ventilators and textile raw material for masks and coveralls, Ministry of Commerce and Industry, March 19, 2020, http://egazette.nic.in/WriteReadData/2020/218857.pdf. 

[26] S.O. 955(E), Amendment in Export Policy of APIs and formulations made from these APIs, Ministry of Commerce and Industry, March 3, 2020, http://egazette.nic.in/WriteReadData/2020/216551.pdf.

[27] Notification no. 01/2015-2020, Amendment in Export Policy of Hydroxychloroquine, Ministry of Commerce and Industry, April 4, 2020, https://prsindia.org/files/covid19/notifications/1492.IND_Export_Restriction_Hydroxychloroquine_Apr_4.pdf. 

[28] Notification no. 59/2015-2020, Amendment in Export Policy of Diagnostic Kits, April 4, 2020, https://prsindia.org/files/covid19/notifications/1491.IND_Export_Restriction_Diagnostic_Kits_Apr_4.pdf.

[29] AV. 11011/1/2020-US(AG) Office-MOCA, Ministry of Civil Aviation, March 23, 2020, https://www.civilaviation.gov.in/sites/default/files/Revised-%20COVID-19%20-%20Order%20under%20Section%208B.pdf.

[30] No.4/1/2020-IR, Director General of Civil Aviation, March 27, 2020, https://dgca.gov.in/digigov-portal/Upload?flag=iframeAttachView&attachId=130618666. 

[31] No.4/1/2020-IR, Director General of Civil Aviation, March 26, 2020, https://dgca.gov.in/digigov-portal/Upload?flag=iframeAttachView&attachId=130618625. 

[32] No.4/1/2020-IR, Director General of Civil Aviation, January 30 to March 17, 2020, https://dgca.gov.in/digigov-portal/Upload?flag=iframeAttachView&attachId=130617742. 

[33] “Ministry of Railways extends Cancellation of Passenger Train Services till 2400 hrs of 14th April, 2020”, Press Information Bureau, Ministry of Railways, March 25, 2020. 

[34] “Transportation of essential commodities to various parts of the country by Indian Railways continues at full speed”, Press Information Bureau, Ministry of Railways, March 30, 2020.   

[35] “Indian Railways to run Special Parcel Trains for carriage of essential items in small parcel sizes during the complete lockdown in fight against COVID-19”, Press Information Bureau, Ministry of Railways, March 29, 2020.  

 
Constitution

सरकार के राजस्व पर लॉकडाउन का प्रभाव

Suyash Tiwari - अप्रैल 19, 2020

भारत में कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 25 मार्च, 2020 को देश व्यापी लॉकडाउन की घोषणा की। लॉकडाउन ने सभी आर्थिक गतिविधियों को रद्द करना जरूरी बनाया। इसमें सिर्फ ऐसी गतिविधियां शामिल नहीं थीं, जिन्हें समय-समय पर ‘अनिवार्य’ के रूप में वर्गीकृत किया गया और जिन्हें घर से संचालित किया जा सकता है। परिणाम के तौर पर सभी आर्थिक गतिविधियां जिनमें व्यक्तियों का यात्रा करना या घर के बाहर जाकर काम करना, जैसे गैर अनिवार्य वस्तुओं की मैन्यूफैक्चरिंग और निर्माण तब से बंद हैं। हालांकि इससे बहुत से लोगों और व्यापारों को आय का नुकसान हुआ है, 40 दिन के लॉकडाउन से केंद्र और राज्य सरकारों के राजस्व पर गंभीर असर होने वाला है। मुख्य रूप से कर राजस्व पर जोकि सभी ऐसी आर्थिक गतिविधियों से प्राप्त किया जाता है। 

इस नोट में 2020-21 में केंद्र और राज्य सरकारों के राजस्व पर लॉकडाउन के संभावित प्रभावों पर चर्चा की जा रही है। इस चरण में महामारी और लॉकडाउन के असर का अनुमान लगाना कठिन है। हमें यह जानकारी नहीं है कि मौजूदा लॉकडाउन के 3 मई को समाप्त होने के बाद क्या आंशिक प्रतिबंध जारी रहेंगे या वर्ष के दौरान आगे भी ऐसी कार्रवाइयों की संभावना है। इसलिए इस नोट को विभिन्न परिदृश्यों के अंतर्गत प्रभाव की गणना करने के लिए पहले अनुमान के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक पाठक जो मानता है कि जीडीपी की वृद्धि पर आईएमएफ के अनुमान से अलग असर होगा, जिसे नीचे इस्तेमाल किया गया है, वह अनुमान लगाने के लिए संख्याओं को एक्स्ट्रापोलेट कर सकता है।

केंद्र सरकार और अधिकतर राज्य सरकारों ने लॉकडाउन से पहले फरवरी-मार्च 2020 के दौरान वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट पारित किया था। केंद्र सरकार ने 2020-21 में देश की नॉमिनल जीडीपी में 10% की वृद्धि का अनुमान लगाया था और आधे से अधिक राज्यों ने नॉमिनल जीएसडीपी में 8%-13% के बीच वृद्धि का अनुमान लगाया था। अर्थव्यवस्था पर लॉकडाउन के अप्रत्याशित प्रभाव के कारण, 2020-21 में जीडीपी की वृद्धि दर इन अनुमानों से कम हो सकती है। परिणामस्वरूप लॉकडाउन की अवधि के दौरान केंद्र और राज्य सरकारें द्वारा अर्जित किया जाने वाला कर राजस्व बजट अनुमानों से कम रहने वाला है। 

केंद्र का राजस्व

तालिका 1 में 2020-21 के दौरान विभिन्न स्रोतों से केंद्र सरकार द्वारा अपेक्षित राजस्व के आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। 73% राजस्व (16.36 लाख करोड़ रुपए) करों से प्राप्त होने का अनुमान है। लॉकडाउन के कारण वर्ष के अंत में वसूला गया वास्तविक कर राजस्व बहुत कम हो सकता है, जोकि इस बात पर निर्भर करता है कि 2020-21 में नॉमिनल जीडीपी वृद्धि कितनी प्रभावित होती है। राजस्व के असर का अनुमान लगाने के लिए हम यह मानकर चलते हैं कि 2020-21 में कर-जीडीपी अनुपात (यानी आर्थिक गतिविधि की प्रत्येक इकाई से प्राप्त होने वाले कर का अनुमान) बजट अनुमान के समान बरकरार रहता है। यह लॉकडाउन के कारण राजस्व के नुकसान का एक कंज़रवेटिव अनुमान हो सकता है क्योंकि कृषि, सरकारी सेवाओं और अनिवार्य सेवाओं जैसी कई अनुमत गतिविधियों में शून्य या निम्न-से-औसत कर प्राप्त होते हैं।

इस अवधारणा के आधार पर नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर में 1% प्वाइंट की गिरावट से 2020-21 में केंद्र के शुद्ध कर राजस्व में लगभग 15,000 करोड़ रुपए की गिरावट होगी जोकि उसके कुल राजस्व का 0.7% है। आईएमएफ ने 2020-21 के लिए 1.9% की जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है, मुद्रास्फीति के 4% के लक्ष्य को देखते हुए नॉमिनल जीडीपी वृद्धि लगभग 6% हो सकती है। इस स्थिति में जब नॉमिनल जीडीपी वृद्धि 2020-21 में 10% से 4% प्वाइंट गिरकर 6% हो, तो शुद्ध कर राजस्व घाटा 60,000 करोड़ रुपए हो सकता है (कुल राजस्व का 2.7%)। उपरिलिखित के अनुसार, लॉकडाउन में अनुमत गतिविधियों के कारण कर-जीडीपी अनुपात बजट अनुमान से कम रहने का अनुमान है। इससे कर राजस्व पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव होगा।

इसके अतिरिक्त कर-जीडीपी के संबंध में भी अनुमान लगाया गया है। चूंकि जीडीपी के हिसाब से जीएसटी भी बढ़ता है, प्रत्यक्ष कर व्यक्तियों की आय वृद्धि और कंपनियों के लाभ में वृद्धि पर निर्भर करेगा। अगर जीडीपी की वृद्धि निम्न स्तरीय होगी तो नॉमिनल जीडीपी की सुस्ती की तुलना में इन दोनों मदों पर अधिक प्रभाव पड़ सकता है जिससे कर-जीडीपी अनुपात में गिरावट होगी। इसके अतिरिक्त आयात के मूल्य पर कस्टम ड्यूटी निर्भर करती है, जिसमें वृद्धि निम्न स्तरीय हो सकती है। इसमें कुछ हद तक पेट्रोलियम उत्पादों पर स्टेट एक्साइज की दर में वृद्धि के कारण कमी आएगी।

2019-20 के संशोधित अनुमानों को आधार बनाकर और 2020-21 के बजट अनुमानों को वास्तविक मानकर, (जब यह अनुमान किया गया था) गणनाएं की गई हैं। लेकिन ये आंकड़े कम भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर हम अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 तक की शुद्ध कर राजस्व वृद्धि दर (कंट्रोलर जनरल ऑफ एकाउंट्स द्वारा जारी) को एक्स्ट्रापोलेट करते हैं तो यह कमी 1,62,000 करोड़ रुपए या संशोधित अनुमान का 11% होती है। इस प्रकार 2020-21 में कर संग्रह में काफी अधिक कमी हो सकती है। 

तालिका 1:  2020-21 में केंद्र सरकार का राजस्व (करोड़ रुपए में) 

स्रोत

राजस्व

कुल राजस्व में हिस्सा

शुद्ध कर राजस्व

16,35,909

73%

गैर कर राजस्व

3,85,017

17%

लाभांश और लाभ

1,55,395

6.9%

पूंजीगत प्राप्तियां

2,24,967

10%

विनिवेश

2,10,000

9.4%

कुल राजस्व

22,45,893

-

Note:  Capital receipts and total revenue do not include borrowings.

Sources:  Union Budget Documents; PRS.

करों के अतिरिक्त केंद्र की प्राप्तियों में गैर-कर राजस्व और पूंजी प्राप्तियां शामिल होती हैं। गैर-कर राजस्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसई) और आरबीआई के लाभांश और मुनाफे से प्राप्त होता है (1.55 करोड़ करोड़ रुपए)। अगर लाभप्रदता प्रभावित होती है, तो इन आंकड़ों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। पूंजी प्राप्तियों का प्रमुख हिस्सा पीएसई के विनिवेश (2.1 लाख करोड़ रुपए) से प्राप्त होता है। पिछले महीने के मुकाबले इक्विटी बाजारों में तेजी से गिरावट आई है। यदि इक्विटी बाजार अस्थिर रहते हैं, तो विनिवेश की प्रक्रिया और इसके परिणामस्वरूप विनिवेश प्राप्तियां प्रभावित हो सकती हैं। उल्लेखनीय है कि विनिवेश प्राप्तियों का लक्ष्य 2,10,000 करोड़ रुपए था, जो 2019-20 में प्राप्त 50,299 करोड़ रुपए से काफी अधिक था।

राज्यों को हस्तांतरण

केंद्र की तरह, राज्य भी अपने अधिकांश राजस्व के लिए करों पर निर्भर होते हैं। उनके 2020-21 के बजट के अनुसार, उनके राजस्व का लगभग 70% हिस्सा करों से प्राप्त होने का अनुमान है (अपने स्वयं के करों से 45% और केंद्रीय करों के उनके हिस्से से 25%)। लॉकडाउन के कारण केंद्र के करों में कमी का असर भी राज्यों के हिस्से को प्रभावित करेगा (जिसे हस्तांतरण कहा जाता है)। तालिका 2 में केंद्र के कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी को दिखाया गया है और लॉकडाउन के कारण वे निम्न स्तरीय आर्थिक वृद्धि से कैसे प्रभावित हो सकते हैं।

तालिका 2: लॉकडाउन के कारण 2020-21 में हस्तांतरण पर निम्न स्तरीय आर्थिक वृद्धि का प्रभाव (करोड़ रुपए में) 

  

राज्य/यूटी

हस्तांतरण में हिस्सेदारी (%)

हस्तांतरण

राष्ट्रीय नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर में 1% प्वाइंट गिरावट का हस्तांतरण पर असर

राज्य की राजस्व प्राप्तियों के प्रतिशत के रूप में राजस्व प्रभाव

आंध्र प्रदेश

4.11

32,238*

293

NA

अरुणाचल प्रदेश

1.76

13,802

125

0.61%

असम

3.13

26,776

243

0.26%

बिहार

10.06

91,181

829

0.45%

छत्तीसगढ़

3.42

26,803

244

0.29%

दिल्ली

-

-

-

-

गोवा

0.39

3,027

28

0.21%

गुजरात

3.4

26,646

242

0.15%

हरियाणा

1.08

8,485

77

0.09%

हिमाचल प्रदेश

0.8

6,266

57

0.15%

जम्मू एवं कश्मीर

-

15,200

138

0.16%

झारखंड

3.31

25,980

236

0.31%

कर्नाटक

3.65

28,591

260

0.14%

केरल

1.94

20,935

190

0.17%

मध्य प्रदेश

7.89

61,841* 

562

NA

महाराष्ट्र

6.14

48,109

437

0.13%

मणिपुर

0.72

5,630

51

0.28%

मेघालय

0.77

5,999*

55

NA

मिजोरम

0.51

3,968

36

0.37%

नागालैंड

0.57

4,493

41

0.28%

ओड़िशा

4.63

36,300

330

0.27%

पंजाब

1.79

14,021

127

0.14%

राजस्थान

5.98

46,886

426

0.25%

सिक्किम

0.39

3,043

28

0.35%

तमिलनाडु

4.19

32,849

299

0.14%

तेलंगाना

2.13

16,727

152

0.11%

त्रिपुरा

0.71

5,560

51

0.30%

उत्तर प्रदेश

17.93

1,52,863

1,389

0.33%

उत्तराखंड

1.1

8,657

79

0.19%

पश्चिम बंगाल

7.52

65,835

598

0.33%

कुल 

100

8,38,710

7,624

0.22% 

Note:  *Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Meghalaya passed a vote on account, so their devolution data has been computed as the total devolution to states provided in the union budget multiplied by their share.  The devolution data for all other states has been taken from the state budget documents, which may not match with the union budget data in case of a few states.  Revenue receipts data not available for Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Meghalaya.  The total for revenue receipt share has been computed excluding these three states.

Sources:  Union and State Budget Documents; 15th Finance Commission Report for 2020-21; PRS.

राज्य जीएसटी

राज्य के स्वयं करों से प्राप्त होने वाले 45% राजस्व में से, 35% राजस्व तीन करों- राज्य जीएसटी (19%), सेल्स टैक्स/वैट (10%), और स्टेट एक्साइज (6%) से प्राप्त होने का अनुमान है। राज्य जीएसटी राज्य के भीतर अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की खपत पर लगाया जाता है। हालांकि राज्य जीएसटी राज्यों के अपने कर राजस्व का सबसे बड़ा घटक है, राज्यों को अपने आप कर दरों को बदलने की स्वायत्तता नहीं है क्योंकि दरें जीएसटी परिषद द्वारा तय की जाती हैं। इस प्रकार लॉकडाउन के दौरान जीएसटी राजस्व कम होने के कारण, यदि कोई राज्य शेष वर्ष के लिए जीएसटी दरों में वृद्धि करना चाहता है, तो वह अपने आप ऐसा नहीं कर सकता है।

तालिका 3 में नॉमिनल जीएसडीपी (राज्य की जीडीपी) की वृद्धि दरों में 1% प्वाइंट के संभावित असर और 2020-21 मे राज्य जीएसटी राजस्व पर इसके प्रभाव दिखाया गया है। ये अनुमान इस धारणा पर आधारित हैं कि लॉकडाउन के दौरान कर-जीएसडीपी अनुपात 2020-21 के बजट अनुमानों के समान रहेगा। हालांकि, जैसा कि पहले चर्चा की गई है, जीएसटी जैसे करों के लिए कर-जीडीपी अनुपात में गिरावट की आशंका है। इस विश्लेषण में राज्यों के जीएसटी राजस्व पर न्यूनतम प्रभाव का अनुमान लगाया गया है और पूरे प्रभाव को इसमें शामिल नहीं किया गया है। 

तालिका 3: 2020-21 में राज्य जीएसटी राजस्व पर निम्न जीएसडीपी वृद्धि का असर (करोड़ रुपए में) 

 राज्य/यूटी

राज्य जीएसटी राजस्व

नॉमिनल जीएसडीपी वृद्धि दर में 1% प्वाइंट गिरावट का राज्य जीएसटी राजस्व पर असर

राज्य की राजस्व प्राप्तियों के प्रतिशत के रूप में राजस्व प्रभाव

आंध्र प्रदेश

NA 

NA

NA

अरुणाचल प्रदेश

324

3

0.01%

असम

13,935

128

0.14%

बिहार

20,800

187

0.10%

छत्तीसगढ़

10,701

97

0.12%

दिल्ली

23,800

215

0.39%

गोवा

2,772

26

0.19%

गुजरात

33,050

292

0.18%

हरियाणा

22,350

198

0.22%

हिमाचल प्रदेश

3,855

35

0.09%

जम्मू एवं कश्मीर

6,065

55

0.06%

झारखंड

9,450

85

0.11%

कर्नाटक

47,319

445

0.25%

केरल

32,388

289

0.25%

मध्य प्रदेश

 NA

NA

NA

महाराष्ट्र

1,07,146

957

0.28%

मणिपुर

914

8

0.05%

मेघालय 

NA

NA

NA

मिजोरम

504

4

0.04%

नागालैंड

541

5

0.04%

ओड़िशा

15,469

139

0.11%

पंजाब

15,859

141

0.16%

राजस्थान

28,250

255

0.15%

सिक्किम

650

5

0.07%

तमिलनाडु

46,196

410

0.19%

तेलंगाना

27,600

242

0.17%

त्रिपुरा

1,311

12

0.07%

उत्तर प्रदेश

55,673

525

0.12%

उत्तराखंड

5,386

49

0.12%

पश्चिम बंगाल

33,153

298

0.17%

कुल 

5,65,461

5,104

0.17% 

Note:  Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Meghalaya passed a vote on account, so data not available.  2020-21 GSDP data for Delhi was not available, so the GSDP growth rate in 2020-21 has been assumed to be the same as the growth rate in 2019-20 (10.5%).

Sources:  State Budget Documents; PRS.

सेल्स टैक्स/वैट और स्टेट एक्साइज

ये दोनों टैक्स राज्यों के लिए राजस्व का मुख्य स्रोत होते हैं जिनका 2020-21 में राज्यों के लिए 16% योगदान अनुमानित है। जीएसटी के लागू होने के बाद राज्य सिर्फ पेट्रोलियम उत्पादों (पेट्रोल, डीजल, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल) तथा मानव उपभोग के लिए शराब पर सेल्स टैक्स वसूल सकते हैं। हालांकि लॉकडाउन ने उपभोग को बुरी तरह प्रभावित किया है, इसलिए इन वस्तुओं की बिक्री भी प्रभावित हुई है क्योंकि अधिकतर परिवहन पर प्रतिबंध है और शराब बेचने वाले कारोबार बंद हैं। परिणामस्वरूप अन्य करों की तुलना में इन करों से प्राप्त होने वाले राजस्व पर अधिक असर होने की आशंका है।  

इसके अतिरिक्त शराब राज्य एक्साइज का विषय है। तालिका 4 में राज्य एक्साइज से प्राप्त राजस्व पर लॉकडाउन के औसत मासिक असर को प्रदर्शित किया गया है। यानी इसमें लॉकडाउन के प्रत्येक महीने में राजस्व के नुकसान का आकलन किया गया है, इस अनुमान के साथ कि इन अवधियों में मानव उपभोग के लिए शराब का उत्पादन नहीं हुआ।

तालिका 4: 2020-21 में राज्य एक्साइज से प्राप्त राजस्व पर लॉकडाउन का औसत मासिक प्रभाव (करोड़ रुपए में) 

राज्य/यूटी

राज्य एक्साइज राजस्व

राज्य एक्साइज राजस्व पर औसत मासिक प्रभाव

राज्य की राजस्व प्राप्तियों के प्रतिशत के रूप में मासिक राजस्व प्रभाव

आंध्र प्रदेश

NA 

NA

NA

अरुणाचल प्रदेश

157

13

0.06%

असम

1,750

146

0.16%

बिहार

0

0

0.00%

छत्तीसगढ़

5,200

433

0.52%

दिल्ली

6,300

525

0.95%

गोवा

548

46

0.34%

गुजरात

144

12

0.01%

हरियाणा

7,500

625

0.69%

हिमाचल प्रदेश

1,788

149

0.39%

जम्मू एवं कश्मीर

1,450

121

0.14%

झारखंड

2,301

192

0.25%

कर्नाटक

22,700

1,892

1.05%

केरल

2,801

233

0.20%

मध्य प्रदेश

 NA

NA

NA

महाराष्ट्र

19,225

1,602

0.46%

मणिपुर

15

1

0.01%

मेघालय 

NA

NA

NA

मिजोरम

1

0

0.00%

नागालैंड

6

0

0.00%

ओड़िशा

5,250

438

0.35%

पंजाब

6,250

521

0.59%

राजस्थान

12,500

1,042

0.60%

सिक्किम

248

21

0.26%

तमिलनाडु

8,134

678

0.31%

तेलंगाना

16,000

1,333

0.93%

त्रिपुरा

266

22

0.13%

उत्तर प्रदेश

37,500

3,125

0.74%

उत्तराखंड

3,400

283

0.67%

पश्चिम बंगाल

12,732

1,061

0.59%

कुल 

1,74,164

14,514

0.48%

Note:  Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Meghalaya passed a vote on account, so data not available.

Sources:  State Budget Documents; PRS.

शराब और पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री पर सेल्स टैक्स/वैट एकत्र किया जाता है। इन वस्तुओं की बिक्री में कमी पर हमारे पास कोई डेटा नहीं है- न्यूज रिपोर्ट्स में कुछ राज्यों में शराब की बिक्री का संकेत मिलता है और अनिवार्य सेवाओं के प्रदाता पेट्रोलियम उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे होंगे। सेल्स टैक्स/वैट राजस्व पर असर का अनुमान लगाने के लिए हम तीन परिदृश्यों का अनुमान लगा रहे हैं: (i) लॉकडाउन के किसी भी महीने में कर संग्रह में 40% की कमी, (ii) कर संग्रह में 60% की कमी, और (iii) कर संग्रह में 80% की कमी। तालिका 5 में इन तीन स्थितियों में सेल्स टैक्स/वैट राजस्व पर लॉकडाउन का औसत मासिक असर प्रदर्शित है। 

तालिका 5: 2020-21 में सेल्स टैक्स/वैट पर लॉकडाउन का प्रभाव (करोड़ रुपए में) 

राज्य/यूटी

लॉकडाउन के महीने में सेल्स टैक्स/वैट के राजस्व पर प्रभाव 

राज्य की राजस्व प्राप्तियों के प्रतिशत के रूप में 

40% की कमी

60% की कमी

80% की कमी

40% की कमी

60% की कमी

80% की कमी

आंध्र प्रदेश

NA

NA

NA

NA

NA

NA

अरुणाचल प्रदेश

9

14

18

0.04%

0.07%

0.09%

असम

178

267

356

0.19%

0.29%

0.39%

बिहार

194

292

389

0.11%

0.16%

0.21%

छत्तीसगढ़

138

207

276

0.16%

0.25%

0.33%

दिल्ली

207

310

413

0.37%

0.56%

0.75%

गोवा

41

62

83

0.31%

0.47%

0.62%

गुजरात

774

1,162

1,549

0.48%

0.72%

0.95%

हरियाणा

357

535

713

0.40%

0.59%

0.79%

हिमाचल प्रदेश

56

84

112

0.15%

0.22%

0.29%

जम्मू एवं कश्मीर

50

75

100

0.06%

0.09%

0.11%

झारखंड

195

293

391

0.26%

0.39%

0.52%

कर्नाटक

593

889

1,186

0.33%

0.49%

0.66%

केरल

775

1,163

1,551

0.68%

1.01%

1.35%

मध्य प्रदेश

NA

NA

NA

NA

NA

NA

महाराष्ट्र

1,333

2,000

2,667

0.38%

0.58%

0.77%

मणिपुर

9

14

18

0.05%

0.08%

0.10%

मेघालय 

NA

NA

NA

NA

NA

NA

मिजोरम

3

4

5

0.03%

0.04%

0.06%

नागालैंड

9

13

18

0.06%

0.09%

0.12%

ओड़िशा

292

438

583

0.23%

0.35%

0.47%

पंजाब

186

279

372

0.21%

0.32%

0.42%

राजस्थान

700

1,050

1,400

0.40%

0.61%

0.81%

सिक्किम

7

11

15

0.09%

0.14%

0.18%

तमिलनाडु

1,868

2,802

3,736

0.85%

1.28%

1.70%

तेलंगाना

880

1,320

1,760

0.61%

0.92%

1.23%

त्रिपुरा

15

22

30

0.09%

0.13%

0.17%

उत्तर प्रदेश

943

1,414

1,886

0.22%

0.33%

0.45%

उत्तराखंड

66

98

131

0.15%

0.23%

0.31%

पश्चिम बंगाल

251

377

503

0.14%

0.21%

0.28%

कुल 

10,130

15,195

20,260

0.34%

0.51%

0.67%

Note:  Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Meghalaya passed a vote on account, so data not available.

Sources:  State Budget Documents; PRS.

जीएसटी मुआवजे से कितनी मदद मिल सकती है?

केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को जीएसटी मुआवजे से जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई हो सकती है। जीएसटी (राज्यों का मुआवजा) एक्ट, 2017 के अंतर्गत केंद्र सरकार 2022 तक राज्यों को जीएसटी के कारण होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई करेगी। इसके लिए एक्ट राज्य जीएसटी राजस्व में 14% वार्षिक वृद्धि दर की गारंटी देता है जो कि वर्ष 2020-21 में वृद्धि की संभावना से बहुत अधिक है। इसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार को 14% की बजाय राज्यों को अपने राज्य जीएसटी राजस्व में वृद्धि की गिरावट के बराबर मुआवजा देना होगा। 

हालांकि इसकी संभावना कम है कि 2020-21 में राज्यों को मुआवजा प्रदान करने के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध हो। राज्यों को जीएसटी मुआवजा फंड से मुआवजा दिया जाता है जिसमें इस उद्देश्य के लिए जमा होने वाले सेस की राशि शामिल होती है। यह सेस कोयले, तंबाकू और उससे संबंधित उत्पादों, पान मसाला, ऑटोमोबाइल्स और एरेटेड ड्रिक्स पर वसूला जाता है। इस सेस में कमी देखी जा सकती है क्योंकि इनमें से अनेक वस्तुओं की बिक्री पर इस वर्ष असर हो सकता है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष की तुलना में 2019-20 में ऑटोमोबाइल की घरेलू बिक्री में 18% की गिरावट देखी गई थी जबकि कोयला उत्पादन स्थिर रहा था।

बजट 2020-21 में केंद्र सरकार ने राज्यों को 1,35,368 करोड़ रुपए के मुआवजे का अनुमान लगाया था जोकि राज्यों द्वारा अपने बजट में अनुमानित कुल मुआवजे के काफी निकट है। हालांकि लॉकडाउन के कारण इन अनुदानों को वित्त पोषित करने वाले सेस में गिरावट का अनुमान है, जबकि कम जीएसटी एकत्र होने के कारण राज्यों की मुआवजे की आवश्यकता बढ़ने का अनुमान है। जबकि इस बात का जोखिम है कि कोई वृद्धिशील जरूरत पूरी नहीं हो पाएगी, अगर बजट 2020-21 के अनुसार, राज्यों की मौजूदा राशि को पूरा करने के लिए पर्याप्त सेस जमा नहीं होता तो राज्य के राजस्व पर बहुत असर हो सकता है (तालिका 6)। राज्य, औसतन, 2020-21 में अपने 4.4% राजस्व के लिए जीएसटी मुआवजा अनुदान पर निर्भर हैं। हालांकि, गुजरात, पंजाब, और दिल्ली जैसे राज्यों को उम्मीद है कि 2020-21 में उनके राजस्व का लगभग 14-15% जीएसटी मुआवजा अनुदान के रूप में आएगा।

तालिका 6: 2020-21 में राज्यों द्वारा अनुमानित जीएसटी मुआवजा अनुदान

राज्य/यूटी

जीएसटी मुआवजा

राज्य की राजस्व प्राप्तियों के प्रतिशत के रूप में जीएसटी मुआवजा

आंध्र प्रदेश

NA 

NA

अरुणाचल प्रदेश

0

0.0%

असम

1,000

1.1%

बिहार

3,500

1.9%

छत्तीसगढ़

2,938

3.5%

दिल्ली

7,800

14.1%

गोवा

1,358

10.2%

गुजरात

22,510

13.9%

हरियाणा

7,000

7.8%

हिमाचल प्रदेश

3,338

8.7%

जम्मू एवं कश्मीर

3,177

3.6%

झारखंड

1,568

2.1%

कर्नाटक

16,116

9.0%

केरल

0

0.0%

मध्य प्रदेश

 NA

NA

महाराष्ट्र

10,000

2.9%

मणिपुर

0

0.0%

मेघालय 

NA

NA

मिजोरम

0

0.0%

नागालैंड

0

0.0%

ओड़िशा

6,200

5.0%

पंजाब

12,975

14.7%

राजस्थान

4,800

2.8%

सिक्किम

0

0.0%

तमिलनाडु

10,300

4.7%

तेलंगाना

0

0.0%

त्रिपुरा

208

1.2%

उत्तर प्रदेश

7,608

1.8%

उत्तराखंड

3,571

8.4%

पश्चिम बंगाल

4,928

2.7%

कुल

1,30,894

4.4%

Note:  Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Meghalaya passed a vote on account, so data not available.

Sources:  State Budget Documents; PRS.

पिछले वर्ष आर्थिक मंदी के कारण यही स्थिति उत्पन्न हुई थी। राज्यों के मुआवजे की जरूरत पूरी हो, इसके लिए पर्याप्त सेस जमा नहीं हुआ था। परिणामस्वरूप राज्यों को नवंबर 2019 में जीएसटी मुआवजा मिला था।  उल्लेखनीय है कि जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) एक्ट, 2017 में यह प्रावधान है कि जीएसटी परिषद मुआवजा फंड के लिए दूसरी वित्त पोषण व्यवस्थाओं का सुझाव दे सकती है। उदाहरण के लिए ऐसा तब किया जा सकता है, जब कोष में राज्यों को मुआवजा देने के लिए धनराशि की कमी हो।

राज्य की वित्तीय स्थिति पर प्रभाव

राजस्व पर गंभीर तनाव होने पर राज्यों को या तो अपने बजटीय व्यय में कटौती करनी होगी या बजट लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपनी उधारियों में वृद्धि करनी होगी। उल्लेखनीय है कि कोरोनावायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण राज्यों को स्वास्थ्य क्षेत्र तथा राहत देने पर अप्रत्याशित व्यय करना पड़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप कई राज्यों ने अपने नियोजित व्यय में कटौती करने की योजना बनानी शुरू कर दी है या वे नियोजित व्यय को तत्काल जरूरतों पर खर्च करने की योजना पर काम कर रहे हैं। राजस्व व्यय पर अपेक्षाकृत कम लचीलेपन के साथ, कई राज्यों के पूंजीगत व्यय में बड़ी कटौती हो सकती है। उदाहरण के लिए राजस्व व्यय में ब्याज, वेतन और पेंशन भुगतान के प्रति प्रतिबद्ध व्यय शामिल होता है। औसतन प्रतिबद्ध व्यय का हिस्सा राज्य के व्यय में 50% तक होता है। हालांकि कुछ राज्यों ने वेतन भुगतान में कटौती करनी शुरू कर दी है। चूंकि निजी उपभोग और निवेश के मंद रहने की उम्मीद है, सरकारी व्यय में कटौती से जीडीपी में गिरावट आ सकती है। 

दूसरा विकल्प यह है कि राज्य अपनी उधारियों में वृद्धि करें। हालांकि राज्यों की उधारियां एफआरबीएम कानूनों द्वारा उनकी 3% जीएसडीपी पर निर्धारित हैं (उनके द्वारा कुछ शर्तों को पूरा करने पर अतिरिक्त 0.5% के साथ)। राज्यों को उधार लेने के लिए केंद्र सरकार की सहमति की भी आवश्यकता है। हालांकि अधिकांश राज्यों ने 2020-21 में अपने राजकोषीय घाटे को पहले ही ऊपरी सीमा के आस-पास नियत कर लिया है (तालिका 7)। हालांकि लॉकडाउन के कारण जीएसडीपी पर असर होने की उम्मीद है, सभी राज्यों के लिए जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटा बजटीय लक्ष्यों से अधिक हो सकता है, भले ही वे अतिरिक्त उधार न लें।  

तालिका 7: 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटा अनुमान जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में 

राज्य/यूटी

2019-20 (संशोधित)

2020-21 (बजटीय)

आंध्र प्रदेश

NA 

NA

अरुणाचल प्रदेश

3.1%

2.4%

असम

5.7%

2.3%

बिहार

9.5%

3.0%

छत्तीसगढ़

6.4%

3.2%

दिल्ली

-0.1%

0.5%

गोवा

4.7%

5.0%

गुजरात

1.6%

1.8%

हरियाणा

2.8%

2.7%

हिमाचल प्रदेश

6.4%

4.0%

जम्मू एवं कश्मीर

NA 

5.0%

झारखंड

2.3%

2.1%

कर्नाटक

2.3%

2.6%

केरल

3.0%

3.0%

मध्य प्रदेश

NA 

NA

महाराष्ट्र

2.7%

1.7%

मणिपुर

8.9%

4.1%

मेघालय 

 NA

 NA

मिजोरम

8.3%

1.7%

नागालैंड

9.0%

4.8%

ओड़िशा

3.4%

3.0%

पंजाब

3.0%

2.9%

राजस्थान

3.2%

3.0%

सिक्किम

4.3%

3.0%

तमिलनाडु

3.0%

2.8%

तेलंगाना

2.3%

3.0%

त्रिपुरा

6.2%

3.5%

उत्तर प्रदेश

3.0%

3.0%

उत्तराखंड

2.5%

2.6%

पश्चिम बंगाल

2.6%

2.2%

केंद्र

3.8%

3.5%

Note:  Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Meghalaya passed a vote on account, so data not available.

Sources:  Union and State Budget Documents; PRS.

 
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